manufacturing of agricultural implements.
कृषि उपकरण निर्माण उद्योग कैसे लगाए
कृषि कार्य के लिए उपकरणों का प्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है। खेत में बीज की बोवाई से लेकर फसल की कटाई और मिंजाई जैसे समस्त कार्यों में मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अब ग्रामीण क्षेत्र में भी कृषि कार्य के लिए मजदूर मिलने मिलने में कठिनाई होने लगी है। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में मजदूरों का शहरों की ओर पलायन भी है।
कृषि कार्य के लिए ट्रेक्टर का प्रयोग बहुत बढ़ गया है और प्रतिवर्ष इसकी बिक्री के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। इसलिए ट्रेक्टर द्वारा चलित कृषि उपकरणों की मांग भी बहुत ज्यादा है। ये उपकरण सिर्फ एक ट्रेक्टर चालक की मदद से खेती के विभिन्न कार्यों को तेज गति से निपटा देते हैं। इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है।
केजव्हील, कल्टीवेटर और ट्रेक्टर ट्रॉली ऐसे ही उपकरण हैं। ट्रेक्टर धारक किसानों के लिए इन उपकरणों का प्रयोग अत्यंत आवश्यक होता है। शासन के कृषि विभाग के द्वारा किसानो को कृषि उपकरणों की खरीद पर सब्सिडी दी जाती है। इससे आकर्षित होकर किसान इनकी खरीद करते हैं।
कृषि उपकरणों के निर्माण का उद्योग कैसे लगायें
केजव्हील, कल्टीवेटर और ट्रेक्टर ट्रॉली के निर्माण के लिए फेब्रिकेशन यूनिट लगाने की आवश्यकता होती है। यह कार्य 4000 sq.ft. जगह में शुरू किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित मशीनें जरूरी हैं -
1. वेल्डिंग मशीन
2. ड्रिल मशीन
3. कम्प्रेसर मशीन
4. ग्राइंडर
5. गैस कटर सेट
6. एंगल कटर मशीन
7. एंगल बेन्डिंग मशीन
8. टूल्स
1. केजव्हील का निर्माण
खेत में जोताई या मिटटी को नरम बनाने के लिए ट्रेक्टर के टायर के साथ जोड़कर केजव्हील का प्रयोग किया जाता है। यह ट्रेक्टर को गीली मिटटी में धंसने से बचाता है। इसका बाहरी रिंग 35 x 5 mm के एंगल से बनाया जाता है जिसमें 50 x 6 mm एंगल के दांते लगे होते हैं।
ट्रेक्टर से जुड़ने वाला रिंग 40 x 8 mm के पट्टे को राउंड करके बनाया जाता है। एंगल को राउंड शेप में मशीन के जरिये किया जाता है। यदि एंगल बेन्डिंग मशीन न हो तो बड़े घन से पीटकर 2 हाफ राउंड बनाकर उन्हें वेल्डिंग से जोड़कर फुल राउंड बना लिया जाता है।
केजव्हील की बहुत सी वैरायटी होती है जिसमे सिंगल के अलावा डबल केजव्हील भी होता है जिसे ट्रेक्टर के टायर को हटाकर लगाया जाता है। इसी तरह सिंगल दांतें की जगह डबल दांतें वाले केजव्हील भी बनाये जाते हैं। कपलिंग वाले केजव्हील भी होते हैं जिन्हे ट्रेक्टर आसानी से फिट किया जा सकता है।
इसमें लेबर डेली वेज में रखें या उन्हें प्रति सेट केजव्हील बनाने का ठेका दे सकते हैं। जिसका वीकली पेमेंट उस सप्ताह बने केजव्हील सेट की संख्या के आधार पर किया जाता है।
