Precautions while buying a Flat. फ्लैट कैसे खरीदें
फ्लैट की खरीददारी में शुरुआत में ही सावधानी रखी जाए तभी आने वाले समय की परेशानियों से बचा जा सकता है और आपका पैसा सुरक्षित निवेश हो सकता है। अगर आप फ्लैट बुक कराने जा रहे हैं? तो आपके लिए जरूरी है कि किसी प्रॉपर्टी एजेंट या विज्ञापन के प्रभाव से बाहर निकलकर स्वयं के लिए सर्वोत्तम का चुनाव करना।
Flat खरीदने में आपका बहुत सारा पैसा लगने वाला है। अगर यहां किसी प्रकार की गलती होती है तो उससे आपका भविष्य प्रभावित हो सकता है। अपने लिए आशियाना खरीदने से पहले मन में कई प्रकार की दुविधा या शंकाएं जरूर होती हैं।आइये जानते हैं फ्लैट खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखें और कौन सी सावधानियां (precautions) बरतें।
फ्लैट खरीदने में सावधानियां
1. फ्लैट ही क्यों खरीदें -
अगर आप महानगर को छोड़कर किसी मध्यम स्तर के शहर में रहते हैं तो बेहतर होगा कि फ्लैट की जगह स्वतंत्र मकान का चुनाव करें। स्वतंत्र मकान चुनने से भविष्य में जमीन की कीमत बढ़ने का फायदा प्राप्त होता है जो कि फ्लैट की कीमत बढ़ने की तुलना में कहीं अधिक होगा। यहां बजट की प्रॉब्लम आ सकती है क्योकि स्वतंत्र मकान का रेट, फ्लैट की तुलना में थोड़ा अधिक होता है।
इसके लिए यदि शहर के केंद्र से थोड़ी दूरी बढ़ाने पर स्वतंत्र मकान आपके बजट में आता हो तो उसी का चुनाव करें। अगर ये सम्भव न हो और फ्लैट ही लेना हो तो बजट, बिल्डर, प्रोजेक्ट, कीमत, लोकेशन, आदि को लेकर संतुष्ट हो लें।
2. बजट का निर्धारण -
ज्यादातर लोग फ्लैट या मकान खरीदने के लिए बैंक से लोन लेते हैं। अगर आपने फ्लैट के लिए लोन लेना तय किया है तो बैंक जाकर आपको मिल सकने वाले अधिकतम लोन की सीमा जान लें। यदि सरकारी नौकरी में हैं तो इसकी गणना आसानी से हो सकती है परन्तु प्राइवेट नौकरी या कार्य करने वालों की आय में अनिश्चितता के चलते अधिक सावधानी से लोन राशि का निर्धारण करना आवश्यक हो जाता है।
गणना करते समय अपने वाहन आदि के लोन की किश्त के अलावा घर के खर्चे, बच्चों की स्कूल फीस आदि को ध्यान में रखकर निर्णय लें। जिससे बैंक की किश्तें डिफ़ॉल्ट न हों।
यदि आपकी मनचाही दिशा में कोई हाउसिंग प्रोजेक्ट हो तो उसके आस पास की जगह पर नजर डालें। वहां वर्तमान में क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन, स्कूल आदि से दूरी कितनी है।
3. लोकेशन का चुनाव -
फ्लैट खरीदने से पहले सही लोकेशन का चुनाव सबसे पहला कदम है। इसके लिए अपने शहर की विकास की संभावनाओं को टटोलना पड़ेगा।
शहर बढ़ने पर नए बस स्टैंड, बड़े मार्केट या शॉपिंग मॉल जिस दिशा में बनने की संभावना दिखे या बनने की चर्चा हो, उसी दिशा में किसी प्रोजेक्ट का चुनाव फ्लैट खरीदने के लिए करें। जिधर नजदीक से कोई नया हाईवे निकलने वाला हो तो उस लोकेशन का चुनाव भी कर सकते हैं।
यदि आपकी मनचाही दिशा में कोई हाउसिंग प्रोजेक्ट हो तो उसके आस पास की जगह पर नजर डालें। वहां वर्तमान में क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन, स्कूल आदि से दूरी कितनी है।
आस पास की बसाहट कैसी है और वहां जमीन की कीमत कितनी है, साथ ही कीमत घट रही है या बढ़ रही है। वहां कोई प्रदूषण फैलाने वाला उद्योग या कचरा डंपिंग यार्ड नजदीक में नहीं होना चाहिए।
4. प्रोजेक्ट का चयन -
