Upwas (fasting) kren swasth rhen-उपवास करें स्वस्थ रहें
हिन्दुओं द्वारा प्राचीन समय से ही उपवास (fasting) का शारीरिक एवं आध्यात्मिक महत्व समझते हुए इसे हर महीने की एकादशी के अलावा वर्ष के दौरान पड़ने वाले बहुत से त्योहारों और उत्सवों से जोड़ दिया गया।
इन पर्वों के आने पर व्रत या उपवास किया जाता है। भारतीय संस्कृति में उपवास को पवित्रता की दृष्टि से देखा जाता है। इससे व्यक्ति का परिष्कार होकर उसे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उपलब्धि प्राप्त होती है।
भारतीय पौराणिक ग्रंथों में अनेक ऋषि मुनियों द्वारा मानसिक एवं आध्यात्मिक उपलब्धि प्राप्त करने हेतु लम्बे उपवास करने का उल्लेख मिलता है। विश्व के अन्य धर्मों में भी उपवास का महत्व बताया गया है और वे भी समय समय पर उपवास करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार उपवास करने को "श्रेष्ठ औषधि" बताया गया है।
उपवास चिकित्सा अपनाने से स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घावधि जीवन सम्भव है। उपवास या व्रत करने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है जिससे उसकी आंतरिक सफाई करने की क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए महीने में 2 बार उपवास करने की सलाह दी जाती है। उपवास के कई प्रकार हैं।
जैसे - सूर्योदय से सूर्यास्त तक का उपवास, शरीर की पूर्ण सफाई होकर प्राकृतिक भूख लगने तक का उपवास, केवल फलों अथवा जूस, दूध या मठा (छाछ) का सेवन करके किया जाने वाला उपवास, केवल पानी पीकर किया जाने वाला उपवास या निर्जला उपवास आदि।
उपवास चिकित्सा अपनाने से स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घावधि जीवन सम्भव है। उपवास या व्रत करने से शरीर के पाचन तंत्र को आराम मिलता है जिससे उसकी आंतरिक सफाई करने की क्षमता बढ़ जाती है। इसलिए महीने में 2 बार उपवास करने की सलाह दी जाती है। उपवास के कई प्रकार हैं।
जैसे - सूर्योदय से सूर्यास्त तक का उपवास, शरीर की पूर्ण सफाई होकर प्राकृतिक भूख लगने तक का उपवास, केवल फलों अथवा जूस, दूध या मठा (छाछ) का सेवन करके किया जाने वाला उपवास, केवल पानी पीकर किया जाने वाला उपवास या निर्जला उपवास आदि।
पश्चिमी चिकित्सा प्रणाली के जनक हिप्पोक्रेट ने भी उपवास को स्व चिकित्सा और स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए उत्तम बताया है। भारत ही नहीं यूरोप के कई प्राकृतिक उपचार केंद्रों में आने वाले रोगियों को चिकित्सकों की देखरेख में उपवास करवाया जाता है।
समय समय पर कुछ दिनों का उपवास करते रहने से शरीर से दूषित द्रव्यों का निष्कासन हो जाने के कारण शरीर निरोग बना रहता है। बीमारियों से मुक्त रहने का यह एक सर्वोत्तम उपाय है। आइये जानते हैं उपवास या व्रत रखने के क्या लाभ हैं -
समय समय पर कुछ दिनों का उपवास करते रहने से शरीर से दूषित द्रव्यों का निष्कासन हो जाने के कारण शरीर निरोग बना रहता है। बीमारियों से मुक्त रहने का यह एक सर्वोत्तम उपाय है। आइये जानते हैं उपवास या व्रत रखने के क्या लाभ हैं -
उपवास (fasting) के लाभ
1. मोटापा कम करना -
उपवास करने पर शरीर सबसे पहले विजातीय द्रव्यों को जलाता है फिर शरीर में उपस्थित अतिरिक्त चर्बी की बारी आती है। इसलिए मोटापा कम करने के लिए उपवास करना अत्यंत लाभकारी उपाय है।
उपवास के दौरान शरीर का फैट, एनर्जी में बदलने के कारण वजन कम होने लगता है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म भी बूस्टअप होता है और शरीर हल्का लगता है। बस आप इस बात का ध्यान रखें कि उपवास के बाद आपकी खानपान की आदतें बिगड़ने न पाएं और आपका आहार संतुलित रहे। इस तरह उपवास रखने की आदत से आप अपना वजन आसानी से कम कर सकते हैं।
