How to Start Mini Industry-सफल उद्योगपति कैसे बनें
अगर आप दुनिया के शीर्ष धनपतियों की सूची में नज़र डालेंगे तो पाएंगे कि उनमें से अधिकांश उद्योगपति हैं। एंड्रयू कार्नेगी, हेनरी फोर्ड, लक्ष्मी मित्तल, अम्बानी, अनिल अग्रवाल जैसे बहुत से नाम हैं, जिन्होंने उद्योग के जरिये अरबपति बनने में सफलता पाई है।
आप सफल उद्योगपति कैसे बन सकते हैं? यह बताना महत्वपूर्ण है कि आप एक सफल उद्योगपति बन सकें, इसके लिए आपको अपने आराम का त्याग करने, कठिनाइयों का सामना करने, कैलक्युलेटेड रिस्क लेने के साथ दूसरों से अच्छे संबंध बनाने की कला और अच्छे व्यावसायिक कौशल से सुसज्जित होने के लिए तैयार रहना चाहिए।
यदि आप एक उद्योगपति बनने की इच्छा रखते हैं, तो छोटे उद्योग से अपना काम शुरू करना अनुचित नहीं है। इससे आप सीखते जाते हैं और जब आपके पास स्पष्ट दृष्टि होती है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं तो बाद में उसे बड़े उद्योग में परिवर्तित कर लेते हैं।
छोटे उद्योगों के लिए फायदा यह है कि वे नए उत्पादों की शुरूआत और उत्पादन की नई पद्धति आदि के अनुकूल होने के लिए अधिक लचीले होते हैं। बड़े पैमाने की इकाइयों की तुलना में छोटे पैमाने की इकाइयाँ अधिक परिवर्तनशील होती हैं और यहां रोजगार के अवसर अधिक होते हैं।
आइए अब हम उन चरणों के बारे में जानते हैं, जिनका आपको एक उद्योगपति बनने के लिए अनुसरण करने की आवश्यकता है।
लघु उद्योग स्थापित करने की प्रक्रिया
1. प्रशिक्षण प्राप्त करें -
उद्योगपति बनने की ओर अग्रसर होने के लिए पहला कदम प्रशिक्षण प्राप्त करना है। इसमें किसी संस्थान से उद्योग संबंधी प्रशिक्षण प्राप्त करना या किसी प्रासंगिक पाठ्यक्रम में डिग्री प्राप्त करना भी शामिल है।
वास्तव में एक उद्यमी के रूप में सफल होना आपके लिए आसान हो जाता है यदि आपने अपना उद्योग शुरू करने से पहले उस उद्योग से संबंधित प्रशिक्षण प्राप्त किया है और उसका प्रैक्टिकल अनुभव करने के लिए अपना समय दिया है।
आंकड़े बताते हैं कि उद्योगों के विफल होने का कारण यह है कि उद्योग शुरू करने से पहले मालिकों ने कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। एक उद्योगपति के रूप में शुरुवात करने से पहले आपको उस उद्योग का अच्छा ख़ासा ज्ञान होना चाहिए जिसे आप शुरू करना चाहते हैं।
2. योजना बनाएं -
सफल उद्योगपति बनने का सपना पूरा करने के लिए आपको उस लाइन में लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। ध्यान रखने वाली बात यह है लक्ष्य निर्धारित करना एक बात है और लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में काम करना बिलकुल दूसरी बात है। लक्ष्य निर्धारित करके रुकना नहीं है, आपको अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के साथ समय-समय पर अपने लक्ष्य की समीक्षा करनी चाहिए।
देश या दुनिया के बड़े उद्योगपति, रातोंरात महान उद्योगपति नहीं बन गए। वे लोग लक्ष्य निर्धारित करते हैं और लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करते हैं। यदि आप एक बड़ा उद्योगपति बनना चाहते हैं तो आपकी व्यावसायिक योजना में यह परिलक्षित होना चाहिए। आपको अपनी योजना में उद्योग विस्तार रणनीतियों और ग्रोथ जैसे प्रमुख कारकों को स्पष्ट रूप से देखना चाहिए।
आपको उद्योग की शुरुवात करने से पहले किसी ऐसे व्यक्ति से सलाह लेना चाहिए जिसने पैतृक रूप से नहीं बल्कि स्वयं ही उस उद्योग की स्थापना करके सफलता पायी। उद्योग की स्थापना करने से पहले अपने उत्पादित माल के संभावित खरीददारों से मिलना चाहिए और उद्योग योजना लिखने में मदद करने के लिए व्यावसायिक सलाहकारों की सेवाओं को शामिल करना चाहिए।
3. प्रोडक्ट का चयन -
आपके उद्योग की सफलता के लिए सही उत्पाद का चयन सबसे महत्वपूर्ण है। आप जिस वस्तु का निर्माण करना चाहते हैं, उसकी बाजार में डिमांड कैसी है और उसमें आपका मार्जिन कितना होगा, इस बात का बाजार अनुसंधान करके पता कर सकते हैं। बाजार अनुसंधान करते समय आपको इन बातों पर विचार करना चाहिए -
