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Friday, 3 April 2020

Five steps to Reduce Your Ego-अपना अहंकार कम करने के 5 कदम

Five steps to Reduce Your Ego-अपना अहंकार कम करने के 5कदम

अहंकार (Ego) की अधिकता, आज के मानव की एक बड़ी मानसिक समस्या है। आधुनिक युग में मानव की अधिकतर गतिविधियो के पीछे उसका अहंकार होता है। 

   छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी लोग कम या अधिक मात्रा में अहंकार से ग्रसित हैं। इसके परिणामस्वरूप आपसी संबंध बिगड़ते जा रहे हैं,  छोटी छोटी बात पर मित्रों में अलगाव हो जाता है। आपसी संबंधों में तनाव देखा जा रहा है जिसकी परिणति, संबंध-विच्छेद और आपसी संघर्ष के रूप में हो रही है।
  
ego

  अहंकार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वह अपने सामने अन्य सभी लोगों को तुच्छ समझता है, भले ही दूसरा व्यक्ति उससे कितना ही श्रेष्ठ क्यों न हो। 

   आपने लोगों से सुना है -अहंकार को छोड़ देना चाहिए, जैसे अहंकार कोई वस्तु है जिसे आपने पकड़ रखा है और उसे छोड़ा जा सकता है। जबकि अहंकार केवल एक विचार है वह कोई वस्तु नहीं है जिसे छोड़ा जा सके। अगर शरीर में अहंकार की कोई जगह होती तो डॉक्टर ऑपेरशन करके उसे निकाल भी देते। 

   अहंकार रुपी अन्धकार को मिटाने का एक ही उपाय है -वह है उसकी सच्चाई को जान लेना। जब आप थोड़े जागरूक होकर ज्ञान के प्रकाश में अहंकार को देखते हैं तो वह विदा हो जाता है। फिर उसके रहने की कोई जगह नहीं बचती।

   अहंकार को उसकी गहराई में जाकर देखेंगे तो उसकी वास्तविकता को समझ पाएंगे। जब आप उसकी सच्चाई को जान लेते हैं  तब वह स्वयं, धूप में रखी बर्फ की तरह पिघलने लगता है और लुप्त हो जाता है। जिस क्षण व्यक्ति स्वयं को जान लेता है तब कोई अहंकार नहीं रह जाता।  

     दरअसल अहंकार इकट्ठा करने की ट्रेनिंग बचपन से ही शुरू हो जाती है। विद्यालयों में प्रथम श्रेणी के अंक पाने वाले विद्यार्थी को पुरुष्कार फिर अच्छी नौकरी पाने वाले को सम्मान और समाज में पैसे वाले को प्रतिष्ठापूर्ण निगाहों से देखा जाता है।

   इस प्रकार की अनेक परम्पराएं, शिष्टाचार व रीती-रिवाज़ उसके अहंकार को पुष्ट करते जाते हैं। वह अपने अहंकार को इतना बड़ा बना लेता है कि खुद की असलियत को पूरी तरह से भूल जाता है। 
egoist

 अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल होने पर व्यक्ति गर्व महसूस करता है और उसका आत्मसम्मान बढ़ता है, यह अच्छी बात है। जब कोई ऊँचा उठने का प्रयास करता है वहां तक ठीक है परन्तु जब वह लोगों को नीचा समझने लगता है, तब वह अहंकार की चपेट में है।  

   अपनी शक्ति का दुरूपयोग दूसरों को सताने और उनका शोषण व दमन करने के लिए करना अहंकार है। दूसरों की तरक्की और सफलता भी अहंकारी व्यक्ति को विचलित करती है, वह इसे सहज भाव से स्वीकार नहीं कर पाता।  

  ऐसा व्यक्ति अगर अहंकार को छोड़ने की कोशिश करेगा, जो उपस्थित ही नहीं है, तो एक नया अहंकार पैदा कर लेगा। उसे निर-अहंकारी होने का अहंकार पैदा हो जायेगा क्योंकि वह सोचेगा कि उसने अपने अहंकार पर विजय प्राप्त कर ली है। 

