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Friday, 16 October 2020

Which is Better Job or Business-कौन है बेहतर, नौकरी या व्यापार

Which is Better Job or Business-कौन है बेहतर, नौकरी या व्यापार

युवा वर्ग में से अधिकांश की अपनी पढ़ाई के साथ एक बड़ी चिंता यह होती है कि आगे चलकर उनके जीवन यापन का साधन, व्यवसाय हो या नौकरी? एक तरफ उन्हें व्यवसायी की साधन सम्पन्न ज़िंदगी दिखाई पड़ती है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी नौकरी से जुडी हुई सामाजिक प्रतिष्ठा। उनका दिमाग इन दोनों के मध्य झूलता रहता है, इसी कश्मकश में वे जल्दी कोई निर्णय नहीं ले पाते। 


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  अगर एक युवा समय रहते जॉब या बिजनेस में से किसी एक का चुनाव नहीं कर पाता तो उसका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। क्योंकि अनिर्णय की स्थिति में वह दोनों ही क्षेत्रों में आधे अधूरे मन से प्रयास करता है। आज के कठिन प्रतियोगिता के दौर में अधूरे मन से किया गया प्रयास सफलता की मंज़िल तक नहीं पहुंच सकता। इस तरह उसका कीमती समय और साधन बर्बाद होता है।


 व्यवसाय हो या नौकरी, दोनों के ही अपने अपने लाभ हैं साथ ही परेशानियां भी अलग-अलग हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना,  किसी दूसरे के अधीन काम करने अथवा नौकरी करने से बेहतर है।


   दूसरी ओर ऐसे लोग हैं जो नौकरी से प्रत्येक माह मिलने वेतन को सबसे अच्छा मानते हैं। इस प्रकार दोनों ही पक्षों के अपने तर्क हैं और यह कहना ठीक नहीं होगा कि व्यवसाय या नौकरी में से एक निश्चित रूप से श्रेष्ठ है।


  कहा जाता है- "कम खाओ, गम खाओ और ज़िंदगी सुरक्षित जियो" ऐसी सोच वालों के लिए सरकारी नौकरी जिसमें  बाबूगिरी ही क्यों न हो, ठीक है। क्योंकि यहां हर माह मिलने वाले वेतन के साथ रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुरक्षा भी है। 


  जबकि अपने व्यवसाय को चलाने और उसकी वृद्धि का ध्यान रखने के लिए बहुत माथापच्ची करना होता है। आपको यह तय करना होगा कि कब, कहाँ और कौनसा कदम उठाना चाहिए जो आपके लिए लाभदायक हो सके। बिज़नेस में आपके सही कदम आपको अभूतपूर्व सफलता और लक्ज़री जीवन की ओर ले जा सकते हैं।  


   वास्तव में नौकरी या बिज़नेस में से चुनाव करना, व्यक्ति की सोच और उसकी क्षमता व गुणों पर निर्भर करता है।  जॉब या बिजनेस में से किसके गुण आपके अंदर हैं इसे समझने से पहले आपके लिए यह जानना आवश्यक है कि इनमें अंतर क्या है और इनके लिए व्यक्ति में कौनसी विशेषताएं अथवा गुणों की आवश्यकता होती है।


    आइये विश्लेषण करते हैं बिज़नेस, सरकारी या कॉर्पोरेट नौकरी की चुनौतियाँ व इनके फायदे और नुकसान।


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 नौकरी और व्यवसाय के 7तुलनात्मक बिंदु (Advantages and Disadvantages of Job and Business)


1. आर्थिक सुरक्षा - 

नौकरी के पक्ष में एक सकारात्मक तथ्य यह है कि किसी भी कर्मचारी को प्रति माह एक निश्चित रकम वेतन के रूप में प्राप्त होती है। इससे वह अपना जीवन निर्वाह कर पाता है, ऐसी कोई गारंटी व्यवसायी को नहीं होती, उसकी कमाई कभी कम या ज्यादा हो सकती है। 


