इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें?
इंट्रा डे ट्रेडिंग, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, शेयर मार्केट के खुलने और बंद होने के समय के बीच दिन भर के अन्तराल में की जाने वाली खरीद और बिक्री (ट्रेडिंग), Intraday Trading कहलाती है।
किसी शेयर या स्टॉक को जिस दिन खरीदा जाये, उसी दिन उसे मार्केट बंद होने से पहले बेच भी दिया जाये तो इसे डे ट्रेडिंग कहते हैं. इसके विपरीत पहले बेच कर बाद में खरीदा जाये (शार्ट सेलिंग), और मार्केट बंद होने से पहले अपनी ओपन पोजीशन क्लोज कर ली जाये, तो यह भी इंट्राडे ट्रेडिंग या MIS (Margin Intraday Square off) कहलाता है ।
इंट्राडे शेयर ट्रेडिंग से प्रॉफिट केवल 10% लोग ही कमा पाते हैं शेष 90% लोग बिना अनुभव और जानकारी की कमी के चलते नुकसान उठाते हैं।
Intraday Trading आपको तभी करना चाहिए जब आपको स्टॉक मार्केट में कम समय में होने वाले उतार चढाव के बारे में कुछ बेहतर जानकारी हो, लेकिन अक्सर लोग इसका उल्टा करते है। नया निवेशक Intraday Trading सबसे पहले करने की कोशिश करता है, जबकि उसे डेमो या पेपर ट्रेडिंग से शुरुवात करनी चाहिए।
जब यहां कुछ समझ आने लगे फिर सीमित मात्रा में शेयर खरीद कर 2 -4 दिन वेट एंड वाच करके देखे कि उनमें किस दिशा में और कितना चेंज आया। मार्केट के चार्ट रीडिंग मेथड को देखे और समझने का प्रयास करे।
न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों से भी शेयर मार्केट का ज्ञान बढ़ाते रहें। अगर मार्केट की बारीकियां आपने समझ ली तो यहां मोटा पैसा बनाने से आपको कोई रोक नहीं सकता।
इस तरह उसकी मार्केट की समझ बढ़ेगी। जब कोई ट्रेडर मार्केट की स्केल्पिंग और स्विंग ट्रेडिंग जैसी विधियों को जानेगा और उस विधि से ट्रेड करके उसका प्रैक्टिकल अनुभव करेगा तभी जाकर वह अपने लिए एक ट्रेडिंग सिस्टम बना पायेगा। क्योंकि एक सिस्टम जो किसी ट्रेडर को फायदा देता है, आवश्यक नहीं है कि दूसरा ट्रेडर भी उसे अप्लाई करके लाभ प्राप्त कर पायेगा।
इसका कारण प्रत्येक ट्रेडर का माइंड सेटअप अलग होना है। ग्रीड एंड फियर फैक्टर सबके लिए अलग तरह से काम करता है। किसी को छोटा मुनाफा और कम समय का स्केल्पिंग ट्रेड करना पसंद होता है तो कोई लम्बा मुनाफा पाने के लिए कुछ दिन वेट करके स्विंग ट्रेडिंग पसंद करता है।
Intraday Trading आपको तभी करना चाहिए जब आपको स्टॉक मार्केट में कम समय में होने वाले उतार चढाव के बारे में कुछ बेहतर जानकारी हो, लेकिन अक्सर लोग इसका उल्टा करते है। नया निवेशक Intraday Trading सबसे पहले करने की कोशिश करता है, जबकि उसे डेमो या पेपर ट्रेडिंग से शुरुवात करनी चाहिए।
जब यहां कुछ समझ आने लगे फिर सीमित मात्रा में शेयर खरीद कर 2 -4 दिन वेट एंड वाच करके देखे कि उनमें किस दिशा में और कितना चेंज आया। मार्केट के चार्ट रीडिंग मेथड को देखे और समझने का प्रयास करे।
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इसका कारण प्रत्येक ट्रेडर का माइंड सेटअप अलग होना है। ग्रीड एंड फियर फैक्टर सबके लिए अलग तरह से काम करता है। किसी को छोटा मुनाफा और कम समय का स्केल्पिंग ट्रेड करना पसंद होता है तो कोई लम्बा मुनाफा पाने के लिए कुछ दिन वेट करके स्विंग ट्रेडिंग पसंद करता है।
