Top 10 Benefits of Basil Leaves-तुलसी के 10लाभ
हिंदू धर्म में तुलसी (Holy Basil) को पवित्र पौधे का दर्जा प्राप्त है और इसकी पूजा की जाती है। तुलसी का पौधा अधिकतर भारतीय घरों में पाया जाता है। इसकी दो मुख्य प्रजातियाँ हैं- श्री तुलसी जिसकी पत्तियाँ हरी होती हैं और कृष्णा या काली तुलसी जिसकी पत्तियाँ कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं।
इसकी एक अन्य प्रजाति भी घरों और बागों में देखी जाती है जिसे "मरुआ" के नाम से जाना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे दवना भी कहते हैं। इसकी पत्तियां कुछ बड़ी, नुकीली, मोटी, नरम और चिकनी होती हैं जिन्हें मसलकर सूंघने पर काफी तेज महक आती है।
इसकी एक अन्य प्रजाति भी घरों और बागों में देखी जाती है जिसे "मरुआ" के नाम से जाना जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे दवना भी कहते हैं। इसकी पत्तियां कुछ बड़ी, नुकीली, मोटी, नरम और चिकनी होती हैं जिन्हें मसलकर सूंघने पर काफी तेज महक आती है।
तुलसी मूल रूप से भारतीय उपमहाद्वीप का पौधा है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है।धार्मिक महत्व होने के साथ आयुर्वेद में तुलसी की उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष मान्यता है। इसके अलावा ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है।
तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। काढ़े या चाय के रूप इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी और श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। सामान्य रूप से प्रतिदिन इसकी 3 से 5 पत्तियां पानी के साथ निगल लें या चाय बनाते समय उपयोग करें।
उपचार के लिए इस पौधे की पत्तियों से लेकर बीज तक सभी भागों का प्रयोग किया जाता है, तुलसी को शरीर और मन के लिए एक टॉनिक माना जाता है। आइये जानते हैं कि तुलसी को "जड़ी-बूटियों की रानी" क्यों कहा जाता है।
अच्छा मेटाबॉलिज्म, वजन को तेजी से कम करने में मदद करता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होने से यह शरीर में जमी वसा को तेजी से जलाता है, इस तरह वजन कम होने लगता है। इसके लिए तुलसी का काढ़ा बनाकर हल्का गर्म (गुनगुना) पियें, स्वाद के लिए इसमें शहद मिला सकते हैं।
अगर आपको सर्दी या फिर मौसमी बुखार है तो लौंग, मिश्री, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से पकाकर उसका काढ़ा पीने से फायदा होता है। ब्रोंकाइटिस के लिए इसके ताजे फूलों का उपयोग करें व मलेरिया के लिए, काली मिर्च के साथ तुलसी की पत्तियों और बीजों का उपयोग करें।
महिलाओं के अनियमित पीरियड्स की समस्या में तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित प्रयोग किया जा सकता है।
एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने प्रत्येक दिन 500 मिलीग्राम तुलसी के अर्क का सेवन किया, उनकी चिंता, उदासी और तनाव में कमी पायी गई। इन लोगों ने स्वयं के भीतर एक रूपांतरण महसूस किया और इनकी सामाजिकता में वृद्धि हुई।
वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि तुलसी में ऐसे औषधीय तत्व (एडाप्टोजेन) होते हैं जो आपके शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने में मदद करने के साथ मानसिक संतुलन को बढ़ावा देते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सक तुलसी की पत्तियों का चाय के रूप में उपयोग करने की सलाह देते हैं। कैफीन-मुक्त होने के कारण इसे प्रतिदिन पीने की सिफारिश की गई है। यह चित्त को शांत करके स्पष्ट रूप से सोचने और कल्याण की भावना को बढ़ावा देता है।
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि मानसिक थकावट वाले लोगों में एक सप्ताह तक तुलसी और पेपरमिंट के साथ अरोमाथेरेपी के प्रयोग से उनकी मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है। वे मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव करते हैं और उन्हें ध्यान लगाने में मदद मिलती है।
यह मुँहासे के उपचार में भी उपयोगी है। तुलसी युक्त जेल को त्वचा पर लगाने से कुछ सप्ताहों में मुँहासे से निपटने में मदद मिल सकती है।त्वचा रोगों में एक्जिमा के लिए गोली और मरहम फॉर्म का उपयोग करें। इसका उपयोग सांप और कीट के काटने पर इलाज के लिए भी किया जाता है।