ट्रेक्टर से जुड़ने वाला रिंग 40 x 8 mm के पट्टे को राउंड करके बनाया जाता है। एंगल को राउंड शेप में मशीन के जरिये किया जाता है। यदि एंगल बेन्डिंग मशीन न हो तो बड़े घन से पीटकर 2 हाफ राउंड बनाकर उन्हें वेल्डिंग से जोड़कर फुल राउंड बना लिया जाता है।
केजव्हील की बहुत सी वैरायटी होती है जिसमे सिंगल के अलावा डबल केजव्हील भी होता है जिसे ट्रेक्टर के टायर को हटाकर लगाया जाता है। इसी तरह सिंगल दांतें की जगह डबल दांतें वाले केजव्हील भी बनाये जाते हैं। कपलिंग वाले केजव्हील भी होते हैं जिन्हे ट्रेक्टर आसानी से फिट किया जा सकता है।
इसमें लेबर डेली वेज में रखें या उन्हें प्रति सेट केजव्हील बनाने का ठेका दे सकते हैं। जिसका वीकली पेमेंट उस सप्ताह बने केजव्हील सेट की संख्या के आधार पर किया जाता है।
2. कल्टीवेटर का निर्माण
खेत की जोताई में ट्रेक्टर के पीछे जोड़कर कल्टीवेटर का उपयोग होता है। यह 7 टाइन्स (tines) और 9 टाइन्स के होते हैं, जिन्हें ट्रेक्टर की पावर के अनुसार प्रयोग में लाया जाता है। इसमें फ्रेम बनाने के लिए वेल्डिंग से एंगल को जोड़कर बॉक्स बनाया जाता है।
टाइन्स (दांते) को बनाने के लिए न्यूनतम 25 mm प्लेट को आटोमेटिक गैस कटर से एक निर्धारित शेप में काटा जाता है। अंत में कंप्रेसर से डिमांड के अनुसार कलर किया जाता है। इसकी प्राइस 13500/- प्रति पीस होती है। वजन के आधार पर इसकी कीमत में अंतर आ जाता है।
टाइन्स (दांते) को बनाने के लिए न्यूनतम 25 mm प्लेट को आटोमेटिक गैस कटर से एक निर्धारित शेप में काटा जाता है। अंत में कंप्रेसर से डिमांड के अनुसार कलर किया जाता है। इसकी प्राइस 13500/- प्रति पीस होती है। वजन के आधार पर इसकी कीमत में अंतर आ जाता है।
3. ट्रेक्टर ट्राली का निर्माण
ट्रेक्टर ट्राली का प्रयोग माल के परिवहन के लिए किया जाता है ट्रेक्टर की क्षमता के अनुसार 2 चक्का (wheeler) या 4 चक्का ट्राली प्रयोग में लाई जाती है। उपयोग में लाने से पहले ट्रेक्टर ट्राली का पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) परिवहन कार्यालय में करवाना होता है।
ट्रेक्टर ट्राली बनाने की अनुमति ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के कार्यालय से लेनी पड़ती है इसके लिए अपने द्वारा बनाई जाने वाली ट्राली का ड्राइंग -डिज़ाइन निर्धारित फीस के साथ स्थानीय ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के कार्यालय में जमा करना होता है। डिज़ाइन पास होने के बाद ट्राली का निर्माण शुरू किया जा सकता है।
निर्माता द्वारा हर ट्राली को एक सीरियल नंबर दिया जाता है। जिसके आधार पर RTO में ट्राली का पंजीयन होता है। कुछ राज्यों में कृषि कार्य के लिए उपयोग में आने वाली ट्राली पंजीयन टैक्स से फ्री है।
इसमें कच्चा माल होता है - 6 x 3 , 4 x 2 इंच चैनल, 8 mm प्लेट, 40 x 5 mm एंगल, 10 गेज शीट इनसे ट्राली का ढांचा तैयार किया जाता है। इसके नीचे फिटिंग्स में एक्सल, बेअरिंग, हब, डिस्क लगते हैं। टायर 7.50 x 16 या 9.50 x 16 साइज में लगाते हैं।
एक ट्राली का मूल्य 1 लाख पच्चीस हजार के लगभग होता है। इसमें डिज़ाइन के आधार पर अंतर् आ जाता है। hydrolic ट्राली के लिए अतिरिक्त पैसा लगता है।