इंट्रा डे ट्रेडिंग (INTRADAY TRADING) के फायदे
1. loss या profit एक दिन में -
आपको दिन भर के अन्दर ही loss या profit हो जाता है, आपको ज्यादा समय का wait नहीं करना होता. क्योंकि इंट्रा डे ट्रेडिंग में सौदों को एक दिन में ही पूरा करना होता है, जैसे आज ख़रीदा तो आज ही बेचा। इस तरह आप सिर्फ एक दिन का ही रिस्क उठाते है। अगर विश्व पटल में रात भर में कोई घटना घटती है तो अगले दिन सुबह मार्केट खुलने पर उसका असर दिखेगा।
इंट्राडे ट्रेडर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसकी कोई ओपन position मार्केट में नहीं होती। इंट्राडे ट्रेडर को, जब वो अपना सौदा मार्केट में डालता है केवल उसी समय मार्केट के मूवमेन्ट या उस पर्टिकुलर शेयर के रेट की दिशा से मतलब होता है।
जबकि किसी निवेशक के लिए हो सकता है, शेयर में निवेश (investment) करने पर कुछ सप्ताह या महीनों के इंतज़ार के बाद उसके भाव में 10% का अंतर् आये (क्योंकि शेयर का भाव एक दिशा में नहीं चलता, आज 2%बढ़ा तो कल 3%टूटा), पर इंट्राडे ट्रेडिंग में कभी कभी 10 -20% का चेंज भी भाव में आ जाता है।
यह अलग बात है कि आपको इस चेंज से loss होगा या profit, यह आपकी buy या sale किस साइड की पोजीशन है, इस पर निर्भर करेगा।
इंट्राडे ट्रेडर को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उसकी कोई ओपन position मार्केट में नहीं होती। इंट्राडे ट्रेडर को, जब वो अपना सौदा मार्केट में डालता है केवल उसी समय मार्केट के मूवमेन्ट या उस पर्टिकुलर शेयर के रेट की दिशा से मतलब होता है।
जबकि किसी निवेशक के लिए हो सकता है, शेयर में निवेश (investment) करने पर कुछ सप्ताह या महीनों के इंतज़ार के बाद उसके भाव में 10% का अंतर् आये (क्योंकि शेयर का भाव एक दिशा में नहीं चलता, आज 2%बढ़ा तो कल 3%टूटा), पर इंट्राडे ट्रेडिंग में कभी कभी 10 -20% का चेंज भी भाव में आ जाता है।
यह अलग बात है कि आपको इस चेंज से loss होगा या profit, यह आपकी buy या sale किस साइड की पोजीशन है, इस पर निर्भर करेगा।
2. MARGIN MONEY की सुविधा -
इंट्रा डे ट्रेडिंग में सभी ब्रोकर्स अपने ग्राहकों को इंट्रा डे ट्रेडिंग के लिए 10 से 20 गुना MARGIN MONEY देते है।मान लीजिए आपके पास 20 हजार रूपये है, और आपका ब्रोकर 10 गुना मार्जिन दे रहा है, तो आप 20 हजार का 10 गुना यानी 2 लाख रूपये तक के शेयर खरीद और बेच सकते है।
example -
मान लेते हैं आपके पास 10 हजार रुपए हैं और आपने ब्रोकर के मार्जिन का इस्तेमाल करके 1 लाख का शेयर इंट्राडे के लिए ख़रीदा। अब मान लीजिये मार्केट बंद होने तक आपने जो 1 लाख का शेयर लिया था, उसकी कीमत 1 लाख 2 हजार रूपये हो गई, तो आपको 2000/- रूपये का लाभ होगा (जिसमें आपको ब्रोकर की फीस और गवर्नमेंट के taxes देना होगा) और आपकी कैपिटल 12 हजार होगी जिसमे टैक्स और ब्रोकरेज कटेंगे।
अब दूसरी स्थिति में मान लीजिये आपके 1 लाख के शेयर की कीमत इंट्राडे में 98 हजार हो गई, तो आपको 2 हजार का नुकसान होगा और आपके पास रकम बचेगी, 10-2 =8 हजार, (जिसमे ब्रोकरेज और गवर्नमेंट के taxes अलग से कटेंगे).
