Biggest Flop Movies Of Bollywood-बॉलीवुड की सुपर फ्लॉप 10फ़िल्में
बॉलीवुड में कुछ फ़िल्में तो निर्माताओं को मालामाल कर देती हैं, वहीं बहुत सी फ़िल्में अपनी आधी तो कुछ चौथाई लागत भी नहीं निकाल पाती। किसी बड़े बजट की फिल्म के फ्लॉप होने से निर्माता बर्बाद होकर दिवालिया होने के कगार पर पहुंच सकता है और फायनेंसर मुसीबत में पड़ सकते हैं जो अंततः इंडस्ट्री के लिए भी घातक होता है।
वास्तव में फिल्म निर्माण एक ऐसा काम है, जहां सफलता का कोई फिक्स फार्मूला नहीं है। यह सत्य है कि फिल्म वही चलती है जो दर्शकों को एंटरटेन करे और निर्माता निर्देशक भी यही सोचकर फिल्म बनाता है कि उसकी फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करेगी व दर्शक उसे पसंद करेंगे। परन्तु अक्सर ऐसा हो नहीं पाता।
फिल्म को सफल बनाने के लिए कई निर्माता, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक व सुपर स्टार अभिनेता को लेकर महंगे बजट की फिल्म बनाते हैं फिर भी दर्शक उसे नकार देते हैं। जबकि कई बार ऐसा होता है कि बिना स्टार पावर वाली कम बजट की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर जाती है।
बॉलीवुड में फ्लॉप फ़िल्में कोई हालिया घटना नहीं है। यहां अक्सर वे फ़िल्में हमेशा विफल हो जाती है जो मात्र स्टार पावर और महंगे सेट पर निर्भर करती हैं। केवल चकाचौंध के जरिये पैसा कमाने की उम्मीद करने वाले निर्माताओं के लिए बॉलीवुड, बर्बादी का रास्ता हो सकता है। यहाँ उन फिल्मों की पिटाई हो सकती है जो बड़ी स्टार कास्ट के साथ भरपूर मनोरंजन देने के बढ़चढ़कर दावे के साथ प्रस्तुत की जाती हैं।
बॉलीवुड में किसी बिग बजट फिल्म का फ्लॉप होना न केवल निर्माता को दिवालिया बना सकता है बल्कि उस फिल्म से जुड़े अभिनेताओं का करियर भी बर्बाद हो सकता है। यहां बॉलीवुड की 10 बड़े बजट से बनी और बुरी तरह फ्लॉप हुई फिल्मों की चर्चा की गई है।
बॉलीवुड की 10 महंगी फ्लॉप फिल्में (Biggest Flop Movies Of Bollywood)
1. शालीमार (Shalimar)
1978 में बनी फिल्म "शालीमार" को कृष्णा शाह ने लिखा और निर्देशित किया है। फिल्म में धर्मेंद्र जीनत अमान, शम्मी कपूर, प्रेमनाथ और अरुणा ईरानी के साथ अंग्रेजी अभिनेता रेक्स हैरिसन, अमेरिकी अभिनेता जॉन सैक्सन और सिल्विया माइल्स ने अभिनय किया। इतनी बड़ी स्टारकास्ट और भव्य सेट के बावजूद यह फिल्म फ्लॉप साबित हुयी।
हीरे की चोरी पर आधारित इस फिल्म को अंग्रेजी में डब करके अमेरिका में "रेडर्स ऑफ द सेक्रेड स्टोन" के नाम से रिलीज़ किया गया पर इसके हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करण असफल रहे। यह फिल्म तो फ्लॉप रही इसके बावजूद आर डी बर्मन के संगीत निर्देशन में किशोर कुमार का गाया गाना "हम बेवफा ...." और उषा उथुप का गाया हुआ गाना "वन टू चाचा चा ....." काफी सुना गया था। हिंदी संस्करण में रेक्स हैरिसन की आवाज को कादर खान ने डब किया था।
2. रजिया सुल्तान (Razia Sultan)
दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शासक रजिया सुल्तान की प्रेम गाथा को कमाल अमरोही ने लगभग सात वर्षों में करोड़ों की लागत से बनाया था। फिल्म में लीड रोल किया था हेमा मालिनी ने और उनके साथ गुलाम याकूत के रूप में धर्मेंद्र थे। राजसी शानोशौकत दिखाने के लिए सेट की भव्यता पर निर्देशक ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी, जिससे उस दौर के हिसाब से यह एक बिग बजट फिल्म थी।
