Scalping Stock Trading-स्केल्पिंग-तुरंत मुनाफा कमाने की विधि - sure success hindi

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Wednesday, 13 October 2021

Scalping Stock Trading-स्केल्पिंग-तुरंत मुनाफा कमाने की विधि

Scalping Stock Trading-स्केल्पिंग-तुरंत मुनाफा कमाने की विधि 

 

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने की अलग अलग शैलियां हैं। यहां कुछ ट्रेडर शेयर या इंडेक्स में अपनी पसंद की पोजीशन लेकर कुछ दिन इंतज़ार करना पसंद करते हैं। ये लोग अपना स्टॉपलॉस हिट होने या भाव आने पर एग्जिट करने की शैली अपनाते हैं, ये स्विंग ट्रेडर कहलाते हैं। 


   कुछ ट्रेडर ऐसे होते हैं जो अपनी पोजीशन को अगले दिन तक नहीं ले जाना चाहते, वे एक ही दिन में अपना प्रॉफिट- लॉस बुक करके एग्जिट कर लेते हैं; इन्हें इंट्राडे ट्रेडर कहा जाता है। ट्रेडिंग की एक विधि स्केल्पिंग की है, जिसमें अत्यधिक फ़ास्ट एक्शन लिया जाता है। 


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स्केल्पिंग ट्रेडिंग क्या है (What Is Scalping Trading)


शेयर ट्रेडर का एक वर्ग ऐसा होता है जो किसी शेयर या इंडेक्स में अपनी पोजीशन को कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक रखता है, फिर एग्जिट कर लेता है। इन्हें मार्केट के तात्कालिक ट्रेंड को देखना होता है और मार्केट में जो छोटे-छोटे मूवमेंट आते है उनका फायदा उठाया जाता है। 


   फ़ास्ट एक्शन लेना और मौका दिखते ही ट्रेड करना इस शैली की विशेषता होती है। इस प्रकार मार्केट के बंद होने तक बहुत सारे ट्रेड हो सकते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग को स्केल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading) और ऐसे ट्रेडर को स्कैल्पर कहते हैं। 


स्केल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading) की विशेषताएं 


A. शीघ्र एक्शन लेना (Quick Action) -


स्केल्पिंग ट्रेडिंग सबसे मुश्किल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में से एक है क्योंकि इसमें कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट में ट्रेड में Entry और Exit करना होता है। इसके लिए बहुत ज्यादा कुशलता (Skill) की जरुरत होती है, इसमें तत्काल निर्णय लेने साथ तुरंत एक्शन (Quick Action) लेना पड़ता है। 


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   यहाँ थोड़ी सी देरी भी प्रॉफिट को लॉस में बदल सकती है या एक अच्छा अवसर हाथ से जा सकता है। इसमें थोड़े समय के लिए बाजार में रहने और प्रॉफिट कमाने का विचार आकर्षक लगता है, लेकिन मार्केट के अचानक से पलटने पर रुकने और फंसने की संभावना भी होती है।


B. जोखिम प्रबंधन (Risk Management) -


स्केल्पिंग ट्रेडिंग के अंदर छोटे मूवमेंट से प्रॉफिट निकालने पर ध्यान दिया जाता है और लाभ के लिए बहुत कम परसेंटेज के मूव पर निकलना होता है, जिसकी वजह से पोजीशन साइज बड़ी रखनी होती है और सौदा विपरीत दिशा में चलने पर मनी मैनेजमेंट (Money Management) के नियमों का पालन करना मुश्किल हो जाता है।  


  ऐसी दशा में ट्रेडर के पास दो विकल्प होते हैं, तुरंत एग्जिट करके लॉस बुक करें या पीछे एक बार और खरीदें, ऐसा करते ही आपकी सोची दिशा में मूव आया तब जीरो लॉस के आसपास निकल सकते हैं परन्तु एवरेज करने के बाद भी ट्रेड आपकी दिशा में नहीं चला तो बड़ा लॉस हो सकता है। परन्तु कुशल ट्रेडर जानते हैं कि बड़े नुकसान से बचने के लिए कहाँ पर सौदे से एग्जिट कर लेना चाहिए। स्टॉपलॉस (SL) की समझ न होने पर कई छोटे ट्रेडर, मार्केट में अपनी कैपिटल खोकर जल्दी विदा हो जाते हैं।


