रियल एस्टेट नॉलेज (Real estate knowledge)-
प्रॉपर्टी खरीदी में फ्रॉड से कैसे बचें
एक निवेशक के लिए सुरक्षित और ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए रियल एस्टेट से बेहतर कोई निवेश विकल्प नहीं है। रियल एस्टेट में निवेश तो आसान होता है। लोग इसमें पैसा लगाते हैं, कुछ समय इंतजार करते हैं और जब इसकी कीमत बढ़ जाती है तो इसे बेच देते हैं।
इसमें निवेश की शुरुआत करना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। बस आपको रियल एस्टेट के दांव पेंच का ज्ञान (Real Estate Knowledge) होना चाहिए, अगर नकदी निवेश करना है तो इससे बेहतर और कोई रास्ता नहीं है।
लेकिन रियल एस्टेट में निवेश करते समय गलत सौदे या गलत (fraud ) लोगों के चक्कर में फंसने पर आप अपनी पूँजी गंवा सकते हैं। अगर आपको अपनी पूँजी को सुरक्षित रखते हुए रियल एस्टेट में निवेश करके अपने सपने को साकार करना है तो ऐसे फ्रॉड लोगों के बिछाए जाल से बचना होगा।
प्रॉपर्टी लेते समय आपके साथ किसी प्रकार की चालबाज़ी न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है। ये आप तभी कर पाएंगे जब आपको इस जाल की पूरी जानकारी होगी। यहां मैं आपको इन फ्रॉड लोगों के कुछ हथकंडे बताने जा रहा हूँ ताकि आप सतर्क रहें और सुरक्षित निवेश कर सकें।
प्रॉपर्टी लेते समय आपके साथ किसी प्रकार की चालबाज़ी न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है। ये आप तभी कर पाएंगे जब आपको इस जाल की पूरी जानकारी होगी। यहां मैं आपको इन फ्रॉड लोगों के कुछ हथकंडे बताने जा रहा हूँ ताकि आप सतर्क रहें और सुरक्षित निवेश कर सकें।
रियल एस्टेट में होने वाले फ्रॉड और बचने के उपाय
1. दूसरे की जमीन दिखाना -
आपने प्रॉपर्टी में निवेश का मन बना लिया और आपने सोचा कि मुझे इस रोड पर जमीन खरीदना है फिर आप इसके लिए या तो किसी दलाल से संपर्क करेंगे या फिर समाचार पत्रों के "भूमि बेचना है" संबंधी कालम पर निगाह डालेंगे।
मान लीजिये आपको "भूमि बेचना है" कॉलम में अपनी चाही हुई साइज की जमीन का विज्ञापन दिखाई पड़ता है तो आप उनसे फोन पर संपर्क करेंगे। संपर्क होने के बाद विक्रेता या दलाल आपको जमीन की ऋण पुस्तिका और बी -1 आदि पेपर दिखाएगा और बताएगा यह जमीन सड़क से लगी हुई है। सड़क से लगी होने के कारण उस जमीन का मूल्य ज्यादा होगा फिर वह जमीन दिखाने आपको मौके पर ले जाएगा।
यहीं पर वह एक चाल खेलेगा, वह आपको ऐसी जमीन दिखाएगा जिसकी साइज तो ऋण पुस्तिका के अनुसार मिलती जुलती अवश्य होगी। पर सबसे बड़ा फर्क होगा यह जमीन उसकी न होकर दूसरे की होगी। उसकी वास्तविक जमीन सड़क से लगी ना होकर अंदर होगी।
मान लीजिये आपको "भूमि बेचना है" कॉलम में अपनी चाही हुई साइज की जमीन का विज्ञापन दिखाई पड़ता है तो आप उनसे फोन पर संपर्क करेंगे। संपर्क होने के बाद विक्रेता या दलाल आपको जमीन की ऋण पुस्तिका और बी -1 आदि पेपर दिखाएगा और बताएगा यह जमीन सड़क से लगी हुई है। सड़क से लगी होने के कारण उस जमीन का मूल्य ज्यादा होगा फिर वह जमीन दिखाने आपको मौके पर ले जाएगा।
यहीं पर वह एक चाल खेलेगा, वह आपको ऐसी जमीन दिखाएगा जिसकी साइज तो ऋण पुस्तिका के अनुसार मिलती जुलती अवश्य होगी। पर सबसे बड़ा फर्क होगा यह जमीन उसकी न होकर दूसरे की होगी। उसकी वास्तविक जमीन सड़क से लगी ना होकर अंदर होगी।