A. उस उद्योग में प्रतिस्पर्धा कितनी है और क्या आपको बड़े उद्योगपतियों से मुकाबला करना पड़ेगा?
B. अगर आप कोई नया उत्पाद लेकर आये हैं तो आपके क्षेत्र में उसकी डिमांड कैसी होगी और वह उत्पाद वहां के लोगों की आर्थिक स्थिति और जरूरत के अनुकूल होना चाहिए।
C. आपके उद्योग की सफलता के लिए कच्चे माल की उपलब्धता कैसी है, इस पर विचार जरूरी है। कच्चा माल आपके शहर में आसानी से उपलब्ध है या उसे दूसरे किसी शहर से लाना पड़ेगा, परिवहन लागत कितनी होगी यह देख लें।
D. उस उद्योग के संबंध में सरकारी नीतियां कैसी हैं? क्या उस उद्योग को किसी प्रकार की सब्सिडी प्राप्त है, यह पता करें।
E. आपको यह तय करना है कि उद्योग के मालिक आप अकेले होंगे या साझेदारी में काम करेंगे। साझेदारी में दोनों अपने पैसे का निवेश करते हैं और संयुक्त उद्यम के रूप में काम करते हैं जहां वे अपने सभी लाभ, हानि, जोखिम साझा करते हैं और पारस्परिक लाभ के लिए अपनी पूंजी और प्रबंधकीय कौशल को जोड़ते हैं।
4. उद्योग का स्थान -
उद्योग की स्थापना का खर्च आपके बजट में होना चाहिए। इसमें मशीनरी की लागत और वर्किंग कैपिटल के अलावा शेड आदि बनाने का खर्च शामिल है। अगर आपके पास कोई भूखंड उपलब्ध है तो क्या उस जगह में आपके सोचे हुए उद्योग को लगाने की अनुमति प्रशासन से मिलेगी अथवा नहीं यह पता करें।
बहुत से उद्योगों को शहर के भीतर लगाने की अनुमति नहीं मिलती इसलिए अधिकतर उद्योग शहर से बाहर लगाए जाते हैं। अगर स्वयं की भूमि उपलब्ध न हो तो अपने क्षेत्र के औद्योगिक विकास निगम से सम्पर्क करें। सरकार छोटे उद्योगों के एकीकृत विकास के लिए औद्योगिक क्षेत्र बनाती है जहां पूर्व-निर्मित फैक्ट्री शेड या विकसित भूखंड, उद्यमियों को दिए जाते हैं।
जिस स्थान पर उद्योग लगाना चाहते हैं, वहां बिजली कनेक्शन की व्यवस्था को देखा जाना चाहिए। उद्यमी अपने उद्योग के लिए कुल बिजली की आवश्यकता की गणना कर सकता है। वहां के निकटतम ट्रांसफार्मर से उतने लोड का कनेक्शन नहीं मिल पाने की स्थिति में ट्रांसफार्मर लगवाने का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ सकता है, जिससे उद्यम स्थापना की लागत बढ़ सकती है।
5. लघु उद्योगों का पंजीकरण -
लघु उद्योगों का पंजीकरण स्वैच्छिक है। यह अनिवार्य नहीं है परन्तु उद्योग आयुक्त या डीआईसी के साथ इसका पंजीकरण, उद्योग को विभिन्न प्रकार की सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र बनाता है। जैसे वित्तीय निगमों और बैंकों से ऋण प्राप्त करने में मदद, बिजली की दरों एवं विभिन्न करों में छूट के अलावा बैंक के ब्याज पर मिलने वाली छूट इसमें शामिल है।
उद्योग रजिस्ट्रेशन दो प्रकार का होता है। पहले अस्थायी पंजीयन (Provisional Registration) प्रमाण पत्र दिया जाता है, इसके जरिये बैंक लोन और बिजली कनेक्शन प्राप्त करने के लिए आवेदन दे सकते हैं।
