Vastu for Plots- वास्तु अनुकूल प्लाट में निवेश करके सुख समृद्धि पाएं - sure success hindi

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Friday, 21 February 2020

Vastu for Plots- वास्तु अनुकूल प्लाट में निवेश करके सुख समृद्धि पाएं

Vastu for Plots- वास्तु अनुकूल प्लाट में निवेश करके सुख समृद्धि पाएं 

अगर आप भूखंड (प्लॉट) में Investment करने जा रहे हैं, तो अच्छे भविष्य के लिए प्लॉट (जमीन) का वास्तुशास्त्र के अनुकूल होना  जरूरी होता है। 

    कई बार हम देखते हैं कि प्लाट खरीदकर नया मकान बनाकर रहने के बाद जीवन में कई प्रकार की परेशानियां आने लगी हैं, इसमें स्वास्थ्य संबंधी परेशानी और आर्थिक हानि भी सम्मिलित है। 

     इसका कारण उस प्लाट में वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तुशास्त्र एक विज्ञान है, इसके दिशा निर्देश तर्क सम्मत होने के साथ सामान्य ज्ञान पर आधारित हैं। 
plot-cutting

   आपको अपने जीवन में धन और सुख समृद्धि पाने के लिए मकान का निर्माण वास्तु के अनुसार करने के पहले प्लाट खरीदते समय भी वास्तुशास्त्र के टिप्स को ध्यान में रखना होगा। 

   आइये जानते हैं वे कौन से वास्तु टिप्स हैं जिनका प्लाट खरीदते समय ध्यान रखकर हम अपने जीवन में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं

भूखंड (Plot) के वास्तु से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु (Points) -


1. प्लॉट के आसपास का वातावरण 

2. प्लॉट का आकार (size)

3. प्लॉट की दिशा (facing)

4. प्लॉट का कोण (angle)

5. मिट्टी की गुणवत्ता (quality) 

1. प्लॉट के आसपास का वातावरण -

A. जहां भूखंड (Plot) लेना चाहते हैं उसके आसपास का वातावरण देखें, वहां रहने वाले लोग किस प्रकार के हैं। उस क्षेत्र में सुखी -समृद्ध लोगों का निवास होने से आपको सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होगी।

B. सुनसान जगह, अवैध गतिविधियों की जगह, व्यस्त तिराहे या चौराहे पर निवास के लिए प्लाट लेना ठीक नहीं होता। 

  प्लाट खरीदते समय उस भूखंड पर खड़े होकर अपनी आंतरिक वृत्ति के आधार पर विचार करें। यदि आप सकारात्मक महसूस करते हैं तो उस प्लाट में पैसा निवेश करें। अगर पॉजिटिव फील नहीं आती, तो शायद यह प्लाट आपके लिए अच्छा नहीं है। 

C. किसी श्मशान या मकबरा के करीब भूखंड खरीदने से बचें। प्लॉट किसी सार्वजनिक स्थान जैसे अस्पताल, स्कूल, कॉलेज या किसी धार्मिक स्थल जैसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च  के पास नहीं होना चाहिए।

 ऐसे स्थानों पर लगातार भीड़ बनी रहेगी और शोर-शराबा होता रहेगा, जिससे वहां रहना मुश्किल हो जायेगा। यदि पास में मंदिर है जो भूखंड से 100 मीटर  दूर है और उसकी छाया भूखंड पर न पड़ती हो, तो स्वीकार्य है। 

D. किसी फैक्ट्री, वर्कशॉप या शोर करने वाली दुकान के पास का प्लाट लेने से बचना चाहिए। कारखानों के आसपास ध्वनि और वायु प्रदूषण बना रहता है। साथ ही दुर्गंध वाले वातावरण से बचने की सलाह दी जाती है। प्लॉट किसी मीट शॉप, लॉन्ड्री, डस्टबिन, आदि के पास नहीं होना चाहिए। 

E. प्लॉट के ऊपर कोई हाई टेंशन तार नहीं होना चाहिए। साथ ही प्लॉट के सामने बिजली का खंभा या पेड़ आदि की बाधा नहीं होना चाहिए।

F.प्लॉट के नजदीक बरगद, पीपल, अंजीर जैसे बड़े वृक्ष नहीं होने चाहिए। 

G. प्लाट टी (T) पॉइंट पर नहीं होना चाहिए, यानि कोई रास्ता आकर प्लाट के किसी भी बॉउंड्री पर बंद नहीं हो जाना चाहिए। 
90- degree- plot

