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Saturday, 27 November 2021

Precautions While Selling Your Property-प्रॉपर्टी बेचते समय सावधानियाँ

Precautions While Selling Your Property-प्रॉपर्टी बेचते समय सावधानियाँ  

 प्रॉपर्टी में निवेश के जरिये अमीर बनने की राह आसान हो जाती है, बशर्ते खरीदी-बिक्री सावधानी से की जाए। वास्तव में प्रॉपर्टी खरीदते समय जितनी सावधानी रखने की जरूरत होती है वैसी ही सावधानी और सतर्कता की जरूरत प्रॉपर्टी बेचते समय भी आवश्यक होती है। यहां एक गलती का परिणाम आपको भारी वित्तीय हानि दे सकता है और सबसे महत्वपूर्ण आप अपने मन की शांति खो सकते हैं।


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    जब कोई अपनी प्रॉपर्टी बेचता है तब उसका लक्ष्य घरेलू दायित्व की पूर्ति अथवा किसी अन्य प्रॉपर्टी की खरीद हो सकता है। विक्रेता की सोच होती है कि उसे अपनी प्रॉपर्टी की कीमत निर्धारित समयावधि के भीतर आसानी से प्राप्त हो जाए और इसके लिए उसे कोर्ट कचहरी के चक्कर न लगाने पड़ें। पर हमेशा ऐसा हो नहीं पाता। 

 

   अगर आप चाहते हैं कि प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया यथासंभव सुचारू और परेशानी रहित हो तो आपको उन सभी चीजों के बारे में सोचना है, जहां आपको धोखा मिल सकता है और वादा खिलाफी हो सकती हैं।  याद रखें कि ज्ञान ही शक्ति है।  जब आप प्रॉपर्टी बेचते समय होने वाली गलतियों से अवगत होंगे, तभी आश्वस्त हो सकते हैं कि कुछ गलत नहीं होने जा रहा है।


  यहां हम प्रोफेशनल प्रॉपर्टी इन्वेस्टर की बात नहीं कर रहे हैं, वह तो अक्सर ही प्रॉपर्टी खरीदता और बेचता रहता है, उसे इसकी कानूनी प्रक्रिया की पूरी समझ होती है। परन्तु अधिकतर विक्रेताओं को ऐसा मौका जीवन में एक- दो बार ही आता है और उन्हें इसकी कानूनी जानकारी भी नहीं होती। 


   आपकी प्रॉपर्टी का खरीददार अगर नेकदिल और सज्जन व्यक्ति हुआ तब तो ठीक है, कि आप अपनी प्रॉपर्टी बेचकर अपना पैसा प्राप्त कर लेंगे। परन्तु यदि प्रॉपर्टी बायर के भेष में वह कोई ठग हुआ तो प्रॉपर्टी की बिक्री से तनाव और अनिश्चितता का विकल्प मिलता है। हम रियल एस्टेट कारोबार से जुड़े होने के कारण उन परेशानियों को समझते हैं जिनका बहुत सारे प्रॉपर्टी विक्रेता सामना करते हैं, खासकर तब, जब प्रॉपर्टी मार्केट धीमा हो।


   किसी प्रॉपर्टी में आपकी जीवन भर की पूँजी लगी हो सकती है। इसे सफलतापूर्वक बेचने का आधा काम आप तभी कर लेते हैं, जब आप आगे आने वाली समस्याओं का पहले से अनुमान लगा पाने में सक्षम होते है। प्रॉपर्टी बेचने के सभी चरणों पर विचार करने से यह काम सरल हो सकता है। 


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प्रॉपर्टी बेचते समय आवश्यक सावधानी (Precautions While Selling Your Property)


1. प्रॉपर्टी का मूल्यांकन -


अपनी प्रॉपर्टी की आप जो कीमत चाहते हैं और बाजार जो भुगतान करेगा वह दो अलग चीजें हो सकती हैं। आप फेयर मार्केट वैल्यू शब्द सुनते हैं, जो यह दर्शाता है कि एक प्रॉपर्टी का मूल्यांकन कैसे किया जाता है। जब खरीदार और विक्रेता दोनों संपत्ति के बारे में उचित रूप से जानकार होते हैं और न ही खरीदने या बेचने के दबाव में होते हैं, तब दोनों का आकलन लगभग समान होता है।


