Junior artist in Bollywood-जूनियर आर्टिस्ट कैसे बनते हैं
फिल्मों और टीवी सीरियल्स में हम सभी ऐसे दृश्य देखते हैं जिनमें किसी पार्टी में उपस्थित बहुत से लोग, कोर्ट रूम में बैठे लोग, बाज़ार में सामान खरीदते लोगों की भीड़, शादी के दृश्य में नज़र आते सजे धजे बाराती और किसी गाने के सीन में हीरो हेरोइन के पीछे नाचते लड़के लड़कियां।
ये सभी लोग कहलाते हैं- जूनियर आर्टिस्ट। इन्हें एक्स्ट्रा, बैकग्राऊंड परफॉरमर या बैकग्राउंड आर्टिस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
लगभग हर फिल्म या टीवी सीरियल में ऐसे सीन होते हैं जहां भीड़ (crowd) दिखाने की जरूरत पड़ती है, इसके लिए जूनियर आर्टिस्ट्स को बुलाया जाता है। टीवी शोज़ में भी जूनियर आर्टिस्ट की ज़रूरत काफी तादाद में पड़ती है।
यहां ये लोग समय समय पर तालियां बजाते और शोर शराबा करते दिखाई पड़ते हैं। आउटडोर शूटिंग में ये किसी एक्शन या गाने के सीन में फिल्म का खास हिस्सा होते हैं। फिल्म में दंगे या आगजनी के सीन में दिखाई गई भीड़, इन्हीं जूनियर आर्टिस्ट की होती है।
1. जूनियर आर्टिस्ट का काम कैसे मिलता है?
सीन की ज़रूरत के मुताबिक कितने और किस तरह के जूनियर आर्टिस्ट की ज़रूरत है, ये सब डायरेक्टर तय करता है। फिर इसके लिए जूनियर आर्टिस्ट सप्लायर या उनके एसोसिएशन से सम्पर्क किया जाता है।
जूनियर आर्टिस्ट्स को उनके शारीरिक गठन या रंग रुप, उम्र, कद, वजन के मुताबिक अलग अलग कैटेगरी में बांट दिया जाता है। इससे सीन के मुताबिक इनकी सप्लाई में आसानी होती है।
जूनियर आर्टिस्ट का काम पाने के लिए उसे किसी जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन की सदस्यता लेनी होती है। इसके लिए एक निर्धारित फॉर्म भरकर फीस देनी पड़ती है जो हर एसोसिएशन की अलग होती है।
2. डिमांड होने पर काम मिलता है -
एसोसिएशन की सदस्यता लेने के बाद डिमांड होने पर ही काम मिलता है यहां रेगुलर काम मिलने की गारंटी नहीं होती। किसी महीने में 15 -20 दिन काम मिलता है तो कभी सिर्फ 4 -5 दिन। जूनियर आर्टिस्ट सप्लायर को सीन की ज़रुरत के मुताबिक मांगे गए जूनियर आर्टिस्ट की कैटेगरी और संख्या के अनुसार सप्लाई देनी होती है, इसलिए हर किसी को काम नहीं मिलता है।
काम न मिलने का एक कारण जूनियर आर्टिस्ट की संख्या का अत्यधिक बढ़ जाना भी है, जिससे उन्हें काम मिलने में कठिनाई होने लगी है। इस कारण जूनियर आर्टिस्ट के एक एसोसिएशन ने नए सदस्य बनाने पर रोक लगा दी है।
3. जूनियर आर्टिस्ट की तैयारी -
जूनियर आर्टिस्ट को किसी विज्ञापन फिल्म, टीवी सीरियल, या फिल्म के लिए मुख्य कलाकारों की तरह खास तैयारी नहीं करनी पड़ती। इन्हें 8 या 12 घंटे की शिफ्ट में काम करना होता है और सीन के कुछ देर पहले तैयार होकर सेट पर पहुंचना होता है।
ज्यादातर इन्हें बैकग्राउंड में नज़र आना होता है और इनके पास किसी सीन में करने को कुछ खास नहीं होता, परन्तु डायरेक्टर के निर्देश के अनुसार चेहरे के भाव और गतिविधि का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
जूनियर आर्टिस्ट्स को सीन के अनुसार कपड़े पहनकर सेट पर पहुंचना होता है, जिसकी जानकारी उसे पहले से दे दी जाती है। जैसे कुरता पैजामा, सलवार कमीज़ या पैंट कोट पहन कर आना है, यह पहले से बता दिया जाता है।
जूनियर आर्टिस्ट्स अपने साथ ये कपड़े लेकर सेट पर पहुंचते हैं। कई बार इन कपड़ों में प्रेस आदि ठीक से न होने पर इन्हें झिड़की सुनने को भी मिलती है या इन्हें काम से हटा दिया जाता है।
लेकिन ऐतिहासिक विषयों पर बनने वाली फिल्मों में राजा का दरबार या सिपाहियों की टोली जैसे किसी विशेष सीन की शूटिंग के लिए प्रोडक्शन की तरफ से इन्हें कपड़े उपलब्ध कराये जाते हैं।
4. जूनियर आर्टिस्ट को कितना वेतन मिलता है?
