Technical analysis in share market- टेक्निकल एनालिसिस क्या है
शेयर बाजार में जब किसी स्टॉक में निवेश की बात आती है तो उसकी फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस की जाती है। फंडामेंटल एनालिसिस में उस कंपनी के परफॉरमेंस, उसके प्रॉफिट लॉस, अर्निंग, ऋण आदि को देखा जाता है।
लॉन्ग टर्म वाले निवेशक के लिए किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस बहुत जरूरी होता है। टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग लॉन्ग टर्म और शार्ट टर्म निवेशक के साथ ट्रेडर्स द्वारा किया जाता है।
टेक्निकल एनालिसिस (Technical analysis) क्या है -
किसी शेयर का टेक्निकल एनालिसिस ( तकनीकी विश्लेषण), प्राइस (मूल्य) और क्वांटिटी (मात्रा) सहित उसके ऐतिहासिक बाजार डेटा (Historical Data) का अध्ययन है।
टेक्निकल एनालिसिस का लक्ष्य उस स्टॉक के प्राइस की भविष्यवाणी करने के लिए उसके पिछले प्रदर्शन का उपयोग करना है।
सरल शब्दों में कहें तो किसी कंपनी के शेयर या कमोडिटी के भाव को उसके चार्ट पैटर्न के जरिये देखकर वर्तमान और भविष्य के उसके भाव का आकलन करना टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है।
सरल शब्दों में कहें तो किसी कंपनी के शेयर या कमोडिटी के भाव को उसके चार्ट पैटर्न के जरिये देखकर वर्तमान और भविष्य के उसके भाव का आकलन करना टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है।
स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस करके यह जाना जाता है कि भविष्य में उसके प्राइस की दिशा ऊपर या नीचे किस तरफ होने वाली है, जिससे ट्रेडर्स को लाभ (Profit) कमाने के लिए आवश्यक जानकारी मिलती है।
हम उस शेयर के भूतकाल के आधार पर चार्ट में ये देखते है कि शेयर का भाव किस समय क्या रहा है, और उसके ट्रेंड को देखते हुए अब शेयर का भाव कितना ऊपर या कितना नीचे तक जा सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस के मुख्य बिंदु
1. शेयर मार्केट में ट्रेडर के लिए यह आवश्यक है कि उसे टेकनिकल एनालिसिस की समझ हो। इसके ज्ञान के बिना ट्रेड करना अँधेरे में तीर मारने की तरह होता है, फिर ऐसे लोग ही यह शिकायत करते हैं कि उनके खरीदते ही शेयर का भाव नीचे आ गया और बेचते ही ऊपर की तरफ बढ़ने लगा।
टेकनिकल एनालिसिस में चार्ट रीडिंग के जरिये आप जान सकते हैं कि किस बिंदु पर स्टॉक रेजिस्टेंस या सपोर्ट ले सकता है, यानी वहां से वह अपनी दिशा बदल कर नई चाल पकड़ सकता है। शेयर मार्केट की दिशा को समझने और सौदे लेने के लिए आपको टेकनिकल एनालिसिस का सही तरह से ज्ञान होने के साथ उसे इम्प्लीमेंट करना भी आना चाहिए।
टेकनिकल एनालिसिस में चार्ट रीडिंग के जरिये आप जान सकते हैं कि किस बिंदु पर स्टॉक रेजिस्टेंस या सपोर्ट ले सकता है, यानी वहां से वह अपनी दिशा बदल कर नई चाल पकड़ सकता है। शेयर मार्केट की दिशा को समझने और सौदे लेने के लिए आपको टेकनिकल एनालिसिस का सही तरह से ज्ञान होने के साथ उसे इम्प्लीमेंट करना भी आना चाहिए।
2. किसी स्टॉक की तकनीकी विश्लेषण की अंतर्निहित धारणा यह है कि बाजार ने उस स्टॉक की सभी उपलब्ध सूचनाओं को संसाधित किया है और यह उसके प्राइस (मूल्य) में परिलक्षित होता है। किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए बहुत सारे पैरामीटर्स को देखना होता है और इसमें समय भी अधिक लगता है।