   विक्रेता के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वह अपनी प्रॉपर्टी का बहुत अधिक मूल्य तय न करे। ऐसा करने पर आप अपनी प्रॉपर्टी को लंबे समय तक रखकर मार्केट में बैठने का जोखिम उठाते हैं, जिसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।


    कीमत तय करने के लिए आपके पास एक सामान्य तरीका यह हो सकता है कि आपके आस-पास समान आकार और सुविधाओं वाले घर या प्रॉपर्टी किस कीमत पर बेचीं गई हैं, उस पर ध्यान दें। इससे आपको अपनी प्रॉपर्टी के रेट का एक रफ़ आईडिया मिल जाता है।  रियल एस्टेट एजेंट भी इसी तरीके से आकलन करके आपको रेट का सुझाव देते हैं। 


   वास्तव में कोई भी दो प्रॉपर्टी समान नहीं होती हैं, इसलिए आपको सटीक होने के लिए प्रत्येक सुविधाओं के बीच के अंतर को ध्यान में रखना होगा। इसे एडजस्टमेंट करना कहा जाता है, यह विक्रेता की पैसे की अत्यधिक या कम जरूरत पर भी निर्भर करता है। आपको पैसों की जरूरत कितनी जल्दी है, बैंक लोन और किश्तों की क्या स्थिति है? इन सब बातों का ध्यान रखना चाहिए।  


2.  अपनी प्रॉपर्टी को बिक्री के लिए तैयार करना -


जब आप अपनी प्रॉपर्टी को बेचने के लिए मार्केट में उतारते हैं, तब आपके पास कई संभावित खरीदार उसे देखने आते हैं। प्रॉपर्टी को दिखाने से पहले उसे साफ-सुथरा और व्यवस्थित कर लेंगे तो उसका आकर्षण बढ़ जाता है और बायर के उसे खरीदने के चान्सेस बढ़ जाते हैं। 


   अगर प्लाट है तो बॉउंड्रीवॉल-गेट लगा हो साथ ही अंदर का एरिया झाड़ झंखाड़ से मुक्त हो तो ऐसे प्लाट को बेचना आसान होता है। यदि मकान बेच रहे हैं तो दीवालों पर पुट्टी पेंट यदि उखड़ गया हो तो उसे ठीक करवा दें। कमरों की धूल झाड़ कर उसे साफ़ सुथरा रखें।


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    मकान की अव्यवस्था आपके घर बिकने की संभावना और अधिक कठिन बना सकती है। आपके  घर का बाहरी हिस्सा किसी बायर को सर्वाधिक प्रभावित करता है यह एक किताब के कवर की तरह है, जो बायर का मूड बनाता या बिगाड़ता है। यदि कोई घर गन्दा या अव्यवस्थित है, तो खरीदार इसे लेने के प्रस्ताव पर विचार करते समय संशयात्मक हो सकते हैं।


  यदि आपकी प्रॉपर्टी कमर्शियल हो चाहे रिहायशी मकान हो, यदि उसमें कोई किरायेदार है तो बेहतर होगा की उसे खाली करवा लें। अधिकतर बायर, प्रॉपर्टी में पहले से किसी किरायेदार का होना ठीक नहीं समझते और इस प्रकार की प्रॉपर्टी को खरीदने से बचते हैं।


3.  एजेंट का चुनाव या बेचने का तरीका -


अपनी प्रॉपर्टी को बेचने के लिए आप स्थानीय अखबार अथवा किसी प्रॉपर्टी वेबसाइट में विज्ञापन दे सकते हैं। ऐसी दशा में प्रत्येक संभावित बायर को प्रॉपर्टी दिखाने की व्यवस्था आपको करनी होती है।यहां एजेंट का कमीशन जरूर बचता है, परन्तु बायर-सेलर के बीच कोई मध्यस्थ न होने के कारण डील फाइनल होने में बाधा भी पड़ती है।  


