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Saturday, 21 March 2020

Vastu for Buying a House- घर खरीदने के लिए वास्तु टिप्स

Vastu for Buying a House- घर खरीदने के लिए वास्तु टिप्स

हर किसी का सपना होता है कि नया घर उसके लिए सुख समृद्धि के नए द्वार खोलेगा और उसके जीवन में शुभता की वृद्धि होगी। घर खरीदना  एक बड़ा काम माना जाता है, क्योंकि घर खरीदने के लिए एक बड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है। 

  इसमें आपकी जमा पूँजी के साथ अक्सर बैंक लोन या मित्रों से उधार ली गई रकम भी शामिल होती है। भविष्य की परेशानियों से बचने एवं अच्छे स्वास्थ्य  के लिए घर खरीदते समय अन्य बातों के अलावा वास्तु शास्त्र के नियमों को ध्यान में रखा जाना जरूरी होता है। 

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   वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञानं है परन्तु इसके नियम आज भी कारगर इसलिए हैं क्योंकि वे प्रकृति के अनुकूल होने के  कारण स्वस्थ जीवन के लिए उपयोगी हैं। ये नियम पृथ्वी की चुम्कीय शक्ति, वायु की गति एवं सूर्य के प्रकाश से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के दृष्टिकोण से बनाये  गये हैं। 

  वास्तु शास्त्र हमें घर के प्रत्येक स्थान के लिए दिशा निर्देश देकर मार्गदर्शन करता है और बताता है कि उसकी व्यवस्था किस प्रकार से होनी चाहिए। 

  इसके सिद्धांतों का उपयोग करने से घर में सुविधा और आनंद के साथ सकारात्मक ऊर्जा लाने में मदद मिलती है। इसके महत्व को देखते हुए बहुत से बिल्डर दावा करने लगे हैं कि उनके बनाये हुए घर वास्तु के अनुकूल हैं। इसलिए सही घर का चुनाव करने के लिए आपको वास्तु के बेसिक नियमों की जानकारी होना चाहिए। 

   जानकारी के अभाव में यदि गलत घर का चुनाव करेंगे तो आर्थिक तंगी और स्वास्थ्य संबंधी परेशानी का डर बना रहेगा। घर खरीदने से पहले आपको वास्तु के इन बेसिक बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए -

घर खरीदने के लिए वास्तु टिप्स (Vastu for Buying a House) -


1. घर का आकार -


घर का चुनाव करते समय उसका आकार बहुत महत्व रखता है।  वर्गाकार  या आयताकार घर अच्छे होते हैं। आपके घर की दीवार और पड़ोसी की दीवार कॉमन नहीं होना चाहिए। आपस में किनारे से सटे मकान होने पर खिड़कियां न होने से प्रकाश और वायु के प्रवेश में बाधा पहुँचती है। 

  घर के सामने खुला एरिया होना चाहिए यह तरक्की के अवसर के लिए अच्छा होता है। ध्यान रखें मकान की ढलान पूर्व की तरफ हो इससे घर का मालिक सुख समृद्धि वाला होता है। ट्यूबवेल या हैंडपंप का स्थान घर की पूर्व दिशा या पूर्व-उत्तर (ईशान) कोण में  होना चाहिए।

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2. घर का प्रवेश द्वार -

वास्तु के अनुसार उत्तर या उत्तरपूर्व दिशा का प्रवेश द्वार अच्छा माना जाता है। इसके लिए मकान की फेसिंग उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। सुबह की धूप घर में सकारात्मकता लाने में मदद करती है इसके लिए उत्तर या पूर्व की ओर खिड़कियां और बालकनी होनी चाहिए। 

  दक्षिण या पश्चिम फेसिंग वाले मकान की सिफारिश नहीं की जाती है। दक्षिण या पश्चिम की ओर की खिड़कियों से बचें। इन दिशाओं में दरवाजा होने पर दोपहर की किरणें घर में प्रवेश करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता

3. पूजा कक्ष की दिशा -

पूजा कक्ष, पूर्व दिशा की ओर होना अधिक शुभ होगा। इसे उत्तर दिशा में भी रख सकते हैं। पूजा करते समय आपका मुख, नॉर्थ या ईस्ट दिशा में होना चाहिए। पूजा का कमरा सही दिशा में होने पर यह खुशी और समृद्धि दायक होता है। मकान के पूर्व भाग या ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) को अपवित्र न रखें, ऐसा करने से धन और संतान की हानि हो सकती है।
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4. रसोई (किचन) के लिए स्थान -

A. वास्तु शास्त्र के दृष्टिकोण से रसोई के लिए सबसे उचित स्थान दक्षिण -पूर्व यानि आग्नेय कोण होता है। परन्तु उत्तर -पूर्व या दक्षिण -पश्चिम दिशा में किचन नहीं रहना चाहिए। 

B. अगर दक्षिणी दिशा में किचन हो तो चूल्हा पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए। चूल्हे के ऊपर किसी तरह का शेल्फ भी उचित नहीं समझा जाता। परन्तु ध्यान रखें कि खिड़की के नीचे चूल्हा नही होना चाहिए।  

