What is health in hindi. स्वास्थ्य क्या है?
अधिकांश लोगों की नजरों में किसी बीमारी का न होना स्वास्थ्य है पर यह स्वास्थ्य की सही परिभाषा नहीं है। विद्वानों के अनुसार “शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, अध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टी से सही और संतुलित होने का नाम स्वास्थ्य है, ना की बीमारी के न होने का”.
लेकिन हम लोग स्वास्थ्य को केवल बीमारी से ही जोड़ कर देखतें है। लेकिन स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों के न होने का नाम नही है। वास्तव में "स्वास्थ्य" शब्द पूरी तरह से भावनात्मक और शारीरिक उच्चता की स्थिति को दर्शाता है। अच्छा स्वास्थ्य जीवन में आने वाले तनाव को संभालने के साथ लंबे और सक्रिय जीवन जीने की कुंजी है।
अच्छे स्वास्थ्य के कारकों में आनुवांशिकी, पर्यावरण, रिश्ते और शिक्षा शामिल हैं। संतुलित भोजन, व्यायाम और आचार विचार की शुद्धता किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को उन्नत कर सकते हैं। हमें सम्पूर्ण स्वास्थ्य के बारें में जानकारी अवश्य होनी चाहिए।
स्वास्थ्य के प्रकार ( type of health)
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य के दो सबसे चर्चित प्रकार हैं। यहां हम इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य के अन्य प्रकारों की भी चर्चा करेंगे जिनमें - आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक स्वास्थ्य शामिल हैं।
1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical health)
एक व्यक्ति जो शारीरिक स्वास्थ्य का अनुभव करता है, उसके जीवन में नियमित व्यायाम, संतुलित पोषण और पर्याप्त आराम करने के बीच संतुलन होता है। शारीरिक स्वास्थ्य में व्यक्ति के सभी अंगों का सामान्य रूप से काम करना शामिल है जैसे देखना, सुनना, चलना आदि।
शारीरिक रूप से स्वस्थ किसी व्यक्ति की सांस लेने और हृदय की कार्यक्षमता, मांसपेशियों की शक्ति, लचीलापन और शरीर की संरचना स्वास्थ्य के बनाये गए मानदण्डों के अनुरूप होती है। वह अपनी उम्र के अनुसार पर्याप्त नींद ले पाता है और सुबह उठने पर स्फूर्ति और ताज़गी से भरा होता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य (mental health)
शारीरिक स्वास्थ्य की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य को जांचना कठिन है।मानसिक स्वास्थ्य केवल अवसाद, चिंता या किसी अन्य विकार की अनुपस्थिति नहीं है। मानसिक स्वास्थ्य एक व्यक्ति के भावनात्मक और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है। हम कैसे सोचते है, महसूस करते है और कार्य करते हैं, इससे मानसिक स्वास्थ्य रेखांकित होता है। भूतकाल में जीवन में घटी किसी अप्रिय घटना से भी मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य एक संपूर्ण एवं सक्रिय जीवन शैली के लिए शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है। व्यक्ति का दूसरों से व्यवहार कैसा होगा? और उसकी सोच के साथ तनाव को संभालने की क्षमता कैसी होगी? यह सब उसके मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। मानसिक स्वास्थ्य को सही रखने के लिए दूसरों में रूचि लेना, व्यवहार में प्रशन्नता और शांति का भाव रखना जरूरी है।
अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए जीवन का आनंद लें। कठिन और बुरे अनुभवों के बाद वापस और भी अच्छी स्थिति में अपने आपको लाकर दिखाएं। भूतकाल की घटनाओं का असर वर्तमान जीवन में न आने दें। जीवन में संतुलन हासिल करते हुए अपनी क्षमता को प्राप्त करें।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों में शामिल हैं -
1. शारीरिक समस्या -