उपवास के दौरान शरीर का फैट, एनर्जी में बदलने के कारण वजन कम होने लगता है। इससे आपका मेटाबॉलिज्म भी बूस्टअप होता है और शरीर हल्का लगता है। बस आप इस बात का ध्यान रखें कि उपवास के बाद आपकी खानपान की आदतें बिगड़ने न पाएं और आपका आहार संतुलित रहे। इस तरह उपवास रखने की आदत से आप अपना वजन आसानी से कम कर सकते हैं।
2. पेट के रोगों में -
उपवास का पहला प्रभाव पेट पर पड़ता है। इस अवधि में भोजन न लेने के कारण पेट के सिस्टम को आराम मिलता है क्योंकि उसे भोजन पचाने के कार्य से मुक्ति मिल जाती है, जिसमें शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।
ऐसी दशा में शरीर को मौका मिलता है कि वह जमे हुए दूषित पदार्थ को शरीर से निकालने के कार्य में लग सके। इससे कब्ज़ से मुक्ति मिलती है, यह कब्ज़ शरीर में अनेक रोगों का जन्मदाता होता है। इस तरह एसिडिटी, पेट की गैस जैसी पेट की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
ऐसी दशा में शरीर को मौका मिलता है कि वह जमे हुए दूषित पदार्थ को शरीर से निकालने के कार्य में लग सके। इससे कब्ज़ से मुक्ति मिलती है, यह कब्ज़ शरीर में अनेक रोगों का जन्मदाता होता है। इस तरह एसिडिटी, पेट की गैस जैसी पेट की अनेक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
3. मानसिक लाभ -
उपवास के शारीरिक लाभ के अलावा मानसिक लाभ भी हैं। मानव समाज के लिए इसके लाभों को जानते हुए हमारे मनीषियों ने इसे धार्मिक आस्था से जोड़कर अत्यंत पवित्र बना दिया है।
अलग−अलग धर्मों के लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपवास या व्रत रखते हैं और ईश्वर की अराधना करते हैं। पवित्रता और सात्विकता से रहने के कारण उपवास से हमारी संकल्प शक्ति और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
अलग−अलग धर्मों के लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपवास या व्रत रखते हैं और ईश्वर की अराधना करते हैं। पवित्रता और सात्विकता से रहने के कारण उपवास से हमारी संकल्प शक्ति और आध्यात्मिकता में वृद्धि होती है।
उपवास आपके आत्मविश्वास को इतना बढ़ा सकता है ताकि आप अपने शरीर, जीवन और क्षुधा पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें।उपवास के बाद, ब्लड में एंडोर्फिन का स्तर काफी बढ़ जाता है। यह आपको एक बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है।
उपवास के अनगिनत फायदे हैं। उपवास से न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों में फायदा होता है।
4. सम्पूर्ण शरीर के लिए लाभकारी -
मानव शरीर में स्वयं को स्वस्थ करने की अद्भुत शक्ति होती है। उपवास के समय शरीर को यह मौका मिलता है कि वह detoxification की प्रक्रिया को तेज करके स्वयं को रोगमुक्त कर सके।
उपवास की स्वचिकित्सा अपनाकर हम कई तरह की साधारण तथा प्राणघातक समझी जाने वाली बीमारियों जैसे आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, थकान, कोलाइटिस, सर्दी-जुकाम, खांसी, एलर्जी, मानसिक तनाव, रक्त संबंधी अनियमितता, लकवा आदि से बचे रह सकते हैं।
उपवास की स्वचिकित्सा अपनाकर हम कई तरह की साधारण तथा प्राणघातक समझी जाने वाली बीमारियों जैसे आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, थकान, कोलाइटिस, सर्दी-जुकाम, खांसी, एलर्जी, मानसिक तनाव, रक्त संबंधी अनियमितता, लकवा आदि से बचे रह सकते हैं।
उपवास जितना लंबा होगा शरीर की ऊर्जा उतनी ही अधिक बढ़ेगी। लम्बे उपवास करने वाले को शुरुवाती दिनों में भूख परेशान करती है फिर 2 -3 दिन बाद यह परेशानी नहीं रहती। सांसे विकार रहित होकर गहरी और बाधा रहित हो जाती हैं। उपवास के बाद खुलकर और स्वाभाविक भूख लगती है क्योंकि स्वाद ग्रहण करने वाली ग्रंथियाँ पुनः सक्रिय होकर काम करने लगती हैं।
उपवास कैसे करें ?