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C.  अनुशासन -


चाहे पोज़िशनल हो या इंट्राडे ट्रेडिंग, सभी में अनुशासन की आवश्यकता होती है, लेकिन स्केल्पिंग में ट्रेडों की संख्या अधिक होती है, और किसी एक सौदे में नुकसान होने के बाद रिवेंज ट्रेडिंग से बचने की जरूरत होती है। यहां उग्रता दिखाने की बजाय अगला ट्रेड लेने से पहले बदली परिस्थिति पर विचार करते हुए ट्रेड लेना आवश्यक होता है। 


  स्केलपर को अपने लिए एक ट्रेडिंग सिस्टम बनाकर उसका कठोरता से पालन करना चाहिए। उसका पूरा ध्यान किसी बड़े नुकसान से बचने में होना चाहिए क्योंकि एक बड़ा नुकसान, दर्जनों सफल ट्रेड के छोटे छोटे प्रॉफिट को खत्म कर सकता है यहां तक कि आपकी पूरी पूँजी भी एक गलत ट्रेड में टिके रहने से साफ़ हो सकती है। इसलिए किसी एक ट्रेड में अपनी पूरी कैपिटल दांव पर कभी न लगाएं। 

 

D. छोटी चाल पर नज़र -


स्केलपर अपना जोखिम कम करने के लिए किसी भी प्रॉफिट वाले ट्रेड में देर तक नहीं रुकते क्योंकि एक प्रतिकूल घटना या तेज़ विपरीत चाल जोखिम को बढ़ा देती है और प्रॉफिट, लॉस में बदल सकता है। 


   इसके पीछे यह विचार काम करता है कि बड़ी चाल की तुलना में छोटी चालें प्राप्त करना आसान होता है साथ ही छोटी चालें, बड़ी चाल की तुलना में अधिक बार होती हैं। यहां लक्ष्य बड़ी संख्या में प्रॉफिट वाले ट्रेड लेना है, न कि बड़े प्रॉफिट वाले कुछ ट्रेडों के लिए इंतज़ार करते रहना। इसमें 1 से 3 मिनट टाइम फ्रेम वाले चार्ट पर नज़र रखी जाती है।  


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E. पूर्ण ध्यान (full attention) देने की जरूरत -


स्केल्पिंग, एक ट्रेडर के पूर्ण ध्यान की मांग करती है। संभावित एंट्री और एग्जिट पॉइंट बहुत जल्दी प्रकट और गायब हो सकते हैं, इसे कैच करने के लिए ट्रेडर को अपने प्लेटफार्म से लगातार जुड़े रहना चाहिए। अन्य कोई व्यापार या दिन की नौकरी करने वाले व्यक्तियों के लिए स्केल्पिंग एक अच्छी  रणनीति नहीं है। ऐसे लोगों के लिए स्विंग ट्रेडिंग या लंबी अवधि के ट्रेड लेना अधिक उपयुक्त है।


F. ब्रोकर का चुनाव -


स्केल्पिंग ट्रेडर एक दिन में कई ट्रेड लेते है जिसके कारण ब्रोकरेज भी अधिक चुकानी पड़ती है इसलिए एक स्केलपर को कम ब्रोकरेज लेने वाले ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए और ब्रोकरेज बचाने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही अनावश्यक ट्रेड से बचते हुए सही समय (Right Time) पर सही ट्रेड (Right Trade) लेने पर ध्यान रखना चाहिए। 


G. जीत महत्वपूर्ण है -


पोज़िशनल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी के विपरीत स्कैल्प ट्रेडर के पास विनिंग ट्रेड की संख्या, लॉस वाले ट्रेड की तुलना में अधिक होना चाहिए। क्योंकि विनिंग और लॉस वाले ट्रेडों की साइज आम तौर पर बराबर होती है। इसलिए ज्यादातर सही होने की आवश्यकता प्राथमिक कारक है, यही कारण है कि स्कैल्प ट्रेडिंग बाजार में पैसा बनाने का एक चुनौतीपूर्ण तरीका है।