   नौकरी करने वाले का जीवन एक बंधी बंधाई लीक पर चलता है उसे प्रतिदिन 8 घंटे की ड्यूटी में अपने बॉस का आदेश मानते हुए कार्य करना होता है, जिसके एवज में उसे वेतन प्राप्त होता है। नौकरी पेशा व्यक्ति का बजट उसके वेतन के हिसाब से सेट होता है और वह उस दायरे में रहकर ही खर्च कर पाता है। 


   ऊँची उड़ान भरने में असमर्थ होने के कारण कभी कभी नौकरी पेशा वर्ग को कुंठा भी होती है परन्तु प्रति माह मिलने वाले वेतन की गारंटी उसे सुरक्षा का अहसास भी देती है। यहाँ गौर करने वाली बात यह भी है कि प्रति माह वेतन प्राप्त करने की सुरक्षा एक हद तक शासकीय कर्मियों को अवश्य प्राप्त है। 


  सामान्यतः उन्हें अपनी नौकरी खोने का डर कम ही होता है, परन्तु अस्थायी कर्मियों या कॉर्पोरेट क्षेत्र के कर्मचारियों को उनकी नौकरियों की ऐसी कोई गारंटी नहीं है। किसी भी कारण से उन्हें किसी भी समय नौकरी से निकाला जा सकता है। इसका कारण उनका कार्य प्रदर्शन में कमी या मंदी के प्रभाव से मांग में कमी आना हो सकते हैं।


    बिज़नेस और नौकरी में एक बड़ा फर्क यह है कि बिज़नेस स्टार्ट करने पर प्रारम्भ से ही कमाई होने की कोई गॉरन्टी नहीं होती। आपको कुछ महीनों तक पैसे कमाने का इंतज़ार करना पड़ सकता है। इस बीच में दुकान का किराया, बिजली बिल एवं कर्मचारियों का वेतन आदि खर्च का बड़ा हिस्सा या इसका कुछ अंश स्वयं वहन करना पड़ सकता है। 


    इसलिए प्रत्येक व्यापारी को अपना काम शुरू करने से पहले इसकी तैयारी करनी पड़ती है। अपने बिज़नेस की प्रकृति को देखते हुए 1 साल या अधिक समय तक के खर्च की राशि सुरक्षित रखना पड़ता है। इसी प्रकार अधिकतर व्यापार मंदी के चक्र से प्रभावित होते हैं, एक अच्छे व्यापारी के पास इसका भी पूर्व प्लान तैयार होता है जिससे वह ऐसे संकट से निकल सके। 


   कुशल व्यापारी किसी एक बिज़नेस पर निर्भर न होकर अपना एक साइड बिज़नेस भी करते हैं। नतीजतन, अपनी रोटी के स्रोत को खोने से बचे रहते हैं। जबकि नौकरी से निकाले गए किसी कर्मचारी की स्थिति तब तक नहीं सम्भल पाती जब तक वह कोई दूसरी नौकरी ढूंढने में सफल न हो जाए। 


  अपनी नौकरी से होने वाली आय के सहारे नौकरी पेशा वर्ग अधिकतर चीज़ें इन्सटॉलमेंट में खरीदना पसंद करता है। इसलिए नौकरी खोने की स्थिति में भी उसे अपने घरेलू खर्चों के अलावा अपनी गाडी, मकान अथवा बीमा की किश्तों का भुगतान जारी रखना होता है।  


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  अगर सारांश रूप में कहें तो नौकरी से आर्थिक सुरक्षा उच्च पदों पर काम करने पर ही मिल पाती है। बड़े पदों पर काम करने वाले शासकीय अधिकारियों को वेतन के अलावा गाड़ी, बंगला जैसी सुविधाएँ मिलने के कारण वे आर्थिक रूप से सुरक्षित कहे जा सकते हैं। यही स्थिति कॉर्पोरेट सेक्टर में उच्च पदों पर बैठे लोगों की भी होती है, कहीं-कहीं उनका वेतन तो सरकारी अधिकारी के वेतन से भी अधिक होता है। 


