Stop Loss in Day Trading-डे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी
स्टॉक मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग की तुलना कसीनो में हाथ आजमाने से की जाती है, परन्तु क्या यह सच है? अगर एक ही ट्रेड में अपनी पूरी रकम को लीवरेज लेकर दांव पर लगा दिया जाए तो यह वास्तव में कसीनो टेबल बन जाता है।
इसका कारण स्टॉक मार्केट का अत्यधिक अस्थिर होना है, सामान्य चाल दिखाने के बाद यहां कभी भी किसी भी तरफ का बड़ा मूव आ सकता है। जहां यह अधिक लाभ अर्जित करने में मदद कर सकता है, वहीं विपरीत चाल आने पर ट्रेडर भारी नुकसान भी उठा सकता है।
कसीनो और स्टॉक मार्केट की ट्रेडिंग में एक बड़ा फर्क यह है कि कसीनो में आपके पास अपना दांव खेलने के बाद घाटे को कम करने के लगभग नगण्य तरीके होते हैं, लेकिन ट्रेडिंग के समय अपने लॉस को नियंत्रित करने के लिए आप स्टॉप लॉस रणनीतियों को प्रयोग कर सकते हैं। सरल शब्दों में कहें तो जब शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेडिंग होती है, तो आपकी एग्जिट स्ट्रैटेजी या स्टॉप लॉस ऑर्डर यह सुनिश्चित करता है कि आप बड़े नुकसान से बचे रहें।
ट्रेडिंग में ऐसी कई स्थितियां हैं जब ट्रेडर को बड़ा नुकसान हो सकता है और ट्रेडर इससे बचना चाहते हैं, जैसे कि ऑप्शन की शॉर्ट-सेलिंग रणनीति का उपयोग करते समय। साथ ही स्टॉप लॉस ऑर्डर विशेष रूप से उन डे ट्रेडर्स के लिए भी जरूरी है जिनके पास छोटी पूँजी होने के कारण उनकी पूरी रकम एक ही ट्रेड में लगी होती है।
अक्सर कम पूँजी वाले ट्रेडर लीवरेज के जरिये इंडेक्स या स्टॉक में ट्रेड लेते है, लेकिन जब रुझान उनके इच्छित दिशा के खिलाफ जाते हैं, तब चिंताजनक स्थिति उतपन्न होती है। ऐसे समय निर्णय लेने में देरी करने पर घाटा और बढ़ सकता है जिससे उनकी पूरी कैपिटल साफ़ हो सकती है। ऐसे मामले में ट्रेड से बाहर निकलने का सबसे अच्छा तरीका स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करना है।
स्टॉप लॉस की उपयोगिता क्या है?
स्टॉक मार्केट ट्रेडर के लिए मुनाफा कमाने के अलावा अपनी पूंजी की रक्षा करना सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि आपकी पूंजी नष्ट हो जाती है, तो आप ट्रेड नहीं कर पाएंगे और दर्शक बन कर रह जायेंगे। एक स्टॉप लॉस रणनीति यह सुनिश्चित करती है कि आपकी पूंजी कुछ हद तक सुरक्षित रहे, भले ही बाजार आपके पूर्वानुमानों के विरुद्ध चलता हो।
डे ट्रेडिंग में सोची गयी दिशा के विपरीत कोई बड़ा मूव आने पर आपका भारी नुकसान हो सकता है। परन्तु नुकसान के एक निश्चित स्तर पर स्टॉप लॉस ऑर्डर लगा होने पर आपका नुकसान सीमित हो जाता है। क्योंकि विपरीत चाल के स्टॉप लॉस बिंदु पर पहुंचते ही सौदा आटोमेटिक रूप से बंद हो जाता है। स्टॉप-लॉस रणनीति का उपयोग ट्रेडिंग के लिए करना कोई मजबूरी नहीं है, यह एक व्यक्तिगत पसंद है। लेकिन यह अंततः उच्च नुकसान के जोखिम को कम करता है।
स्टॉप लॉस लगाने का एक अन्य लाभ यह है कि ट्रेडर किसी विशेष दिन अपने ट्रेड को लगातार स्क्रीन देखने की बाध्यता के बिना छोड़ सकता है, क्योंकि वह जानता है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा। ऐसा तब होता है जब कोई ट्रेडर किसी ख़ास दिन स्क्रीन के सामने न बैठा सके या जब जब वो छुट्टी पर अथवा यात्रा पर व्यस्त हों।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें (Stop Loss in Day Trading)
1. प्रतिशत के आधार पर -
स्टॉप-लॉस ऑर्डर किस रेट पर सेट करना है? जब यह प्रश्न ट्रेडिंग के दौरान उपस्थित होता है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर का मूल्य निर्धारित करने के लिए अधिकांश ट्रेडर, प्रतिशत नियम का उपयोग करते हैं।
आमतौर पर जो ट्रेडर नुकसान के हाई रिस्क से बचना चाहता है, वह स्टॉप-लॉस ऑर्डर को खरीद मूल्य के 2 से 5% पर सेट करता है। उदाहरण के लिए, यदि स्टॉक 100 रुपये में खरीदा जाता है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर का मूल्य 98 से 95 रुपये पर सेट कर दिया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेडिंग के दौरान विपरीत दिशा में कोई बड़ा मूव आने पर भी नुकसान सीमित होता है।
2. सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के आधार पर -
परसेंटेज के आधार पर स्टॉपलॉस लगाने की विधि तकनीकी तौर पर सही नहीं है, क्योंकि प्रत्येक स्टॉक की वोलैटिलिटी अलग होती है ऐसे में अधिक वोलेटाइल स्टॉक 2% के स्टॉपलॉस को आसानी से हिट कर देगा और स्टॉपलॉस निरर्थक सिद्ध होगा।
