Vehicle insurance claim. कार दुर्घटना क्लेम कैसे लें
देश में वाहनों की संख्या बढ़ने साथ वाहन दुर्घटनाएं भी बढ़ी हैं। वाहन का इंश्योरेंस, दुर्घटना होने की दशा में हमें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। इंश्योरेंस दो तरह के होते हैं।
पहला - ओन डैमेज कॉम्प्रेहेंसिव कवर और दूसरा - थर्ड पार्टी कवर। Own Damage Comprehensive Cover, तीन प्रमुख फैक्टर्स पर निर्भर करता है - लोकेशन, कार की एज और इंजन कैपेसिटी।
जबकि थर्ड पार्टी कवर केवल कार की इंजन कैपेसिटी पर निर्भर करता है। अगर आपके व्हीकल से एक्सीडेंट हो जाता है और दूसरा व्यक्ति एक्सीडेंट में घायल हो जाता है या उसके व्हीकल को नुकसान होता है तो उसे थर्ड पार्टी इन्सुरेंस के तहत मुआवजा मिलता है।
इसमें आपके वाहन या आपको हुए नुकसान का कोई क्लेम नहीं मिलता। थर्ड पार्टी इन्सुरेंस करवाना कानून के तहत अनिवार्य है।
जब आप कार खरीदतें हैं तो बिना बीमा करवाए उसे रोड पर नहीं ला सकते। सामान्यतः कार डीलर ही आपसे पैसे लेकर कार का बीमा करवाकर देता है। उसकी कुछ बीमा कंपनियों से सेटिंग होती है। बीमा किसी भी कंपनी से करवाया जाए आपको उसकी शर्तों की जानकारी होनी चाहिए।
आपने कार या बाइक का बीमा कराया है तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आप जरूरत पड़ने पर क्लेम कैसे फाइल करेंगे। इसका प्रॉसेस क्या है और आपको क्लेम फाइल करने में किन बातों का ध्यान रखना होगा। अगर आपको क्लेम की प्रॉसेस की जानकारी नहीं है तो जरूरत पड़ने पर आपको क्लेम लेने में दिक्कत हो सकती है।
एक्सीडेंट होने पर किन बातों का ध्यान रखें और इन्श्योरेंस में कैसे करें क्लेम -
1. एक्सीडेंट होने की दशा में स्वयं को और कार में उपस्थित सभी लोगों को गाड़ी से बाहर निकालने का प्रयास करें।
2. अगर आपका फ़ोन सुरक्षित हो तो एम्बुलेंस और पुलिस को फोन करें या किसी दुसरे से फ़ोन करवाएं।
3. घटना स्थल और दुर्घटना ग्रस्त वाहन की कुछ फोटोग्राफ स्वयं लें या किसी को फोटो लेने बोलें। ये फोटोग्राफ बीमा क्लेम करते समय काम आएंगी।
4. फोन पर बीमा कंपनी को सूचित करें। उन्हें दुर्घटना की पूरी जानकारी दें और दुर्घटना स्थल के बारे में बताएं। सारे वार्तालाप की रिकॉर्डिंग करके रखें।
5. बीमा कंपनी का कोई कर्मचारी घटना स्थल पर जांच के लिए आ सकता है। बीमा कंपनी और पुलिस के कहने के बाद ही वाहन को दुर्घटना स्थल से हटाएं।
6. दुर्घटना की FIR की कॉपी के साथ ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन की RC, बीमा के पेपर्स की कॉपी के साथ बीमा क्लेम करें।
कार बीमा पॉलिसी में क्या नहीं है शामिल
अगर आप कार के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति में दावा करते हैं तो आपको पता चलता है कि आपका क्लेम बीमा कंपनी ने रिजेक्ट कर दिया है। आपको पता होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में आपको कार दुर्घटना में क्लेम नहीं मिल सकता।
1. अगर आपकी कार बीमा पॉलिसी एक साल के लिए खरीदी जाती है तो इसे बिना ब्रेक के रिन्यू कराया जाना चाहिए। अगर आपकी कार बीमा पॉलिसी एक्सपायर हो गयी है और नई पॉलिसी खरीदी नहीं गयी है तो आप कवरेज नहीं पा सकते।
2. अगर वाहन चलाने वाले के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तब भी बीमा कंपनी किसी तरह का क्लेम पास नहीं करेगी।
3. अगर कार को शराब या किसी अन्य मादक पदार्थ के नशे में चलाया जा रहा है और कार का बीमा लेने वाले ओनर को इसकी जानकारी है, तब भी किसी दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा नहीं मिलेगा.