इंट्राडे ट्रेडिंग में खतरे या सावधानियां -
1. मार्जिन मनी दुधारी तलवार -
ब्रोकर से मार्जिन लेकर ट्रेड करना अच्छा तो लगता है कि हम सिर्फ 10 हजार लगाकर 1 लाख का ट्रेड कर पाते हैं और मुनाफा 1 लाख के सौदे के हिसाब से बनेगा परन्तु इसका नेगेटिव साइड भी हमेशा ध्यान रखें। इंट्राडे में, आपको अपना सौदा उसी दिन पूरा करना होता है।
अगर आप मार्केट बंद होने से पहले खुद सौदे को पूरा नहीं करते है तो मार्केट बंद होने के 15 -20 मिनट पहले शेयर का भाव जो भी होगा, आपका ब्रोकर उसे बेचकर अपना मार्जिन मनी वापस ले लेगा।
ब्रोकर को आपके फायदे या नुकसान से कोई लेना देना नहीं होता है,(वह अपने दिए मार्जिन में भी परसेंटेज के हिसाब से अपना ब्रोकरेज वसूलता है, other टैक्सेज तो लगना ही है). मार्जिन देने से ट्रेड वॉल्यूम बढ़ता है जिससे उसका कमीशन बढ़ता है।
अगर आप मार्केट बंद होने से पहले खुद सौदे को पूरा नहीं करते है तो मार्केट बंद होने के 15 -20 मिनट पहले शेयर का भाव जो भी होगा, आपका ब्रोकर उसे बेचकर अपना मार्जिन मनी वापस ले लेगा।
ब्रोकर को आपके फायदे या नुकसान से कोई लेना देना नहीं होता है,(वह अपने दिए मार्जिन में भी परसेंटेज के हिसाब से अपना ब्रोकरेज वसूलता है, other टैक्सेज तो लगना ही है). मार्जिन देने से ट्रेड वॉल्यूम बढ़ता है जिससे उसका कमीशन बढ़ता है।
इंट्रा डे में मार्जिन मनी का इस्तेमाल बहुत सोच समझ के करना चाहिए, क्योकि ये ऐसा हथियार है, जो दोनों तरफ चलता है. ये आपको अच्छा फायदा भी दिला सकता है, पर साथ ही बहुत बड़े नुकसान में भी ले जाता है, और अक्सर नए स्टॉक मार्केट ट्रेडर इंट्राडे में loss करके अपनी पूँजी गवां बैठते हैं।
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1. business loan kaise le
2. Technical analysis in share market
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2. मनी मैनेजमेंट -
intraday trading काफी चढाव-उतार (ups and down) से भरा होता है। किसी भी बड़ी न्यूज़ के असर से शेयर का भाव एक दिन में 20% के सर्किट तक ऊपर या नीचे की और जा सकता है (बिना सर्किट वाले शेयर में यह चेंज 20%से अधिक भी हो सकता है)।अब किसी भी volatile market में इतना बड़ा उतार चढाव किसी को भी कंगाल या मालामाल कर सकता है। बाज़ी खुद के फ़ेवर में आई तब तो अच्छा है पर अगर नुकसान हुआ तो Intra day trader की पूरी कैपिटल एक बार में साफ़ हो सकती है । इसी परेशानी से बचनें के लिये stop loss का प्रयोग करना अत्यंत आवश्यक है।
मार्केट में आपका खेल तभी तक चलेगा, जब तक रकम आपके पास होगी। रकम खत्म, तो खेल खत्म। अगर पैसा खोकर ज्ञान प्राप्त कर भी लेंगे तो उसका लाभ नहीं उठा पाएंगे क्योंकि यहां बिना पैसे के खेल नहीं हो सकता और बिना खेल के लाभ की कोई संभावना नहीं है। इसलिए अपनी पूरी पूँजी को एक बार या एक ही गेम में न लगाए। मनी मैनेजमेंट समझने के लिए पढ़े -
money management in share trading
3. profit book करना -
टार्गेट बना कर ट्रेडिंग करें कम मुनाफा हो रहा हों तो उसे book करें, अधिक लालच ना करें। इंट्राडे ट्रेडिंग बहुत फ़ास्ट गेम है क्योंकि मार्केट में किसी भी वक़्त तेज़ उतार चढ़ाव होता रहता है। ऐसे समय quick decision लेकर सौदे से निकलना होता है। अगर प्रॉफिट छोटा लेते हैं तो लॉस भी छोटा लेना होगा।अक्सर ट्रेडर प्रॉफिट के समय जल्दी निकल जाते हैं और लॉस के टाइम लम्बा wait करके अपने लॉस को बहुत बढ़ा लेते हैं। यह बात मैं अपने शेयर मार्किट के अनुभव के आधार पर बता रहा हूँ। इसके लिए अनुभव के साथ कठोर decipline की जरूरत पड़ती है।
4. कंटिन्यू वाच करें -