2. प्लॉट का आकार -

A. वर्गाकार प्लाट -

वर्गाकार भूखंड जिसमें सभी चार भुजाएँ समान हों यानि जिस प्लाट की चौड़ाई और गहराई (depth) समान हो और सभी कोण 90 डिग्री के हों, सबसे अच्छे भूखंड होते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार वर्गाकार प्लाट सबसे उपयुक्त होते हैं और सुख -समृद्धि लाते हैं। 

B. आयताकार प्लाट -

वर्गाकार प्लाट कम ही मिलते हैं ज्यादातर प्लाट आयताकार होते हैं, जिसमें विपरीत भुजाएँ समान होती हैं और चारों कोण 90 डिग्री के होते हैं। 

  आयताकार प्लाट भी बहुत अच्छे होते हैं। इसमें चौड़ाई और गहराई का अनुपात 1:2 से अधिक नहीं होना चाहिए। यानि प्लाट की चौड़ाई यदि 40 फिट है और गहराई 80 फिट से अधिक न हो, तो यह शुभ है।

C. गौमुखी प्लाट -  

जो प्लाट आगे यानि रोड की तरफ संकरा और पीछे की तरफ चौड़ा होता है, उसे गौमुखी कहा जाता है। आवासीय उद्देश्य के लिए इस तरह के प्लाट को शुभ माना जाता है। इसमें उत्तर-पूर्व का भाग बढ़ा हुआ होना चाहिए और सड़क पश्चिम तरफ हो।

D.  सिंहमुखी प्लॉट -  

जो प्लाट आगे या रोड साइड चौड़ा और पीछे की तरफ संकीर्ण होता है उसे सिंहमुखी या शेरमुखी प्लॉट कहा जाता है।

 ऐसे प्लाट आवास के लिए अशुभ माने जाते हैं लेकिन व्यावसायिक उद्देश्य के लिए उपयुक्त होते हैं।बशर्ते बढ़ा हुआ हिस्सा उत्तर-पूर्व में हो और सड़क पूर्वी या उत्तरी तरफ हो।

E. अनियमित आकार के प्लाट - 

त्रिभुज के आकार का प्लाट अच्छा नहीं होता, वैसे तरह के प्लाट बहुत कम पाए जाते हैं। उसी प्रकार अण्डाकार या ओवल प्लाट को भवन निर्माण के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। वास्तु के अनुसार ऐसे प्लाट, मालिकों के लिए अशुभ होते हैं।

  4 से अधिक भुजा वाले प्लाट (पेंटागन, हेक्सागोन) में भी मकान निर्माण से बचना चाहिए। ऐसे प्लाट में निर्मित मकान में लोग हमेशा भयभीत रहते हैं। 

  त्रिकोणीय भूखंड और अन्य अनियमित आकार के प्लाट नकारात्मक ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं। ऐसे प्लाट में मकान बनाते समय आवश्यक वास्तु सुधार करना चाहिए और प्लाट के अंदर  वर्गाकार या आयताकार मकान बनाने का प्रयास करना चाहिए।
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3. प्लॉट की फेसिंग -

प्लॉट के उत्तर या पूर्व की तरफ सड़क होना सबसे अच्छा होता है। इसके पीछे एक सामान्य कारण है, ऐसे प्लॉट पर बने मकान में सुबह के समय सूर्य का प्रकाश और हवा प्रवेश कर सकती है। पश्चिम की सड़क सामान्य होती है परन्तु निवास के लिए प्लाट के साउथ में सड़क होना खराब माना जाता है। 

   अगर प्लॉट के दो साइड रोड है तो उत्तर और पूर्व की सड़कें सबसे अच्छी हैं। उत्तर और पश्चिम, पूर्व और पश्चिम की सड़कें सामान्य हैं, साथ ही अगर पूर्व से प्रवेश (गेट) है तो पूर्व और दक्षिण की सड़कें सामान्य हैं।

    उत्तर और दक्षिण दिशा में सड़क होने पर एंट्री गेट उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए यह सामान्य प्रभाव देता है। प्लाट के दक्षिण और पश्चिम में सड़कें होना अच्छा नहीं हैं।

