7 Tips for Building a House-घर बनाने का सही तरीका
जब आप प्लाट खरीदकर अपने घर का निर्माण करते हैं, तो यह आपके द्वारा किए गए सबसे बड़े निवेश में से एक होता है। घर निर्माण में बड़ी पूँजी और लम्बा समय तो लगता ही है साथ में आपको सही प्लानिंग व निर्माण के दौरान सतत निरीक्षण और समय पर मटेरियल की उपलब्धता भी सुनिश्चित करना होता है। यह एक परेशानी भरा अनुभव लग सकता है परन्तु जब आप योजना बनाकर दृढ़ता के साथ उसे लागू करते हैं तो अंतिम परिणाम अनोखी संतुष्टि देने वाला होता है।
निर्माण कार्य की झंझटों से बचने के लिए कुछ लोग बना बनाया घर लेना पसंद करते हैं, परन्तु जब आप स्वयं अपने घर का निर्माण करवाते हैं, तो यह आपकी जरूरतों के ज्यादा अनुरूप होता है और इसमें आपका टेस्ट झलकता है।
यहां आप अपनी पसंद का मटेरियल इस्तेमाल करके अपने घर की मजबूती के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं। बजट के भीतर घर बनाने में सफलता पाने के लिए धन की उपलब्धता के साथ निम्नलिखित बिंदु बहुत महत्वपूर्ण हैं।
घर बनाने की टॉप 7 टिप्स (7 Tips for Building a House)
1. उचित प्लाट का चयन -
घर बनाने के लिए आपको ऐसे प्लाट की जरूरत होती है जिसका लैंड यूज आवासीय हो। इसलिए ऐसे क्षेत्र में प्लाट खरीदें, जो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अनुसार आवासीय क्षेत्र घोषित हो। अगर आपने पहले ही प्लाट खरीद रखा है तो देखें कि वो कृषि भूमि तो नहीं है? अगर ऐसा है तो मकान बनाने से पहले उसका डायवर्सन करवाना आवश्यक हो जाता है तभी आपके मकान का नक्शा पास होगा।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की योजना में वह क्षेत्र किसी अन्य उद्देश्य जैसे कि औद्योगिक, व्यवसायिक जैसी गतिविधि के लिए आरक्षित होगा तब वहां आवासीय उपयोग के लिए डायवर्सन करवाना मुश्किल होगा, अन्यथा डायवर्सन शुल्क देकर लैंड यूज, कृषि से आवासीय में परिवर्तित करवाया जा सकेगा।
स्थानीय निकाय से मकान का नक्शा पास करवाते समय उसके नियमों का पालन करना पड़ता है। जैसे आप अपने पूरे प्लाट में घर नहीं बना सकते, आपको नियमानुसार कुछ जगह खुली छोड़नी पड़ती है।
उस क्षेत्र में प्लाट का कितना एरिया ओपन रखना है और कितने फ्लोर बनाने की अनुमति मिलती है, उसे ध्यान में रखकर मकान का नक्शा बनाकर जमा किया जाता है। कुछ शहरों में बारिश के पानी के लिए वाटर हार्वेस्टिंग का प्रावधान नक्शे में करना पड़ता है।
2. अपनी जरूरतों का ध्यान रखें -
आपको कितने बड़े घर की आवश्यकता है? जाहिर है जितना बड़ा घर होगा उसका उतना ही अधिक बजट भी होगा और उसका मेंटेनेंस खर्च और टैक्स भी अधिक होगा। परन्तु ऐसा न हो कि आप अभी 2 BHK घर बनवा लें परन्तु थोड़े ही दिनों में आपको 3 BHK घर की आवश्यकता पड़ने वाली हो। इसलिए निकट भविष्य की जरूरतों को देखते हुए अपनी योजना बनाएं।
अपने घर के डिजाइन की योजना बनाने के लिए अपने इंजीनियर को अपनी पसंद से अवगत कराएं। आप नेट से उन डिज़ाइन को सलेक्ट करके रख सकते हैं जो आपको प्रेरित करते हैं और जिनका आप अनुकरण करना चाहते हैं।
अपने पसंदीदा डिजाइनों के फोटो आर्किटेक्ट को दिखा सकते हैं साथ ही अपने घर के प्रत्येक कमरे के आकार, बाहरी प्रकाश व्यवस्था और वायु के आवागमन के बारे में सोचें। आप किस प्रकार की लाइटिंग का उपयोग करेंगे, और आप कितने पावर पॉइंट किस जगह पर चाहते हैं ये सब बातें भी उनसे डिसकस कर लें।