1. छोटे उपवास से शुरू करें -
उपवास से फैट सेल्स, श्लेष्मा तथा यहाँ तक कि दबी हुई चिंताएँ और भावनाएँ भी बाहर निकल आती हैं परन्तु उपवास का अर्थ भूखे मरना नहीं होता। उपवास करने का सबसे सुरक्षित तरीका है एक दिन के उपवास से शुरुआत करना। बाद में इसे हफ्ते में एक दिन नियमित रूप से किया जा सकता है।
आगे चलकर थोड़े बड़े उपवास (5 से 9 दिन या अधिक) कर सकते हैं। उपवास के दौरान पानी अवश्य पीते रहें। इसमें नीम्बू का रस और शहद मिला सकते हैं। इससे शरीर की सफाई में मदद मिलेगी।
आगे चलकर थोड़े बड़े उपवास (5 से 9 दिन या अधिक) कर सकते हैं। उपवास के दौरान पानी अवश्य पीते रहें। इसमें नीम्बू का रस और शहद मिला सकते हैं। इससे शरीर की सफाई में मदद मिलेगी।
2. लम्बे उपवास में विशेष ध्यान दें -
लम्बे उपवास के शुरुवात में कुछ दिन फलों का सेवन करें फिर फलों का जूस लें और बाद के दिनों में केवल पानी पीकर रहें। फिर उपवास समाप्त करने के बाद सीधे अन्न ग्रहण न करें। पहले जूस और फलों का सेवन करें फिर खिचड़ी पर कुछ दिन रहने के बाद अन्न ग्रहण कर सकते हैं।3. तली चीज़ों से परहेज़ करें -
कुछ लोग उपवास या व्रत केवल टेस्ट बदलने के लिए करते हैं। ये लोग उपवास के दौरान आलू और साबूदाने की तली हुई चीज़ें जैसे फलाहारी के नाम पर मिक्सचर और कई तरह के पकवान बना कर खाते हैं। इस तरह के उपवास का कोई औचित्य नहीं रह जाता। उल्टे स्वाद के कारण ये चीज़ें अधिक मात्रा में खाई जाती हैं जिससे शरीर को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
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4. प्राकृतिक चिकित्सक की सलाह लें-
वस्तुतः उपवास शरीर रूपी मशीन के पाचन तंत्र को आराम देना व उसकी ओवरहालिंग जैसा होता है, पर अति सर्वज्ञ वर्जयेत के अनुसार अतिशय व अवैज्ञानिक तरीके से किए गए उपवास के खराब परिणाम भी सामने आ सकते हैं।लम्बे समय से किसी जीर्ण रोग से ग्रस्त व्यक्ति और लम्बा उपवास करने के इच्छुक लोगों को किसी प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में ही उपवास करना चाहिए।
प्राकृतिक चिकित्सक रोग के अनुसार केवल दूध, मठा या छाछ अथवा किसी रसीले फल का सेवन करके ही उपवास करने की सलाह भी रोगी को दे सकते हैं।
मधुमेह और हृदय के रोगी, शराब, सिगरेट या अन्य प्रकार के नशे की लत के शिकार व्यक्तियों को भी विशेषज्ञ की देखरेख में ही उपवास करना चाहिए।
मधुमेह और हृदय के रोगी, शराब, सिगरेट या अन्य प्रकार के नशे की लत के शिकार व्यक्तियों को भी विशेषज्ञ की देखरेख में ही उपवास करना चाहिए।
5. ये लोग उपवास न करें -
गर्भवती स्त्रियों, 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों, मिर्गी के रोगियों, जल्द ही खेल में भाग लेने वाले खिलाडियों को उपवास से बचने की सलाह दी जाती है।6. सात्विकता से रहें -
उपवास के दौरान क्रोध, चिंता और अधिक बोलने से बचना चाहिए। आत्मचिंतन, ध्यान और स्वाध्याय में अपना समय लगाना चाहिए। दूषित वातावरण में जाने से बचना चाहिए और अधिक से अधिक पेड़ पौधों के संसर्ग में रहकर स्वच्छ वायु का सेवन करना चाहिए। प्रातः एवं सायंकाल बाग़ बगीचे में भ्रमण करना स्वास्थ्य के लिए ठीक रहेगा।7. पर्याप्त मात्रा में पानी पियें -
बिना प्यास के भी थोड़ा थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए। फलों के रस का सेवन भी आवश्यकता के अनुसार कर सकते हैं, परन्तु किसी भी प्रकार के कार्बोनेटेड मीठे ड्रिंक का सेवन न करें। साथ ही चाय -काफी का अधिक सेवन बिलकुल न करें।8. उपवास के बाद आहार पर नियंत्रण रखें-
कई लोग उपवास के पहले अधिक मात्रा में भोजन लेना शुरू कर देते हैं यह भी उतना ही गलत है जितना उपवास के बाद ठूंस ठूंस कर खाना।उपवास के बाद अधिक मात्रा में किया हुआ भोजन अत्यंत खतरनाक सिद्ध हो सकता है।अतः इससे बचें और हल्का आहार ही थोड़ी मात्रा में लें फिर कुछ दिन बाद सामान्य खुराक पर आएं। भूख से थोड़ा कम खाना सदा ही अच्छा होता है।
9. एनिमा का प्रयोग करें -
उपवास के दौरान मल निष्कासन में बाधा होने और आँतों की ठीक तरह से सफाई करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सकों द्वारा एनिमा लेने की सलाह दी जाती है। इसलिए उपवास का पूर्ण लाभ लेने के लिए एनिमा की सहायता से पेट को साफ़ रखें।
आशा है ये लेख "Upwas (fasting) kren swasth rhen-उपवास करें स्वस्थ रहें " आपको उपयोगी लगा होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं, जिससे वे भी उपवास चिकित्सा का लाभ उठा सकें। अपने सवाल और सुझाव कमेंट बॉक्स में जाकर लिख सकते हैं। ऐसी ही स्वास्थ्य संबंधी अन्य उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।
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