वाहन दुर्घटना के कारण और निवारण (Road Accidents)-
हमारे देश में रोड एक्सीडेंट के आंकड़े भयावह हैं। यहां प्रतिघंटे औसतन 55 एक्सीडेंट में 17 लोगों की जान चली जाती है। आज हमारे देश में सबसे ज्यादा लोगों की मौते किसी बीमारी के बजाय, सड़क हादसों में हो रही है।
आधुनिक युग में सड़क दुर्घटना एक आम सी बात हो गयी है वास्तव में वाहनों की बढ़ती संख्या और सड़क सुरक्षा आज भारत के लिए एक बड़ी समस्या है। इससे निपटने के लिये सख़्त कानून की जरूरत है। साथ ही सभी नागरिकों को सड़क सुरक्षा के नियमों का अनुपालन करना होगा तभी सड़क दुर्घटनाओ को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
सड़क पर होने वाली ऐसी दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण सड़कों के गड्ढे और बेतरतीब ब्रेकर भी हैं. अन्य कारणों में लोगों द्वारा सड़क यातायात नियमों की अनदेखी करना, तेज़ गति में गाडी चलाना , नशे में ड्राइविंग और गलत दिशा में गाड़ी चलाना आदि दुर्घटनाओं की मुख्य वजह है।
वाहन दुर्घटना के कारण -
1. सड़कों के गड्ढे और ब्रेकर -
दुर्घटना का एक बड़ा कारण है सड़कों के बड़े बड़े गड्ढे और रोड सेफ्टी अधिनियम को पालन किये बिना बनाये गए स्पीड ब्रेकर हैं। हाईवे की बात छोड़ दें जो कुल रोड नेटवर्क का 2% है, बाकि सड़कों में गड्ढे आसानी से देखे जा सकते हैं.पैचवर्क का काम निरंतर चलने के बावजूद सड़कों में गड्ढे और एक बरसात होने के बाद सड़कें उखड़ी हुई देखी जा सकती है। बरसात के मौसम में ये गड्ढे पानी से भरे होने के कारण चालक इनकी गहराई का अनुमान नहीं लगा पाते, जिससे ये गड्ढे जानलेवा सिद्ध होते हैं. वास्तव में सड़क रिपेयर एवं निर्माण की क्वालिटी को सख्ती के साथ मेन्टेन करने की जरूरत है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली सड़कों का हाल, अवैध स्पीड ब्रेकर की वजह से बहुत बुरा है। यहाँ स्पीड ब्रेकर थोड़ी -थोड़ी दूरी पर मिल जाएंगे। यह ब्रेकर बिना किसी मापदंड के सरपंच या किसी भी व्यक्ति के द्वारा कभी कभी 5 मीटर से भी कम दूरी पर 4 - 6 की संख्या में बनवा दिए जाते हैं।
प्रायः इनकी ऊंचाई इतनी अधिक होती है कि कार का निचला हिस्सा बिना टकराए आप धीमी गति से भी इन्हें पार नहीं कर सकते। अवैध ब्रेकर बनवाने की इस प्रवृति पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
प्रायः इनकी ऊंचाई इतनी अधिक होती है कि कार का निचला हिस्सा बिना टकराए आप धीमी गति से भी इन्हें पार नहीं कर सकते। अवैध ब्रेकर बनवाने की इस प्रवृति पर अंकुश लगाने की जरूरत है.
