माउंट आबू की पूरी जानकारी . mount abu ki jankari
राजस्थान के सिरोही जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर और झीलों की नगरी कहे जाने वाले शहर उदयपुर से करीब 185 किलोमीटर की दूरी पर हरी भरी पहाड़ियों के बीच मौजूद है राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन माउंट आबू। इस पहाड़ी इलाके के ठंडे और सुहाने मौसम का मजा लेने टूरिस्ट दूर-दूर से यहां खिंचे चले आते हैं।
माउंट आबू काफी पुराने समय से लोगों को लुभाता रहा है। यहां का ठंडा मौसम और चारों तरफ फैली पेड़-पौधों की हरियाली की वजह से यह आकर्षक पर्यटन स्थल है। यहाँ की कलाकृतियां बहुत खूबसूरत और अलग है। मंदिरों की वजह से ही यह जगह जैन धर्म के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थान भी हैं।
यहाँ के प्रसिद्ध स्थलों में दिलवाड़ा मंदिर, पीस पार्क, रघुनाथ मंदिर, गुरु शिखर, नक्की लेक, honeymoon point, वाइल्ड लाइफ अभ्यारण्य शामिल हैं।
यातायात साधन --
माउंट आबू, पश्चिमी राजस्थान में गुजरात की सीमाओं के निकट स्थित है। माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। यह अहमदाबाद से 221 किमी, जोधपुर से 264 किमी, जयपुर से 500 किमी और दिल्ली से 765 किलोमीटर दूर स्थित है। उदयपुर से माउंट आबू पहुँचने के लिए बस या टैक्सी की सेवाएँ ली जा सकती हैं।
निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहाँ से 185 किलोमीटर दूर है नज़दीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किलोमीटर की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है।
राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं। यहां गर्मी का तापमान 23 से 34 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में यह 11 से 28 डिग्री के बीच होता है।
माउंट आबू तक पहुंचने वाले रास्ते भी लोगों को बहुत पसंद आते हैं यहां रास्तों से गुजरते समय हरे -भरे पेड़ पौधों के बीच से होकर गुजरना होता है जो अलग सा सुकून भरा एहसास कराता है। यदि सितम्बर माह में यहाँ जाते हैं तो बादलों की अठखेलियां करीब से देख पाएंगे। आइये जानते हैं माउंट आबू की कुछ पसंदीदा जगहों के बारे में --
माउंट आबू के प्रसिद्ध स्थल
1. नक्की झील --
नक्की झील माउंट आबू का दिल है। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देने वाली यह झील चारों ओर पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। झील में एक टापू को फ़व्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ 80 फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। आरंभ में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया । झील से चारों ओर के पहाड़ियों का नज़ारा बेहद सुंदर दिखता है।हरी-भरी पहाडि़यों से घिरी नक्की झील लगभग ढाई किलोमीटर के दायरे में फैली है। इस के चारों तरफ एक साफ-सुथरी सड़क है। इसके किनारे एक छोटा-सा पार्क है। झील के किनारे पर बैठे कर काफ़ी देर तक लोग झील में तैरते सफ़ेद जलचर और तैरती नौकाओं को देखते है और नौका विहार का आनंद लेते हैं।
झील के पास एक पार्क है वहाँ लोग रंग-बिरंगी पोशाक किराये पर लेकर तसवीरें खिंचवाते हैं। यहां टोड के आकर की एक चट्टान प्रसिद्ध है जिसे टोडरॉक के नाम से जाना जाता है।
2. सनसेट पॉइंट --
सनसेट का खूबसूरत नजारा देखने के लिए यहां से अच्छी जगह राजस्थान में और कहीं हो ही नहीं सकती। ढलते सूरज की नारंगी -लाल रोशनी नहायी हुयी पहाड़ियां एक नए रूप में प्रस्तुत होती हैं। एक गेंद की तरह सूरज, ऐसा लगता है कि आसमान में समाने वाला हो। इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए हजारों लोग उपस्थित होते हैं।3. गुरु शिखर ( Guru Shikhar) -
