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Friday, 20 September 2019

Secrets of Stop Loss in Share market.शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस का रहस्य

Secrets of Stop Loss in Share market. शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस का रहस्य 

आखिर ऐसा क्यों है कि शेयर मार्केट में लाभ कमाने वालों की तुलना में नुकसान उठाने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है?  शेयर मार्केट में ट्रेडर का नया होना, जिसके कारण वह इस बाज़ार की वोलेटिलिटी (अस्थिरता) से अपरिचित होता है, इसका एक बड़ा कारण है। 

  किसी ट्रेडर की बूँद बूँद करके इकट्ठी की गई प्रॉफिट, किसी तेज उठा पटक वाले दिन में न केवल साफ़ हो जाती है बल्कि उसके लिए अपने मूलधन को बचा पाना भी कठिन हो जाता है। इस तरह का बड़ा नुकसान तभी हो सकता है जब ट्रेडर ने स्टॉप लॉस न लगाया हो। स्टॉप लॉस के अभाव में ट्रेडर को बड़ा लॉस होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। 
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 स्टॉप लॉस (SL) का अर्थ होता है - अपने लॉस को स्टॉप करना। अर्थात जब किसी शेयर का प्राइस, ट्रेडर की सोची हुई दिशा के विपरीत चलता है तो एक बिंदु या रेट होता है जिस पर शेयर ट्रेडर अपने सौदे से एग्जिट कर लेता है। इस तरह उसे एक निश्चित घाटा अवश्य होता है परन्तु वह आगे हो जाने वाले संभावित बड़े नुकसान से बच जाता है।

  दूसरे शब्दों में, किसी शेयर का स्टॉप लॉस वह मूल्य है जिसके बाद आपको कोई नुकसान नहीं होता। इस तरह किसी एक सौदे में आपका नुकसान limited हो जाता है और आप गेम में बने रहते हैं। इसे एक उदाहरण द्वारा समझते हैं -

Example - 

मान लीजिये आपने स्टेट बैंक का शेयर 275/- में खरीदा। इसका टारगेट 281/- और स्टॉप लॉस 272/- में लगा दिया। अब यह शेयर ऊपर की तरफ न जाकर नीचे की तरफ चलना शुरू कर देता है। यहीं पर आपका स्टॉप लॉस काम आता है।

 यदि आपने सिस्टम में स्टॉप लॉस लगाकर छोड़ दिया है तो आप उसे वाच कर रहे हों या न कर रहें हों, जैसे ही स्टेट बैंक के शेयर का भाव 272/- पहुंचेगा वैसे ही आपके शेयर ऑटोमेटिकली सेल हो जायेंगे।

    इस तरह आपको प्रति शेयर 3/- का लॉस अवश्य हुआ पर हो सकता है उस दिन स्टेट बैंक का शेयर 264/- भी मार्केट बंद होने तक पहुंच गया हो। अगर आपने स्टॉप लॉस नहीं लगाया होता तो आपको प्रति शेयर 275 -264 = 11/- का लॉस होता। 

  अगर यह पोजीशन फ्यूचर में होती, जहां स्टेट बैंक का 1 लॉट 3000 का है तो नुकसान बढ़कर 3000 x 11 =33000/- होता। वहीं स्टॉप लॉस लगे होने पर यह नुकसान 3000 x 3 = 9000/- तक सीमित होकर आपके रकम की कुछ सुरक्षा हुई। 

स्टॉप लॉस लगाने का लाभ -

सिस्टम में लगाया गया स्टॉप लॉस उन निवेशकों या ट्रेडर्स के लिए अच्छा है जिनके पास घाटे में सौदा काटने के लिए पर्याप्त अनुशासन नहीं होता है। सिस्टम में लगा हुआ  स्टॉप लॉस, ट्रेडिंग प्रक्रिया में भावनाओं को आड़े नहीं आने देता और स्वचालित रूप से पूंजी सुरक्षा प्रदान करता है।

स्टॉप लॉस लागू करने में कठिनाई -

1. लॉस को सहज भाव से न ले पाना -

वास्तव में शेयर मार्केट का ट्रेडर या निवेशक स्टॉप लॉस को समझता अवश्य है परन्तु इसे लागू करने में बहुत कठिनाई का अनुभव करता है। यहां human tendency आड़े आती है, उसे लगता है कि सौदा तो प्रॉफिट कमाने के लिए लिया गया था फिर उसे घाटे में क्यूँ काटा जाए। 

  यहां यह समझना होगा कि लॉस होना भी मार्केट का अनिवार्य अंग है। यहां 10 में से 4 सौदे नुकसान में कटना कोई बड़ी बात नहीं है। यदि हर सौदे में मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं और लॉस सहन करने की क्षमता नहीं है, तो स्टॉक मार्केट से ऐसे लोगों को दूर रहना चाहिए। 