अगर शेयर का प्राइस आपके सोचे हुए भाव तक पहुँचता है तो ये सोच कर कहीं घूमने ना चले जाए कि बाद में आकर सौदा काटने में और ज्यादा मुनाफा होगा।हो सकता है थोड़ी देर बाद बढ़ा हुआ भाव वापस आकर आपके खरीद रेट के नीचे भी चला जाए। इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग में अपने सौदे को लगातार वाच करते रहें और प्रॉफिट बुक करने में चूक न करें।
5. अधिक वॉल्यूम वाले स्टॉक को चुनें -
जिस शेयर में लेन- देन अधिक हो यानि volume ज़्यादा रहता हो उसी stock में ट्रेडिंग करें। कम वॉल्यूम वाले स्टॉक में entry और एग्जिट दोनों मुश्किल होती है। इसी के चलते, इंट्राडे ट्रेडर इनसे दूर रहते हैं। अपनी वॉचलिस्ट में कुछ शेयरों चुनाव कर लें और उनके मूवमेन्ट को देखें।ऐसा करने से कुछ दिन बाद आपको उनकी दिन भर की ट्रेडिंग रेंज का idea हो जायेगा। उसके चार्ट को देखकर बता पाएंगे कि अब इस शेयर की दिशा कौनसी हो सकती है। बहुत ज्यादा स्क्रिप्ट पर दांव लगाने से अच्छा है, किसी एक या दो स्टॉक पर focus करें।
6. ज्यादा volatile स्टॉक से बचें -
शुरुवात में अधिक volatile और पेनी स्टॉक से बचना होगा। इनमें स्टॉप लॉस बड़ी आसानी से हिट होते हैं। एक्सपर्ट प्लेयर भी तेज volatile stock की ट्रेडिंग में धोखा खा जाते हैं। ऐसे स्टॉक मिनटों में 5 -10% का मूव दिखा सकते हैं।छोटे स्टॉक में ऐसा मूवमेंट कुछ लोगों के द्वारा ग्रुप बनाकर ट्रेड करने के कारण भी आ सकता है।जिन्हें संभालना और समझना नए ट्रेडर के लिए असम्भव है। इससे बचने के लिए निफ़्टी 50 के स्टॉक का चुनाव बेहतर होगा।
7. अपना ज्ञान बढ़ाएं -
इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में न्यूज़ पेपर और बुक्स से जानकारी हासिल करें। you tube के vdo और शेयर मार्केट संबंधी वेबसाइट से अपना ज्ञान बढ़ाते रहें। अनुभवी trader से काम करने की टिप्स भी ले सकते हैं । बाकी सब कुछ यहाँ आपका अनुभव आपको सीखा देगा। बशर्ते वही गलती आप बार बार न करें।यहां अपने नेचर या स्वभाव से आपको दिशा मिलेगी और उसी के अनुरूप आपका loss -profit होगा। एक बात ध्यान रखें, अगर आपकी प्रवृति (नेचर )छोटा प्रॉफिट लेने की है तो loss होने की कंडीशन में loss भी छोटा लें।
8. स्टॉप लॉस लगा कर रखें -
अपने प्रॉफिट के साथ अपना स्टॉप लॉस सिस्टम में लगा कर रखें। स्टॉप लॉस लगा रखा है तो उसे ट्रिगर हो जाने दें और कम नुकसान में निकाल जायें stop-loss बार बार revise कर के नुकसान ना बढ़ाएँ। नुकसान के समय यह सोच कर ना रुकें की थोड़ी देर में रेट आ जायेगा।हो सकता है कभी आपका सोचा हुआ रेट आ भी जाए परन्तु ज्यादातर ये नीति आपके नुकसान को और बढ़ाने वाली सिद्ध होगी। फिर 1 % की जगह मजबूरी में 4% का loss बुक करना होगा अन्यथा ब्रोकर आपको सौदे से बाहर करेगा। यहां यह बता दूँ की शेयर मार्केट में कोई दुआ काम नहीं करती। अगर लॉस होता दिखे तो प्रार्थना करने की बजाय सौदा काटने में ध्यान दें।
9. ज्यादा लिमिट न लें -
दूसरी सावधानी बड़ी मात्रा में stock position ना लें यानी मार्जिन मनी प्रयोग बहुत सोच समझ कर करें और अगर लेनी ही है तो stop loss अवश्य set करें, ताकि नुकसान कितना maximum हो सकता है उसका अंदाज़ रहे। ज्यादा लीवरेज लेकर ट्रेड करने पर आपकी पूरी पूँजी वाइप आउट होने में देर नहीं लगेगी।10. ब्रोकरेज खर्च का ध्यान रखें -
ब्रोकरेज पर पैनी निगाह जमाये रखें। ज़्यादा सौदे करने पर मुनाफा कम और ब्रोकरेज खर्च ज़्यादा हो रहा हों तो इस बात पर ध्यान दें।दूसरे ब्रोकर के चार्जेज से अपने लगने वाले ब्रोकरेज की तुलना करके देखें।जहाँ सर्विस अच्छी और ब्रोकरेज चार्ज कम हो, वहाँ अकाउंट खोल सकते हैं। हर सर्विस ब्रोकर की ब्रोकरेज अलग होती है।
इस तरह धीरे धीरे शेयर मार्केट की रणनीति और तरीकों का ज्ञान हो जाने पर आप भी उन सफल intra day trader में शामिल हो सकते हैं, जो मुनाफा कमाते हैं।
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