लोकेशन चुनाव के बाद बारी आती है कि किस बिल्डर के प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदें। इसके लिए सर्च करके जानें कि बिल्डर के पिछले प्रोजेक्ट की क्या स्थिति है? क्या वहां खरीददारों को पजेशन दिया जा चुका है या अंडर कंस्ट्रक्शन स्थिति में है।
बिल्डर ब्लैक लिस्टेड तो नहीं है या इसकी कंस्ट्रक्शन क्वालिटी घटिया तो नहीं है। अगर उसी शहर में उसका कोई पिछला प्रोजेक्ट कम्पलीट हुआ हो तो लोकेशन में जाकर यह सब चेक करें।
5. रेडी टू पज़ेशन -
अंडर कंस्ट्रक्शन की जगह रेडी टू पज़ेशन फ्लैट लेना ठीक रहेगा। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी, मार्केट की दूसरी प्रॉपर्टी से सस्ती जरूर होती है लेकिन इसमें कई तरह की समस्याएं भी जुड़ी होती है।
इससे बचने के लिए बिल्डर के इतिहास को जरूर देखें। हो सके तो प्री-लांच प्रोजेक्ट में प्रॉपर्टी खरीदने से बचे। अंडर कंस्ट्रक्शन पोजीशन में आपको पता नहीं होता कि पज़ेशन मिलने में कितने साल लगेंगे।
अधिकतर प्रोजेक्ट बहुत लेट होते हैं। निर्धारित समय पर पज़ेशन न मिलने में खरीददारों को बहुत कठिनाई होती है, इस बीच उनकी एडवांस रकम फंसी होती है सो अलग। अनेक प्रसिद्ध बिल्डर देरी से भी अपने प्रोजेक्ट कम्पलीट नहीं कर पाए हैं और उनमे से कुछ जेल की सज़ा भुगत रहे हैं।
वर्तमान कानून RERA (Real estate regulation Act) में इन चीज़ों का उल्लेख अवश्य है परन्तु उपभोक्ता को आखिर में कानूनी लड़ाई तो लड़नी ही पड़ेगी।
रेडी टू पज़ेशन फ्लैट में आप देख सकते हैं कि निर्माण क्वालिटी कैसी है? विंडो, डोर और फिटिंग्स में कैसी सामग्री का उपयोग किया गया है? जबकि केवल ब्रोशर देखकर इन बातों का अंदाज़ नहीं लगाया जा सकता। कई बार ब्रोशर में स्विमिंग पूल टेनिस कोर्ट आदि दिखाए जाते है जिन्हें बाद में बिल्डर नहीं बनाता।
रेडी फ्लैट में आप चेक कर सकते हैं कि वास्तु का कितना ध्यान रखा गया है और आपके फ्लैट में सूरज की रौशनी कितनी आएगी। बिजली व्यवस्था के लिए खम्भों और ट्रांसफार्मर्स का कितना काम हुआ है यह भी देखें।
अपने फ्लैट को जांचने के साथ आपको यह भी देखना है कि आपके अपार्टमेंट का ग्राउंड लेवल कैसा है अर्थात वहाँ का ढाल किस तरफ है? सीवरेज की क्या स्थिति है? ड्रेनेज के लिए नालियों को किसी नाले से जोड़ा गया है या यूं ही खुला छोड़ दिया गया है। बरसात के दिनों में परिसर में पानी का भराव न हो इसके लिए बिल्डर ने क्या व्यवस्था की है? यदि ढाल सही नहीं होगा तो बरसात के दिनों में परेशानी होगी।
पूरा कैंपस बॉउंड्री वाल से घिरा होना चाहिए। कई बार बॉउंड्री वाल की जगह होर्डिंग या बैनर आदि से जगह को कवर कर दिया जाता है। जिससे पीछे उपस्थित स्लम एरिया आदि दिखाई न पड़े।
6. फ्लैट की वैधता -
फ्लैट खरीदने से पहले उसकी वैधता को समझना बहुत मह्त्वपूर्ण होता है। प्रोजेक्ट की वैधता का अभिप्राय उसे सभी संबंधित विभागों से मंजूरी मिली है अथवा नहीं। जैसे शहर के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से प्रोजेक्ट का एप्रूव होना जरूरी है।
नक्शे में कितने मंज़िल बनाने की अनुमति है? कुछ धोखाधड़ी करने वाले बिल्डर स्वयं की खरीदी जमीन के आसपास की नाले आदि की सरकारी जमीन में भी कब्ज़ा करके निर्माण कर लेते हैं और वहां मकान बनाकर बिक्री कर देते हैं। जिससे खरीददारों को बाद में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
प्रोजेक्ट के विषय में जानकारी ऑनलाइन जुटाएं।यदि स्वयं पेपर की जांच न कर सकें तो किसी वकील की मदद लें। याद रखें प्रोजेक्ट स्थल पर "बैंक द्वारा एप्रूवड" का बोर्ड देखकर झांसे में न आयें। किसी प्रोजेक्ट में केवल बैंक द्वारा फाइनेंस सुविधा प्रदान करने से उसके वैध होने की गॉरन्टी नहीं हो जाती।