2. ट्रेडर का ईगो आड़े आता है -

ट्रेडर को लगता है कि स्टॉप लॉस के जरिये एग्जिट करने का मतलब अपनी गलती को स्वीकार करना और यह मान लेना होता है कि सौदा पकड़ने में गलती हुई है।  उसे अपनी गलती स्वीकार करने में तकलीफ होती है। जबकि स्टॉक मार्केट में गलती स्वीकार करने में ही भलाई है, यहां लड़कर जीतना असम्भव है। 

   लड़ने का अर्थ गलत दिशा में बैठे रहकर एवरेज करते हुए और पैसे डालते जाना। इस तरह ट्रेडर अपने नुकसान को बहुत अधिक बढ़ा लेते हैं। फिर जब नुकसान लिमिट से अधिक हो जाता है तो मजबूरी में एग्जिट करना ही पड़ता है। इसलिए  यदि छोटे नुकसान में निकल जाएंगे तो पूँजी को बचा पाएंगे और अगली बाज़ी लगा पाएंगे। 
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3. ट्रेडर में अनुशासन का न होना - 

स्टॉक मार्केट में गलतियों को या अनुशासन हीनता को बिलकुल क्षमा नहीं किया जाता। यदि ट्रेडर ने सोच समझकर अपना स्टॉप लॉस लगाया है तो उस पर कायम रहना जरूरी है। कई बार ट्रेडर स्टॉप लॉस के निकट रेट पहुंचने पर उसे और पीछे सरकाते रहते हैं। उन्हें डर लगता है कि स्टॉप लॉस हिट न हो जाए। 

    इससे बचने एक ही तरीका है कि सौदा लेते समय ही अच्छी तरह जांच परख कर लेवें। आपने जिस किसी इंडिकेटर के आधार पर स्टॉप लॉस डिफाइन कर लिया है उस पर अनुशासन के साथ अडिग रहें। 

  स्टॉप लॉस लगाया ही इसलिए जाता है कि आपका नुकसान लिमिटेड रहे, यदि आप उसे आगे बढ़ाते जाएंगे तो नुकसान भी उसी अनुपात में बढ़ता जाएगा। इस तरह स्टॉप लॉस लगाने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। 

4. अंत तक डटे रहने की ज़िद -

आखरी दम तक टिके रहने की कोशिश और हार निश्चित दिखने पर भी स्वीकार न करना जीवन के दूसरे क्षेत्रों के लिए अच्छा हो सकता है परन्तु यहां ऐसे लोगों को कठोर सज़ा मिलती है। ऐसे लोग अपने बढ़ते हुए घाटे को यह सोचकर और बढ़ाते जाते हैं कि शायद कोई करिश्मा हो जायेगा और उनका स्टॉक यहां से वापस घूम जाएगा। 

  परन्तु अक्सर ऐसा होता नहीं है और जो ट्रेडर पहले स्टॉप लॉस के आधार पर 2 रूपये के घाटे में निकल सकता था वो अंत में 10 रूपये का नुकसान करके मजबूरी में निकलता है।  

स्टॉप लॉस कैसे लगाएं 


शेयर मार्केट में सफलता के लिए आवश्यक है कि आपको इसकी बेसिक समझ होनी चाहिए। अगर कोई सोचता है कि यहां किसी भी कम्पनी का शेयर खरीदकर कहीं पर भी स्टॉप लॉस लगा देने से पैसे कमा लेगा तो वह गलती पर है।

   बिना किसी एनालिसिस के किसी गलत सौदे में लगाया गये स्टॉप लॉस से आपका कोई भला नहीं होने वाला। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है -

1. मार्केट के ट्रेंड को पहचाने -

अगर निवेश करना है तो पिछले दिनों के डेली चार्ट के आधार पर देखें कि मार्केट तेजी के मूड में है, अथवा मंदी दिखाई पड़ रही है। अगर मार्केट sideways है तो उसका ब्रेकआउट किस तरफ होगा यह समझना पड़ेगा। मंदी के ट्रेंड में शेयर खरीदकर स्टॉप लॉस हिट करवाते रहने का कोई मतलब नहीं है। इसी प्रकार इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए भी 10 मिनट टाइम फ्रेम के चार्ट से स्टॉक और इंडेक्स की दिशा का निर्धारण करने के बाद ही सौदा लगाए। 

2. किस इंडिकेटर का प्रयोग करें -

इसके लिए दर्जनों प्रकार के इंडिकेटर मौजूद हैं। विभिन्न प्रकार के इंडिकेटर में से अपने अनुभव के आधार पर अपने लिए दो या तीन प्रकार के इंडिकेटर चुन सकते हैं। अधिकतर लोग मूविंग एवरेज या डबल मूविंग एवरेज क्रॉसओवर का प्रयोग करते हैं इसमें 20 दिन के मूविंग एवरेज को 8 दिन के मूविंग एवरेज द्वारा काटा जाना या 13 -5 जैसे बहुत से कॉम्बिनेशन यूज़ किये जाते हैं। 