1983 में इसे काफी प्रचार के साथ रिलीज़ किया गया, परन्तु अपनी रिलीज के कुछ दिनों के भीतर कमाल अमरोही की इस ड्रीम फिल्म की हवा निकल गई और इसके निर्माता-वितरक सदमे में आ गए। अपने शानदार सेट और कीमती ड्रेस के बावजूद रजिया सुल्तान क्यों फ्लॉप हुई, इस पर बॉलीवुड में मंथन चलता रहा। कुछ लोगों ने फिल्म में धर्मेंद्र को काले मुँह का दिखाए जाने पर आपत्ति की तो कुछ ने इसके संवाद, हिंदी दर्शकों को समझ न आना इसका कारण बताया।
यहां बता दें कि इस फिल्म ने बेस्ट आर्ट डायरेक्टर का एकमात्र फिल्म फेयर पुरस्कार जीता था और इस फिल्म में खय्याम के संगीत निर्देशन में लता मंगेशकर का गाया गीत " ए दिलें नादां .... बेहद कर्णप्रिय बन पड़ा था और संगीत प्रेमी आज भी इसे बड़े चाव से सुनते हैं।
3. अजूबा (Azooba)
शशि कपूर ने कलयुग, 36 चौरंगी लेन, जूनून जैसी फ़िल्में बनाई थीं, जिन्हें क्रिटिक्स ने बहुत सराहा और ये फ़िल्में अवार्ड जीतने में सफल रहीं। परन्तु इन फिल्मों को व्यवसायिक कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद शशिकपूर ने व्यवसायिक सफलता के लिए एक मल्टीस्टारर फिल्म "अजूबा" बनाने का निर्णय लिया।
1991 की इस फंतासी सुपरहीरो फिल्म अजूबा में वे अमिताभ बच्चन, ऋषि कपूर, डिंपल कपाड़िया और अमरीश पुरी को साथ लेकर आये। पहले इस फिल्म के निर्देशन के लिए उन्होंने अपने भाई राजकपूर फिर मनमोहन देसाई से बात की, पर बात नहीं बन सकी। अंत में उन्होंने स्वयं इस फिल्म का निर्देशन किया।
फिल्म लगभग 3 साल में बनकर तैयार हुई, लेकिन शशि कपूर निर्देशित "अजूबा" बॉलीवुड की उन फ्लॉप फिल्मों में से एक बनकर उभरी जो अपने बजट की आधी कमाई भी नहीं जुटा पाई। यह फिल्म भारत-सोवियत सहयोग से बनाई गई थी जिसमें रूसी अभिनेताओं ने भी काम किया था। अजूबा की असफलता और भारी नुकसान ने निर्माता शशि कपूर को अपना प्रोडक्शन हाउस बंद करने के लिए मजबूर कर दिया।
4. रूप की रानी चोरों का राजा (Roop Ki Rani Choro Ka Raja)
बोनी कपूर द्वारा निर्मित और जावेद अख्तर द्वारा लिखी गई इस फिल्म की शूटिंग 1987 में शुरू हुई लेकिन निर्देशक शेखर कपूर ने इस परियोजना को बीच में ही छोड़ दिया और उनकी जगह सतीश कौशिक को लेना पड़ा। जब फिल्म आखिरकार छह साल बाद सिनेमाघरों में आई, तो यह दर्शकों को आकर्षित न कर सकी, बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म का कलेक्शन लगभग 3 करोड़ रहा।
उस समय जब बॉलीवुड में फ़िल्में एक दो करोड़ में बनती थीं तब इसे 9 करोड़ के भारी भरकम बजट से बनाया गया था, इस प्रकार "रूप की रानी चोरों का राजा" एक बड़ी विफलता थी। अनिल कपूर और श्रीदेवी की जोड़ी के साथ इस फिल्म में जैकी श्रॉफ, जॉनी लीवर और अनुपम खेर की एक बड़ी स्टार कास्ट भी इस फिल्म के लिए चमत्कार नहीं कर सकी और इसका नाम बॉलीवुड द्वारा निर्मित सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक के रूप में दर्ज हो गया।
5. द्रोण (Drona)
अभिषेक बच्चन की एडवेंचर सुपरहीरो फिल्म "द्रोण", 2008 में रिलीज से पहले अपने स्पेशल इफेक्ट्स, मार्शल आर्ट और अन्य फाइट सीक्वेंस पर किये गए बड़े खर्च के कारण चर्चा में थी। फिल्म में भारतीय मार्शल आर्ट जैसे कलारीपयट्टू, छऊ, गतका और तलवारबाजी को दिखाया गया है। इसे प्राग, बीकानेर, महाराष्ट्र, राजस्थान और नामीबिया में फिल्माया गया था। जिसमें अभिषेक बच्चन, प्रियंका चोपड़ा, के. के. मेनन और जया बच्चन ने अभिनय किया है।