स्केल्पिंग की मूल बातें समझने के बाद आइए कुछ स्केल्पिंग रणनीतियों का पता लगाएं, जिनका आप स्वयं परीक्षण कर सकते हैं।


स्कैल्प ट्रेडिंग रणनीतियाँ (Strategies)


A. सपोर्ट और रेजिस्टेंस -


यह एक बहुत ही लोकप्रिय रणनीति है इसे आप छोटे टाइम फ्रेम में स्केल्पिंग के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इसमें आप रेजिस्टेंस में बेचते हैं और सपोर्ट में खरीद कर ट्रेड करते हैं। नए ट्रेडर को दो चीज़ों पर ध्यान देने की आवश्यकता है - कम अस्थिरता (Low Volatility) और एक ट्रेडिंग रेंज। ऐसी परिस्थिति में जोखिम कम होता है। जब तक रेंज के भीतर स्टॉक चलता है तब तक एंट्री करने, रुकने और एग्जिट करने के लिए एक सरल अवसर मिलता है।


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B. स्टोकेस्टिक (Stochastic) और बोलिंगर बैंड (Bollinger Band) स्कैल्प ट्रेडिंग -


मार्केट में एंट्री ऐसे समय कर सकते हैं जब स्टोकेस्टिक एक उचित ओवरबॉट या ओवरसोल्ड सिग्नल उत्पन्न करता है जिसकी पुष्टि बोलिंगर बैंड द्वारा की जाती है। बोलिंगर बैंड इंडिकेटर से पुष्टि प्राप्त करने के लिए, हमें इंडिकेटर के बीच में रेड मूविंग एवरेज को पार करने वाले प्राइस की आवश्यकता होती है। हम प्रत्येक ट्रेड के साथ तब तक बने रहेंगे जब तक कि कीमत विपरीत बोलिंगर बैंड स्तर को नहीं छू लेती।


निष्कर्ष (Conclusion) -


आइए, स्केल्पिंग के कुछ प्रमुख बिंदुओं की समीक्षा करें -


A. यदि आप स्कैल्प ट्रेडिंग करते हैं, तो आपके 50% से अधिक ट्रेड मुनाफे में होना चाहिए। 


B. ऑसिलेटर्स आपके स्कैल्प ट्रेडिंग सिस्टम के लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं, क्योंकि वे प्रमुख संकेतक हैं। ऐसे संकेतक खोजने की कोशिश करें जो एक दूसरे के पूरक हों ताकि आप ट्रेड सिग्नल को मान्य कर सकें और उसमें भ्रम न हो। बोलिंगर बैंड को आधार बनाया है तो ट्रेडों में तब तक बने रहें जब तक कि कीमत, बोलिंगर बैंड के विपरीत सिरे तक न पहुंच जाए। 


C. यदि आप छोटे टाइम के चार्ट से ट्रेड करते हैं तो आप आमतौर पर प्रति ट्रेड 0.2% और 0.3% के बीच कमाएंगे। यदि आप थोड़े बड़े समय सीमा (5 मिनट, या अधिक) पर ट्रेड करते हैं तो आपके लक्ष्य अधिक हो सकते हैं।


D. स्कैल्प ट्रेडिंग में मनी मैनेजमेंट महत्वपूर्ण है- प्रत्येक स्कैल्प ट्रेड में अपने कैपिटल का लगभग 15% निवेश करें और अपने एंट्री प्राइस से 0.1% का स्टॉप लॉस लगाएं। आपके लॉस वाले सौदे की साइज, प्रॉफिट वाले सौदे से बड़ी नहीं होनी चाहिए अन्यथा 10 ट्रेड से कमाई गई रकम 1 ही सौदे में घुस जाएगी। इसलिए नए ट्रेडर को स्केल्पिंग से दूर रहने की सलाह दी जाती है, यहां अनुभवी ट्रेडर भी अक्सर प्रॉफिट बुक करने में धोखा खा जाते हैं।  


   आशा है ये आर्टिकल "Scalping Stock Trading-स्केल्पिंग-तुरंत मुनाफा कमाने की विधि " आपको पसंद आया होगा, इसे अपने मित्रों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।

 

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