भारत में साल में 10,000 से अधिक मौतें तो केवल खतरनाक स्पीड ब्रेकर के कारण होती हैं। बिना किसी "ब्रेकर - सूचना" वाले साइनबोर्ड के, अचानक ब्रेकर आ जाने पर चालक का वाहन पर नियंत्रण नहीं रह पाता। फलस्वरूप रीढ़ की हड्डी क्षतिग्रस्त होने के साथ वाहन सहित गिरने का खतरा पैदा हो जाता है और बाइक वाले किसी वाहन के नीचे दब कर अपनी जान गवां बैठते हैं।
2. तेज़ गति में गाडी चलाना -
सडक़ दुर्घटना का सबसे मुख्य कारण तेज गति से वाहन चलाना है। विश्व मे तेज गति की वजह से 48 प्रतिशत सडक़ दुर्घटनाएं होती है। तेज गति से वाहन चलाने पर प्रतिक्रिया अथवा वाहन पर नियंत्रण के लिए कम समय मिलता है, जिससे वाहन को रोकने की दूरी एवं समय बढ़ जाता है।इससे दुर्घटना होने पर गम्भीर चोट लगने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त गलत ढंग से ओवरटेकिंग यानि जगह न होने पर भी ओवर टेकिंग का प्रयास करना, गलत लेन में वाहन चलाना, बार-बार लेन बदलना अन्य कारण है।
3. ड्राइवर का नशे में होना --
शराब या अन्य नशीले पदार्थ के प्रभाव में वाहन चलाना भी बेहद खतरनाक है तथा यह दण्डनीय अपराध भी है। किसी दवा अथवा नींद आने की स्थिति में वाहन चलाना भी नशे में वाहन चलाने के समान है।नशे की हालत में स्थिति का अनुमान लगा पाना कठिन होता है, नींद आती है, एकाग्रता भंग होती है तथा प्रतिकिया का समय बढ़ जाता है। नशे की अवस्था में शरीर पर खुद का नियंत्रण नही रहता और दृष्टि भ्रमित हो जाती है। इसका परिणाम दुर्घटना में सामने आता है।
4. टू-व्हीलर्स वालों को ज्यादा खतरा -
सबसे ज्यादा एक्सीडेंट्स का शिकार टू-व्हीलर्स यानी बाइक, स्कूटर, स्कूटी सवार लोग होते हैं. कुल हादसों का ये करीब 33 फीसदी है. इसमें मृत 20 प्रतिशत लोगों की जान हेलमेट पहनने से बच सकती थी।अक्सर दुर्घटनाएं नए किशोरों द्वारा द्रुत गति से वाहन चलाने से घटती है। इन बच्चों को कहा जाए कि हेलमेट पहनकर बाइक न चलाये। और बाइक चलाते समय मोबाइल पर बातें करना, या इयर फ़ोन लगाकर गाना सुनना बंद करें I
निवारण के उपाय --
समस्या के निवारण के लिए सड़कों की उचित देखभाल, सड़कों से मवेशियों को दूर रखना, सड़कों से गाड़ियों की पार्किंग हटाना साथ ही गाड़ियों में फ्रंट कैमरे का प्रयोग अनिवार्य बनाया जाए।
1. कैमरा का प्रयोग -
गाड़ियों में फ्रंट कैमरे का प्रयोग अनिवार्य किया जाए यह कैमरे सड़क पर होने वाली हर गतिविधि को रिकॉर्ड करेंगे जिससे दुर्घटना होने की दशा में यह पता लग सकेगा कि घटना कैसे हुई और इसके लिए दोषी कौन है।अभी सामान्यतः दुर्घटना के समय बड़ी गाड़ी वाले को दोषी ठहराया जाता है परंतु कैमरे की रिकॉर्डिंग से यह पता चल सकेगा कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किस व्यक्ति ने किया है जिससे न्याय करना सरल हो सकेगा . कैमरा रिकॉर्डिंग उपलब्ध होने से लोग यातायात नियमों को तोड़ने से डरेंगे।
2. यातायात नियमों की जागरूकता -
इसके निवारण के लिए हमें यातायात के सभी नियमो का पालन करना होगा सुरक्षा के सारे नियम हमारे लिए ही बने हैं। इसकी अवेहलना बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए।रात्रि के समय बिना रिफ्लेक्टर वाले वाहनों की सड़कों में पार्किंग एक बड़ी समस्या है। सड़कों में इस तरह खड़े वाहन से टकरा कर अनेक युवक अपनी जान गवां बैठते हैं। नियम विरुद्ध सड़कों में पार्क या बिगड़े खड़े वाहन मालिकों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही के साथ वाहन को तत्काल उस जगह से उठवाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
नियमों का उलंघन रेलवे फाटक पर देखा जा सकता है, लोग दो मिनट रूक नहीं पाते हैं और बंद रेलवे फाटक क्रॉस करने के लिए तिरछा होकर अपना 2 व्हीलर वाहन निकलकर गुजरते हैं , जिसका परिणाम दुर्घटना के रूप में सामने आता है.
3. मवेशी मुक्त सड़कें -
सड़कों से आवारा मवेशी उठाये तो जाते हैं पर बहुत कम संख्या में, क्योकि कांजी हाउसों मवेशियों को रखने की पर्याप्त जगह नहीं है, इसके लिए सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आना होगा जिनकी मदद से आवारा पशुओं की देखभाल के लिए कांजी हाउस का संचालन हो सके।
कुछ मवेशी मालिक जान बूझ कर अपने मवेशी सड़कों पर छोड़ देते हैं, ऐसे लोगों पर अर्थदंड के साथ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
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