Somnath Temple of Chhattisgarh- छत्तीसगढ़ का सोमनाथ मंदिर
जब सोमनाथ धाम की बात आती है, तब आपका ध्यान बारह ज्योतिर्लिगों में शामिल गुजरात राज्य के सोमनाथ मंदिर की ओर जाता है, जिसका अपना अलग ही महत्व और स्थान है। छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में भी एक सोमनाथ मंदिर है, जोकि राजधानी रायपुर से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सोमनाथ धाम, आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ का एक मनोहारी पर्यटन स्थल भी है। यहाँ स्थित शिव मंदिर, सातवीं -आठवीं सदी का बताया जाता है, इस प्रकार यह मंदिर प्राचीन होने के साथ पुरातत्वीय महत्व का है।
हमारे देश में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति एवं साधना के लिए नदियों का अपना विशेष महत्व रहा है, इसके लिए मंदिर एवं आश्रम, नदियों के किनारे बनाये जाते रहे हैं।
छत्तीसगढ़ का सोमनाथ मंदिर भी दो नदियों के संगम स्थल पर स्थित है। इनमें से एक नदी है - शिवनाथ नदी जो छत्तीसगढ़ के राजनांदगाव जिले में अम्बागढ़ चौकी स्थित पहाड़ी से निकलती है और दूसरी है रायपुर शहर की जीवनदायिनी खारुन नदी, जो धमतरी जिले से निकलती है।
जिस पुण्य भूमि पर इन दोनों नदियों का संगम होता है, वहीं स्थित है देवों के देव महादेव का मंदिर। यहां आने वाले श्रद्धालु, शिवलिंग की आराधना एवं पूजन करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं।
यहां के लोग बताते हैं कि मंदिर में स्थित शिवलिंग जो अभी लगभग साढ़े तीन फिट का है वह पहले 3 फिट ऊँचा हुआ करता था अर्थात इसकी लम्बाई प्रतिवर्ष बढ़ रही है। इसका रंग भी मौसम के अनुसार बदलता रहता है जो कभी काला, भूरा और हल्का लाल दिखता है।
वर्तमान समय में यहां मुख्य मंदिर के अलावा और भी देवी देवताओं के मंदिर बना दिए गए हैं जिसमें राधाकृष्ण के अलावा अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मंदिर परिसर में अन्य कलात्मक प्रतिमाएं भी देखी जा सकती हैं।
यहाँ श्रद्धालु वर्ष भर आते हैं, विशेष रूप से माघी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि एवं सावन में पड़ने वाले सभी सोमवार को लोगों की उपस्थिति देखते ही बनती है।
सावन के महीने में बाबा के जयकारे लगाते हुए कांवरिये दूर दूर से जल लेकर यहां पहुंचते हैं और महादेव को जल अर्पित करते हुए पूजन करते हैं।
नदियों का संगम स्थल होने के कारण सोमनाथ मंदिर के आस पास का वातावरण हरियाली से भरा हुआ है। यहां काफी तादात में करंज के वृक्ष हैं जो काफी सघन हैं, जिससे जंगल का अहसास मिलता है। इस कारण यहाँ बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी पहुंचते हैं जो प्राकृतिक स्थलों पर पिकनिक आदि के उद्देश्य से जाना पसंद करते हैं।
यहां मछुवारों का एक समूह है, जो लोगों को नौकाओं में बैठाकर संगम तक घुमाकर लाता है, ये मछुवारे आपको नदी के उस स्थान पर भी ले जाते हैं, जहां नदी की जलधारा के मध्य एक शिवलिंग स्थित है। नाव की सवारी के लिए प्रति व्यक्ति 30/- लिया जाता है।
यहां पर लोग पारम्परिक नाँव में परिवार के साथ बैठकर नौका विहार का आनंद लेते देखे जा सकते हैं। यहां नाव की सवारी करते समय सावधान रहना आवश्यक है, क्योकि इन नावों में सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है।
वैसे तो संगम स्थल में बारहों महीने पानी रहता है परन्तु बारिश के दिनों में भरपूर जल राशि होने के कारण दोनों नदियां उफान पर होती हैं। जिससे एक अलग ही रोमांचकारी दृश्य उपस्थित होता है एवं नदियों का बहाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
मंदिर के पास एक गार्डन डेवलप किया गया है जिसमें बच्चों के लिए झूले आदि लगाए गए हैं। इस प्रकार बच्चों के मनोरंजन की व्यवस्था होने के कारण आसपास के ग्रामीणों के लिए भी यह स्थान आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
ऐसे स्थान में एक अच्छे जलपान गृह की कमी लोगों को खलती है। इसलिए परिवार के साथ जाने वाले लोग अपने खाने पीने की व्यवस्था पहले से बनाकर चलें। मंदिर परिसर में बंदर भी गुलाटियाँ मारते देखे जा सकते हैं, अतः सावधानी रखें।
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सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचें -
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से बिलासपुर जाने वाले हाईवे पर 38 वें किलोमीटर में दाहिने ओर एक मोड़ है, जहां से साढ़े चार किलोमीटर की दूरी पर ग्राम लखना है जहां सोमनाथ मंदिर स्थित है। सिमगा से इस स्थान की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है। रायपुर और बिलासपुर दोनों ही शहरों में देश के सभी शहरों से सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है, यहां पहुंचकर प्राइवेट टैक्सी के जरिये सोमनाथ पहुंच सकते हैं।
यदि आप पहली बार अपने प्राइवेट वाहन से सोमनाथ जा रहे हैं तो रायपुर - बिलासपुर हाईवे से मुड़ने के बाद आपको ग्रामीण रास्ते से गुजरना होता है जिसमें संकेतकों के जरिये आप नदी के उस पुल तक पहुंच जाते हैं जहां से एक राइट टर्न लेकर सोमनाथ पहुंचते हैं।
इस जगह पर एक बोर्ड अवश्य लगा है परन्तु बहुत पुराना होने के कारण उसकी लिखावट स्पष्ट नहीं रह गई है (वर्तमान समय में लगे उस बोर्ड की फोटो प्रदर्शित की गई है) जिसके कारण आप रास्ता भटककर आगे बढ़ सकते है, जो समय की बर्बादी का कारण बनेगा इसलिए इस मोड़ के प्रति सतर्क रहें एवं गांव वालों से रास्ता पूंछकर आगे बढ़े।
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