Depression and how to control it. डिप्रेशन का इलाज
दैनिक जीवन में उदासी, ख़ुशी की कमी और दैनिक गतिविधियों में रुचि कम होना - ये लक्षण यदि हमारे जीवन में लगातार बने रहें तो हमारा जीवन प्रभावित होता हैं, यह डिप्रेशन या अवसाद हो सकता है। डिप्रेशन के समय इंसान यह सोचता है कि वह ज़िंदगी में कुछ नहीं कर सकता और वह अपनी हार स्वीकार कर लेता है।
इससे पीड़ित व्यक्ति का अधिकतर समय चिंता करने में व्यतीत होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अवसाद दुनिया भर में सबसे आम बीमारी है। उनका अनुमान है कि विश्व भर में 350 मिलियन लोग अवसाद से प्रभावित हैं। यह इस मानसिक समस्या की व्यापकता को दर्शाता है।
डिप्रेशन के शिकार सेलिब्रिटी में अमेरिकन सिंगर और सांग राइटर ब्रिटनी स्पीयर्स का नाम चर्चा में रहा है। ग्रैमी अवार्ड सहित अनेक वीडियो म्यूजिक अवार्ड जीतने वाली ब्रिटनी को मेन्टल हेल्थ केयर सेंटर में भर्ती होना पड़ा।
अपनी ड्रग की लत छुड़वाने के लिए वो कई दिन ड्रग रिहेब सेंटर में भर्ती थीं। वहां से बाहर आने पर उन्होंने अपना सिर मुंडवा लिया था। उनकी मेन्टल हेल्थ को लेकर खबरें आती रही हैं।
एक इंटरव्यू में ब्रिटनी ने बताया था कि उनकी किशोर अवस्था बहुत तनाव में गुजरी। 20 साल की उम्र में वे अपने कण्ट्रोल में नहीं थी। छोटी छोटी बात पर उन्हें गुस्सा आ जाता था। तभी डिप्रेशन और ड्रग्स ने उन्हें घेर लिया। ब्रिटनी ने 2 शादियां की पर तलाक हो गया। उनके मैनेजर के अनुसार अब ब्रिटनी के स्टेज परफॉर्म करने के चांस नहीं हैं।
डिप्रेशन के संकेत और लक्षण
1. उदास रहना -
पहले आनंद ली गई गतिविधियों में रुचि या खुशी कम हो गई हो, यौन इच्छा में कमी के साथ हमेशा निराश रहना और हर पल नकारात्मक बातें करना या सोचना। लापरवाही वाला जीवन जीना और दैनिक क्रियाकलापों में मन न लगना।
2. वजन कम होना या कम भूख लगना -
भोजन की मात्रा असमान्य होना, पहले कम खाते थे तो अब ज्यादा खाते हैं या इसका विपरीत होना। बिना डाइटिंग के वजन में कमी होना या अचानक वजन का बढ़ना (हालाँकि ऐसा किसी अन्य बीमारी में भी हो सकता है)3. अपराधबोध की भावना -
आत्मग्लानि का अनुभव, बात-बात पर नसीब को कोसना, हीनता का तेज अनुभव करते हुए चिंता ग्रस्त नज़र आना। स्वयं को असफलता के लिए दोषी ठहराना और अपराध बोध का भाव लगातार बने रहना4. नींद की समस्या -
अनिद्रा (सोने में कठिनाई) या हाइपर्सोमनिया (अत्यधिक नींद) इसमें शामिल है। जैसे आप पहले अधिक सोते थे, अब कम सो पाते हैं। या अब अत्यधिक सोने की ईच्छा होती है, फिर भी ताजगी महसूस नहीं होती ।5. एकाग्र न हो पाना -
ध्यान केंद्रित करने या निर्णय लेने की क्षमता में कमी होना। साफ-सफाई के प्रति जागरूकता का अभाव होना और किसी काम को एकाग्र होकर न कर पाना।6. थकान या ऊर्जा की हानि -
लगातार कमजोरी एवं थकान अनुभव करना। पहले जिस कार्यों को करने में उत्साह रहता था, अब वही कार्य बोरिंग लगता है तथा उस कार्य से जी चुराना।7. बुरे विचार आना
मृत्यु या आत्महत्या के बारम्बार विचार आना या आत्महत्या का प्रयास किया जाना। अचानक उत्तेजित होकर दूसरों की हत्या की बात सोचना।ऊपर दिए गए कारणों में से कुछ लक्षण अगर 2 सप्ताह या इससे ज्यादा समय तक पाये जाये तो यह डिप्रेशन को दर्शाते हैं। अन्य लक्षणों में घबराए रहना, झुंझलाहट, स्वयं से बाते करना, इंटनेट मोबाईल में लगे रहना लेकिन लेकिन असल जीवन में समाज, आस पडोस या अपने रिश्तेदारों से कटे रहना शामिल है।
महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, अधिक पसीना आना, बोलते समय जुबान लड़खड़ाना या हाथ-पैरो में कंपन होना एवं नशे के गिरफ्त में आ जाना भी डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।
डिप्रेशन (अवसाद ) के कारण
अवसाद के कारणों को पूरी तरह से समझा नहीं गया है और यह एक या अधिक कारकों के जटिल संयोजन का परिणाम हो सकता है।
1. आनुवंशिकी (जेनेटिक) -
जिन लोगों के परिवारों में अवसाद के पिछले रिकॉर्ड रहे हैं, वे लोग यह बीमारी (depression) होने के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं। आनुवंशिकी (जेनेटिक) के अलावा बुरी पर्यावरण और सामाजिक परिस्थिति अवसाद के उच्च जोखिम वाले कारकों में शामिल हैं। अगर किसी देश में लगातार प्राकृतिक आपदा की घटनाएं होती रहें या लम्बे गृह युद्द की स्थिति बने तो व्यक्ति के डिप्रेशन का शिकार होने के चांस बढ़ जाते हैं।
2. जीवन की घटनाएं -
इनमें किसी परिजन की मृत्यु का शोक, तलाक, काम के मुद्दे, दोस्तों और परिवार के साथ रिश्ते, वित्तीय समस्याएं, शारीरिक कष्ट और चिंताएं शामिल हैं। कमजोर मनोबल वाले व्यक्ति पर इन सबका कुछ ज्यादा ही प्रभाव पड़ता है।3. व्यक्तित्व -
बचपन या पिछले जीवन में पाए आघात से कुछ लोग अधिक पीड़ित होते हैं और इससे उबर नहीं पाते। इसका प्रभाव उनके वर्तमान जीवन में पड़ता है और वो सफल नहीं हो पाते। ये लोग आत्मघाती हो सकते हैं।4. नशे का आदी होना -
शराब, ड्रग्स और अन्य नशीली दवाओं का दुरुपयोग अवसाद से दृढ़ता से जुड़ा हुआ है। शौकिया तौर पर इन्हें लेना शुरू करने के बाद व्यक्ति इनकी गिरफ्त में आ जाता है। फिर उसका इन चीज़ों को छोड़ पाना कठिन हो जाता है जो डिप्रेशन में ले जाता है।5. पुरानी बीमारियां -
लम्बे समय से चलने वाली कुछ बीमारियां जैसे हृदय रोग, मधुमेह, पुराने दमा जैसे रोग अवसाद को और अधिक बढाते हैं।डिप्रेशन का इलाज
1. समस्या का मूल कारण जानना
इसमें पारिवारिक सदस्यों का सहयोग और समर्थन जरूरी है। उनकी मदद से डिप्रेशन के कारण को जानकर उसका व्यावहारिक समाधान निकाला जाता है। यहां पर उनसे चर्चा करके तनाव घटाने में उनके योगदान को लेकर बातचीत की जाती है।
डिप्रेशन का समाधान निकालने के लिए उसकी वजह को जानना जरूरी है। इसके बाद उस समस्या का समाधान सोचकर उस पर जल्द से जल्द अमल करना जरूरी है।
2. मनोचिकित्सा
इसे बात करने वाला उपचार कह सकते हैं। इसमें डिप्रेशन ग्रस्त व्यक्ति को आमने सामने बैठकर या टेलीफोन द्वारा वार्तालाप करके समस्या का समाधान निकाला जाता है। सायकोथेरेपी, जिसे टॉक थैरेपी, काउंसलिंग या साइकोसोशल थैरेपी भी कहते हैं, ये डिप्रेशन के इलाज़ का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सायकोथेरेपी, डिप्रेशन के लक्षणों में राहत देने के अलावा जीवन में संतुष्टि और नियंत्रण की भावना को वापस पाने में मदद करता है। साथ ही ये भविष्य में आने वाले तनावों से निबटने के लिए, बेहतर ढंग से तैयार भी करता है।