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   ऐसे समय आप बायर के बारे कुछ नहीं जानते और वह भी आपके बारे में संशय में रहता है। इसलिए सीधे बेचने के विकल्पों की जगह आप किसी प्रॉपर्टी एजेंट को इस काम में लगा सकते हैं। अपनी प्रॉपर्टी को बेचने का तरीका चुनते समय आपको इस बात पर विचार करना होगा कि आपकी सहूलियत किसमेँ अधिक है।


   यदि आप एक रियल एस्टेट एजेंट को इस काम में लगाना चाहते हैं, तो सुनिश्चित करें कि वह अनुभवी हो और मार्केट में उसकी अच्छी छवि हो। कुछ एजेंट सिर्फ अपने कमीशन चिंता में लगे रहते  हैं, उनके अच्छे लोगों या इन्वेस्टर से कोई संबंध नहीं होते। ऐसे एजेंटों का काम अपनी ही केटेगरी के दूसरे एजेंट को सौदे की जानकारी देना भर होता है। 


  आप अपने क्षेत्र के रियल एस्टेट एजेंटों के नंबर ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं, उनसे बात करें, उनके रेरा एजेंट लाइसेंस और पिछले काम की जांच करें। सुनिश्चित करें कि उनके पास आपके द्वारा बेचीं जाने वाली प्रॉपर्टी के प्राइस और केटेगरी की प्रॉपर्टी बेचने का भरपूर अनुभव है। अनुभवी एजेंट आपकी प्रॉपर्टी बेचने संबंधी आवश्यक दस्तावेजों को बनवाने से लेकर रजिस्ट्री तक के काम में सहायक होता है। 


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   सामान्य तौर पर ये एजेंट 20 लाख तक की प्रॉपर्टी का 2% शुल्क लेते हैं, जबकि इससे अधिक की प्रॉपर्टी का एक प्रतिशत लेते हैं, आमतौर पर 1 करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी के बिक्री मूल्य का आधा  प्रतिशत लेते हैं। यह कोई फिक्स नहीं होता इस बारे में पहले ही एजेंट से बात करके निर्णय ले सकते हैं।


4. एग्रीमेंट करना -


जब किसी प्रॉपर्टी एजेंट के जरिये अथवा सीधे ही बायर -सेलर के बीच रेट फाइनल हो जाता है, तब बारी आती है एग्रीमेंट करने की। प्रॉपर्टी बेचने का यह सबसे महत्वपूर्ण पार्ट होता है। इस एग्रीमेंट में दोनों पक्षों के एड्रेस और प्रॉपर्टी की डिटेल के साथ तय मूल्य और रजिस्ट्री की समयावधि लिखी जाती है। 


   इसमें दोनों पक्षों के अलावा 2 गवाहों के हस्ताक्षर भी लिए जाते हैं। कई लोग एग्रीमेंट को नोटरी से बनवाया जाना पर्याप्त समझते हैं परन्तु यदि आप इसे पक्का और कानूनी रूप से मजबूत करना चाहते हैं तो एग्रीमेंट को सब रजिस्ट्रार के यहां रेजिस्टर करवाएं। इसके लिए एक निर्धारित शुल्क देना पड़ता है। 


  सामान्य रूप से एग्रीमेंट में बिकी मूल्य की 25% राशि लेकर 1 से 3 महिने का समय रजिस्ट्री के लिए देना तय होता है। परन्तु यह समय और राशि आपसी सामंजस्य के आधार पर कम या अधिक कर ली जाती है। आप दोनों के बीच जो भी समझौता, प्रॉपर्टी बेचने को लेकर होता है वह मौखिक रूप से न होकर उसे एग्रीमेंट में स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। 


  कई बार प्रॉपर्टी सेलर इस एग्रीमेंट को ठीक से पढ़े बिना इसमें हस्ताक्षर कर देते हैं और बाद में परेशानी में फंसते हैं, बेहतर होगा कि एग्रीमेंट बनवाने के लिए किसी अनुभवी वकील की सहायता लें। कई बार प्रॉपर्टी बायर शातिर होते हैं, वे मौखिक रूप से 3 महिने के भीतर रजिस्ट्री करवाने की बात जरूर कहते हैं परन्तु एग्रीमेंट में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं करते। 