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4. प्लाट के कोण -

कट प्लाट के अलावा बढ़े कोने वाले या एक्सटेंडेड प्लॉट्स भी अच्छे नहीं होते हैं क्योंकि एक साइड में एक्सटेंशन दूसरी साइड में कट जाता है। जिससे अशुभ परिणाम होते हैं, इसलिए ऐसे प्लॉटों से बचें -

A. कोनों में कटौती वाले प्लाट - 

कटे कोने वाले भूखंडों को नहीं खरीदा जाना चाहिए। ऐसे भूखंडों को अशुभ माना जाता है। उत्तर-पूर्व का उत्तर कट गया है तो यह बीमारी, दुश्मनी और रिश्ते की समस्याओं को जन्म देता है। इससे विकास और प्रगति में बाधा, बदनामी, विश्वसनीयता का नुकसान होता है।  

  नॉर्थवेस्ट के पश्चिम में कट है तो दुर्घटना, बदनामी और झगड़े हो सकते हैं। दक्षिण पश्चिम कोना कटने पर दुर्घटनाएं हो सकती हैं जिससे शारीरिक नुकसान हो सकते हैं, मानसिक समस्या और डिप्रेसन हो सकता है, कोर्ट केस आदि हो सकते हैं। 

  दक्षिण-पूर्व का दक्षिण कट होने से दुर्घटना, आर्थिक नुकसान, महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी विकार होते हैं। उत्तर-पूर्व का उत्तर कट गया है तो  यह बीमारी, दुश्मनी और रिश्ते की समस्याओं को जन्म देता है। 

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B. बढ़े कोने वाले प्लाट -

उत्तर-पूर्व कोने में उत्तर का क्षेत्र विस्तारित होने पर शत्रुता, वित्तीय हानि, कोर्ट केस और बच्चों की समस्याएं पैदा होती हैं। 

  प्लाट के उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम कोने बढ़ने पर अच्छा नहीं माना जाता है। दक्षिण-पश्चिम कोने का विस्तार होने से विफलता, दुर्घटना, बेचैनी, शरीर में जोड़ों का दर्द , कोर्ट केस आदि हो सकते हैं।

5. मिट्टी की गुणवत्ता -

प्लाट में बहुत दरारें या बहुत अधिक गीली मिट्टी दिखे तो इसे खरीदने से बचना ठीक है। गीली मिट्टी पानी के जमाव और प्लाट में गड्ढे की ओर इंगित करती है। ऐसी मिट्टी किसी भवन की नींव के लिए उपयुक्त नहीं है। इस प्रकार की गड्ढे युक्त भूमि पर मकान बनाने के पूर्व बहुत अधिक मिटटी फिलिंग करवानी होगी जिसके लिए अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता होगी। 

  मिटटी की गुणवत्ता जाँचने के लिए वास्तुशास्त्र में उपाय बताए गये हैं। शाम के समय प्लाट में कम से कम डेढ़ फिट गहरा एक गड्ढा खोदें और गड्ढ़े में पानी भर दें। 

  वास्तु के अनुसार सुबह अगर गड्ढ़े में पानी बचा हुआ दिखाता है तो भूमि उत्तम है। पानी नहीं होने पर जमीन मध्यम स्तर का और गड्ढ़े में पानी नहीं हो और आस-पास की जमीन फटी हुई हो तो जमीन को निम्न स्तर का मानना चाहिए।

    जमीन की जांच करने का एक आसान उपाय और भी है। जमीन में डेढ़ फिट गहरा और डेढ़ फिट चौड़ा एक गड्ढा खोदें। गड्ढे से निकली मिट्टी को वापस गड्ढ़े में डालें। अगर मिट्टी बच जाती है तो जमीन उत्तम है।

   गड्ढ़ा भरने के बाद मिट्टी नहीं बचने पर जमीन को मध्यम स्तर का समझना चाहिए। यदि पूरी मिट्टी डालने के बाद भी गड्ढ़ा रह जाए तो प्लाट वास्तु की दृष्टि से अच्छा नहीं है।

 इस प्रकार आप समझ गए होंगे की वास्तु के अनुसार किस प्रकार के प्लाट में आपको निवेश करना है और किसे खरीदने से बचना ठीक रहेगा। 

  आशा है ये आर्टिकल "Vastu for Plots- वास्तु अनुकूल प्लाट में निवेश करके सुख समृद्धि पाएं"  आपको उपयोगी लगा होगा, इसे अपने मित्रों से शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल एवं सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।

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