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जुड़े हुए हैं। यदि पुरानी बीमारी से किसी व्यक्ति की अपने नियमित कार्यों को पूरा करने की क्षमता प्रभावित होती है, तो इससे अवसाद और तनाव हो सकता है। लम्बी बीमारी से व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ सकता है।2. आर्थिक कारण -
पैसों की कमी के कारण अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा न कर पाना मानसिक तनाव का सबसे बड़ा कारण है। धन की समस्याओं के कारण जीवन में कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।3. आनुवंशिकी -
हर व्यक्ति जीन की एक श्रेणी के साथ पैदा होता है, और कुछ लोगों में, एक असामान्य आनुवंशिक पैटर्न उनके मानसिक स्वास्थ्य के स्तर को गिरा सकता है।इस पर देश काल और वातावरण का प्रभाव भी होता है।4. शिक्षा का स्तर -
शिक्षा का स्तर व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। शिक्षित व्यक्ति का नजरिया किसी तनाव की स्थिति में बेहतर होता है। क्योंकि वह समस्या के बहुत से समाधान निकलने में सक्षम होता है।3. आध्यात्मिक स्वास्थ्य (spiritual health) -
समृद्ध आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त किये बिना व्यक्ति की जीवन यात्रा अधूरी सिद्ध होगी। भौतिक वस्तुओं का चाहें कितना भी ढेर लगा लें यदि आध्यात्मिक ज्ञान का अभाव है तो व्यक्ति सदा बेचैन और अशांत रहेगा। बाहरी वस्तुओं से सुख प्राप्ति की मृगमरीचिका में फंसकर आज का मानव हताश और परेशान हो रहा है।
हमें यह समझना होगा कि वस्तुओं से खालीपन नहीं भरता। क्योंकि वस्तुएं बाहर हैं और खालीपन भीतर का है। आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति यह बात अच्छी तरह जनता है। ऐसे व्यक्ति की सबसे बड़ी निशानी यह है कि वह सुख दुःख दोनों ही स्थिति में अविचलित रहते हुए समभाव बनाये रखता है। वह किसी से अपनी तुलना करके परेशान नहीं होता। आध्यात्मिक सद्गुरु ओशो के अनुसार - "किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे भी हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकार करिए".स्वयं को जानना और जीवन के अर्थ और उद्देश्य की तलाश हमें अध्यात्मिकता की ओर उन्मुख करती है, इसके ज्ञान से हमारा जीवन समृद्ध बनता है। समृद्ध अध्यात्मिक स्वास्थ्य को उपलब्ध व्यक्ति के जीवन में शांति और आनंद होता है।
इसका कारण ऐसे व्यक्ति का यह बोध होता है कि मैं शरीर नहीं बल्कि अनुभव करने वाली आत्मा हूं और मेरे जीवन का लक्ष्य भक्ति अथवा ज्ञान द्वारा विकारों की धूल को हटाकर भगवत्ता को उपलब्ध होना है।
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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाजिक स्वास्थ्य में दूसरों के साथ पारस्परिक सम्बंधो को संतोषजनक बनाने की आप की क्षमता शामिल है। यदि व्यक्ति लोगों से अपने को ठीक तरह से कनेक्ट नहीं कर पाता तो यह उसके लिए दुःख का कारण बनता है।
नियम के अनुसार बुरे व्यवहार की प्रतिक्रिया बुरी और अच्छे व्यवहार की प्रतिक्रिया अच्छी आना स्वाभाविक है। व्यक्ति का सामाजिक स्वास्थ्य इसकी खबर देता है कि वह लोगों के बारे में क्या सोचता है और उनकी खुशहाली कि कितनी कामना करता है। इसके विपरीत उसके बुरे विचार दूसरों का बुरा करने से पहले उसके स्वयं की भावनात्मक खुशहाली को नष्ट कर देते हैं।
सामाजिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए लोगों के प्रति प्रेम भाव रखना आवश्यक है। इसके पश्चात लोगों से संबंधों को बढ़ाना और सामाजिक कल्याण की भावना से कार्य करना शामिल होगा। अपने झूठे अहंकार को खत्म करके सामाजिक जीवन में सफल हुआ जा सकता है।
बौद्धिक स्वास्थ्य से सम्पन्न व्यक्ति किसी भी समस्या को दूर करने में विभिन्न पहलुओं से विचार करके समाधान प्रस्तुत कर सकता है। वह किसी घटना की समीक्षा करके, अपने आसपास की समस्याओं और अप्रत्याशित बाधाओं को अनुकूल करने के लिए रचनात्मक तरीके सुझाकर समाज और स्वयं का विकास कर सकता है।