जूनियर आर्टिस्ट के लिए ये काम उनकी आजीविका का साधन होता है। इसलिए ये कलाकार एक जगह पर इकट्ठे होकर काम मिलने का इंतज़ार करते हैं। ये इनके डेली रूटीन का हिस्सा हो जाता है। इनमें से कुछ लोगों को ही काम मिल पाता है और बाकी मायूस होकर घर लौट जाते हैं।
इन जूनियर आर्टिस्ट को डेली बेसिस पर, शिफ्ट के अनुसार काम करना पड़ता है। सभी जूनियर आर्टिस्ट्स को 8 घंटे की शिफ्ट के मुताबिक वेतन मिलता है, लेकिन टीवी सीरियल्स में ये शिफ्ट 12 घंटो की होती है। इसीलिए वेतन भी शिफ्ट की लंबाई के मुताबिक तय होता है।
इनके प्रतिदिन का वेतन जूनियर आर्टिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा तय किए गए मानकों के हिसाब से इन्हें मिलता है। अगर किसी फिल्म की शूटिंग के सिलसिले में कोई जूनियर आर्टिस्ट आउटडोर पर जाए, तो उसे अतिरिक्त भुगतान किया जाता है। यदि इन्हें कोई डायलॉग बोलने को दिया जाता है तो उसका एक्स्ट्रा पैसा इन्हें मिलता है।
खास बात ये है कि जूनियर आर्टिस्ट को डेली पेमेंट किया जाता है यानी उनके उस दिन के काम का वेतन उन्हें उसी दिन मिल जाता है। जबकि टीवी सीरियल्स से जुड़े बाकी कलाकारों को पेमेंट के लिए हफ्तों (90 दिन) का इंतज़ार करना पड़ता है।
5. बैकग्राउंड डांसर कैसे बनें -
इसके लिए अँधेरी (W) स्थित सिने डांसर्स एसोसिएशन से कार्ड बनवाने के लिए सम्पर्क कर सकते हैं। इसका पता है -
Shop No 44, Kuber Complex,
New Link Road, Andheri West,
Mumbai - 400053, Opposite Laxmi Industrial Estate
phone - 022 42959868
बैकग्राउंड डांसर का चयन फिल्म के डांस कोरियोग्राफर की पसंद के अनुसार किया जाता है। कई बार डायरेक्टर के कहने पर अच्छे दिखने वाले लोगों को ले लिया जाता है, भले ही ये लोग डांस में उतने निपुण नहीं होते। इन्हें मॉडल कहा जाता है, इनके पास डांसर कार्ड नहीं होता।
कोरियोग्राफर गणेश आचार्य के अनुसार ऐसे डायरेक्टर्स की सोच होती है अच्छा डांस भले न हो पर फिल्म में ग्लैमर दिखे। गणेश आचार्य कहते हैं कि वे मॉडल की जगह अच्छे डांसर्स को ही अपने फिल्म के गाने में बैकग्राउंड डांसर के रूप में लेना पसंद करते हैं।
6. जूनियर आर्टिस्ट की सफलता -
अक्सर युवक युवतियां मुंबई के बाहर से हीरो हीरोइन बनने यहां आते हैं पर यहां सफलता जल्दी नहीं मिलने से उनके सामने जीवन यापन की समस्या आ जाती है। तब इन्हें अपना खर्च चलाने के लिए एक्स्ट्रा डांसर और जूनियर आर्टिस्ट की तरह भी काम करना पड़ता है।
भले ही उन्हें यहां कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ें परन्तु बॉलीवुड का मैग्नेटिक आकर्षण उन्हें वापस अपने शहर या गांव नहीं जाने देता। बहुत से जूनियर आर्टिस्ट या बैक डांसर भी बॉलीवुड में अपने टैलेंट के बल पर स्टार बन चुके हैं। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ सफल सितारों के बारे में -