द्रोण के स्पेशल इफ़ेक्ट वाले सीन्स पर विदेशी एक्सपर्ट टीम द्वारा 6 महीने तक काम किया गया था। यह फिल्म गोल्डी बहल के निर्देशन में 45 करोड़ की लागत से बनी थी, परन्तु बॉक्स ऑफिस में बुरी तरह धराशायी हो गई और अपनी लागत का एक तिहाई भी न निकाल सकी। क्रिटिक्स ने भी इस फिल्म को कलाहीन और बकवास करार दिया इस प्रकार यह फिल्म अभिषेक बच्चन के करियर की सबसे बड़ी ट्रेजडी बन गई।
6. लव स्टोरी 2050 (Love Story 2050)
इस फिल्म में निर्देशक हैरी बावेजा ने अपने पुत्र हरमन बावेजा को पहली बार प्रियंका चोपड़ा के साथ प्रस्तुत किया था। "लवस्टोरी 2050" बॉलीवुड की पहली यूटोपियन टाइम ट्रैवल फिल्म होने के साथ अपने शानदार स्पेशल इफ़ेक्ट वाले सीन्स के कारण चर्चा में थी।
परन्तु रिलीज़ के साथ इसने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और बुरी तरह फ्लॉप फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो गई। लगभग 60 करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म अपनी लागत का आधे से भी कम निकाल पाई। यह एक बंडल फिल्म साबित हुई, इसे प्रियंका चोपड़ा की सबसे खराब फिल्म में शामिल किया जाता है।
शुरुआत में यह फिल्म 21 दिसंबर 2007 को रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन व्यापक पोस्ट-प्रोडक्शन कार्य के कारण इसे 4 जुलाई 2008 तक के लिए स्थगित कर दिया गया। प्रीमियर 2 जुलाई 2008 को लंदन में आयोजित किया गया था। फिल्म में विज़ुअल इफ़ेक्ट अच्छा था लेकिन इसके निर्देशन, पटकथा और हरमन बावेजा की खराब एक्टिंग के लिए इसकी आलोचना की गई थी।
7. काइट्स (Kites)
"कृष" और "कोई मिल गया" जैसी हिट फिल्मों के निर्माता निर्देशक राकेश रोशन ने काइट्स का निर्माण किया था। ऋतिक रोशन, बारबरा मोरी और कंगना रनौत अभिनित इस फिल्म के निर्देशक अनुराग बसु थे। निर्माता राकेश रोशन इस फिल्म से अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाना चाहते थे।
2010 में प्रदर्शित इस बड़े बजट की फिल्म को अंतरराष्ट्रीय लोकेशंस पर शूट किया गया था। हिंदी के साथ भारत के बाहर इसके अंग्रेजी संस्करण को 60 से अधिक देशों में रिलीज़ किया गया।" काइट्स" को भारत में ज्यादातर जगहों पर शुरुवाती रिस्पॉन्स ठीक मिला, लेकिन फिल्म की रिपोर्ट उत्साहजनक नहीं होने के कारण बॉक्स ऑफिस जल्दी ही ठंडा पड़ गया।
यह फिल्म अपने 82 करोड़ की लागत के बदले 48 करोड़ ही कमा पाई। स्क्रिप्ट की कमजोरी के अलावा इसकी असफलता का एक बड़ा कारण इसके बहुत सारे संवादों का अंग्रेजी और स्पेनिश में होना भी हैं। फिल्म के बारे में बात करते हुए अनुराग बसु ने कहा था कि फिल्म के बारे में मेरी दृष्टि राकेशजी से अलग थी। आखिरकार ये फिल्म ना इधर की रही, ना उधर की। इसने ना तो भारतीय दर्शक को आकर्षित किया और न ही पश्चिमी दर्शक को।
8. बॉम्बे वेलवेट (Bombay Velvet)
2015 में रिलीज़ हुई और 120 करोड़ रुपये के बजट में बनी बॉम्बे वेलवेट की असफलता अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 10 से 20% की ओपनिंग लेने वाली इस फिल्म को दूसरे दिन दर्शकों की कमी के चलते आधे सिनेमा घरों से उतार दिया गया और फिल्म भारी घाटे सौदा साबित हुई।
अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी इस फिल्म में रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और करण जौहर ने अभिनय किया था। बॉम्बे वेलवेट व्यावसायिक रूप से बुरी तरह विफल रहने के साथ क्रिटिक्स ने भी इसे पूरी तरह बकवास फिल्म करार दिया। "बॉम्बे वेलवेट" को बेकार स्क्रिप्ट के साथ अनुराग कश्यप के घटिया निर्देशन के कारण गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा था।