गुरु शिखर राजस्थान में स्थित अरावली श्रेणी की उच्चतम चोटी है। यह शहर से 15 किलोमीटर दूर है। गुरु शिखर से कुछ पहले विष्णु भगवान के एक रूप दत्तात्रेय का मंदिर है। मंदिर के पास से ही शिखर तक सीढ़ियाँ बनी हैं। शिखर पर एक ऊंची चट्टान है और एक बड़ा-सा प्राचीन घंटा लगा है।
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4. हनीमून प्वाइंट --
समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊंचाई स्थित यह जगह नक्की झील के पास स्थित है। यहां एक चट्टान में स्त्री पुरुष की आकृति दिखाई पड़ती है, जिसके कारण इसे हनीमून पॉइंट के नाम से जानते हैं।यहां हरे भरे मैदान और मंत्र मुग्ध कर देने वाले दृश्य देखकर कपल्स भाव विभोर हो उठते हैं। यहां खाने के साथ शॉपिंग का आनंद भी ले सकते हैं।
5. दिलवाड़ा जैन मंदिर --
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान का सबसे खूबसूरत जैन मंदिर है। अपनी कला के लिए काफी प्रसिद्ध यह विशाल एवं दिव्य मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित है। यह माउंट आबू से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिलवाड़ा मंदिर वस्तुतः पांच मंदिरों का समूह है।दिलवाड़ा जैन मंदिर 11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान चालुक्य राजाओं वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाईयों द्वारा 1231 ई. में बनवाया गया था। जैन मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने है। पाँच मंदिरों के इस समूह में विमल वासाही मन्दिर सबसे पुराना है। इन मंदिरों की अद्भुत कारीगरी देखने योग्य है।
अपने ऐतिहासिक महत्व और संगमरमर पत्थर पर बारीक नक़्क़ाशी की जादूगरी के लिए पहचाने जाने वाले इन विश्वविख्यात मंदिरों में शिल्प-सौंदर्य का ऐसा बेजोड़ ख़ज़ाना है, जिसे दुनिया में अन्यत्र और कहीं नहीं देखा जा सकता। इस मंदिर में आदिनाथ की मूर्ति की आंखें असली हीरक की बनी हुई हैं। और उसके गले में बहुमूल्य रत्नों का हार है।
फूल-पत्तियों व अन्य मोहक डिजाइनों से अलंकृत, नक़्क़ाशीदार छतें, पशु-पक्षियों की शानदार संगमरमरीय आकृतियां, सफ़ेद स्तंभों पर बारीकी से उकेर कर बनाई सुंदर बेलें, जालीदार नक़्क़ाशी से सजे तोरण देखते ही बनते हैं। शिल्प कला और बारीक़ नक्काशी की बात होती है तो ताजमहल की चर्चा होती है, पर दिलवाड़ा की शिल्पकला ताजमहल से किसी मायने में कम नहीं है।
6. अचलगढ़ फोर्ट --
इतिहास प्रेमियों को लुभाता यह किला माउंट आबू से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका पुनर्निर्माण मेवाड़ के राणा कुंभा ने करवाया गया था। इस मंदिर के परिसर में अचलेश्वर महादेव का मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यहां पर कि नंदी की पीतल की बड़ी प्रतिमा को भी देख सकते हैं।7. वाइल्ड लाइफ अभ्यारण्य --
यह जगह माउंट आबू आने वाले पर्यटकों में पसंदीदा है. यहां पर 820 से भी अधिक पौधों की प्रजाति देखी जा सकती है यहां खासतौर पर आर्किड फूलों की बड़ी विविधता पाई जाती है हरियाली से घिरे होने के अलावा के अलावा इस जगह तेंदुए, भेड़िये और जंगली बिल्ली जैसे अनेक जानवर देखे जा सकते हैं।8. पीस पार्क --
इस खूबसूरत पार्क में ध्यान का अनुभव लिया जा सकता है. प्रजापिता ब्रम्हकुमारी संस्थान का मुख्यालय माउंट आबू में है। यहां के ज्ञान सरोवर में आध्यात्मिक अनुभूतियों और ध्यान का अनुभव प्राप्त करने बाहर- बाहर से लोग पहुंचते हैं। राजयोग की गहन अनुभूति के लिए समय समय पर संस्थान द्वारा शिविर का आयोजन होता रहता है।माउंट आबू के साथ उदयपुर टूर को जोड़ कर इस क्षेत्र के भौगोलिक और सांस्कृतिक वातावरण का आनंद लिया जा सकता है।
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