उत्पादन शुरू होने के बाद एक स्थायी प्रमाण पत्र (Permanent Registration Certificate) दिया जाता है, इसके लिए उद्यमी को डीआईसी या जिला उद्योग केंद्र से आवेदन प्राप्त करना होता है। इसे विधिवत भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ जमा करना होता है, फिर उद्योग निरीक्षक के द्वारा यूनिट का निरीक्षण किया जाता है। इस प्रमाण पत्र के जरिये बिक्री कर व उत्पाद शुल्क में छूट, पूंजीगत सब्सिडी, आईएसओ-9000 प्रमाणन जैसे कई लाभ उठा सकते हैं।
6. वित्त का प्रबंध -
वित्त, उद्यम की जीवनदायिनी है। यदि आपके पास पर्याप्त वित्त नहीं है, तो फिर उधार लेना या बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया करनी होती है। यदि आप शिक्षित बेरोजगार हैं तो विभिन्न शासकीय योजनाओं का लाभ, बैंक से ऋण प्राप्त करने में ले सकते हैं।
यदि आपकी परियोजना लागत 25 लाख रूपये तक है तो प्रधानमंत्री रोजगार योजना का लाभ उठाया जा सकता है। इस 25 लाख में प्लांट मशीनरी और वर्किंग कैपिटल की राशि शामिल होती है। इसमें आपको परियोजना लागत का 5 से 10 प्रतिशत मार्जिन मनी लगाना होता है। यहां आपको 25 से 35 प्रतिशत की सब्सिडी भी मिलती है, इसे प्राप्त करने के लिए उद्योग का 3 वर्ष तक चलना आवश्यक है।
यदि आपके पास उद्योग लगाने के लिए स्वयं की भूमि नहीं है, तो आप किराये पर कोई प्लाट ले सकते हैं। इसके लिए कृषि भूमि का उद्योग व्यवसाय के लिए डायवर्सन करवाना होता है, ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायत अथवा सरपंच से उद्योग लगाने की अनुमति भी लेनी पड़ती है।
7. कर्मचारियों की नियुक्ती -
किसी भी संगठन की सफलता काफी हद तक उसके कर्मचारियों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। अपने उद्यम को सफल बनाने के लिए आपको इस बात पर बहुत ध्यान देना होगा कि आपके लिए कौन काम करता है। कर्मचारियों का अनुभव उद्यम की सफलता सुनिश्चित करने में सहायक होता है, विषेशकर नए उद्यमी के लिए।
लघु उद्योग के मालिक को अपने उद्योग में कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को स्वयं ही करना होता है। उन्हें अपने कर्मचारियों के काम पर बारीक नज़र रखनी होती है साथ ही अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहन देना और उनके सुख दुःख में हिस्सा बनने के लिए समय निकालना होगा।
8. उत्साहित रहें -
उद्योग -व्यापार जगत में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। काम शुरू करने के बाद बहुत सी समस्याएं आएँगी जिनका निराकरण करने का तरीका आप समय के साथ सीखते जाएंगे। कुछ चीज़ें आपके नियंत्रण से पूरी तरह बाहर की होती हैं जैसे कि आप वैश्विक मंदी को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं।
लेकिन आप अपने व्यवसाय को आर्थिक मंदी से बहुत प्रभावित नहीं होने की स्थिति में रख सकते हैं। एक सफल उद्योगपति बनने के लिए आपको सेल्फ मोटिवेटेड रहने के लिए तैयार रहना चाहिए। अपना उत्साह कभी कम न होने दें क्योंकि आपके उद्योग के विकास के विभिन्न चरणों में आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
नए उद्यमी के सामने उधारी देना और वसूलना एक समस्या होती है। कुछ व्यवसायी नए उद्यमियों की तलाश में होते हैं, जिनसे वे उधारी माल प्राप्त कर सकें और उनका पैसा दबाकर बैठ जाएँ। नए उद्यमी को इस रिस्क को मैनेज करना पड़ता है। एक उद्यमी के लिए अपने प्लांट की चल- अचल संपत्तियों के लिए पर्याप्त बीमा करवाना भी आवश्यक होता है।