आपको जमीन सड़क पर दिखायी गयी है और रेट भी सड़क से लगी हुई किसी अन्य ज़मीन के रेट से कंपेयर करने पर सस्ती नजर आएगी इसलिए आप चाहेंगे जितनी जल्दी हो सके इस भूमि का एडवांस देकर इसकी रजिस्ट्री करा ली जाए।
रजिस्ट्री के समय वह व्यक्ति अपने ओरिजिनल पेपर्स का उपयोग करेगा जिससे रजिस्ट्री में कोई रुकावट नहीं आएगी, क्योंकि उतनी भूमि वास्तव में उसके नाम से दर्ज है।
रजिस्ट्री के समय यदि आप बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं तो पेपर में जमीन के सड़क से लगी होने या अंदर की बात नहीं पकड़ पाएंगे क्योंकि सामने वाला व्यक्ति पूछने पर आपको अपना बना बनाया स्पष्टीकरण समझा देगा।
रजिस्ट्री के समय यदि आप बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं तो पेपर में जमीन के सड़क से लगी होने या अंदर की बात नहीं पकड़ पाएंगे क्योंकि सामने वाला व्यक्ति पूछने पर आपको अपना बना बनाया स्पष्टीकरण समझा देगा।
आपको अपने ठगे जाने का पता तभी चलेगा, जब आप जमीन पर कब्जा करने जाएंगे। इसके पहले नामांतरण आदि भी आपके नाम से हो जाएगा। सड़क से लगी भूमि के रेट और अंदर की भूमि के रेट में डबल का अंतर् होता है इस तरह ठग अपना काम कर जाते हैं।
कानूनी रूप से भी इनका कुछ बिगाड़ा नहीं जा सकता क्योँकि पहले ही ये लोग इस बात का ध्यान रखते हुए अपना काम करते हैं।
कानूनी रूप से भी इनका कुछ बिगाड़ा नहीं जा सकता क्योँकि पहले ही ये लोग इस बात का ध्यान रखते हुए अपना काम करते हैं।
इससे कैसे बचें -
ध्यान रखे कोई भी जमीन खरीदने से पहले आसपास के लोगों से दिखाई गई जमीन की पूरी जानकारी जुटायें और विक्रेता से कहें कि रजिस्ट्री से पहले जमीन की मार्किंग और उसमे पोल लगाकर दे। जिससे यदि वह दूसरे की जमीन में पोल लगवाएगा तो उस समय मूल मालिक आकर जरूर आपत्ति करेगा और आपको हकीकत का पता चल जाएगा इस प्रकार आप fraud से बच जायँगे।
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2. दूसरे के मकान को अपना बताना
फ्रॉड लोग दूसरे के मकान को अपना बताकर पैसे की उगाही करते हैं . इसे एक घटना द्वारा समझते हैं. मान लीजिये शर्मा जी को अपनी जरूरत के लिए एक मकान खरीदना है उन्हें अखबार के "मकान बेचना है" कालम में अपनी पसंद के अनुरूप एक विज्ञापन दिखाई पड़ता है।दिए गए नंबर पर फोन करने पर सामने वाला व्यक्ति अपने आप को मकान मालिक बता कर मकान देखने के लिए उन्हें बुलाता है। बताएं गए एड्रेस पर पहुंचने पर शर्मा जी को मकान के बाहर नेम प्लेट दिखाई पड़ती है और वहां उपस्थित व्यक्ति अपना परिचय उन्हें उसी नाम से देता है।
मकान के अंदर जाने पर वहां पारिवारिक वातावरण दिखाई पड़ता है वहां उपस्थित महिला, शर्मा जी का स्वागत बड़े आत्मीय तरीके से करती दिखाई पड़ती है। मकान दिखाने के बाद उन्हें मकान के कुछ पेपर जिनमें मकान की टैक्स रसीद की फोटो कॉपी और जमीन के b-1 पेपर की फोटोकापी भी दिखाए जाते हैं।
मोल भाव के पश्चात शर्मा जी को यह सौदा पसंद आता है क्योंकि मकान का रेट आस पास उपलब्ध मकानों की तुलना में सस्ता होता है।
मोल भाव के पश्चात शर्मा जी को यह सौदा पसंद आता है क्योंकि मकान का रेट आस पास उपलब्ध मकानों की तुलना में सस्ता होता है।