  नौकरी में सबसे दयनीय हालत छोटी प्राइवेट संस्थाओं में काम करने वाले लोगों की होती है, जिन्हें बहुत कम वेतन मिलता है और ड्यूटी व मेहनत भी अधिक करनी पड़ती है। नीचे दर्जे के शासकीय कर्मी भी महिने के अंतिम सप्ताह में अपने खर्चों के लिए सूदखोरों की शरण में जाते देखे जा सकते हैं। 


  जहां तक बिज़नेस के जरिये आर्थिक सुरक्षा की बात है तो यह आपके विज़न और कार्य दक्षता पर निर्भर करता है। धंधा तो छोटे रूप में ही शुरू होता है, पर क्या आपकी सोच में यह है कि उसे विस्तृत रूप देना है? 


 अगर आपकी योजना और कार्यशैली अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने की है तभी आप आर्थिक सुरक्षा प्राप्त कर सकेंगे। अगर ऐसा नहीं हो सका तो आर्थिक संकट हमेशा मुँह बाए आपको ताकता रहेगा। सामान्य दर्जे के व्यवसाय से इनकम भी बहुत मामुली होगी, जिससे जीवन यापन करने में मुश्किलों का दौर चलता रहेगा। 


    इसलिए अगर आप युवा हैं और नौकरी करने का विचार कर रहे हैं तो अपनी पढ़ाई और कोचिंग इस प्रकार से करें कि उच्च पद पर आसीन हो सकें। यदि बिज़नेस छोटे स्तर से स्टार्ट करते हैं तो उसे बड़ा रूप देने की योजना के साथ ही काम करें।  


2. मानसिक संतुष्टी -

अपने स्वयं के व्यवसाय में आप खुद को काम पर रखते हैं, इसका लाभ यह है कि आप बिना किसी डर के काम करने की स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं। किसी और के अधीन काम करना हमेशा एक प्रतिबंध की तरह महसूस किया गया है। अधिकांश नौकरियों में आपको अपने हिसाब से काम करने की छूट नहीं दी जाती है। आपकी लिमिटेशंस तय होती हैं, जिसके दायरे में रहकर अपने कार्य का निर्वहन करना पड़ता है। 


  नौकरी में आपके हर एक्शन पर आपके अधिकारी की नज़र होती है और आपको अपने अधिकारी से निर्देश प्राप्त करना पड़ता है। यह स्थिति प्रत्येक व्यक्ति के अनुकूल नहीं पड़ती और उन्हें कुंठा व निराशा का शिकार होना पड़ता है। नौकरी में आप अपनी प्रतिभा का पूरा उपयोग नहीं कर पाते, क्योंकि आप उस व्यवस्था का एक अंग मात्र होते हैं, न कि मालिक। 


   यहां गधे घोड़े दोनों समान होते हैं, शासकीय कार्यालयों में अधिक काम करने वाले कर्मचारी और किसी कामचोर या बहानेबाज कर्मचारी का वेतन समान होता है।  कई लोग तो सरकारी नौकरी में इसलिए ही जाना पसंद करते हैं कि उन्हें ज्यादा काम न करना पड़े।  यह स्थिति किसी भी प्रतिभाशाली, सक्रिय और ऊर्जावान कर्मचारी को संतुष्टि प्रदान नहीं कर सकती। 


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   जब आप अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करते हैं, तो आप प्रभारी होते हैं। यह आपको अपनी पसंद का निर्णय लेने और अपने व्यवसाय की सफलता का प्लान बनाने की स्वतंत्रता देता है। यहाँ आपको नित नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और समस्याओं से निपटने रास्ता भी  आपको ही निकालना पड़ता है। इस प्रकार आपका इम्तिहान होता है, कठिन समय का अनुभव आपको आने वाले समय की बाधाओं से निपटने में सहायक होता है।


    इसके अलावा, आपके अपने मालिक होने का मतलब है कि आप अपनी रणनीतियों के साथ व्यवसाय चला सकते हैं। जब आप ठोकरें खाने के बाद अपने व्यवसाय को सफल बना लेते हैं तो एक मानसिक संतुष्टि का अहसास होता है। जीवन में सफलता का आधार भी यही है, जब आप उस काम को करते हैं, जिसे हमेशा से करना चाहते थे जो आप संतुष्ट महसूस करते हैं। यह आपको बेहतर हासिल करने के लिए प्रेरित करता है।  