स्टॉप-लॉस ऑर्डर लगाने का प्रमुख आधार चार्ट पर वह सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल है, जिसका डे ट्रेडर भारी नुकसान से बचने के लिए लाभ उठा सकता है। इसमें ट्रेडर को ट्रेड लेने से पहले किसी स्टॉक का पिछले कुछ समय में बनाया गया सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल देखना होता है।
जब ट्रेडर को लगता है कि ये लेवल उसकी रिस्क लेने की क्षमता के अनुरूप है तो वह उस स्टॉक में ट्रेड लेता है परन्तु सपोर्ट -रेजिस्टेंस का लेवल बहुत दूर होने और उसकी रिस्क लेने की क्षमता से दूर होने पर वह उस स्टॉक से दूर हो जाता है और उसमें कोई ट्रेड नहीं बनाता।
सामान्य रूप से स्टॉक अपने बनाये सपोर्ट -रेजिस्टेंस लेवल का सम्मान करते हैं और अक्सर वहीं से पलटते हैं परन्तु कभी कभी उस लेवल को थोड़ा तोड़कर जाने के बाद ऐसा करते हैं इसलिए स्टॉपलॉस को इस लेवल से थोड़ा सा दूर करके रखा जाता है जिससे अनावश्यक रूप से वो हिट न हो पाए।
3. मूविंग एवरेज के आधार पर -
सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल के अलावा आप किसी ट्रेड में अपना स्टॉप लॉस सेट करने के लिए अन्य तकनीकी संकेतकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, आप स्तर निर्धारित करने के लिए दैनिक या साप्ताहिक मूविंग एवरेज लाइन का उपयोग कर सकते हैं। आप इन मूविंग एवरेज के थोड़ा नीचे स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।
4. स्विंग लो और स्विंग हाई -
स्टॉप-लॉस ऑर्डर कहाँ पर कितना सेट करना है, इससे जुड़ी एक और रणनीति है चार्ट पर स्विंग लो और स्विंग हाई देखकर स्टॉपलॉस निर्धारित करना। लो स्विंग स्ट्रैटेजी में, स्टॉप-लॉस ऑर्डर को एक ऐसे बिंदु पर रखा जाता है, जहां यदि रेट चला भी गया तो वहां से बाउंस बैक की उम्मीद होती है, जो चार्ट में वी-शेप रिकवरी की ओर ले जाता है।
यहां लॉस तभी होगा जब चार्ट वी-शेप में वापस नहीं आता है और गिरावट जारी रहती है, परन्तु वहां आपका स्टॉपलॉस लगा होने के कारण आप सीमित नुकसान में सौदे से बाहर आ जाते हैं। जब ट्रेडर शॉर्ट-सेल कर रहा होता है तो हाई स्विंग स्ट्रैटेजी का उपयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति में, स्टॉप-लॉस ऑर्डर को चार्ट में बने हाई रेट से थोड़ा ऊपर सेट किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रेट के बहुत ऊपर जाने पर भी कोई अधिक नुकसान न हो।
5. ट्रेलिंग स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी का उपयोग करना -
अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करने के लिए ट्रेलिंग स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी का उपयोग किया जा सकता है।
ट्रेड के प्रॉफिट में आने पर अपने स्टॉपलॉस को आगे बढ़ाते जाएँ, जिससे यदि रेट में उलटी दिशा में अचानक बदलाव आता है तब भी आपका मुनाफा सुरक्षित रहे। इस प्रकार आप अपने प्रॉफिट वाले ट्रेड को लॉस में बदलने से बचाते हैं। इस रणनीति को शार्ट टर्म के अलावा लॉन्ग टर्म के निवेशक भी अपने लाभ को सुरक्षित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।
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Conclusion -
इंट्राडे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी आपके डाउनसाइड जोखिम को सीमित करके आपकी पूंजी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह लॉस को कम करने और ट्रेडिंग अनुशासन स्थापित करने में मदद करती है। आप अपने लाभ को एक निश्चित स्तर तक सुरक्षित रखने के लिए स्टॉप लॉस का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं।
अगर आपको लगता है कि स्टॉपलॉस लगाने पर ऑपरेटर के लिए उसे खाना सरल होता है, इसलिए आप SL नहीं लगाते तो आपको SL न लगाने के नुकसान भुगतने के लिए भी तैयार रहना होगा, मर्ज़ी आपकी है। एक सफल ट्रेडिंग यात्रा के लिए अपने अनुभव के आधार पर अपनी स्वयं की स्टॉप लॉस रणनीति निर्धारित करना आपके लिए अधिक उपयोगी रहेगा।
आशा है ये आर्टिकल "Stop Loss in Day Trading-डे ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस स्ट्रैटेजी" आपको पसंद आया होगा, इसे अपने मित्रों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।
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