9. धैर्य रखें -
एक सफल उद्योगपति की विशेषताओं में एक गुण धैर्य रखने की क्षमता है। यदि आप वास्तव में एक बड़ा उद्योगपति बनना चाहते हैं, तो अपने तात्कालिक छोटे फायदे की जगह भविष्य के बड़े लाभ पर नज़र रखते हुए काम करें। अपने माल की क्वालिटी गिराकर वर्तमान में बड़ा लाभ लेने से बचना चाहिए, इससे आपकी साख पर बुरा असर पड़ेगा। आपका ध्यान क्वालिटी मेन्टेन करते हुए अपनी साख बनाने पर होना चाहिए।
यदि आपने अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया है तो नियम यह है कि आप अपना सारा लाभ कभी भी अपने ऊपर खर्च न करें। आपको अपने लाभ को अपने उद्योग के विस्तार में वापस निवेश करना जारी रखना चाहिए जब तक कि यह आपके द्वारा इच्छित सीमा तक न पहुंच पाए।
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10. माल की गुणवत्ता -
अपने द्वारा उत्पादित प्रोडक्ट के आधार पर बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) / एगमार्क आदि से उत्पाद गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त किया जाना चाहिए। यदि उत्पादों के लिए कोई गुणवत्ता मानक निर्दिष्ट नहीं हैं, तो उद्यमी को अपने गुणवत्ता नियंत्रण मानकों को विकसित करना चाहिए।
उद्यमी को प्रौद्योगिकी अपडेट के प्रति सतर्क रहना चाहिए। उसे अपने उद्योग से संबंधित सभी उपलब्ध तकनीकों के बारे में जानकारी एकत्र करनी चाहिए और अपने लिए सबसे उपयुक्त तकनीक की पहचान करना चाहिए। यह मशीनरी और उपकरणों के उन्नयन करने और प्रोडक्ट की क्वालिटी और मात्रा को बढ़ाने के लिए भी उपयोगी होगा।
11. मार्केटिंग -
किसी भी उद्योग की सफलता और विकास का संबंध उसकी मार्केटिंग से है, अपने उत्पाद को बेचना सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि है। मार्केटिंग के लिए सेल्स टीम बनाना और व्यावसायिक विज्ञापन, लघु उद्योग स्थापित करने के बाद का अगला बड़ा कदम है। ऑनलाइन प्रचार और विज्ञापन के विभिन्न पारंपरिक रूप आपके उद्योग के लिए एक्सपोजर प्राप्त कर सकते हैं।
Conclusion -
अगर आप उद्यमी बनने का निश्चय कर लेते हैं तो लघु उद्योग स्थापित करना कोई कठिन कार्य नहीं है। छोटे पैमाने के उद्योगों की प्रक्रिया बड़े पैमाने के उद्योगों की तुलना में सरल और आसान है साथ ही शासन द्वारा इसके लिए बहुत सी सब्सिडी और प्रोत्साहन योजनाएं उपलब्ध हैं। इसलिए यदि कोई उद्योग स्थापित करना चाहता है, तो वह निश्चित रूप से आगे बढ़ सकता है।
यह उद्यमी के भविष्य के लिए लाभदायक है और बेरोजगारी दूर करने में सहायक है। लघु उद्योग, देश की अर्थव्यवस्था के विकास में मदद करता है। भारत में लघु उद्योगों का योगदान लगभग 95 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयों का है, इसके जरिये उत्पादन क्षेत्र में लगभग 80 प्रतिशत रोजगार और निर्यात में 35 प्रतिशत योगदान मिलता है।
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