   उदाहरण के लिए, यदि आपका जुनून आपका रेस्टोरेंट है तो हर दिन आपको खुद को अनिच्छा से नहीं जगाना है। इसके बजाय आपके रेस्टोरेंट के लिए आपका जुनून आपको ड्राइव करेगा।परिणामस्वरूप, आप हमेशा अपने काम को लेकर उत्साहित रहेंगे। आपका मुख्य मकसद अपने ग्राहक को प्रभावित करना होगा। यह अपने आप में आपको शांति देगा और इसे आपके लिए एक इनाम माना जा सकता है।


3. मेहनत का भुगतान -

शासकीय कर्मी को एक बंधा बंधाया वेतनमान प्राप्त होता है और समय बीतने पर निर्धारित मानदंडों के अनुसार उसे प्रमोशन प्राप्त होता है। यहां विशेष कार्य कुशल होने पर भी कोई अधिक लाभ मिलने की आशा नहीं होती। 


 कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए भी आप तभी तक फायदेमंद हैं जब तक अपने बॉस को कमाकर देते हैं यहां आपको जो टारगेट दिया गया है उसे अचीव करना होता है तभी आप अपने वेतन के हकदार होते हैं अन्यथा आपको नौकरी से निकाल दिया जाता है। 


   आपके कठिन परिश्रम का फल कंपनी को मिलता है, क्योंकि कॉर्पोरेट सेक्टर में वेतन तय है। यदि आप कार्य कुशल हैं तो पुरानी कम्पनी छोड़कर नई कम्पनी ज्वाइन करने पर वेतन वृद्धि प्राप्त हो सकती है।  


    खुद का व्यवसाय करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यहाँ आप जो मेहनत करते हैं, उसका पूरा लाभ आपको प्राप्त होता है। सही प्लानिंग से की गई मेहनत से आपका व्यवसाय दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता है। 


  इसका दूसरा पक्ष भी है- अपने बिज़नेस में की गई कोई चूक या गलत निर्णय आपके बिज़नेस को रसातल में भी ले जा सकती है। इससे आपको आर्थिक हानि हो सकती है जिससे उबरने में आपको लम्बा समय भी लग सकता है। 


    लेकिन अगर आपमें धैर्य पूर्वक अपने काम में लगे रहने का गुण है और आप अपनी असफलताओं से सीखते हैं तो आप इतने अमीर और सफल इंसान बन सकते हैं जिसकी कल्पना नौकरी करने वाले कभी नहीं करते। 


   लंबे समय तक लगे रहने पर एक व्यवसाय के मालिक के पास भविष्य में बहुत सफल होने के लिए उच्च दायरे होते हैं। बिज़नेस में बेहतरी की गुंजाइश हमेशा रहती है, आपको बस इसे करने की कोशिश करनी है। 


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4. अनुभव का दायरा -

व्यवसाय, सीखने और स्वयं को सुधारने के अवसरों से भरा है लेकिन नौकरी करने वालों के पास सीखने और सुधारने का बहुत कम मौका है। नौकरी में लगातार एक जैसा काम करने के कारण बुद्धि कुंद होने खतरा बना रहता है। कर्मचारियों को अपनी सीट के अलावा अपने दफ्तर के ही अन्य विभाग की जानकारी नहीं होती, अधिकांश शासकीय कार्यालयों में आप इस बात की जांच करके देख सकते हैं। अगर वह अपना काम ही ठीक तरह से कर रहा हो तो इसे भी उसकी धन्यता समझिये।


    कॉरपोरेट वर्कर के रूप में भी आपको बहुत ज्यादा एक्सपोजर नहीं मिलता है। आप बस नौकरी के एक हिस्से का अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपका काम कंपनी के उत्पाद की मार्केटिंग का प्रबंधन करना है, तो आप पूरी तरह से मार्केटिंग टीम के तहत काम करते हैं। आप अन्य पहलुओं से पूरी तरह परिचित नहीं होते। 


