Cricket vs other sports in India. भारत में क्रिकेट और अन्य खेल -
भारत में क्रिकेट अत्यंत लोकप्रिय खेल है जो सबसे अधिक खेला और देखा जाता है। सट्टेबाजों के लिए क्रिकेट सीजन करोड़ों कमाने का अवसर देता है जिसमें बड़े बड़े दांव लगाए जाते हैं।
यहां क्रिकेट खिलाडियों के मंदिर बना कर उन्हें भगवान की तरह पूजने वाले लोग भी हैं, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की क्रिकेट एक औपनिवेशिक विरासत है।
क्रिकेट का क्रेज ऐसा है कि देश का प्रत्येक बच्चा एक महत्वाकांक्षी क्रिकेटर है। इसका कारण क्रिकेट में मिलने वाला पैसा, स्पोर्ट्स कार और ग्लैमर है। देश के क्रिकेट सितारे ग्लैमरस अभिजात वर्ग में गिने जाते हैं, उनमें से कुछ ने तो बहुत ही सुंदर और प्रतिष्ठित अभिनेत्रियों से विवाह किया है।
हर युवक के भविष्य का सपना - राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में शामिल होना बन चुका है । लेकिन क्या ये सब देश में दूसरे खेलों की कीमत पर नहीं हो रहा है? यह वह सवाल है जो देश दशकों से पूछ रहा है।
नीचे प्रदर्शित वीडियो रायपुर के एक क्रिकेट मैदान का है। जहाँ लड़कों के 7 -8 ग्रुप एक साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। यहां सभी ग्रुप का अपना अलग स्टम्प है। इन में कभी भी किसी एक ग्रुप की बॉल दुसरे ग्रुप के खिलाडी को लग सकती है, जो प्राणघातक भी साबित हो सकती है।परन्तु क्रिकेट के जूनून में इन लड़कों को इसकी जरा भी परवाह नहीं है।
नीचे प्रदर्शित वीडियो रायपुर के एक क्रिकेट मैदान का है। जहाँ लड़कों के 7 -8 ग्रुप एक साथ क्रिकेट खेल रहे हैं। यहां सभी ग्रुप का अपना अलग स्टम्प है। इन में कभी भी किसी एक ग्रुप की बॉल दुसरे ग्रुप के खिलाडी को लग सकती है, जो प्राणघातक भी साबित हो सकती है।परन्तु क्रिकेट के जूनून में इन लड़कों को इसकी जरा भी परवाह नहीं है।
बीसीसीआई (BCCI) को दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड बताया जाता है। देश में क्रिकेट उन्माद को बढ़ाने में आईपीएल की बड़ी भूमिका है। हालांकि यह सब, अन्य खेलों के विकास के लिए बेहद हानिकारक हो गया है।
प्रायोजक क्रिकेट खिलाड़ियों की ओर झुके, ये ठीक है। पर अक्सर अन्य खेलों के नवोदित प्रतिभाओं की कीमत पर ऐसा हो रहा है। जिससे ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रदर्शन, अपनी जनसंख्या के अनुपात में बेहद कमजोर रहा है।
भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है?
यदि आपको लगता है कि यह हॉकी था, तो फिर से सोचें। जबकि हम में से ज्यादातर लोग पाठ्य पुस्तकों से पढ़कर बड़े हुए हैं, जिसमें हमें बताया गया कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, युवा मामले और खेल मंत्रालय का इस मामले पर एक अलग व्यू है। ऐश्वर्या पाराशर आरटीआई (सूचना का अधिकार) के लिए प्रसिद्ध हो गई, जिसने अपनी जिज्ञासा पूरी करने के लिए दायर की थी।
भारत के राष्ट्रीय खेल के बारे में पूछे गए उसके प्रश्न के जवाब में, युवा मामले और खेल मंत्रालय ने कहा कि भारत के पास कोई राष्ट्रीय खेल नहीं है क्योंकि किसी भी खेल को भारत ने राष्ट्रीय खेल के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया है। उत्तर ने सुश्री पराशर और राष्ट्र के बाकी हिस्सों को झकझोर कर रख दिया।
भारत में हॉकी का खेल -
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेलों में सबसे बड़ी ताकत भारत की राष्ट्रीय हॉकी टीम रही है। हॉकी एक ऐसा खेल है, जो राष्ट्रवाद की भावना पैदा करता है। यह चक दे जैसी फिल्मों के कारण नहीं है, बल्कि इस तथ्य के कारण है कि भारत द्वारा जीते गए 9 ओलंपिक स्वर्ण पदक में से 8 हॉकी टीम ने जीते थे। राष्ट्रीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में एक रजत और दो कांस्य पदक भी अर्जित किए।यदि हॉकी वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय खेल नहीं है, तो क्या यह समय नहीं है कि खेल मंत्रालय देश के हॉकी खिलाड़ियों की दशा सुधारने के लिए पर्याप्त प्रयास करे।ओलंपियनों को सम्मानित करे और टीम की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करे।
ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन -
भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है। हमारे देश में प्रतिभा और खेल कौशल प्रचुर मात्रा में है। इसके बावजूद, भारत ओलंपिक खेलों में अपने प्रदर्शन को आगे बढ़ाने में असमर्थ है। इसकी तुलना में, चीन, दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देश ने ओलंपिक खेलों में पदकों की झड़ी लगा दी है। इस असमानता का एक बहुत स्पष्ट कारण है कि वहां क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों पर जोर दिया जाता है।इसके विपरीत टेलीविजन, मीडिया और प्रायजकों की बदौलत देश का युवा क्रिकेट के प्रति बहुत अधिक लगाव रखता है। अन्य खेलों के कोचिंग के लिए रास्ते खोजना और उनमे भाग लेना एक कठिन काम है।
also read -
दूसरे खेलों के ना उभरने का कारण -
वैसे भारत में हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती जैसे खेलों के लीग भी हैं और उनके मैच राष्ट्रीय टेलीविजन पर भी प्रसारित किए जाते हैं, लेकिन टीआरपी या राजस्व वैसा नहीं होता है जो क्रिकेट से होता है। 1.25 अरब की आबादी वाले देश में, जो अपनी विविधता के लिए भी जाना जाता है, इन खेल प्रतियोगिताओं में रुचि की कमी की परिकल्पना करना असंभव है। यदि भारत को बहु-खेल राष्ट्र के रूप में उभरना है तो देश के लोगों और सरकार दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
अन्य खेलों को बढ़ावा कैसे दिया जाए-
खेल कैरियर को मान्यता देना -
इस देश में एक गंभीर खेल संस्कृति का अभाव है। क्रिकेट के अलावा अन्य खेल, कैरियर के विकल्प नहीं माने जाते हैं। खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शासन को क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को गंभीर कैरियर विकल्प के रूप में मानकर और स्कूल-कॉलेज के पाठ्यक्रम के भाग के रूप में शारीरिक विकास और प्रशिक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा।भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को अन्य खेलों की ओर प्रेरित करें साथ ही उन्हें सुविधा और साधन उपलब्ध कराएं। इस मानसिकता से एक बड़ा बदलाव आ सकता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करें -
एक महत्वपूर्ण तरीका है -एथलेटिक्स, फुटबॉल, बैडमिंटन, तैराकी और वाटरस्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए खेल के मैदानों का निर्माण और वहां नियमित रूप से प्रतियोगिताओं का आयोजन करके खिलाडियों की सहायता प्रदान की जा सकती है।अभी अधिकांश सार्वजनिक स्विमिंग पूल और खेल मैदानों में रखरखाव की कमी है। इससे खेल के शौकीन पीछे हट जाते हैं क्योकिं अधिकतर खिलाडी निजी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते । भारत के खेल बजट में काफी बढ़ोतरी की जरूरत है।
जागरूकता -
क्रिकेट की लोकप्रियता के कारणों में से एक यह है कि विज्ञापन से मिलने वाला पैसा क्रिकेट को टेलीकास्ट करने के लिए अधिक आकर्षक बनाता है, जो अधिक दर्शकों की उपस्थिति के कारण आता है। क्रिकेट अधिक प्रायोजकों को आकर्षित करता है, कारण है अधिक पैसा। अन्य खेलों के लिए सक्रिय जागरूकता अभियान और एक उपयुक्त पुरस्कार और मान्यता कार्यक्रमों के माध्यम से भारत सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जा सकता है।
इस तरह कुछ उपायों को अपनाकर हमारे देश में क्रिकेट के अलावा दूसरे खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है। नये खेलों में प्रतिभाएं उभरेंगी, जिससे आबादी के अनुरूप भारत का प्रदर्शन ओलम्पिक खेलों में सुधर सकता है।
आशा है ये लेख "Cricket vs other sports in India.भारत में क्रिकेट और अन्य खेल" आपको पसंद आया होगा आप इसे अपने मित्रों तक शेयर करें। ऐसे और भी उपयोगी लेख के लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें।
आशा है ये लेख "Cricket vs other sports in India.भारत में क्रिकेट और अन्य खेल" आपको पसंद आया होगा आप इसे अपने मित्रों तक शेयर करें। ऐसे और भी उपयोगी लेख के लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें।
also read
bhut achchi post hai.jo vichar krne ko vivsh krti hai
ReplyDelete