निर्माता द्वारा हर ट्राली को एक सीरियल नंबर दिया जाता है। जिसके आधार पर RTO में ट्राली का पंजीयन होता है। कुछ राज्यों में कृषि कार्य के लिए उपयोग में आने वाली ट्राली पंजीयन टैक्स से फ्री है।
इसमें कच्चा माल होता है - 6 x 3 , 4 x 2 इंच चैनल, 8 mm प्लेट, 40 x 5 mm एंगल, 10 गेज शीट इनसे ट्राली का ढांचा तैयार किया जाता है। इसके नीचे फिटिंग्स में एक्सल, बेअरिंग, हब, डिस्क लगते हैं। टायर 7.50 x 16 या 9.50 x 16 साइज में लगाते हैं।
एक ट्राली का मूल्य 1 लाख पच्चीस हजार के लगभग होता है। इसमें डिज़ाइन के आधार पर अंतर् आ जाता है। hydrolic ट्राली के लिए अतिरिक्त पैसा लगता है।
बिक्री कैसे करें
1.सेल्स मैन लगाकर
इसके लिए सेल्स मैन रखे जाते हैं जो कमीशन पर कार्य करते हैं। ये सेल्स मैन गाँवों में जाकर किसानों से सम्पर्क करते हैं। इनका कार्य किसानों को उपकरण की विशेषता बताकर खरीदने के लिए प्रेरित करने के अलावा बैंक से लोन दिलवाना और सब्सिडी दिलवाने में मदद करना है।कुछ सेल्स मैन, सैलरी और कमीशन दोनों आधार पर रखे जाते हैं। कमीशन देने पर किसी भी कम्पनी का ट्रेक्टर सेल्स मैन आपकी ट्राली भी सेल कर देगा।
सामान्यतः ट्राली के साथ cagewheel और cultivator भी किसान लेता है ये उपकरण भी आपके यहां से लेने को सेल्स मैन प्रेरित कर सकता है बशर्ते उसका डीलर स्वयं ट्राली या कृषि उपकरण निर्माण न करता हो।
2. बैंक से सम्पर्क करके
बैंक की कृषि विस्तार शाखा से सम्पर्क किया सकता है, जहां से किसानों को ट्रेक्टर और ट्राली खरीदने हेतु लोन प्राप्त होता है। यहां से उन संभावित ग्राहकों की जानकारी मिलती है जिन्होंने कृषि उपकरण लेने हेतु बैंक से सम्पर्क किया है।बैंक अधिकारियों से जिस ट्राली निर्माता का संबंध अच्छा होता है, अधिकारी किसान को उस कंपनी से ट्राली खरीदने की सलाह देता हैं। किसान भी अधिकारी की बात सुनता है क्योंकि उसे वहां से लोन प्राप्त करना होता है। इसके लिए बैंक कर्मी से मधुर संबंध बनाना आवश्यक है।
3. विज्ञापन द्वारा
समाचार पत्रों या पेम्पलेट के माध्यम से प्रचार करके सीधे ग्राहकों तक पहुंचा जा सकता है। इसके लिए वाल राइटिंग और होर्डिंग भी प्रचार का अच्छा माध्यम है। स्थानीय टीवी चैनल में भी विज्ञापन दिखा सकते हैं।4. डीलर के माध्यम से
ट्रेक्टर के डीलर से सम्पर्क करें। ये डीलर, ट्राली निर्माता से ट्राली खरीदकर किसानों को बेंचते हैं। अपना सेल प्राइस रिज़नेबल रखने पर यहां से थोक आर्डर मिल सकता है।also read -
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कस्टमर satisfaction के बिना कोई भी व्यापार आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए किसान की बात ध्यान से सुनें और उसकी समस्या के समाधान के लिए तुरंत अपने स्टॉफ को लगाए।
इसका लाभ यह होगा कि वह अपने रिलेटिव को भी आपके यहां से ट्राली खरीदने को रिकमेंड करेगा। इस तरह की माउथ पब्लिसिटी आपके कारोबार को बढ़ाने में मददगार साबित होगी।