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   एग्रीमेंट में लिखा होता है - "जमीन का सीमांकन और बटांकन कार्य होने के पश्चात या क्रेता जब और जिसके नाम से चाहेगा रजिस्ट्री कर दूंगा " यदि ऐसी भाषा लिखी है तो सावधान होने की जरूरत है। ऐसे में आपको लम्बे समय तक रजिस्ट्री होने और अपने पैसे मिलने का इंतज़ार करना पड़ सकता है।


   आप कहेंगे कि 3 महिने या एग्रीमेंट में बताई गई अवधि बीतने के बाद हम अपनी प्रॉपर्टी किसी और को बेच देंगे, परन्तु आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। ये लोग कानूनी दांव पेंच को अच्छी तरह समझते हैं। ये लोग कोर्ट के जरिये रुकावट पैदा कर सकते हैं अथवा प्रशासन के लोगों से मिलकर, उन्हें एग्रीमेंट दिखाकर आपको रजिस्ट्री करने से रोक सकते हैं। 


  अक्सर ये लोग एग्रीमेंट के समय मात्र 10 परसेंट की राशि देकर एग्रीमेंट करते हैं, फिर 3 साल तक घुमाने के पश्चात जब जमीन या प्रॉपर्टी का रेट बहुत बढ़ जाता है तब आपसे पुराने रेट में रजिस्ट्री के लिए कहते हैं। इस दौरान ये भू माफिया, किसी बायर को ढूंढकर उसके नाम से रजिस्ट्री करवाकर मोटा मुनाफा कमाते हैं। 


   इससे बचने का एक उपाय यह है कि आप बायर से कहें कि एग्रीमेंट नहीं होगा, केवल 1 या 2 परसेंट का टोकन मनी देकर 1 महिने में रजिस्ट्री करवाने की दशा में ही वे अपनी प्रॉपर्टी बेचेंगे। अगर एग्रीमेंट बनवाना ही हो तो उसमें लिखवाएं - "समय सीमा ही इस अनुबंध का सार है, अतः निर्धारित समय बीतने के पश्चात क्रेता का कोई दावा मान्य नहीं होगा और विक्रेता बिना कोई सूचना दिए अपनी प्रॉपर्टी किसी को भी बेच सकेगा।"  


    वैसे याद रखें -यदि क्रेता की नीयत में खोट है तो एग्रीमेंट में चाहे जो भी लिखा हो, आप परेशानी में फंसेगे ही। क्योंकि एग्रीमेंट की विवेचना भी आखिर कोर्ट में होगी और कोर्ट में "तारीख पे तारीख" कितने साल चल सकती है, यह बताने की जरूरत शायद नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि प्रॉपर्टी बेचने के लिए एग्रीमेंट की जगह टोकन वाला तरीका अपनाएँ। 


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    रजिस्ट्री से पहले प्रॉपर्टी के ओरिजिनल डाक्यूमेंट्स किसी को न सौपें। जब क्रेता सर्च आदि करवाने की बात कहे तो उसे मूल रजिस्ट्री की फोटोकॉपी दे सकते हैं। उसी तरह प्रॉपर्टी का कब्ज़ा भी पहले से क्रेता को न दें। रजिस्ट्री होने के बाद क्रेता को प्रॉपर्टी का कब्ज़ा दे सकते हैं, उसके पहले प्रॉपर्टी खरीदने का एग्रीमेंट करने के बाद वह उस प्रॉपर्टी को किराये पर मांगे तब भी देना ठीक नहीं है। 


5. चेक की जगह ड्राफ्ट मांगे -


जब आप कोई प्रॉपर्टी बेचते हैं तो कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार उसका जो मूल्य बनता है, क्रेता द्वारा उसका भुगतान नगद नहीं किया जा सकता, ज्यादातर राज्यों में यह नियम है। इसके लिए क्रेता द्वारा विक्रेता को एक चेक दिया जाता है, इसका चेक नंबर और अन्य डिटेल रजिस्ट्री पेपर में लिखा जाता है।

 

