Mutual Fund in hindi. म्यूचुअल फंड क्या है
यदि आप अपने पैसों को निवेश करने की सोच रहे हैं तो प्रॉपर्टी और गोल्ड के अलावा म्यूचुअल फंड एक विकल्प हो सकता है। म्यूचुअल फंड जिसे हिन्दी में पारस्परिक निधि कहते हैं, एक प्रकार का सामूहिक निवेश होता है। निवेशकों के समूह मिल कर स्टॉक, अल्प अविधि के निवेश या अन्य प्रतिभूतियों (securities) मे निवेश करते है। यूटीआई एएमसी भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कंपनी है।
स्टॉक मार्केट की पर्याप्त जानकारी न होने पर भी निवेश की इच्छा रखने वालों के लिए म्यूचुअल फंड एक सरल तरीका होता है।म्यूचुअल फंड मे एक प्रोफेशनल फंड मैनेजर होता है। जिसका कार्य फंड में जमा राशि को निवेशित करना होता है। यह प्रोफेशनल मैनेजर अपने ज्ञान और अनुभव से यह निर्धारित करता है कि कहां पैसे लगाकर अधिकतम लाभ कमाया जा सकता है।
इस कार्य के लिए म्यूचुअल फंड संचालक (कंपनी) सभी निवेशकों से सुविधा शुल्क भी लेती है। यह फीस कुल निवेशित रकम अधिकतम 2.5% हो सकती है। निवेशित रकम से होने वाले हानि या लाभ का प्रभाव सभी निवेशकों पर पड़ता है और इस प्रकार उनकी लगाई रकम घटती या बढ़ती है।
म्यूचुअल फंड के शेयर की कीमत नेट ऐसेट वैल्यु या एनएवी (NAV) कहलाती है। इसकी गणना के लिए फंड के कुल मूल्य को निवेशको द्वारा खरीदे गए कुल शेयरो की संख्या से भाग दिया जाता है। किसी म्यूचुअल फंड की NAV वो कीमत है जिससे उस फंड की एक यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है।
1. ओपन एंडेड फण्ड -
ओपन एंडेड में आप अपना निवेश जब चाहें अपने हिसाब से कर सकते हैं और जब चाहें अपना पैसा मौजूदा NAV वैल्यू के हिसाब से निकाल सकते हैं।
म्यूचुअल फंड के शेयर की कीमत नेट ऐसेट वैल्यु या एनएवी (NAV) कहलाती है। इसकी गणना के लिए फंड के कुल मूल्य को निवेशको द्वारा खरीदे गए कुल शेयरो की संख्या से भाग दिया जाता है। किसी म्यूचुअल फंड की NAV वो कीमत है जिससे उस फंड की एक यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है।
म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार -
म्यूच्यूअल फण्ड मुख्यतः 2 प्रकार के होते हैं -1. ओपन एंडेड फण्ड -
ओपन एंडेड में आप अपना निवेश जब चाहें अपने हिसाब से कर सकते हैं और जब चाहें अपना पैसा मौजूदा NAV वैल्यू के हिसाब से निकाल सकते हैं।
2. क्लोज एंडेड फण्ड -
क्लोज एंडेड फण्ड एक निश्चित अवधि के होता है। यह अवधि 3 से 15 साल तक की हो सकती है, जिसे लॉकिंग पीरियड कहते हैं। इसका तात्पर्य है इसमें कम से कम तीन साल का समय देना होता है। यह फंड न्यू फंड ऑफर के समय खरीदा जा सकता है।
क्लोज एंडेड फण्ड एक निश्चित अवधि के होता है। यह अवधि 3 से 15 साल तक की हो सकती है, जिसे लॉकिंग पीरियड कहते हैं। इसका तात्पर्य है इसमें कम से कम तीन साल का समय देना होता है। यह फंड न्यू फंड ऑफर के समय खरीदा जा सकता है।
म्यूच्यूअल फण्ड के लाभ -
1. रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं -
फण्ड मैनेजर निवेशक की रकम को उनके लिए बाजार में निवेश करता है। इसलिए यहां निवेश करने का फायदा यह है कि निवेशक को इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं होती कि कब शेयर खरीदें या बेचें, क्योंकि यह चिंता फंड मैनेजर की होती है, वही निवेशक के निवेश का रखरखाव करने वाला होता है।आपको रिसर्च करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप शेयर बाजार को अच्छे से नहीं समझते तो भी आप म्यूचुअल फंड के जरिये शेयर बाजार में निवेश का लाभ उठा सकते हैं।2. छोटी रकम से शुरुवात -
दूसरा लाभ ये भी होता है, कि छोटे निवेशक बहुत कम राशि जैसे 500 रु.प्रतिमाह तक निवेश कर सकते हैं। ऐसे में उन्हें सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) लेना होता है, जिसमें एक निर्धारित रकम बैंक से हर महिने सीधे फंड में स्थानांतरित होती रहती है।निवेश की दृष्टि से म्यूच्यूअल फण्ड के प्रकार -
1. इक्विटी फंड ( equity fund )
इक्विटी फंड वो स्कीम होती है, जिसमें कंपनी, निवेशकों से प्राप्त धन का ज्यादातर भाग इक्विटी शेयर में निवेश कर देती है। ये हाई रिस्क स्कीम होती हैं, जिनमें निवेशकों को घाटा भी हो सकता है। ऐसा इसलिये क्योंकि इसमें ज्यादातर पैसा शेयर बाजार में फंसा रहता है। इस प्रकार की स्कीम ऐसे निवेशकों के लिये अच्छी रहती हैं, जो रिस्क लेने से डरते नहीं हैं।