4. आयल लीक होने की वजह से ईंजन को नुकसान होने पर या कार बनाने वाली कंपनी के दिशा -निर्देश का उल्लंघन करने पर वाहन को होने वाली किसी क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं मिलेगा।
5. युद्ध, आतंकी घटना, घुसपैठ, विदेशी सैन्य कार्रवाई, सिविल वार, विद्रोह, अपहरण, रेडियेशन या परमाणु हथियार/वस्तु आदि की चपेट में आने से होने वाले नुकसान पर क्लेम नहीं मिलेगा।
6. अगर जानबूझकर एक्सीडेंट किया जाता है और उससे कोई क्षति होती है. अगर बीमा पॉलिसी खरीदने वाले या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा क्रिया-प्रतिक्रिया में कोई घटना होती है तो उसकी वजह से होने वाला नुकसान भी बीमा के दायरे से बाहर है।
7. किसी तरह की लापरवाही मसलन अगर बारिश की वजह से कार का ईंजन क्षतिग्रस्त हो जाता है तो कार को खुले में रखने की वजह से हुआ नुकसान बीमा कवर के दायरे में नहीं आएगा।
8. अगर आप कार किसी दूसरे व्यक्ति को दे देते हैं या बेच देते हैं तो कार खरीदने वाले व्यक्ति को कार की बीमा पॉलिसी अपने नाम पर ट्रांसफर करना है। अगर पॉलिसी आपके नाम से ही है और दुर्घटना में नुकसान किसी अन्य व्यक्ति के कार चलाने की वजह से होता है, तब भी बीमा कवर का लाभ नहीं मिलेगा।
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भले ही आपने गाडी बेचकर, नाम ट्रांसफर के पेपर में साइन कर दिए हैं लेकिन RC में अभी भी आपका नाम होने से जिम्मेदारी आप पर आएगी। इस तरह का निर्णय प्रकाश डागा v/s श्वेता शर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट दे चुका है।
इस केस में प्रकाश डागा ने अपनी कार श्वेता शर्मा को बेंची और 1 महिने के भीतर श्वेता से एक्सीडेंट हो जाता है, तब तक RC में श्वेता शर्मा का नाम नहीं चढ़ा था । फिर पीड़ित मुआवजे की मांग के लिए कोर्ट जाता है। इसमें पहले हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है कि मुआवजा श्वेता शर्मा नहीं बल्कि प्रकाश डागा देंगे। क्योंकि RC में प्रकाश डागा का ही नाम था।
इसका एक समाधान यह हो सकता है कि कार लेने वाले का नाम RC में चढ़ने तक दोनों पक्षों सहमति से गाड़ी कहीं रखवा दी जाए। इस अवधि में गाड़ी का प्रयोग कोई न करें।
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कार बेंचने के बाद दुर्घटना होने की स्थिति को समझें
यदि आप अपनी कार किसी को बेंच देते है और RTO में वह अपना नाम RC बुक में नहीं चढ़वा पाता या किसी कारण से इसमें देर हो जाती है और इसी बीच उस कार से एक्सीडेंट हो जाता है। अब यदि दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति क्षति पूर्ति का क्लेम कर देता है तो उसका भुगतान आपको करना पड़ेगा।भले ही आपने गाडी बेचकर, नाम ट्रांसफर के पेपर में साइन कर दिए हैं लेकिन RC में अभी भी आपका नाम होने से जिम्मेदारी आप पर आएगी। इस तरह का निर्णय प्रकाश डागा v/s श्वेता शर्मा के केस में सुप्रीम कोर्ट दे चुका है।
इस केस में प्रकाश डागा ने अपनी कार श्वेता शर्मा को बेंची और 1 महिने के भीतर श्वेता से एक्सीडेंट हो जाता है, तब तक RC में श्वेता शर्मा का नाम नहीं चढ़ा था । फिर पीड़ित मुआवजे की मांग के लिए कोर्ट जाता है। इसमें पहले हाई कोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है कि मुआवजा श्वेता शर्मा नहीं बल्कि प्रकाश डागा देंगे। क्योंकि RC में प्रकाश डागा का ही नाम था।
इसका एक समाधान यह हो सकता है कि कार लेने वाले का नाम RC में चढ़ने तक दोनों पक्षों सहमति से गाड़ी कहीं रखवा दी जाए। इस अवधि में गाड़ी का प्रयोग कोई न करें।
वाहन चोरी होने की दशा में क्या करें
वाहन चोरी होने की दशा में पुलिस रिपोर्ट सबसे जरूरी होती है। इसके लिए पुलिस थाने जाकर वाहन चोरी होने का स्थान और समय की जानकारी देते हुए FIR लिखवाएं। फिर पुलिस इसकी छानबीन करेगी।अगर आपका वाहन 90 दिनों के अंदर मिल जाता है तो ठीक नहीं तो पुलिस के "नो ट्रेस सर्टिफिकेट" के आधार पर बीमा कंपनी में क्लेम करें।
बीमा कंपनी स्वयं इस मामले की जांच अपने कर्मचारी द्वारा करवाएगी। उसके द्वारा घटना सही पाए जाने पर 1 से 2 महीने में कंपनी द्वारा भुगतान हो सकेगा।
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