C. कुकिंग प्लेटफार्म पश्चिमी या उत्तरी दिशा की दीवारों के साथ नही होना चाहिए। सिंक, नार्थ वेस्ट दिशा में रखना बेहतर रहता है 

D. रसोई में काले रंग के ग्रेनाइट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उसके स्थान पर हरे या महरून रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है  किचन की दीवारों पर नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए। 

E. पूर्व दिशा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है खाना बनाते समय पूर्व की ओर मुंह रहना सबसे अच्छा माना जाता है। 

F. किचन में अगर फ्रिज रखा गया हो तो उसे नार्थ-वेस्ट( उत्तर-पश्चिम) में रखा जा सकता है। कोशिश यह करनी चाहिए कि सिंक और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर न हो।
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5. बाथरूम के लिए वास्तु  -

A. वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार बाथरूम,  दक्षिण पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए।  जगह की कमी होने पर इसे अन्य किसी दिशा में बना सकते हैं परन्तु इसे ईशान कोण (पूर्व-उत्तर) में बनाने से बचना चाहिए।


B. बाथरूम या टॉयलेट को कभी भी डाइनिंग एरिया या किचन की दीवाल से जोड़कर नहीं बनाना चाहिए। इससे घर के लोगों को स्वास्थ्य की समस्या हो सकती है। 

C. टॉयलेट के नल और गीज़र आदि सही और चालू हालत में होना चाहिए। टपकते हुए नल और बंद गीज़र नकारात्मकता लाते हैं। 

D. अगर बाथरूम में मिरर (दर्पण) लगवाते हैं तो उसे बाथरूम के दरवाजे के ठीक सामने न लगवाएं। उसे बाथरूम की साइड दीवाल में ऐसी जगह लगवाएं की दरवाजा खोलते ही आपका प्रतिबिम्ब दर्पण में दिखाई न पड़े।

E. घर के प्रवेश द्वार के पास ही या बगल में बाथरूम न बनवाएं। साथ ही वास्तु के अनुसार सीढ़ी के नीचे भी बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए, इससे घर के सद्स्यों आपसी तालमेल में कमी आती है। 
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6. बेडरूम की स्थिति -

A. वास्तु के अनुसार बेडरूम का लोकेशन दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और इसी कोने में बेड भी रखना चाहिए। उत्तर- पूर्व और दक्षिण -पूर्व दिशा में बेडरूम नहीं होना चाहिए। 

  दक्षिण-पश्चिम में बेडरूम होने से घर के मालिक का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और समृद्धि आती है। दक्षिण-पूर्व में होने से दंपत्ति के बीच झगड़े होते हैं, जबकि उत्तर-पूर्व में होने से स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है। बच्चों का कमरा घर के उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए।

B. वास्तु के अनुसार सोते समय आपका सिर दक्षिण की ओर होना चाहिए। यह पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति के अनुकूल होता है इसलिए स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह अच्छी स्थिति मानी जाती है। 

C. धातु की जगह लकड़ी के बेड को अच्छा माना गया है। धातु का बेड नेगेटिव एनर्जी पैदा करता है। बेड पर दो अलग-अलग मेटरेस को जोड़ने की जगह सिंगल मेटरेस रहने से कपल का आपसी सामंजस्य ठीक रहता है। 


D. वास्तु के अनुसार आपके बेड के सामने शीशा नहीं होना चाहिए। इसलिए बैडरूम में ड्रेसिंग टेबल रखते समय यह सावधानी बरतनी चाहिए कि सोते हुए की व्यक्ति की परछाई शीशे में न दिखे। इसे अशुभ माना जाता है।


E. बेडरूम में लाइट कलर का पेंट होना चाहिए। डार्क कलर्स से परहेज करें। बेडरूम में वाटर फाउंटेन, एक्वेरियम, युद्ध के चित्र और अकेली महिला की तस्वीर नहीं होना चाहिए। 

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F. बेडरूम में धार्मिक मान्यता वाले चिन्ह या पूजा करने का स्थान नहीं होना चाहिए।  यहां की दीवार पर पूर्वजों के चित्र भी नहीं टांगना चाहिए। 

conclusion -

वास्तु दोष से पूर्णतः मुक्त मकान मिलना सरल नहीं होता। इसके लिए वास्तु दोष परिहार के उपाय किये जा सकते हैं। घर के प्रवेश द्वार के समीप ओम या स्वास्तिक के चिन्ह का प्रयोग कर सकते हैं। नेगेटिव ऊर्जा को कम करने के लिए सप्ताह में एक बार पानी में समुद्री नमक घोलकर फर्श को साफ करें। कपूर और सुगंधित धूप का प्रयोग करने से भी सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। 

   आशा है ये आर्टिकल "Vastu for Buying a House- घर खरीदने के लिए वास्तु टिप्स" आपको उपयोगी लगा होगा इसे अपने मित्रों एवं परिवार के सदस्यों को शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें। 

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