    अगर आपका अपना व्यवसाय है तो आप अपने काम के सभी एंगल व दायरे को समझने और अनुभव करने में सक्षम होते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके पास अपना रेस्टोरेंट है, तो आपको कर्मचारियों के वेतन, एकाउंटिंग, कच्चे माल की खरीदी, प्रचार, आय, लाभ, आदि सभी चीज़ों को   देखना होगा। ये बातें उस कर्मचारी के लिए मायने नहीं रखतीं जो रेस्टोरेंट में कुक के रूप में काम करता है।


5. विकास की संभावना -

नौकरी करते समय आपका विकास आपके बॉस पर निर्भर करता है और यह बहुत धीमा होता है।नौकरी में आप अपनी कमाई को स्वयं नहीं बढ़ा सकते और न ही अपने लिए पुरस्कार तय कर सकते हैं, यह सब आपके नियोक्ता पर निर्भर करता है। 


   वास्तव में नौकरी में आप खुद के सपने का निर्माण नहीं करते, बल्कि किसी और के सपने का निर्माण करने के लिए काम करते हैं। वह आपको काम पर तभी तक रखेगा, जब तक आप अपने वेतन से अधिक उसे कमा कर देंगे। ऐसा इसलिए हो पाता है कि उस व्यवसाय में उसकी पूँजी दांव पर लगी होती है और उसने इसका रिस्क उठाया होता है। जबकि आप का कोई रिस्क नहीं होता।  


    एक नौकरी में भले ही आपको कोई जोखिम नहीं होता है लेकिन आपके तरक्की करने के अवसर भी बहुत सीमित होते हैं।  जबकि एक व्यवसायी को बहुत सारे जोखिम और परेशानियों का सामना करना पड़ता है, परन्तु उसके पास अपनी असीमित कमाई और कार्य वृद्धि के अवसर होते हैं।व्यवसाय में आपकी वृद्धि आप पर निर्भर करती है और यह आपकी क्षमता के अनुसार तेज हो सकती है।

 

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    आज जिन विशाल कंपनियों को आप देखते हैं उनमें से अधिकतर की शुरुवात किसी छोटी दुकान अथवा गैराज में की गई थी। इन्हें शुरू करने वाले लोगों ने अपनी प्रतिभा, परिश्रम और धैर्य के बलबूते छोटी दुकान से बड़ी कंपनी तक का सफर तय किया और धन व प्रतिष्ठा पाने में सफल हुए।


    यदि आप अपने जीवन में महानता प्राप्त करना चाहते हैं तो अवसर को पहचान कर आगे बढ़ने की क्षमता ही आपके विकास का मार्ग प्रशस्त्र कर सकती है। आज के समय की सबसे सफल कंपनियों में से एक माइक्रोसॉफ्ट और भारत की फार्मा कम्पनी बायोकॉन ने किसी गैरेज से अपनी यात्रा शुरू की थी।


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6. जीवन जीने का ढंग -

नौकरी में आप अपना कार्य समय और अवकाश निर्धारित नहीं कर सकते, लेकिन व्यवसाय में यह पूरी तरह से आप पर निर्भर है। व्यवसाय में आपको अपने काम के घंटे चुनने की स्वतन्त्रता होती है।  


   इसके अलावा, आपको जब भी आवश्यकता होती है, पारिवारिक कार्यक्रमों का आनंद लेने की भी सुविधा है। परन्तु यह सब आपके बिज़नेस के अच्छे से जमने के बाद ही हो पाता है, उसके पहले आपको सप्ताह के सातो दिन बिना ब्रेक काम करना पड़ सकता है। 


    नौकरी में आपको पैसा तभी तक मिलता है जब तक आप स्वयं कार्य करते है अथवा कार्यस्थल पर मौजूद होते हैं। नौकरी में मिलने वाले निर्धारित अवकाश के अलावा आपके अनुपस्थित रहने पर आपका वेतन काट लिया जाता है। 


