Heroin, Cocaine, Meth and LSD-हेरोइन, कोकीन, मेथ और LSD क्या है?
नशे के लिए गांजा, भांग, अफीम का प्रयोग पुराने समय से होता रहा है पर अब नशेड़ियों का झुकाव हेरोइन, कोकीन, मेथ और LSD जैसे सिंथेटिक ड्रग्स की ओर बढ़ चला है। विश्वभर के युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेने के बाद इन जानलेवा ड्रग्स ने अपनी पैठ भारत के युवाओं पर भी जमा ली है। आज कल महानगरों में ही नहीं बल्कि मध्यम और छोटे शहरों में होने वाली पार्टियों में भी इन ड्रग्स का इस्तेमाल होने लगा है।
हेरोइन, कोकीन, मेथ और LSD ये सभी सिंथेटिक ड्रग्स हैं। इनके कुछ रूपों का संबंध मेडिकल पर्पस जैसे पेनकिलर या शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में एनेस्थीसिया के लिए भी है। पर नशे के लिए इनका ज्यादातर दुरूपयोग किया जाता है, जबकि ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और जीवन के लिए खतरनाक है।
डॉक्टर इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि लगातार ड्रग्स लेने से इंसान को डिप्रेशन, मतिभ्रम, फेफड़ों की बीमारी, लीवर डैमेज, दिल का दौरा और कैंसर का सामना करना पड़ता है जो आखिर में उसे मौत की दहलीज पर लाकर खड़ा कर देता है।
शुरू में दोस्तों की देखादेखी या फन मस्ती के लिए लिया गया ड्रग्स जल्द ही व्यक्ति को लती बना देता है। कई केस में तो व्यक्ति को ड्रग्स की इतनी बुरी लत लग जाती है कि अगर उसे ड्रग्स न दिया जाए तो, उसकी मौत हो जाती है। आइये जानते हैं इन सिंथेटिक ड्रग्स के बारे में जो विश्व के सबसे खतरनाक ड्रग्स में शामिल हैं।
खतरनाक ड्रग्स कौन से हैं?
1. हेरोइन (Heroin) -
हेरोइन एक ऐसा ड्रग्स है जिसकी लत बहुत जल्दी लग जाती है, यह एक गंभीर समस्या है। ये इतना खतरनाक होता है कि अगर जबरदस्ती इसकी लत छुड़वाने की कोशिश की जाए तो इंसान की मौत भी हो सकती है। हेरोइन को मॉर्फिन से संसाधित किया जाता है, जो अफीम से प्राप्त होती है।
इसका उपयोग करने वालों के बीच इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। हेरोइन के स्ट्रीट नामों में एच, स्का, जंक, बिग एच, ब्राउन शुगर, डोप, हॉर्स और चिट्टा शामिल हैं। हेरोइन को इंजेक्शन लगाने से लेकर ओरल, सूंघने या धूम्रपान के जरिये लिया जाता है।
हेरोइन को कैसे पहचानें -
हेरोइन अपने शुद्धतम रूप में आमतौर पर एक सफेद पाउडर होता है, मिलावट होने पर यह भूरा होता है। एक अन्य रूप "ब्लैक टार" हेरोइन गहरे भूरे या काले रंग की होती है और इसमें टार जैसा चिपचिपा एहसास होता है।
शरीर पर प्रभाव -
जब शरीर में ओरल या इंजेक्शन की मदद से हेरोइन का प्रयोग किया जाता है तो इसका सीधा असर ब्रेन (मस्तिष्क) पर पड़ता हैं। इससे डोपामाइन रिलीज होता है। डोपामाइन शरीर में मौजूद एक कार्बनिक रसायन है, जो एक न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करता है इसे खुशी का एहसास कराने वाला हार्मोन भी माना जाता है।
इसे लेने से आदमी एक बार तो बहुत खुश होता है, लेकिन इसके नुकसान बहुत ज्यादा हैं। इसे लेने वाले बताते हैं कि वे एक सपने जैसी स्थिति में होते हैं जहां वे सुरक्षित और चिंता मुक्त महसूस करते हैं। हेरोइन का प्रभाव प्रत्येक खुराक के बाद तीन से चार घंटे तक रहता है।
हेरोइन के साइड इफेक्ट्स -
अल्पकालिक साइड इफेक्ट्स में त्वचा में निस्तब्धता, मतली, उल्टी, खुजली और मुंह का सूखना शामिल हो सकते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में अत्यधिक उनींदापन, हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ना, पैनिक होना, नींद न आना देखा जाता है।
लंबे समय तक हेरोइन के दुरुपयोग से कई तरह के शारीरिक रोग और मानसिक असंतुलन हो सकते हैं। इसका लगातार उपयोग रक्त वाहिकाओं और हृदय वाल्व व फेफड़ों के संक्रमण का कारण बनता है। साथ ही तपेदिक (टीबी), निमोनिया, लीवर का डैमेज होना, गठिया जैसे रोग भी हो सकते हैं। ये व्यक्ति की सेक्स क्षमता पर असर डालता है और महिलाओं में बांझपन के खतरे बढ़ जाते हैं।