इस काम में किसान बैंक -लोन से ट्रेक्टर और ट्राली खरीदता है। बहुत बार ऐसा होता है कि उसके पास बैंक में जमा करने के लिए मार्जिन मनी नहीं होता। ऐसे में ट्रेक्टर डीलर उसे ट्रेक्टर दे देता है और ट्राली निर्माता को ट्राली भी किसान को देना पड़ता है।
इसका पेमेंट आने में 2 -3 महीने का समय भी लग सकता है। क्योंकि फसल आने पर किसान बैंक में मार्जिन मनी जमा करेगा तब ट्रेक्टर और ट्राली का पेमेंट बैंक द्वारा रिलीज़ किया जायेगा। इस अवधि में फैक्ट्री चलाने के लिए अतिरिक्त पूँजी की आवश्यकता होगी।
इस तरह कृषि उपकरण निर्माण की फैक्ट्री लगाकर कोई उद्यमी अच्छी इनकम कर सकता है साथ ही कुछ लोगों के लिए रोजगार भी पैदा करता है आगे चलकर इस फैक्ट्री में लेवलर, रोटावेटर, उड़ावनी पंखा जैसे अन्य कृषि उपकरण भी बनाये जा सकते हैं।
आशा है ये पोस्ट "manufacturing of agricultural implements. कृषि उपकरण निर्माण उद्योग " आपको पसंद आई होगी. इसे मित्रों तक शेयर करें। आपके कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट में लिखें। ऐसी अन्य जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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5. मौखिक प्रचार द्वारा
अगर आप ट्राली बेचने के बाद अच्छी सर्विसिंग देंगे और ट्राली में आई किसी भी खराबी का निराकरण यथाशीघ्र करते हैं तो आपकी अच्छी छवि कृषक के दिमाग में बनती है।कस्टमर satisfaction के बिना कोई भी व्यापार आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए किसान की बात ध्यान से सुनें और उसकी समस्या के समाधान के लिए तुरंत अपने स्टॉफ को लगाए।
इसका लाभ यह होगा कि वह अपने रिलेटिव को भी आपके यहां से ट्राली खरीदने को रिकमेंड करेगा। इस तरह की माउथ पब्लिसिटी आपके कारोबार को बढ़ाने में मददगार साबित होगी।
विशेष ध्यान रखें -
कृषि उपकरण विशेष कर ट्राली के निर्माण के लिए आपके द्वारा मंथली जितनी ट्राली का निर्माण किया जाना है उसके बजट से कम से कम 6 गुना पूँजी की व्यवस्था आपके पास होनी चाहिए। इसके लिए बैंक से लिमिट बनवा सकते हैं।इस काम में किसान बैंक -लोन से ट्रेक्टर और ट्राली खरीदता है। बहुत बार ऐसा होता है कि उसके पास बैंक में जमा करने के लिए मार्जिन मनी नहीं होता। ऐसे में ट्रेक्टर डीलर उसे ट्रेक्टर दे देता है और ट्राली निर्माता को ट्राली भी किसान को देना पड़ता है।
इसका पेमेंट आने में 2 -3 महीने का समय भी लग सकता है। क्योंकि फसल आने पर किसान बैंक में मार्जिन मनी जमा करेगा तब ट्रेक्टर और ट्राली का पेमेंट बैंक द्वारा रिलीज़ किया जायेगा। इस अवधि में फैक्ट्री चलाने के लिए अतिरिक्त पूँजी की आवश्यकता होगी।
इस तरह कृषि उपकरण निर्माण की फैक्ट्री लगाकर कोई उद्यमी अच्छी इनकम कर सकता है साथ ही कुछ लोगों के लिए रोजगार भी पैदा करता है आगे चलकर इस फैक्ट्री में लेवलर, रोटावेटर, उड़ावनी पंखा जैसे अन्य कृषि उपकरण भी बनाये जा सकते हैं।
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