शार्ट टर्म ट्रेडर के पास इतना समय नहीं होता इसलिए वे केवल टेकनिकल एनालिसिस के जरिये सौदा लगाते हैं। वे यह मान कर चलते हैं कि कंपनी के फंडामेंटल भी उसके शेयर के भाव में परिलक्षित हैं।
3. लॉन्ग टर्म ट्रेडर फंडामेंटल एनालिसिस के जरिये अच्छी कंपनी का पता लगा सकता है परन्तु अच्छे फंडामेंटल के बावजूद उस समय कंपनी के शेयर खरीदने लायक हैं या नहीं, इसका पता टेकनिकल एनालिसिस के जरिये ही चलता है।
किसी अच्छी कंपनी के शेयर भाव को भी किसी न किसी कारण वश नीचे भी आना होता है। इसलिए एक अच्छा निवेशक लम्बे समय के निवेश के लिए भी फंडामेंटल के साथ टेकनिकल एनालिसिस का भी इस्तेमाल करता है।
4. टेकनिकल एनालिसिस का आधार चूँकि प्रीवियस डाटा होता है इसलिए इसे लगातार वाच करना होता है क्योंकि यह शेयर के प्राइस के अनुसार बदलता रहता है। आप ट्रेड कितने समय के लिए ले रहे हैं उसके आधार पर यह निर्भर करेगा कि प्रीवियस डाटा कितनी अवधि का लेना है।
5. टेकनिकल एनालिसिस का उपयोग, ट्रेडर्स अपने लिए हुए ट्रेडों के स्क्वायर ऑफ या निकास (Exit) बिंदुओं की पहचान करने के लिए भी करते हैं। टेकनिकल के आधार पर Exit सिग्नल आने पर किसी भी स्थिति में आपका सौदे से निकलना जरूरी होता है। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट और पॉइंट एंड फिगर चार्ट।
शार्ट टर्म ट्रेडर के पास इतना समय नहीं होता इसलिए वे केवल टेकनिकल एनालिसिस के जरिये सौदा लगाते हैं। वे यह मान कर चलते हैं कि कंपनी के फंडामेंटल भी उसके शेयर के भाव में परिलक्षित हैं।
3. लॉन्ग टर्म ट्रेडर फंडामेंटल एनालिसिस के जरिये अच्छी कंपनी का पता लगा सकता है परन्तु अच्छे फंडामेंटल के बावजूद उस समय कंपनी के शेयर खरीदने लायक हैं या नहीं, इसका पता टेकनिकल एनालिसिस के जरिये ही चलता है।
किसी अच्छी कंपनी के शेयर भाव को भी किसी न किसी कारण वश नीचे भी आना होता है। इसलिए एक अच्छा निवेशक लम्बे समय के निवेश के लिए भी फंडामेंटल के साथ टेकनिकल एनालिसिस का भी इस्तेमाल करता है।
4. टेकनिकल एनालिसिस का आधार चूँकि प्रीवियस डाटा होता है इसलिए इसे लगातार वाच करना होता है क्योंकि यह शेयर के प्राइस के अनुसार बदलता रहता है। आप ट्रेड कितने समय के लिए ले रहे हैं उसके आधार पर यह निर्भर करेगा कि प्रीवियस डाटा कितनी अवधि का लेना है।
5. टेकनिकल एनालिसिस का उपयोग, ट्रेडर्स अपने लिए हुए ट्रेडों के स्क्वायर ऑफ या निकास (Exit) बिंदुओं की पहचान करने के लिए भी करते हैं। टेकनिकल के आधार पर Exit सिग्नल आने पर किसी भी स्थिति में आपका सौदे से निकलना जरूरी होता है। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
चार्ट के प्रकार -
टेक्निकल एनालिसिस के लिए शेयर के प्रीवियस भाव को चार्ट के रूप में देखा जाता है। ये चार्ट इस प्रकार के होते हैं -लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट और पॉइंट एंड फिगर चार्ट।
a. लाइन चार्ट -
लाइन चार्ट सबसे सरल प्रकार का चार्ट होता है इसमें शेयर के प्रतिदिन के बंद भाव को दर्शाया जाता है परन्तु इसमें उस दिन के हाई और लो प्राइस को नहीं देखा जा सकता। इसलिए ट्रेडर्स इसका उपयोग कम करते हैं।b. बार चार्ट -
टेक्निकल एनालिसिस में बार चार्ट का प्रयोग अधिक किया जाता है। इसमें बहुत सारी लंबवत (वर्टिकल) लकीरें होती हैं, जिन्हें बार कहते हैं। हर बार के दोनों ओर 2 बहुत छोटी-छोटी क्षैतिज लकीरें होती हैं। एक बार में चार तरह की सूचनाएं होती हैं। बार का सबसे ऊपरी सिरा, किसी खास दिन पर शेयर का अधिकतम भाव बताता है, जबकि निचला सिरा उसी दिन शेयर के न्यूनतम भाव बताता है। बार के बाईं ओर जो क्षैतिज छोटी रेखा होती है, वह शेयर के खुलने का भाव बताती है और दाईं ओर की क्षैतिज छोटी रेखा शेयर का क्लोजिंग भाव बताती है।