7. फ्लैट की कीमत -
फ्लैट का कारपेट एरिया, बिल्ड अप एरिया, प्रोजेक्ट में मिलने वाली सुविधाएं और लोकेशन के आधार पर कीमत का आकलन करें। अगर, आप खुद ये बातें नहीं समझ पाते हैं तो किसी विशेषज्ञ की मदद लें।
सुपर बिल्ड अप एरिया सुनकर भ्रमित न हों मुख्य रूप से आपके काम की चीज़, फ्लैट का कारपेट एरिया ही है यानि वह एरिया जितने में आपके फ्लैट के अंदर कारपेट बिछायी जा सकती है।
also read -
बिल्डर हमेशा खरीददार को फ्लैट का बेस रेट बताता है। बाद में वह इसमें कई तरह के एक्स्ट्रा चार्ज भी जोड़ता है।एक्स्ट्रा चार्ज को बिल्डर से पहले ही समझ लें।
इसके अलावा फ्लैट की रजिस्ट्री में भी पैसा लगना है। प्रॉपर्टी खरीदने से पहले एक्स्ट्रा चार्जेज और रजिस्ट्री शुल्क की गणना करना जरूरी है, अन्यथा बाद में बजट बिगड़ने से परेशानी हो सकती है।
फ्लैट पसंद आने के बाद बिल्डर को टोकन मनी देनी होती है। इसकी व्यवस्था पहले से रखें। टोकन देने से बिल्डर उस प्रॉपर्टी को किसी दूसरे के नाम अलॉट नहीं कर सकता। फ्लैट की बुकिंग के लिए बिल्डर कई तरह की स्कीम ग्राहकों को ऑफर करते है। इसमें फ्लेक्सी प्लान, डाउन पेमेंट प्लान आदि होता है।
फ्लैट की कीमत के अनुसार 10 से 20 फीसदी रकम डाउन पेमेंट देनी होती है।बिल्डर को डाउन पेमेंट करने के बाद बिल्डर अप्रूवल लेटर इश्यू करता है। बैंक इसी अप्रूवल लेटर पर लोन मंजूर करता है। बैंक से लोन अप्रूव होने के बाद लोन की रकम बिल्डर के खाते में जमा हो जाती है और आपकी इन्स्टालमेन्ट स्टार्ट हो जाती है।
8. फ्लैट की रजिस्ट्री -
डाउन पेमेंट और बैंक से पैसा मिलने के बाद सेल डीड की प्रक्रिया शुरू होती है। रजिस्ट्री के लिए प्रोजेक्ट का पजेशन होना जरूरी है। प्रॉपर्टी का पजेशन मिलने के बाद बिल्डर सेल डीड जारी करता है। इसको आधार बना कर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है।
बिल्डर के पास करंट के लैंड रिकार्ड्स और संबंधित विभाग से वर्क कम्पलीशन सर्टिफिकेट भी होना चाहिए। रजिस्ट्री के लिए किसी वकील से बिल्डर द्वारा उपलब्ध सभी पेपर्स की जांच करवाएं।
बिल्डर के द्वारा प्रोजेक्ट कम्पलीट करने के बाद संबंधित अथॉरिटी से सर्टिफिकेट इश्यू किया जाता है। इसके बाद बिल्डर बायर को पजेशन प्रमाण पत्र देता है। बिल्डर से पजेशन लेने से पहले यह देखना बहुत जरूरी होता है कि प्रोजेक्ट में कोई काम बकाया तो नहीं है। अगर, है तो पजेशन लेटर लेने से पहले उसको पूरा करने के लिए बिल्डर पर दबाब बनाना चाहिए।
9. मेंटनेंस -
पजेशन देने के बाद बिल्डर शुरुवाती महीनों में अपार्टमेंट का मेंटनेंस करता है। मेंटनेंस में प्रोजेक्ट के कॉमन एरिया की सफाई, सुरक्षा, कॉमन एरिया में बिजली का खर्च, रिपेयर आदि शामिल होता है।
इसके लिए वह फ्लैट के खरीददारों से प्रति वर्ग फुट के हिसाब से रकम चार्ज करता है। बाद में उस प्रोजेक्ट में रह रहे लोगों के द्वारा बनाई गई हाउसिंग सोसाइटी ही मेंटनेंस से लेकर सारी गतिविधियों को मैनेज करती है।
आशा है ये आर्टिकल "Precautions while buying a Flat. फ्लैट कैसे खरीदें " आपको पसंद आया होगा। इसे शेयर करें। अपने सवाल और सुझावों के लिए कमेंट सेक्शन में जाकर कमेंट करें। ऐसी और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
also read -
No comments:
Post a Comment