सायकोथेरेपी, डिप्रेशन के लक्षणों में राहत देने के अलावा जीवन में संतुष्टि और नियंत्रण की भावना को वापस पाने में मदद करता है। साथ ही ये भविष्य में आने वाले तनावों से निबटने के लिए, बेहतर ढंग से तैयार भी करता है।
डिप्रेशन के प्रारम्भिक मामलों में मनोचिकित्सक, उपचार के लिए पहला विकल्प हैं। मध्यम और गंभीर मामलों में, उनका उपयोग अन्य उपचार के साथ किया जा सकता है।
3. दवा उपचार
इसमें एंटीडिप्रेसेंट दवाएं डॉक्टर रिकमेंड करते हैं। ये दवाएं मध्यम से गंभीर अवसाद के लिए उपयोग में लाई जाती हैं। इन दवाओं के उपयोग से डिप्रेशन के लक्षणों में कमी लाई जाती है। ये प्रयोग डॉक्टर द्वारा बताई गई अवधि तक जारी रखना होता है।
फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की एक चेतावनी कहती है कि "एंटीडिप्रेसेंट दवाएं कुछ बच्चों, किशोरों, और युवा वयस्कों में उपचार के पहले कुछ महीनों के भीतर आत्मघाती विचार या कार्य को बढ़ा सकती हैं।" दवा बंद करने का निर्णय भी डॉक्टर से चर्चा करने के बाद ही लिया जाना चाहिए।
4. व्यायाम और योग
फिजिकल एक्टिविटी, डिप्रेशन से उबरने में आपकी मदद कर सकती है. कोई भी एक्टिविटी जैसे जॉगिंग, गार्डनिंग करना या स्विमिंग को अपनी रूटीन में शामिल करें। एरोबिक व्यायाम हल्के अवसाद के खिलाफ मदद कर सकता है क्योंकि यह एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है।
योग और प्राणायाम शारीरिक विकारों को मिटाने के साथ दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करता है। प्राणायाम के नियमित प्रयोग से डिप्रेशन में लाभ मिलता है . अध्ययन के बाद पाया गया कि जिसने योग का अभ्यास किया उसके तनाव, चिंता और डिप्रेशन में कमी देखी गई और उसकी ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया।
योग और प्राणायाम शारीरिक विकारों को मिटाने के साथ दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करता है। प्राणायाम के नियमित प्रयोग से डिप्रेशन में लाभ मिलता है . अध्ययन के बाद पाया गया कि जिसने योग का अभ्यास किया उसके तनाव, चिंता और डिप्रेशन में कमी देखी गई और उसकी ऊर्जा और स्वास्थ्य में सुधार देखा गया।
5. ध्यान के प्रयोग
डिप्रेशन से मुक्त होने के लिए अंदर दबी भावनाओं का रिलीज़ होना जरूरी है। आज व्यक्ति अपने अंदर बहुत कुछ दबाये बैठा है और सभ्यता के चलते व्यक्त न कर पाने के कारण डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। इसके लिए उसे अपने अंदर जो भी दबा पड़ा है जैसे हंसना, रोना, चीखना आदि उसे निकालना जरूरी है। तभी वो अपने को भार मुक्त करने में सफल हो पायेगा। अभिनेता अक्षय कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया कि वो अपना गुस्सा रिलीज़ करने के लिए पंचिंग बैग का इस्तेमाल करते हैं और सुबह समुद्र तट पर जाकर चीखते हैं। इस तरह उन्हें बहुत रिलैक्स फील होता है।
आधुनिक मानव की इन समस्याओं और इनके समाधान को ओशो ने अपने प्रवचनों में बहुत अच्छे ढंग से समझाया है। रिलैक्सेशन के लिए उन्होंने ध्यान की वैज्ञानिक विधियां भी हमें बताई हैं। डिप्रेशन दूर करने में सद्गुरु ओशो की जिबरिश या अत्यंत प्रसिद्ध डायनामिक मेडिटेशन विधि उपयोगी होगी।