c. कैंडलस्टिक चार्ट -
कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग टेक्निकल एनालिसिस के लिए सर्वाधिक किया जाता है। इसे जापानी कैंडलस्टिक चार्टिंग मेथड भी कहते हैं। यह भी बार चार्ट की तरह होता है, इसमें बार की जगह कैंडल होती है और इसमें भी ओपन और क्लोज प्राइस के साथ उस पीरियड के हाई और लो प्राइस को दर्शाया जाता है। ग्रीन कैंडल तेजी और रेड कैंडल मंदी दिखाने के लिए प्रयोग में लाई जाती है।
इस प्रकार ये चार्ट पैटर्न आपको एक आईडिया देता है कि अब buying या फिर selling करना चाहिए। यहां चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) के क्षेत्रों की पहचान करने का प्रयास करते हैं। ज्यादातर चार्ट पैटर्न, रिवर्सल का संकेत देते हैं। प्रमुख रिवर्सल चार्ट पैटर्न के नाम हैं -हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप, डबल बॉटम, राउंडिंग बॉटम आदि।
इसके साथ ही Continuation pattern भी होता है इसका अर्थ होता है कि स्टॉक जिस किसी uptrend या down trend में है वह अभी कंटिन्यू या जारी रहने वाला है। ऐसे समय में Up Flag, Triangle, Breakout above Multiple Tops, Down Flag बनते हैं।
इस रणनीति में यदि अल्पकालिक 15 दिवसीय मूविंग एवरेज लाइन, लंबी अवधि के 50 दिवसीय मूविंग एवरेज से ऊपर जाती है, तो यह अपट्रेंड की प्रवृत्ति को इंगित करता है और एक buying संकेत उत्पन्न करता है। इसके विपरीत होने पर sell का संकेत मिलता है।
टेक्निकल एनालिसिस रणनीतियाँ
1. चार्ट प्राइस पैटर्न -
चार्ट में प्राइस पैटर्न देखकर हमें पता चल जाता है कि हमें स्टॉक को कब buy करना है और कब sell करना है। कुशल ट्रेडर मार्केट में सौदा (Trade) तभी लेते हैं जब कोई प्राइस पैटर्न बनता है, नहीं तो वो wait करते हैं।प्राइस पैटर्न के बनने पर स्टॉक का प्राइस बहुत बार एक ख़ास दिशा में मूव करते देखा जाता है, जिस प्रकार वो भूतकाल में हुआ था।इस प्रकार ये चार्ट पैटर्न आपको एक आईडिया देता है कि अब buying या फिर selling करना चाहिए। यहां चार्ट पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस (प्रतिरोध) के क्षेत्रों की पहचान करने का प्रयास करते हैं। ज्यादातर चार्ट पैटर्न, रिवर्सल का संकेत देते हैं। प्रमुख रिवर्सल चार्ट पैटर्न के नाम हैं -हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप, डबल बॉटम, राउंडिंग बॉटम आदि।
इसके साथ ही Continuation pattern भी होता है इसका अर्थ होता है कि स्टॉक जिस किसी uptrend या down trend में है वह अभी कंटिन्यू या जारी रहने वाला है। ऐसे समय में Up Flag, Triangle, Breakout above Multiple Tops, Down Flag बनते हैं।
2. मूविंग एवरेज क्रॉसओवर -
एक ट्रेडर को अपने लिए एक रणनीति की जरूरत होती है। शुरुआती समय में वह मूविंग एवरेज क्रॉसओवर रणनीति का पालन करने का निर्णय ले सकता है। जहां वह एक किसी स्टॉक प्राइस पर दो मूविंग एवरेज (15 दिन और 50 दिन) को अप्लाई करेगा।इस रणनीति में यदि अल्पकालिक 15 दिवसीय मूविंग एवरेज लाइन, लंबी अवधि के 50 दिवसीय मूविंग एवरेज से ऊपर जाती है, तो यह अपट्रेंड की प्रवृत्ति को इंगित करता है और एक buying संकेत उत्पन्न करता है। इसके विपरीत होने पर sell का संकेत मिलता है।