अपने घर में सुरक्षित महसूस करना बेहद महत्वपूर्ण है। आपके नए घर की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सीसी कैमरे जैसी सुरक्षा प्रणाली की योजना पहले से बनाकर रखें।
आज के समय में एक बड़ा चलन है- ग्रीन होम। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आज के समय की जरूरत है, यह भूमि के जलस्तर की वृद्धि करने और उसे नीचे जाने से बचाने में उपयोगी है। ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए सरकार सोलर पैनल में सब्सिडी प्रदान करती है इसे आप अपने घर में उपयोग कर सकते हैं।
3. बजट बनाना -
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितना बड़ा या भव्य घर बनाने की सोचते हैं। आपको निर्माण की लागत और अपने बजट के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरत है। निर्माण की लागत आपके बजट से अधिक होने की होने पर मकान की साइज और फिनिशिंग खर्चों पर कटौती करनी पड़ सकती है।
प्रायः मकान की लागत आपको बताये गए बजट से अधिक होने की संभावना होती है। यहां आपको नक्शा पास करवाने के दौरान स्थानीय निकाय के खर्चे और बिजली कनेक्शन के लिए होने वाले खर्च को भी जोड़ना पड़ता है।
किसी एक शहर में भी विभिन्न स्थानों के लिए ये खर्चे अलग हो सकते हैं। विकसित और अविकसित क्षेत्र के आधार पर स्थानीय निकाय और बिजली विभाग डेवलपमेंट चार्ज व अन्य शुल्क वसूलते हैं, इसका ध्यान रखते हुए इन खर्चों के बारे में पहले ही व्यवस्था कर लें।
4. वर्किंग प्लान बनाएं -
निर्माण कार्य शुरू करने से पहले सभी काम से संबंधित ड्राइंग तैयार होने चाहिए। कार्य की ड्राइंग पहले से प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से आर्किटेक्ट के साथ संवाद करना चाहिए। ठेकेदार को ड्राइंग समझने में परेशानी हो या उसे कोई विसंगति लगे, तो ठेकेदार को आर्किटेक्ट से मिलकर उसका समाधान प्राप्त करना चाहिए।
काम को समय पर पूरा करने के लिए लिखित रूप में एक कार्य अनुसूची होनी चाहिए। इसे ठेकेदार और मकान मालिक की सहमति से तैयार किया जाना चाहिए। कार्य अनुसूची में प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए दिनांक और दिनों की संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए। काम शुरू करने से पहले इसे बनाया जाना चाहिए।
5. सही ठेकेदार चुनें -
अगर आप घर निर्माण के लिए लेबर की व्यवस्था स्वयं न करके किसी ठेकेदार के माध्यम से काम करवाते हैं, तो उसे मकान के क्षेत्रफल या प्रति वर्ग फुट के हिसाब से पेमेंट करना पड़ता है। इसमें प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल और टाइल या मार्बल आदि लगाने की मजदूरी शामिल नहीं होती, इन कार्यों के लिए अलग से ठेकेदार रखना पड़ता है। ठेकेदार के रेट की तुलना दूसरों से करके देख लें।
घर निर्माण के लिए ठेकेदार का चयन आपके द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक हो सकता है। ठेकेदार चुनते समय आपको कई कारकों पर विचार करना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपके ठेकेदार के पास पर्याप्त रूप से लेबर व जरूरी संसाधन हैं। मार्केट में उसकी साख कैसी है?