अब मकान बेचने वाला शर्मा जी से कहता है उसे पैसे की जरूरत है और मकान की कीमत 40 लाख रुपए में से 15 लाख उसे एडवांस के रूप में चाहिए। शर्मा जी सोचते हैं मकान सस्ता मिल रहा है और उन्हें खरीदना ही है। इसलिए वे एग्रीमेंट बनाकर 15 लाख रुपए उसे एडवांस देकर 2 महीने रजिस्ट्री का समय ले लेते हैं।
थोड़े दिनों बाद अपने किसी रिश्तेदार को वह मकान दिखाने ले जाते हैं तो वहां ताला लटका मिलता है और जिस व्यक्ति ने एडवांस लिया था उसका फोन भी बंद पाया जाता है पूछताछ करने पर पता चलता है वह व्यक्ति यहां पिछले 1 महिने से मकान में रह रहा था और अब वह बिना बताए गायब है। मकान का ओरिजिनल मालिक किसी दूसरे शहर में रहता है और उसने इस व्यक्ति को मकान किराए पर दिया था।
थोड़े दिनों बाद अपने किसी रिश्तेदार को वह मकान दिखाने ले जाते हैं तो वहां ताला लटका मिलता है और जिस व्यक्ति ने एडवांस लिया था उसका फोन भी बंद पाया जाता है पूछताछ करने पर पता चलता है वह व्यक्ति यहां पिछले 1 महिने से मकान में रह रहा था और अब वह बिना बताए गायब है। मकान का ओरिजिनल मालिक किसी दूसरे शहर में रहता है और उसने इस व्यक्ति को मकान किराए पर दिया था।
बाद में पता चला कि उस फ्रॉड व्यक्ति ने स्वयं उस मकान का टैक्स पटाकर नगर निगम की टैक्स रसीद हासिल कर ली थी और मकान मालिक के नाम का बी-1 पेपर ऑनलाइन निकलवा कर रखा था साथ में उसी नाम से अपनी फोटो लगाकर एक झूठी आईडी भी बनवा रखी थी। इस प्रकार 15 लाख का चूना लगा कर वह व्यक्ति भाग गया था।
इससे कैसे बचें -
इससे बचने के लिए मकान खरीदने से पूर्व मकान के मालिक बारे में आस-पड़ोस से पूरी जानकारी जुटाए, जिसमें उसके नौकरी या कार्यस्थल की डिटेल पता कर चेक करें। फिर मकान या प्लाट की रजिस्ट्री के ओरिजनल पेपर की मांग करें।also read -
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3. अधूरे प्रोजेक्ट में पैसे लगाना -
अधूरे या इनकंप्लीट मकान में सोच समझ कर पैसा लगाएं। क्योंकि अधूरे प्रोजेक्ट में एडवांस डूबने का खतरा होता है। बहुत से ऐसे अधूरे मकान हैं, जहां लोगों का पैसा फंसा है।कुछ बिल्डर अपनी प्रोजेक्ट की जगह या अपने अधूरे मकानों को दिखाकर लोगों से एडवांस ले लेते हैं और निर्माण को लंबे समय तक पूरा नहीं करते और इस पैसे का उपयोग वे किसी दूसरे प्रोजेक्ट में करते हैं इसलिए अधूरे प्रोजेक्ट में एडवांस सोच विचार कर देवें। केवल छोटे बिल्डर के प्रोजेक्ट में लोगों का पैसा फंसता हो ऐसा नहीं है।
कुछ बड़ी रियल स्टेट कंपनियों में भी लोगों ने एडवांस एवं इंस्टॉलमेंट मकान प्राप्त करने के लिए दिए, इसके बाद भी उन्हें मकान उपलब्ध नहीं कराए गए।
जिसके कारण ये बायर सुप्रीम कोर्ट तक गए, कोर्ट ने अपना निर्णय याचिकाकर्ताओं के पक्ष में दिया और इन रियल एस्टेट कंपनियों के संचालकों को जेल तक भेजा। साथ ही इनकी संपत्तियों को बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाने के आदेश भी कोर्ट द्वारा दिए गए हैं।
इन सब बातों का ध्यान रखकर रियल स्टेट fraud से बच पाएंगे और आपका निवेश सुरक्षित रहेगा जिससे समय आने पर आप की प्रॉपर्टी से आपको अच्छा मुनाफा हो सकता है।
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