आप ट्रेड कितने दिनों या मिनट के लिए ले रहे हैं उस आधार पर आपके मूविंग एवरेज का समय निश्चित होगा। छोटी अवधि के लिए 5 और 8 दिन का क्रॉसओवर भी ले सकते हैं।
तकनीकी विश्लेषकों के पास इंडिकेटर की एक विस्तृत श्रृंखला है जिसका उपयोग वे चार्ट पर रुझान और पैटर्न खोजने के लिए कर सकते हैं।
3. टेक्निकल एनालिसिस के इंडिकेटर
बाजार में किसी शेयर प्राइस के रुझान के संकेतों की पहचान करने में सक्षम होना किसी भी ट्रेडिंग रणनीति का एक प्रमुख घटक है। सभी ट्रेडर्स को अपने सौदे लगाने के लिए सबसे अच्छे एंट्री और एग्जिट पॉइंट का पता लगाने के लिए एक सिस्टम बनाने की आवश्यकता होती है।इसके लिए इंडीकेटर्स का उपयोग करना एक बहुत लोकप्रिय तरीका है।तकनीकी विश्लेषकों के पास इंडिकेटर की एक विस्तृत श्रृंखला है जिसका उपयोग वे चार्ट पर रुझान और पैटर्न खोजने के लिए कर सकते हैं।
इनमें प्रमुख हैं - मूविंग एवरेज, सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल, बोलिंगर बैंड और सुपर ट्रेंड आदि। इन सभी साधनों का एक ही उद्देश्य है - चार्ट को समझना और ट्रेडर्स के लिए रुझानों की पहचान को आसान बनाना।
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4. टेक्निकल एनालिसिस में वॉल्यूम महत्व -
टेक्निकल एनालिसिस करते समय वॉल्यूम का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि कोई रिवर्सल बहुत कम वॉल्यूम से होता है तो उस पर भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसी दशा में हो सकता है कुछ लोग ग्रुप बनाकर किसी छोटे स्टॉक में फेक सिग्नल पैदा कर रहें हों। इसलिए अच्छे वॉल्यूम के साथ कोई buy या sell का सिग्नल मिलें तभी उस पर काम करने का सोचें।टेक्निकल एनालिसिस की सीमाएं
a. सफलता की गारंटी नहीं -
टेक्निकल एनालिसिस से सफलता की गारंटी नहीं मिल जाती, यह आपको भूतकाल के प्राइस पैटर्न के आधार पर आगे प्राइस किस तरफ जा सकता है इसका केवल इशारा देता है। यह आवश्यक नहीं है कि प्राइस ने जिस जगह से बीते समय में रिवर्सल लिया था अभी भी वैसा ही करे। यह केवल एक संभावना है और आप जानते हैं कि शेयर बाजार में निश्चित या गारंटेड कुछ भी नहीं होता। यहां सब कुछ अनुमानित होता है।also read -
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b. चार्ट की गलत व्याख्या -
टेक्निकल एनालिसिस करते समय चार्ट की गलत व्याख्या करने की संभावना होती है। चार्ट देखना आसान है, परन्तु इसे पढ़ना और समझना इतना आसान नहीं होता यह अनुभव वाला काम है। इसी प्रकार आप बहुत से इंडिकेटर प्रयोग में लाएंगे तब भी कंफ्यूज होंगे, तब हो सकता है एक इंडिकेटर buy करने को कहे तो दूसरा sell करने का सिग्नल दे।c. चार्ट की टाइमिंग -
यहां चार्ट की टाइमिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है। कम समय के लिए ट्रेड लेने पर आपको छोटी अवधि (10 मिनट) का चार्ट देखना पड़ता है, वहीं लम्बी अवधि का निवेश करने वाले के लिए इतनी छोटी अवधि के चार्ट की कोई उपयोगिता नहीं होती। अगर आप इंट्राडे ट्रेड ले रहें हैं और स्टॉक का 2 साल का चार्ट देखेंगे तो भी आपका निष्कर्ष गलत होगा।आशा है ये पोस्ट "Technical analysis in share market- टेक्निकल एनालिसिस क्या है" आपको उपयोगी लगी होगी, इसे अपने मित्रों से शेयर कर सकते हैं। अपने सवाल सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें। शेयर बाजार की और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।
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