   प्राइवेट जॉब में छुटियों के अवसर सीमित होते हैं जबकि सरकारी नौकरी में थोड़ी अधिक छुट्टियों का आनंद लिया जा सकता है। पर कार्य दिवस में आपका अपने कार्यालय में उपस्थित होना अपेक्षित होता है। 


   जबकि व्यवसाय में सफलता के बाद आप ऐसा मैनेजमेंट कर सकते हैं कि आपकी अनुपस्थिति में भी आपका व्यवसाय सफलतापूर्वक चल सकता है और आप छुट्टियां एन्जॉय कर सकते हैं। अनेक फैक्टरियां, होटल और बिग-बाजार जैसे व्यवसायों की चैन इसी प्रकार के मैनेजमेंट से चलते हैं, जिसमें मालिक को व्यवसाय स्थल पर आने की आवश्यकता नहीं पड़ती। 


   परन्तु यदि आप अपने व्यवसाय को ऊंचाई पर ले जाने में असमर्थ सिद्ध होते हैं और आपका "One Man Show" ही चलता रहता है तो आपकी स्थिति भी किसी नौकरी वाले के जैसी ही होगी। आप तभी तक कमा पाएंगे जब तक अपनी दुकान पर मौजूद रहेंगे। 


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7.  वित्तीय दायित्व -

 यदि आप अपना खुद का व्यवसाय शुरू करते हैं, तो आपको अपनी दुकान या फैक्ट्री स्थापित करने के लिए पूँजी की आवश्यकता होती है। पूँजी की कमी होने पर आप किसी अन्य संस्थान के साथ सहयोग करते हैं अथवा ग्रुप बनाकर पार्टनरशिप में अपना काम शुरू कर पाते हैं, ऐसी दशा में व्यावसायिक दायित्व और लाभ का बंटवारा हो जाता हैं।


   अगर आप चाहें तो शासन की शिक्षित बेरोजगार योजनाओं में से किसी एक का चुनाव करके अपने उद्योग, व्यवसाय या सेवा कार्य के लिए लोन (ऋण) प्राप्त कर सकते हैं। लोन प्राप्त करने के लिए आपके पास अपना पूरा बिज़नेस प्लान और बैंक द्वारा मांगे गए पूरे डाक्यूमेंट्स होना चाहिए। इसकी व्यवस्था में आपको पूरे मनोयोग से लगना पड़ता है, तभी लोन प्राप्त करने में सफल हो सकेंगे।


    चाहे लोन लेकर अपने बिज़नेस के लिए पैसे की व्यवस्था करें या कुछ सालों तक कहीं नौकरी करके पैसे इकट्ठा करें, पूँजी की आवश्यकता तो बिज़नेस के लिए पड़नी ही है। परन्तु क्या नौकरी के लिए पैसे नहीं लगते? 


  यदि आपका लक्ष्य कोई अच्छी नौकरी प्राप्त करना है तो आपको अच्छे से अच्छे कॉलेज और कोचिंग संस्थान की महंगी फीस अदा करनी पड़ती है, भले ही आप इसकी व्यवस्था एजुकेशन लोन लेकर करें। किसी अच्छे संस्थान में पढ़ाई खर्चा भी लाखों में होता है।  


Conclusion -


नौकरी प्राप्त करने के लिए कम्पीटेटिव एग्जाम का आधार होने के कारण यहाँ सेफ साइड चलने वाले, पढ़ाकू किस्म के लोग सफल हो सकते हैं। जबकि बिज़नेस का चुनाव करना- लोक व्यवहार में निपुण, स्वप्नदर्शी, महत्वाकांक्षी, चालाक व परिश्रमी के साथ धैर्यवान व्यक्ति के लिए ठीक हो सकता है। 


    अब जब आपके पास दोनों प्रकारों यानी नौकरी और व्यवसाय के बारे में जानकारी हो गई है, तो आपको ध्यान से तय करना चाहिए कि आपको क्या सूट करता है। हालाँकि किसी भी निर्णय की असंख्य संभावनाएँ हैं; चुनाव अभी भी आपके हाथ में है। 


  आशा है ये आर्टिकल "Which is Better Job or Business-कौन है बेहतर, नौकरी या व्यापार" आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।


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