A . नवाजुद्दीन सिद्दीकी -
B. मिथुन चक्रवर्ती -
अमिताभ बच्चन की फिल्म दो अंजाने में मिथुन चक्रवर्ती ने कुछ मिनट का रोल किया था। मिथुन चक्रवर्ती उन दिनों फिल्मों के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। बाद में वे गरीबों के अमिताभ और बॉलीवुड के डिस्को डांसर के रूप में जाने गए और सफल सितारे बने।
C. इरफान खान -
खुद को साबित करने के लिए इरफान खान को बहुत स्ट्रगल करना पड़ा था। फेमस डायरेक्टर मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे में कुछ मिनट के लिए इरफान खान नजर आये थे। छोटे छोटे रोल से शुरुवात करने के बाद इरफान एक कुशल अभिनेता के रूप में लोगों के सामने आये।
D. राजपाल यादव -
छोटे कद के राजपाल यादव का फिल्मी करियर भी काफी स्ट्रगल वाला रहा है। वह रामगोपाल वर्मा की फिल्म शूल में पहली बार फ़िल्मी पर्दे पर नजर आए थे। इस फिल्म में उन्होंने मात्र दस सेकंड का रोल किया था। बाद में उन्होंने कई फिल्मों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं अदा की।
यह लिस्ट काफी लम्बी है। पुराने दौर की बात करें तो प्रख्यात अभिनेत्री साधना, मुमताज़ से लेकर अरुणा ईरानी और असरानी जैसे अनेक सफल कलाकार हुए हैं जिन्होंने अपनी फ़िल्मी यात्रा एक्स्ट्रा के रूप में शुरू की थी और बाद में इन्हें अपनी अभिनय क्षमता के दम पर स्टार का दर्जा प्राप्त हुआ।
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conclusion -
अगर करियर के रूप में जूनियर आर्टिस्ट का काम अपनाते हैं तो नियमित आय न होने से यह बहुत कठिनाई भरा होगा। परन्तु यदि कोई अभिनय की दुनिया में जाना चाहता है और उसे कोई रोल नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे स्ट्रगलर अपना खर्च चलाने के लिए थोड़े समय तक इस काम को कर सकते हैं। इसका लाभ यह मिलेगा कि उन्हें शूटिंग और वर्क प्लेस की पूरी जानकारी हो जाएगी जिससे वे इस ग्लैमर वर्ल्ड को ठीक तरह से समझ सकेंगे।
उन्हें यहां की हकीकत से रूबरू होने का मौका मिलेगा और वे जान पाएंगे कि फिल्म या टीवी में दिखने वाले 2 - 3 मिनट के सीन के लिए किस प्रकार कलाकारों की घंटों की मेहनत और पूरी टीम का प्रयास लगता है।
उन्हें यहां की हकीकत से रूबरू होने का मौका मिलेगा और वे जान पाएंगे कि फिल्म या टीवी में दिखने वाले 2 - 3 मिनट के सीन के लिए किस प्रकार कलाकारों की घंटों की मेहनत और पूरी टीम का प्रयास लगता है।
जूनियर आर्टिस्ट में अगर टैलेंट है तो उसके आगे बढ़ने के पूरे चांस होते हैं। संयोग से कभी डायलॉग बोलने का मौका मिलने पर यदि परफॉरमेंस प्रभावी रही तो आगे अभिनेता के रूप में बड़ा रोल करने का मौका मिल सकता है।
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