   इस प्रकार अहंकार को गहराई से जाने बिना उसे छोड़ने का प्रयास करने पर वह फिर से एक नए प्रकार से अहंकार के जाल में फंस जायेगा। आइये जानते हैं, वे कौन से सुझाव हैं जिनसे अहंकार की पकड़ को कम किया जा सकता है।  

अपने अहंकार को कम करने के 5कदम -

1. अहंकार के कारण पर विचार कीजिये -

अपने व्यस्त जीवन से थोड़ा समय निकल कर एकांत में बैठिये और सोचिये क्या आपको अपने रूप सौंदर्य, पद, पैसा, प्रतिभा या ताकत का अभिमान है? वास्तव में इनमें से कोई एक भी आपके पास इतनी मात्रा में नहीं है कि उसका अभिमान किया जा सके।

    इसके लिए आप अपने ऊपर के लोगों पर निगाह डालिये। आपसे कई गुना रूपवान, शक्तिशाली, प्रतिभावान और धनवान लोग आपके शहर में ही आस पास मिल जायेंगे।  इसके लिए देश के किसी दूसरे शहर या राज्य में भी जाने की जरूरत शायद न पड़े, फिर अभी पूरी दुनियां पड़ी है। 
meditation

   हम कितनी ही तरक्की कर लें प्रकृति के आगे हमें नतमस्तक होना ही पड़ेगा। प्रकृति से दूर करने वाले तौर तरीके और रहन सहन जिसमें प्राणियों की निर्मम हत्या, मांसाहार, जंगलों की अत्यधिक कटाई आदि शामिल है, इसके लिए प्रकृति हमें समय समय पर अलर्ट करती रहती है। परन्तु मानव अपने अहंकार वश इसे नजरअंदाज करने की कोशिश करता है।

   इसका दुखद परिणाम उसे ही भोगना पड़ता है। विकसित समझे जाने वाले यूरोप और अमेरिका में अति सूक्ष्म कोरोनावायरस ने हाहाकार मचा रखा है। स्वयं को तकनीकी ज्ञान में श्रेष्ठ होने का अहंकार पालने वाले सभी लोग वायरस के आगे पराजित महसूस कर रहे हैं। 

    कोई कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए सबसे बड़ा नहीं हो सकता। कुछ न कुछ कमी रहेगी ही, अगर स्वास्थ्य अच्छा होगा तो धन में कमी होगी।सत्ता और धन होगा तो स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

  इसलिए इनका अहंकार करने का कोई कारण नहीं बनता वैसे भी ये चीज़ें सदा किसी के पास नहीं रहती।  यदि इस प्रकार एक बार आपने देख लिया कि अहंकार किस बात का है, तब खेल समाप्त हो जाता है। वो पल रोशनी का पल होता है, क्योंकि अहंकार का अन्धकार मिट चुका होता है। 
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2. धन्यवाद का भाव रखें -

आपको जो कुछ भी मिला है उसके  लिए अस्तित्व के प्रति धन्यवाद का भाव रखें। शिकवे, शिकायत से भरे लोग दुखी तो रहते ही हैं साथ ही उनके झूठे अहंकार से ग्रसित होने के चांस भी अधिक होते हैं। ये लोग स्वयं को पीड़ित मानकर उनके प्रति क्रोध और ईर्ष्या से भरे होते हैं जिन्हें ये सुखी समझते हैं। 

   जबकि आभारी लोग अधिक करुणा से भरे होते हैं और उन लोगों की तुलना में अधिक खुश होते हैं जो अहंकार से भरे होते हैं। लोगों के प्रति सराहना का भाव रखेंगे तो आपके जीवन में भी शांति का आविर्भाव हो सकेगा।

3. हमेशा जीतने की इच्छा न रखें -

व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन अवश्य करना चाहिए परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि वह हमेशा जीते।  