तुलसी को चबाने की मनाही की जाती है इसका कारण इसके अंदर मर्करी (पारा) का पाया जाना है। इसे चबाना दांतों की सुंदरता और सेहत के लिए नुकसान दायक हो सकता है। इसके सेवन का सही तरीका इसे पानी के साथ निगलें या फिर काढ़ा बनाकर प्रयोग करें।
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यदि आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसे ले रहे हैं तो लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें और सीधे उपयोग के लिए अपने फार्मासिस्ट या चिकित्सक से परामर्श करें।
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उपचार के लिए इस पौधे की पत्तियों से लेकर बीज तक सभी भागों का प्रयोग किया जाता है, तुलसी को शरीर और मन के लिए एक टॉनिक माना जाता है। आइये जानते हैं कि तुलसी को "जड़ी-बूटियों की रानी" क्यों कहा जाता है।
तुलसी के 10 चमत्कारिक लाभ (Benefits of Basil Leaves)
1. मोटापा घटाने में उपयोगी (Basil Leaves for Weight Loss) -
अगर आप बढ़े हुए वजन से परेशान हैं और बहुत से उपाय करके थक चुके हैं तो प्रतिदिन तुलसी का सेवन करने से आप अपना वजन तेजी से कम कर सकते हैं।तुलसी की पत्तियों में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं।अच्छा मेटाबॉलिज्म, वजन को तेजी से कम करने में मदद करता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म बेहतर होने से यह शरीर में जमी वसा को तेजी से जलाता है, इस तरह वजन कम होने लगता है। इसके लिए तुलसी का काढ़ा बनाकर हल्का गर्म (गुनगुना) पियें, स्वाद के लिए इसमें शहद मिला सकते हैं।
2. पेट के लिए उपयोगी -
तुलसी के पत्ते पाचनक्रिया को सही रखने में मदद करते हैं। तुलसी का उपयोग पेट की ऐंठन, भूख न लगना, आंतों की गैस और कृमि संक्रमण को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही ऐसिडिटी और पेट में जलन को भी यह दूर करता है।3. सांस संबंधी समस्या दूर करे -
तुलसी में ऐंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती है। सर्दी जुकाम और सांस संबंधी समस्याओं का उपचार करने में तुलसी बेहद उपयोगी साबित होती है। शहद, अदरक और तुलसी को मिलाकर बनाया गया काढ़ा पीने से सर्दी और कफ में राहत मिलती है।अगर आपको सर्दी या फिर मौसमी बुखार है तो लौंग, मिश्री, काली मिर्च और तुलसी के पत्ते को पानी में अच्छी तरह से पकाकर उसका काढ़ा पीने से फायदा होता है। ब्रोंकाइटिस के लिए इसके ताजे फूलों का उपयोग करें व मलेरिया के लिए, काली मिर्च के साथ तुलसी की पत्तियों और बीजों का उपयोग करें।
4. यौन रोगों के इलाज में -
पुरुषों में शारीरिक कमजोरी होने पर तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है। यौन-दुर्बलता नाशक आयुर्वेदिक दवाओं में भी इसके बीज का इस्तेमाल किया जाता है।महिलाओं के अनियमित पीरियड्स की समस्या में तुलसी के बीज का इस्तेमाल करना फायदेमंद होता है। मासिक चक्र की अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का भी नियमित प्रयोग किया जा सकता है।
5. गुर्दे की पथरी -
तुलसी के सेवन से गुर्दे (Kidney) मजबूत बनते हैं। तुलसी के पत्तों में विटामिन बी पाया जाता है जो पथरी से निजात दिलाने में मदद करता है। गुर्दे में पथरी से निजात पाने के लिए तुलसी के अर्क या काढ़े में शहद में मिलाकर 6 महीनों तक नियमित सेवन करना चाहिए।6. कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करने में-
तुलसी विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और आयरन का एक अच्छा स्रोत है। तुलसी खून में कोलेस्ट्राल के स्तर को कम करने में मदद करती है। इस प्रकार हृदय रोगियों के लिए यह खासी कारगर साबित होती है।7. ब्लड शुगर को कम करे -
यदि आपको प्री डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज है, तो तुलसी के पौधे के सभी भाग आपके रक्त शर्करा को कम करने में मदद कर सकते हैं। पशु और मानव परीक्षणों से पता चला है कि तुलसी, मधुमेह (Diabetes) के लक्षणों को रोकने में मदद कर सकती है। एक अध्ययन में चूहों को तुलसी पत्ते का पाउडर खिलाया गया, एक महीने के बाद उनके रक्त शर्करा (Blood Sugar) में 24 प्रतिशत की कमी देखी गई।8. तनाव और चिंता को कम करे -
जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन के अनुसार, तुलसी में अवसादरोधी और चिंता विरोधी गुण होते हैं जो कि एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की तुलना में अधिक कारगर हैं।एक अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने प्रत्येक दिन 500 मिलीग्राम तुलसी के अर्क का सेवन किया, उनकी चिंता, उदासी और तनाव में कमी पायी गई। इन लोगों ने स्वयं के भीतर एक रूपांतरण महसूस किया और इनकी सामाजिकता में वृद्धि हुई।