9. राम गोपाल वर्मा की आग (Ram Gopal Varma Ki Aag)
शोले से इंस्पायर्ड इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन राम गोपाल वर्मा ने किया है, साज़िद फरहाद द्वारा लिखित इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, मोहनलाल, अजय देवगन हैं। राम गोपाल वर्मा की यह फिल्म बॉलीवुड फिल्म इतिहास की सबसे बकवास और फ्लॉप फिल्मों में से एक बन गई है।
ब्लॉकबस्टर शोले का रूपांतरण होने के बावजूद यह फिल्म समीक्षकों और दर्शकों द्वारा समान रूप से अस्वीकार की गई। 2007 में रिलीज़ इस ढाई घंटे की फिल्म ने दर्शकों के दिमाग का दही कर दिया। इस फिल्म में गब्बर सिंह के चरित्र की नक़ल करने के लिए कोर्ट द्वारा निर्देशक राम गोपाल वर्मा को कॉपीराइट उल्लंघन का दोषी पाते हुए 10 लाख रूपये का अर्थदंड भी लगाया गया था।
यह फिल्म इतनी खराब थी कि फिल्म समीक्षक राजीव मसंद ने इसे पांच में से शून्य का दर्जा दिया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने कहा कि राम गोपाल वर्मा की आग ने "बॉलीवुड की सबसे बड़ी फिल्म शोले के नाम पर बट्टा लगा दिया" और स्वीकार किया कि शायद यह दुनिया की सबसे खराब फिल्म है। हिंदुस्तान टाइम्स ने इसे "लाइफटाइम्स वर्स्ट एवर मूवी अवार्ड" से सम्मानित किया। अमिताभ बच्चन ने बाद में स्वीकार किया कि फिल्म "एक गलती थी।"
10. ठग्स ऑफ हिंदोस्तान (Thugs Of Hindostan)
यश राज फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली और अमिताभ बच्चन, आमिर खान और कैटरीना कैफ द्वारा अभिनीत इस फिल्म से दर्शकों और इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें थी। परन्तु 220 करोड़ के बजट से बनी इस फिल्म ने रिलीज़ के साथ ही सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया और आधुनिक बॉलीवुड में सबसे खराब फ्लॉप फिल्मों में से एक के रूप में अपना नाम दर्ज करवा लिया।
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आमिर खान की पिछली फिल्मों से उन्होंने जो मिस्टर परफेक्शनिस्ट होने का संदिग्ध गौरव प्राप्त किया था, उसे 2018 की फिल्म "ठग्स ऑफ हिंदोस्तान" ने धूल में मिला दिया। बॉक्स ऑफिस पर अच्छी ओपनिंग के बावजूद, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर टिकने में विफल रही। नकारात्मक समीक्षाओं के साथ-साथ प्रतिकूल वर्ड ऑफ माउथ पब्लिसिटी के साथ ठग्स ऑफ हिंदोस्तान, सिनेमा दर्शकों के पॉकेट का पैसा लूटने वाले ठग के रूप में उभरा।
Conclusion -
उपरोक्त फिल्मों की समीक्षा से एक बात स्पष्ट है कि दर्शक अपने टिकट के पैसों के बदले में मनोरंजन चाहता है। फिल्म में मनोरंजन का अभाव होने पर वह पूरी कठोरता दिखाते हुए निर्मम होकर फिल्म को रिजेक्ट कर देता है, दर्शक ये नहीं देखता कि फिल्म में कोई बड़ा सुपरस्टार है अथवा फिल्म बड़े बैनर व बजट की है या इसमें भव्य और महंगे सेट लगाए गए हैं।
सारांश रूप में कह सकते हैं कि दर्शकों की रूचि के अनुकूल कथा, अच्छी पटकथा और सटीक निर्देशन ही फिल्म की जान होती है। इसके अभाव में बड़ा बैनर, बड़ी स्टारकास्ट और भव्य सेट भी किसी काम के नहीं हैं। केवल बड़े तामझाम के जरिये बनी फिल्म के पहले दिन के कुछ शो ठीक जा सकते हैं, परन्तु अगले दिन से ऐसी फ़िल्में दर्शकों के लिए तरसती रह जाती हैं।
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