2. कोकीन (Cocaine) -
कोकीन को क्रैक, रॉक, कोक, स्नो, ब्लो, सी, नोज कैंडी जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह एक उत्तेजक ड्रग्स है, जो कोका झाड़ी (coca bush) से प्राप्त होती है। इसकी पत्तियों को भिगोया जाता है, मसला जाता है और इससे प्राप्त पेस्ट को फ़िल्टर किया जाता है फिर केमिकल्स मिलाकर प्रोसेस किया जाता है।
अंत में कोकीन एक सफ़ेद पाउडर के रूप में प्राप्त होता है जिसमें अन्य पाउडर मिलाए जाते हैं। लगभग 500 किलो कोका पत्तों से 1 किलो शुद्ध कोकीन प्राप्त होती है। मेडिकली, कोकीन के एक रूप का इस्तेमाल टोपिकल एनेस्थेटिक (स्थानिक संवेदनाहारी) के रूप में किया जाता है।
कोकीन को पाउडर के रूप में सूंघा जा सकता है और फेफड़ों में प्रवेश कराया जा सकता है। इसे मसूढ़ों में रगड़ा जाता है या पानी में घोलकर इंजेक्शन द्वारा बॉडी में इंजेक्ट किया जा सकता है।
कोकीन क्रैक या रॉक के रूप में धूम्रपान (smoking) किया जा सकता है। विशेष रूप से क्रैक कोकीन की नशे की लत बहुत खतरनाक है। लोग इसके प्रति आकर्षित होते हैं क्योंकि धूम्रपान से अधिक तेज और गहरा नशा मिलता है।
धूम्रपान करने वाली क्रैक कोकीन का नशा चढ़ता तो तत्काल है, पर इसे सूँघने की तुलना में अधिक तेज़ी से उतर भी जाता है। नशे की लगभग 30 मिनट की अवधि में उपयोगकर्ता स्वयं को अधिक ऊर्जावान और खुश महसूस करता है, पर नशा उतरते ही चिंतित, चिड़चिड़ा और डिप्रेस हो जाता है फिर इस डिप्रेशन को दूर करने के लिए दूसरी खुराक लेता है। कोकीन के नशेड़ी थोड़ी थोड़ी देर में इसे लेते रहते हैं।
कोकीन दुनिया में दूसरा सबसे अधिक स्मगल किया जाने वाला ड्रग है। यह ड्रग काफी खतरनाक होने के बावजूद नशेड़ियों के बीच लोकप्रिय पार्टी ड्रग में से एक है। बॉलीवुड पार्टियों में भी कोकीन लिए जाने के चर्चे रहे हैं, यहां इसे कोक के नाम से जाना जाता है। इसके 1 ग्राम की कीमत 6 से 9 हजार रूपये तक होती है।
इसके रसायन सीधे दिमाग पर असर डालते हैं जिससे दिमाग की संरचना बदलने लगती है।कोकीन का सेवन करते ही तेजी से मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है और थोड़ी देर के लिए व्यक्ति को खुशी की चरम सीमा का अनुभव देता है।
शरीर पर प्रतिक्रिया और प्रभाव -
A. अल्पकालिक साइड इफेक्ट्स में चिड़चिड़ापन, बेचैनी, हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि, मांसपेशियों में मरोड़ और मतली या जी मिचलाना शामिल हैं। ज्यादा मात्रा में लेने से, ऐठन, झटके लगना तथा बेहोशी व रक्त वाहिकाओं के फटने या हार्ट फेल का खतरा होता है।
B. व्यक्ति की आँखों की पुतलियाँ बड़ी हो जाती हैं और उसकी भूख कम हो जाती हैं।
C. व्यक्ति अधिक सतर्क रहेगा, उसे अपने अंदर अधिक ऊर्जा महसूस होगी और वह आसानी से थक नहीं पाएगा।
D. व्यक्ति विचित्र पागल मनोविकृति का अनुभव कर सकता है। कोकीन न मिलने पर या मिलने के बाद भी हिंसक हो सकता है।
E. यदि इंजेक्शन के जरिये कोकीन ली जाती है तो एक ही इंजेक्शन के आदान-प्रदान से संक्रामक रोग और एचआईवी से ग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।
F. नाक से लंबे समय तक कोकीन लेने पर श्वसन पथ प्रभावित होकर उसे स्थायी क्षति पहुंचती है। अन्य प्रभावों में कार्डियक अरेस्ट, स्ट्रोक इत्यादि शामिल हैं।
G. जब इसे मुंह से निगला जाता है, तो आंत को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाता है। यह लीवर व किडनी को डैमेज कर सकता है। शराब के साथ इसका प्रयोग डेडली कॉम्बिनेशन बन जाता है।
3. क्रिस्टल मेथ (Crystal Meth/ Methamphetamine) -
मेथ (Meth) ड्रग्स क्या है?