वैज्ञानिक शोध से पता चलता है कि तुलसी में ऐसे औषधीय तत्व (एडाप्टोजेन) होते हैं जो आपके शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने में मदद करने के साथ मानसिक संतुलन को बढ़ावा देते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सक तुलसी की पत्तियों का चाय के रूप में उपयोग करने की सलाह देते हैं। कैफीन-मुक्त होने के कारण इसे प्रतिदिन पीने की सिफारिश की गई है। यह चित्त को शांत करके स्पष्ट रूप से सोचने और कल्याण की भावना को बढ़ावा देता है।
प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि मानसिक थकावट वाले लोगों में एक सप्ताह तक तुलसी और पेपरमिंट के साथ अरोमाथेरेपी के प्रयोग से उनकी मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है। वे मानसिक स्वास्थ्य का अनुभव करते हैं और उन्हें ध्यान लगाने में मदद मिलती है।
9. शरीर को डिटॉक्स करे -
तुलसी में एंटी-ऑक्सीडेंट भी अच्छी मात्रा में होता है जो आपके शरीर को डिटॉक्स करने के साथ इम्युनिटी पावर (Immunity Power) बढ़ाने में मदद करता है। अध्ययन बताते हैं कि तुलसी आपके शरीर को जहरीले रसायनों से बचा सकती है। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को कम करके कैंसर को भी रोक सकता है।10. संक्रमण से बचाव करे -
तुलसी में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, ऐंटिफंगल गुण होता है। अनुसंधान से पता चलता है कि तुलसी संक्रमण को दूर करके घावों को ठीक करने में मदद कर सकती है। इसके पत्तों से बने अर्क को घाव भरने की गति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।यह मुँहासे के उपचार में भी उपयोगी है। तुलसी युक्त जेल को त्वचा पर लगाने से कुछ सप्ताहों में मुँहासे से निपटने में मदद मिल सकती है।त्वचा रोगों में एक्जिमा के लिए गोली और मरहम फॉर्म का उपयोग करें। इसका उपयोग सांप और कीट के काटने पर इलाज के लिए भी किया जाता है।
तुलसी के प्रयोग में सावधानियां (Precautions) -
A. तुलसी को चबाने से बचें -
तुलसी को चबाने की मनाही की जाती है इसका कारण इसके अंदर मर्करी (पारा) का पाया जाना है। इसे चबाना दांतों की सुंदरता और सेहत के लिए नुकसान दायक हो सकता है। इसके सेवन का सही तरीका इसे पानी के साथ निगलें या फिर काढ़ा बनाकर प्रयोग करें।
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B. सर्जरी के दौरान -
तुलसी के तेल और अर्क रक्त के थक्के जमने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं और रक्तस्राव को बढ़ा सकते हैं। इसलिए सैद्धांतिक रूप में सर्जिकल प्रक्रियाओं के दौरान तुलसी का प्रयोग रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकता है। इसलिए सर्जरी से कम से कम 2 सप्ताह पहले तुलसी का उपयोग करना बंद कर दें।C. निम्न रक्तचाप -
तुलसी के प्रयोग से रक्तचाप कम होता है। यदि आप ब्लड प्रेशर कम करने लिए कोई दवा ले रहे हैं और साथ में तुलसी का उपयोग भी करते हैं तो रक्तचाप ज्यादा ही कम हो सकता है इसलिए दवा सेवन के साथ इसका अधिक प्रयोग न करें।सैद्धांतिक रूप में तुलसी लेने से निम्न रक्तचाप वाले लोगों में रक्तचाप बहुत कम हो सकता है।D. तुलसी कितनी मात्रा में लें -
किसी भी वस्तु का अधिक मात्रा में सेवन सुरक्षित नहीं होता है यही बात तुलसी पर भी लागू होती है। इसकी उचित खुराक कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि उपयोगकर्ता की आयु, स्वास्थ्य और कई अन्य स्थितियां। गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं व बच्चौं को इसकी अधिक मात्रा लेने से बचना चाहिए।यदि आयुर्वेदिक दवा के रूप में इसे ले रहे हैं तो लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें और सीधे उपयोग के लिए अपने फार्मासिस्ट या चिकित्सक से परामर्श करें।
आशा है ये आर्टिकल "Top 10 Benefits of Basil Leaves-तुलसी के 10 लाभ" आपको तुलसी की उपयोगिता के संबंध में पूरी जानकारी देने में सफल होगा। यदि आप चाहें तो इसे अपने मित्रों एवं परिवार के अन्य सदस्यों से शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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