   कई बार देखा गया है कि जिस चेक के सहारे रजिस्ट्री की गई है वह बैंक में पर्याप्त राशि न होने अथवा अन्य कारण से बाउंस हो जाता है। जब आप क्रेता को इसकी सूचना देते हैं तो वह टाल -मटोल करने लगता है अथवा सिटी से बाहर होने का बहाना करता है। 


  ऐसे में विक्रेता के पास रजिस्ट्री रद्द करवाने का विकल्प होता है। परन्तु यह प्रक्रिया काफी लम्बी और कठिन होती है, इसके लिए अदालत के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं और चूँकि आपने प्रॉपर्टी का कब्ज़ा क्रेता को दे दिया है, इसलिए वह मज़े से उसका उपयोग कर रहा होता है। देखने में आया है कि क्रेता ने उस प्रॉपर्टी में कोई बिज़नेस शुरू करके कमाना शुरू कर दिया है और विक्रेता अपनी ही रकम के लिए ठोंकरें खाता हुआ अदालत के चक्कर काट रहा है। 

 

  ऐसी परेशानी से बचने के लिए बायर से चेक की जगह बैंक ड्राफ्ट की डिमांड करें अथवा पैसा सीधे आपके खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करने के लिए कहें, वह इसके ट्रांज़ैक्शन नंबर का उल्लेख रजिस्ट्री पेपर में कर सकता है। 


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     ध्यान रखें कि जिस प्रॉपर्टी बायर का नाम रजिस्ट्री पेपर में लिखा जा रहा है, उसी के एकाउंट से पैसा आपके एकाउंट में ट्रांसफर होना चाहिए।  मान लीजिये A ने B को प्रॉपर्टी बेचीं है ,तो ऐसी दशा में A के खाते में B के खाते से पैसा आना चाहिए। यदि किसी C ने पैसा डाला है तो बाद में C के द्वारा A पर उन पैसों का क्लेम किया जा सकता है। 


   अगर चेक के अलावा कोई नगद रकम ले रहे हैं तो उसे अपने घर पर प्राप्त करें, रजिस्ट्री ऑफिस में ऐसा करना ठीक नहीं होगा। वैसे ध्यान रखें इस प्रकार का लेनदेन कानूनी रूप से अमान्य है और ऐसा करने की सलाह नहीं दी जाती। 


6. रजिस्ट्री पेपर में प्रॉपर्टी की वास्तविक स्थित बताएं -


यदि आपकी प्रॉपर्टी में पहले से कोई किरायेदार है अथवा कोई बैंक लोन उस पर चल रहा है तो इसका उल्लेख रजिस्ट्री पेपर में होना चाहिए। अन्यथा बाद में आप पर जानकारी छिपाने आरोप क्रेता लगा सकता है। 


   प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री से पहले उसकी नाप जोख की जाती है और मौके पर जितना एरिया होता है, उसके आधार पर आपको पैसा मिलता है। कई बार ऐसा भी होता है कि पेपर में जमीन अधिक होती है और मौके पर कुछ कम होती है। ऐसी दशा में पेपर की जमीन का उल्लेख तो होगा ही साथ ही मौके पर जितनी जमीन है उसका उल्लेख भी रजिस्ट्री पेपर में अवश्य करवाएं। 


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   प्रॉपर्टी बेचने पर आपको कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। इसके लिए CA को प्रॉपर्टी की खरीद और बिक्री की रजिस्ट्री की फोटो कॉपी देनी होती है, इसलिए क्रेता से रजिस्ट्री होने के बाद उसकी एक  कॉपी देने को कहें। जब रजिस्ट्री के दिन बायर आपसे आपकी ओरिजिनल रजिस्ट्री देने को कहे तो देने से पहले एक स्टाम्प में उससे लिखवा लें कि उसे प्रॉपर्टी से संबंधित मूल पेपर प्राप्त हो चुके हैं।


   इस प्रकार आपने जाना कि प्रॉपर्टी बेचते समय किन बातों का ध्यान रखने पर परेशानी से बचते हुए अपनी प्रॉपर्टी का विक्रय मुल्य आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। प्रॉपर्टी बायर की नीयत ठीक हो तो परेशानी नहीं आती परन्तु यदि वह बदमाश और धूर्त हुआ तब भी आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तो वह आपको चीट नहीं कर सकेगा। 


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