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नशे का प्रभाव खत्म होने के बाद व्यक्ति को अपनी परिस्थिति और भयावह लगने लगती है। जिनसे निपटने की बजाय वह फिर से नशा करता है और नशे की लत का शिकार हो जाता है।मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर व्यक्ति चाहे तो नशे की लत से छुटकारा पा सकता है।
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6. नशे से दूर रहें
शराब, निकोटीन या अवैध ड्रग्स का दुरूपयोग डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ाता है। डिप्रेस्ड व्यक्ति सोचता है कि ड्रग या अल्कोहल उसको राहत दे सकते हैं, पर ऐसा होता नहीं है। इन चीज़ों के इस्तेमाल से अस्थाई रूप से डिप्रेशन के लक्षणों पर पर्दा पड़ सकता है, परन्तु दीर्घकाल में ये डिप्रेशन को और ख़राब स्थिति में पंहुचा देते हैं।नशे का प्रभाव खत्म होने के बाद व्यक्ति को अपनी परिस्थिति और भयावह लगने लगती है। जिनसे निपटने की बजाय वह फिर से नशा करता है और नशे की लत का शिकार हो जाता है।मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर व्यक्ति चाहे तो नशे की लत से छुटकारा पा सकता है।
समाज में ऐसे व्यक्ति मिल जायेंगे जिन्होंने नशे की आदत को त्याग कर सम्मानजनक जीवन जिया है। नशे की चीज़ों से मुक्ति के लिए किसी स्थानीय नशा मुक्ति केंद्र से संपर्क करें।
7. सपोर्ट ग्रुप्स में भी शामिल होना
जीवन अनमोल है इसे ऐसे ही गंवाया नहीं जा सकता। इसलिए बुरे और आत्मघाती विचारों का त्याग करें। किसी ऐसे मित्र से बात करें जो आप की बात सुन कर सकारात्मक राय दे सके। अगर आप चाहें तो आसपास के किसी मानसिक स्वास्थ्य केंद्र या धार्मिक केन्द्रों द्वारा चलाये जाने वाले सपोर्ट ग्रुप्स में भी शामिल हो सकते हैं। किसी ऐसे इंसान तक पहुँचना, जो खुद भी आप ही की तरह इस समस्या से जूझ रहा है, आपको आपके डिप्रेशन की समस्या से लड़ने की शक्ति देगा।
अगर स्वस्थ रहना है तो अपने शौक को ज़िंदा रखिये। अगर कोई वाद्य यंत्र बजाने या गाने का शौक रहा है तो उसे फिर से शुरू कर दीजिये। अगर ये न कर सकें तो तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप गाने सुनें। इससे तनाव में कमी आती है और इंसान रिलैक्स फील करता है।
अगर स्वस्थ रहना है तो अपने शौक को ज़िंदा रखिये। अगर कोई वाद्य यंत्र बजाने या गाने का शौक रहा है तो उसे फिर से शुरू कर दीजिये। अगर ये न कर सकें तो तनाव को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप गाने सुनें। इससे तनाव में कमी आती है और इंसान रिलैक्स फील करता है।
8. वर्तमान में जियें
भूतकाल बीत चुका है और पीछे जाकर कुछ भी किया नहीं जा सकता, इसलिए बीती बातों का अफ़सोस और भविष्य, जो अभी आया ही नहीं है उसकी चिंता करने का कोई अर्थ नहीं है क्योंकि भविष्य में घटने वाली किसी भी घटना को सही सही प्रिडिक्ट करना असम्भव है। वैसे भी मानव भविष्य की जिन बुरी कल्पनाओं से परेशान होता रहता है, उनमें से 90% घटनाएं उसके जीवन में कभी नहीं घटती।
“कल क्या होगा” यह सोच- सोच कर हम अपनी परेशानियों को और भी बढ़ा देते है, इसलिए हमें आज के बारे में ही सोचना चाहिए और आज को बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आज के कर्म जीवन के लिए उपयोगी होंगे तो भविष्य अपने आप अच्छा हो जायेगा।
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