   यह हमारा अर्जित किया हुआ अहंकार है जो दुनिया को विजेताओं और हारे हुए लोगों में विभाजित करता है। कोई भी व्यक्ति हमेशा विजेता नहीं हो सकता, असली समस्या तब होती है जब हम अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पाते और इसे अपने  आत्म सम्मान से जोड़ कर अपना मूल्यांकन शुरू करते हैं। 

     यदि हम अपना  मूल्यांकन सिर्फ जीत के साथ जोडकर करेंगे, तो जल्दी ही अस्तित्व की प्रेमपूर्ण धारा से कट जायेंगे जिससे अहंकार को अपना खेल दिखाने का अवसर प्राप्त होगा। इसलिए जीत की तरह हार को भी सहज भाव से स्वीकार करें, क्योंकि हर समय जीतना संभव नहीं है। 
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4. संतोष को जीवन में स्थान दें -

अहंकार की एक और चाल है कि व्यक्ति को कितना भी मिल जाए, उसे संतुष्ट नहीं होने देता। अहंकार हमेशा और अधिक की मांग करता है। कोई कितना भी धन हासिल कर ले या अन्य उपलब्धियां प्राप्त करे, यह अहंकार के लिए कभी भी पर्याप्त नहीं है। 

 इस तरह और अधिक पाने की चाह से व्यक्ति निरंतर बेचैन रहता है और उसके अंदर हमेशा एक अभाव बना रहता है। यह स्थिति दुखदायक होती है और जीवन में बिना संतोष भाव को लाये इससे पार पाना मुश्किल है। 

5. अपनी ख़ुशी पर्याप्त है -

हमारी क्रियाओं का आधार हमारी ख़ुशी और जरूरत होना चाहिए। परन्तु जब हमारी गतिविधियां का आधार दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश बन जाता है तब तकलीफ शुरू होती है। क्योंकि आपकी प्रतिष्ठा दूसरों के मन में है और आपका इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। 

     जब हम इस बारे में अधिक चिंतित होते हैं कि दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं, तो हम अपने अहंकार से संचालित होने लगते हैं और अपने मूल स्रोत से अलग हो जाते हैं। इसलिए अपने दिल की आवाज सुनें और मस्त रहें, दूसरों के विचारों का गुलाम बनने की कोई आवश्यकता नहीं है।

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conclusion -

आध्यात्म पथ का पूरा जोर इस पर है कि अहंकार को कैसे गलाया जाए। इसके अनेक मार्ग हो सकते हैं कहीं समर्पण है तो कहीं ध्यान और साक्षी पर फोकस करना होता है। इसके जरिये जीवन में शांति उपलब्ध होने का द्वार खुलता है। दूसरी ओर धर्म की पश्चिमी परंपरा लोगो को अहंकार मजबूत करने के लिए उकसाती है। इसे जीवन पथ में आगे बढ़ने के दौरान आने वाले संघर्ष से जूझने के लिए आवश्यक माना गया है। 

   इसका कारण यह है कि अहंकार-रहित होने पर प्रतिस्पर्धा कौन करेगा, विरोध कौन करेगा? इस प्रकार निर -अहंकारी के नष्ट हो जाने का खतरा रहेगा। चूँकि जीवन निरंतर एक प्रतिस्पर्धा है इसलिए इस बात का प्रबल विरोध करने का कोई कारण भी नहीं बनता। 

    अहंकार बढ़ने पर होने वाले नुकसान को जानने के बाद उसकी अधिकता से ग्रस्त और संतप्त रहने का कोई कारण नहीं बचता परन्तु उतना अहंकार फिर भी रखना ही पड़ेगा जितना हमारे जीवन की सुरक्षा और हमारे अस्तित्व की रक्षा के लिए आवश्यक है। 

  आशा है ये आर्टिकल "Five steps to Reduce Your Ego-अपना अहंकार कम करने के 5 कदम" आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों और परिवार के अन्य सदस्यों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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