  इस विधि को छोटी और बड़ी दोनों अवधि के लिए उपयोग कर सकते हैं। लॉन्ग टर्म के लिए डेली या वीकली चार्ट पर मूविंग एवरेज एप्लाई  करके क्रॉस ओवर को चेक कर सकते हैं। अन्य इंडिकेटर में pivot point, stochiastic RSI, super trend या बोलिंगर बैंड के जरिये भी स्टॉप लॉस और दिशा का निर्धारण कर सकते हैं।

  किसी भी इंडिकेटर से स्टॉप लॉस का पता लगने पर ठीक वही स्टॉप लॉस न लगाएं। अपना स्टॉप लॉस उससे थोड़ा खिसका कर लगाएं। अन्यथा उसके हिट होने की संभावना बढ़ जाएगी क्योकि उसी इंडिकेटर से ऑपरेटर को भी पता होता है कि आपका स्टॉप लॉस कौनसा होगा। 

   यदि आपने किसी स्टॉक को 104/- में buy किया है और उसका स्टॉप लॉस मान लीजिए इंडिकेटर से 102/- में दिख रहा है तो आप सिस्टम में स्टॉप लॉस 102/- का न लगाकर 101रूपये 40 पैसे लगा सकते हैं। 

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3.स्टॉप लॉस कभी फिक्स रकम का नहीं होता -

इसका अर्थ ये है कि स्टॉप लॉस  आधा या एक परसेंट अथवा 2 या 4 रूपये जैसा कभी भी फिक्स नहीं किया जा सकता। यह हर स्टॉक के लिए उसकी वोलैटिलिटी अथवा एवरेज ट्रू रेंज (ATR) के आधार पर अलग अलग होता है। किसी स्टॉक के लिए यह नजदीक तो किसी में दूर हो सकता है।

   यहां पर मनी मैनेजमेंट के आधार पर आपको यह देखना होता है कि लम्बे स्टॉप लॉस वाले स्टॉक को लें अथवा नहीं। अगर चार्ट में रिस्क रिवॉर्ड favourable नहीं है तो उस स्टॉक में सौदा न बनाएं। 

4. एक सौदे में अधिक रिस्क न लें -

किसी एक सौदे में भले ही वो आपको कितना भी favourable क्यूँ न लगे अपनी कुल पूँजी का 10% से अधिक रिस्क कभी न लें। उस स्टॉक के स्टॉप लॉस वाले पॉइंट को चेक करने के बाद इतनी संख्या में उस स्टॉक को लें कि स्टॉप लॉस हिट होने पर आपकी कुल पूँजी में से 10% से अधिक न टूटे।

  यहां गारंटी बिलकुल नहीं चलती इसलिए पूँजी की सुरक्षा सबसे जरूरी है। इसके लिए अनुशासन का पालन करते हुए किसी एक सौदे का साइज लिमिट में रखें। नहीं तो एक सौदे में ही पूरी पूँजी खोने का रिस्क बढ़ जाएगा। 


 5. ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का प्रयोग करें -

अपने प्रॉफिट को अधिक से अधिक बड़ा करने के लिए ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस का प्रयोग करें। अगर स्टॉक मार्केट में टिके रहना है तो लॉस को छोटा रखने के साथ, लम्बा मुनाफा बुक करना आवश्यक है। यदि कभी किसी कारण से ट्रिगर होने पर स्टॉक में एक साइड का स्विंग दिखाई पड़ता है तो हड़बड़ी में छोटा प्रॉफिट बुक करने से बचें। ऐसी दशा में बड़े मुनाफे के लिए अपने स्टॉप लॉस को आगे बढ़ाते जाए जिससे आपका प्रॉफिट सेफ होता जायेगा। इसे एक उदाहरण से समझते हैं -

   मान लीजिये आपने कोई स्टॉक 100/- में लिया और स्टॉप लॉस 98/- में लगा दिया। अब यह स्टॉक 102/- का हो जाता है तो अपने स्टॉप लॉस को 98/- से बढ़ाकर 100/- कर दीजिये, इससे आपका मूलधन सेफ हो जाएगा।  

   आगे चलकर यदि रेट 105/- हो जाता है और चार्ट में आगे जाने की गुंजाइश दिखती है तो सौदा स्क्वायर ऑफ करने की जगह अपना स्टॉप लॉस 103/- में लगाकर इंतज़ार कर सकते हैं। इस तरह रेट वापस टूटने पर भी आपको 3/- का प्रॉफिट होगा। 

    आशा है ये पोस्ट "Secrets of Stop Loss in Share market.शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस का रहस्य" आपको उपयोगी लगी होगी इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं जिससे उन्हें भी शेयर मार्केट से लाभ हो सके। अपने सवाल एवं सुझावों के लिए अपने विचार कमेंट सेक्शन में जाकर शेयर करें। ऐसी ही और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विज़िट करते रहें।

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