मेथाम्फेटामीन (Methamphetamine) को मेथ (Meth) भी कहा जाता है और इसके क्रिस्टल स्वरूप को Crystal Meth कहते है। इसे स्पीड, चाक, आइस, ग्लास, टीना और क्रैंक भी कहते हैं।
भारत में हिमाचल और पंजाब के इलाके में इसे चिट्टा के नाम से भी जानते हैं। दरअसल पंजाबी में चिट्टा का मतलब होता है- सफेद, इस ड्रग को यह नाम इसके चिट्टे या यानी सफेद रंग के कारण मिला है।
वैसे पहले पंजाब में हेरोइन को भी चिट्टा कहा जाता था मगर बाद में और भी कई सिंथेटिक ड्रग्स इस्तेमाल होने से अब चिट्टे की परिभाषा, व्यापक हो गई है। सफ़ेद रंग के सभी ड्रग हेरोइन, कोकीन, मेथ या LSD को चिट्टा कह दिया जाता है, पर मेथ इसमें प्रमुख है।
इस ड्रग्स से बहुत अधिक नशा होता है। यह हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम के लिए उत्तेजक की तरह काम करता है। यानी यह हमारे दिमाग और रीढ़ की हड्डी के बीच के उस महत्वपूर्ण हिस्से को अति सक्रिय कर देता है, जिसके जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों से सिग्नल का आदान प्रदान होता है।
मेथ, क्रिस्टल और पाउडर दोनों तरह का मिलता है। इस ड्रग का प्रयोग कई तरह से किया जाता है। सीधे मुंह से निगलकर, सूंघकर, स्मोकिंग के जरिए या फिर नस में इंजेक्शन लगाकर इसे इस्तेमाल किया जाता है।
स्मोकिंग या इंजेक्शन के जरिये इसे लेने पर, गोली के रूप में निगलने की तुलना में यह तेजी से प्रतिक्रिया करता है। मेथ के असर से उतपन्न डोपामाइन की मात्रा अन्य ड्रग्स के मुकाबले काफी ज्यादा होती है, कोकीन की तुलना में यह तीन गुना तक अधिक होती है।
मेथ को दवा के तौर पर ईज़ाद किया गया था, इस ड्रग को कम मात्रा में लिया जाए तो आनंद का अनुभव होता है। आदमी ज्यादा अलर्ट हो जाता है, उसकी एकाग्रता बढ़ जाती है और थकावट को दूर करके उसकी एनर्जी बढ़ाता है। इससे भूख कम हो जाती है और वजन कम करने में मदद मिलती है।
अब दवा के रूप में इसका इस्तेमाल कम ही किया जाता है। ऐसा इसलिए है कि इस ड्रग के दुरुपयोग की आशंकाएं ज्यादा रहती हैं। केवल अमरीका में मेथ को एक प्रकार के मेंटल डिसऑर्डर के इलाज के लिए अप्रूव किया गया है, जिसमें व्यक्ति को अपने आसपास की चीजें समझने में दिक्कत होती है और वह कॉन्सेन्ट्रेट नहीं कर पाता।
मेथ का प्रयोग नशे के लिए बहुत ज्यादा किया जाता है। अमरीका में हालात ये हैं कि "पार्टी ऐंड प्ले" में इसका दुरूपयोग खूब किया जाता है। वहां लोग इंटरनेट डेटिंग साइट के माध्यम से आपस में जुड़ते हैं, फिर एक जगह इकट्ठा होकर इस ड्रग को लेते हैं और सेक्स करते हैं। मेथ के असर से माना जाता है कि सेक्स अवधि बढ़ जाती है।
मेथ ड्रग्स से नुकसान -
A. मेथ ड्रग्स के प्रारम्भिक साइड इफेक्ट्स में शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा कम होना, नींद न आना, मतली होना, परेशानी महसूस होना आदि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
B. इसकी ज्यादा डोज लेने या लम्बे समय तक प्रयोग करने पर मतिभ्रम, याददाश्त कमजोर होना, ब्लड वेसल्स से जुड़ी परेशानी, लिवर, किडनी और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
C. मेथ की लत के शिकार लोगों के दांत समय से पहले टूटना शुरू हो जाते हैं। इस हालत को मेथ माउथ कहा जाता है। ये उन लोगों में ज्यादा होता है, जो ड्रग को इंजेक्शन के माध्यम से लेते है।
D. यह मिर्गी जैसे दौरे पड़ने और दिमाग में खून का रिसाव होने की स्थिति पैदा कर देती है।
E. इसके अधिक सेवन से आदमी अपने मूड पर कंट्रोल नहीं कर पाता (मूड स्विंग) और अजीब व्यवहार करने लगता है। बेचैनी, अवसाद और आत्महत्या का विचार की स्थिति इस ड्रग से पैदा हो जाती है।
4. एलएसडी (LSD)
LSD ड्रग्स क्या है?