ठेकेदार के पिछले काम की जाँच करें। क्या पिछले ग्राहक संतुष्ट थे? क्या उनके द्वारा समय पर मटेरियल उपलब्ध करवाने के बाद भी ठेकेदार तय समय पर अपना काम पूरा कर पाया अथवा बीच में लेबर की कमी के चलते उसे काम बंद करना पड़ा।पिछले कुछ समय में ठेकेदार ने जिन मकानों का निर्माण किया है, उन्हें देखें। सुनिश्चित करें कि काम ठीक ढंग से किया गया है।
ठेकेदार के पिछले काम को देखते समय, जांच लें कि यह आपकी डिजाइन शैली के अनुकूल है। एक ठेकेदार, घर की एक विशेष शैली का निर्माण करने में बहुत निपुण हो सकता है, लेकिन यदि आपके घर की डिज़ाइन उसकी विशेषज्ञता से बाहर है, तो किसी और ठेकेदार को देखें।
ठेकेदार कई महीनों तक आपके घर निर्माण में लगा रहेगा इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उसके साथ सहज हैं। इसके अलावा लेबर की संख्या को आधार मानकर ही उसे वीकली पेमेंट करें और अधिक रकम देने से बचें।
6. मटेरियल सप्लायर से सम्पर्क करें -
आपको बिल्डिंग मटेरियल के लिए एक अच्छे सप्लायर की जरूरत पड़ेगी, जो समय पर ईंट, रेती, गिट्टी, सीमेंट व छड़ उपलब्ध करवा सके। मटेरियल के रेट के अलावा उसका विश्वसनीय होना जरूरी है। यदि मटेरियल की सप्लाई समय पर नहीं होगी तो ठेकेदार के लेबर खाली बैठ जायेंगे जिससे समय की बर्बादी होगी और आपका प्रोजेक्ट लेट होगा।
इसके अलावा मटेरियल की गुणवत्ता और मात्रा पर ध्यान रखें। ट्रक या ट्राली में मटेरियल की भर्ती पूरी होनी चाहिए। कई सप्लायर रेट में थोड़ी कटौती का लालच देकर ग्राहकों को माल कम देते हैं, इस तरह घर बनाने वाले को चूना लगाते हैं। सीमेंट व् छड़ अच्छी कंपनी का ही लें, सीमेंट की मैन्युफैक्चरिंग डेट देख लें। अगर सीमेंट की बोरी खोलने पर कुछ डल्ला जैसा जमा हुआ दिखे तो समझिये कि सीमेंट पुराना या खराब है।
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7. कार्य का निरीक्षण करते रहें -
आपको यह देखने के लिए निर्माण स्थल पर अक्सर जाना चाहिए कि आपके ठेकेदार क्या कर रहे हैं।निर्माण स्थल का निरीक्षण करने पर आपको पता लगेगा कि किस मटेरियल की पूर्ति किये जाने की आवश्यकता है व काम की गति कैसी है।
यदि कार्य की प्रगति धीमी है तो उसके वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए उसका विश्लेषण करते हुए ठेकेदार से बात करें। देरी के कारणों को पहचानकर उसे उचित तरीके से हल किया जाना चाहिए।
निर्माण के दौरान आपको चौकीदार तो रखना ही पड़ता है, उसकी गतिविधियों पर नज़र रखें। इसके साथ ही प्रतिदिन खपत होने वाले सीमेंट व सरिया (छड़) की मात्रा पर ध्यान देवें, जिससे चोरी होने की संभावना पर लगाम लगाई जा सके।
निरीक्षण के दौरान यह देखें कि बिल्डिंग में सही तरीके से क्यूरिंग (पानी तराई) की जा रही है। घर की मजबूती के लिए क्यूरिंग का निर्धारित दिनों तक किया जाना बहुत जरूरी है, जिसे सही करने की आवश्यकता है।
कोशिश करें कि निर्माण के दौरान बहुत सारे बदलाव करने की आवश्यकता न पड़े क्योंकि इससे कार्य की समय सीमा और खर्च दोनों बढ़ेगा। इसलिए ड्राइंग स्तर अपने डिजाइन से पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही काम शुरू करने की सोचें।
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