जो लोग बौद्धिक स्वास्थ्य से पूर्ण हैं वे खुला दिमाग रखते है और एक अलग दृष्टीकोण से मुद्दों को देखने और हल करने की क्षमता प्रदर्शित करते है। बौद्धिक स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले कारकों में व्यक्ति की पढ़ने में रूचि प्रथम है।
4. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health) -
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाजिक स्वास्थ्य में दूसरों के साथ पारस्परिक सम्बंधो को संतोषजनक बनाने की आप की क्षमता शामिल है। यदि व्यक्ति लोगों से अपने को ठीक तरह से कनेक्ट नहीं कर पाता तो यह उसके लिए दुःख का कारण बनता है।
नियम के अनुसार बुरे व्यवहार की प्रतिक्रिया बुरी और अच्छे व्यवहार की प्रतिक्रिया अच्छी आना स्वाभाविक है। व्यक्ति का सामाजिक स्वास्थ्य इसकी खबर देता है कि वह लोगों के बारे में क्या सोचता है और उनकी खुशहाली कि कितनी कामना करता है। इसके विपरीत उसके बुरे विचार दूसरों का बुरा करने से पहले उसके स्वयं की भावनात्मक खुशहाली को नष्ट कर देते हैं।
सामाजिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाने के लिए लोगों के प्रति प्रेम भाव रखना आवश्यक है। इसके पश्चात लोगों से संबंधों को बढ़ाना और सामाजिक कल्याण की भावना से कार्य करना शामिल होगा। अपने झूठे अहंकार को खत्म करके सामाजिक जीवन में सफल हुआ जा सकता है।
5. बौद्धिक स्वास्थ्य (Intellectual health)
बौद्धिक स्वास्थ्य से सम्पन्न व्यक्ति किसी भी समस्या को दूर करने में विभिन्न पहलुओं से विचार करके समाधान प्रस्तुत कर सकता है। वह किसी घटना की समीक्षा करके, अपने आसपास की समस्याओं और अप्रत्याशित बाधाओं को अनुकूल करने के लिए रचनात्मक तरीके सुझाकर समाज और स्वयं का विकास कर सकता है।
जो लोग बौद्धिक स्वास्थ्य से पूर्ण हैं वे खुला दिमाग रखते है और एक अलग दृष्टीकोण से मुद्दों को देखने और हल करने की क्षमता प्रदर्शित करते है। बौद्धिक स्वास्थ्य को बढ़ाने वाले कारकों में व्यक्ति की पढ़ने में रूचि प्रथम है।
किताबों से विभिन्न विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है, जो जीवन पथ में समस्याओं का निदान करते हुए आगे बढ़ने में मदद करता है। दूसरा उपाय है बौद्धिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों से मेल मिलाप और उनसे बातचीत।
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बौद्धिक स्वास्थ्य से सम्पन्न व्यक्ति के लक्षण हैं - उसमें आत्म संयम होने के कारण वह चिंता, भय, क्रोध, लोभ, जलन और अपराधबोध जैसी भावनाओं के वश में नहीं होता।
दूसरा लक्षण है विनम्र व्यवहार के साथ दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करना, जिसमें अपनी आलोचना को स्वीकार करने का भाव भी शामिल है।
तीसरा लक्षण ऐसे लोग उच्च भावनात्मक स्थिति में होने के कारण आसानी से व्यथित नहीं होते। ये लोग जरूरत पड़ने पर अपने अहम को त्याग कर समझौता करने में पीछे नहीं हटते।
अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता किसी एक विशेष धर्म या सम्प्रदाय तक की बात न होकर समस्त मानव जाति के सम्पूर्ण कल्याण की बात है। दुर्भाग्य से अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य के महत्व को नही समझते और केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही सब कुछ समझते हैं।यदि हमें अपने जीवन का सर्वांगीण विकास करना है तो स्वास्थ्य के अन्य आयामों की तरफ ध्यान देना आवश्यक है। जिनकी चर्चा ऊपर की गई है। इसकी उपेक्षा से जीवन की पूर्णता सम्भव नहीं है।
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