इक्विटी फंड की सहायता से अधिकतम फायदा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इनमें निवेश उन कंपनियों में किया जाता है जो शेयर बाजार में तेज प्रगति करती हैं। शेयर बाजार में निवेश के कारण यहां बहुत अधिक वैरायटी मिलती है और अलग -अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है।जैसे मिड कैप फण्ड, लार्ज कैप फण्ड आदि। इन फंड्स में निवेश अधिक लाभ के लिए करते हैं और इस कारण से जोखिम भी अधिक होता है।
इक्विटी फंड की सहायता से अधिकतम फायदा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। इनमें निवेश उन कंपनियों में किया जाता है जो शेयर बाजार में तेज प्रगति करती हैं। शेयर बाजार में निवेश के कारण यहां बहुत अधिक वैरायटी मिलती है और अलग -अलग सेक्टर में निवेश किया जा सकता है।जैसे मिड कैप फण्ड, लार्ज कैप फण्ड आदि। इन फंड्स में निवेश अधिक लाभ के लिए करते हैं और इस कारण से जोखिम भी अधिक होता है।
2. डेब्ट फंड (debt fund) -
डेब्ट फंड स्कीम के अंतर्गत प्राप्त हुआ पैसा, ज्यादातर कॉरपोरेट ऋण स्कीम, सरकारी स्कीम, आदि में निवेश किया जाता है। इस प्रकार का म्यूचुअल फंड उन निवेशकों के लिये उपयुक्त रहता है, जो रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। इसमें पैसा वापस होने की लगभग गारंटी रहती है।3. बैलेंस्ड फंड ( balanced fund )
बैलेंस फंड में कंपनी निवेशकों से प्राप्त धन को इक्विटी और डेब्ट दोनों में निवेश करती है, इसमें आय के साथ सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है। बैलेंस्ड फंड को हाइब्रिड फंड कहते हैं। यहां स्टॉक के साथ बांड और अल्पावधि बांड में निवेश होता है। यह फंड लाभदायक होते हैं, क्योंकि इनमें जोखिम कम हो जाता है और बहुत हद तक पूंजी की सुरक्षा निश्चित होती है।also read -
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4. मनी मार्केट फंड (money market fund )
इसे लिक्विड फंड भी कहते हैं। उसमें कंपनी निवेशकों से लिया हुआ पैसा सुरक्षित व शॉर्ट-टर्म स्कीम में लगाती हैं, जैसे सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, ट्रेज़री एंड कमर्शियल पेपर, आदि। ऐसे निवेश कम सीमा समय के होते हैं। इस फंड का उद्देश्य आसानी से पैसा उपलब्ध कराना, पूंजी को संरक्षण देना और आय प्रदान करना होता है। सामान्यत: मनी मार्केट सबसे सुरक्षित फंड माने जाते हैं।
जब कोई नया म्यूचुअल फंड आता है तो सेबी उस पर नियंत्रण रखता है। उसमें से कुछ इक्विटी यानी शेयरों में निवेश करते हैं, तो कोई सीक्योर फंड में निवेश करता है। कोई म्यूचुअल फंड दोनों में निवेश करने की बात कहता है। यहां सोच समझ कर निर्णय लेने पर ही प्रॉफिट बना पाएंगे।
अपने रिस्क को भी समझें
1. मार्केट के उतार-चढ़ाव से प्रभावित -
यहां रिस्क भी है, जैसा की हर निवेश में होता है। यह समझना जरूरी है कि जहां रिस्क है वहां ग्रोथ ज्यादा मिलती है और वहीं नुकसान की संभावना भी है। निवेश का यह माध्यम बाजार में उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है और कभी-कभी बाजार से भी नीचे रिटर्न प्रदान करता है।
2. मार्केट की तेजी में ही लाभ -
इक्विटी से जुड़े म्यूच्यूअल फण्ड, शेयर मार्केट के ऊपर की दिशा में बढ़ने पर (upward) ही फायदा दे सकते हैं। अगर मार्केट में तेज गिरावट आती है या मार्केट क्रैश होता है और उसके निवेशित शेयर के भाव गिरते हैं तो फण्ड मैनेजर कुछ नहीं कर सकता। ऐसे समय NAV तेजी से नीचे गिर सकता है।
इसके विपरीत शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले मंदी के समय भी शार्ट सेलिंग करके पैसा कमा सकते हैं। यह सुविधा फण्ड मैनेजर को नहीं होती। वह शार्ट सेलिंग नहीं कर सकता, इस तरह वह बाजार में एक हाथ के योद्धा की तरह होता है। यह सिर्फ शेयर मार्केट या निवेशित शेयर्स के रेट ऊपर की दिशा में जाने पर ही अपने निवेशकों के लिए मुनाफा कमा सकता है।
आशा है ये पोस्ट "What is Mutual Funds. म्यूचुअल फंड क्या है " से आप समझ गए होंगे कि म्यूच्यूअल फण्ड क्या होता है और यहां कैसे निवेश करें। इस तरह की उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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