इसे कई अन्य नामों के अलावा "एसिड" के नाम से भी जाना जाता है। एलएसडी सबसे शक्तिशाली मूड बदलतने वाले केमिकल्स में से एक है। यह लिसेर्जिक एसिड (Lysergic acid) से निर्मित होता है, जो कि कुछ अनाजों पर उगने वाले फफूंद में पाया जाता है। यह गंधहीन, रंगहीन होता है, और इसमें थोड़ा कड़वा स्वाद होता है। इस ड्रग का कोई मेडिकल उपयोग नहीं है। यह अवैध प्रयोगशालाओं में क्रिस्टल के रूप में निर्मित होता है।
एलएसडी, छोटी गोलियों या कैप्सूल के रूप में मिलता है इसका एक रूप एलएसडी पेपर भी आता है। बॉलीवुड के साथ ही अन्य पार्टियों में लोग एलएसडी पेपर का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उसे रखना आसान होता है जोकि मुँह में डालते ही आसानी से घुल जाता है और नशा सर चढ़कर बोलता है। इसका नशा चढ़ने पर व्यक्ति खुद को उड़ता हुआ महसूस करता है।
ये इतना खतरनाक होता है कि इसके सेवन के 13 से 19 मिनट के बाद इसका असर व्यक्ति के दिमाग पर पड़ने लगता है। एलएसडी, उपयोगकर्ता को वास्तविकता से दूर एक कल्पनालोक में ले जाता है। यह एक शक्तिशाली साइकेडेलिक ड्रग है। माना जाता है कि इसका नशा करीब 12 घंटे तक रहता है। ये कोकीन के बाद सबसे महंगा नशा है, इसकी कीमत करीब 6 हज़ार रुपये प्रति ग्राम है।
शरीर पर प्रभाव -
एलएसडी लेने के बाद यह चेतना में बाधा उत्पन्न करता है और मस्तिष्क में सेरोटोनिन रिसेप्टर्स को उत्तेजित करता है, जिससे मस्तिष्क में कल्पना की बाढ़ आने लगती है। मस्तिष्क को गंभीर रूप से प्रभावित करने के कारण व्यक्ति मतिभ्रम का शिकार हो जाता है जिससे उसकी फैसले लेने की क्षमता पर असर पड़ता है और वह वातावरण को समझने की शक्ति खो देता है।
एलएसडी सेवन के लक्षण क्या हैं?
एलएसडी उपयोगकर्ता, एलएसडी अनुभव को "यात्रा" कहते हैं, जो आमतौर पर बारह घंटे या अधिक समय तक चलती है।इसके सेवन से निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं - मुंह का सूखना, कमजोरी महसूस होना, अत्यधिक पसीना आना या जरूरत से ज्यादा ठंड महसूस होना, दिल की धड़कन तेज होना
LSD ड्रग्स के सेवन से किन-किन बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है?
इसके सेवन से निम्नलिखित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है - भ्रम में रहना, देखने की समस्या, पैनिक अटैक, डिप्रेशन, आवाज, रंग या किसी भी चीज को पहचानने में परेशानी होना।
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ड्रग्स के नुकसान -
हेरोइन, कोकीन, मेथ और एलएसडी जैसे किसी भी तरह के ड्रग्स के सेवन से मेंटल हेल्थ के साथ शारीरिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है साथ ही इसके आर्थिक नुकसान भी हैं। कानून में इसके सेवन, निर्माण, बिक्री एवं परिवहन करने पर कड़ी सज़ा का प्रावधान है। सामाजिक स्तर पर नशेडी लोगो को ठीक दृष्टि से नहीं देखा जाता और इन्हें लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं।
इसलिए इन ड्रग्स से दूर ही रहें और उत्सुकता वश या टेस्टिंग के लिए भी इसका सेवन न करें। क्योंकि अधिकतर ड्रग एडिक्ट पहली से दूसरी बार में ही इन ड्रग्स के आदी हो जाते हैं। ये सुखकारी हार्मोन्स को रिलीज करते हैं, जिससे हमारा ब्रेन भी इसके लिए प्रतिक्रिया करने लगता है। अगर किसी को ड्रग्स की लत है, तो इसे छुड़ाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र की मदद ले सकते हैं।
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