jukam ka ilaj. जुकाम का इलाज - भोजन और दवा बंद कर दें.
शीर्षक देखकर आप थोड़ा चौक गए होंगे और सोच रहें होंगे जुकाम की दशा में भोजन और दवा कैसे बंद कर दे? हमें यही बताया और सिखाया जाता है कि कोई रोग या जुकाम होने की दशा में भोजन करना बंद नहीं करना चाहिए।
जबकि उस समय आपका शरीर भोजन लेने से इंकार करता है, भोजन से अरुचि हो जाती है। खाने की इच्छा समाप्त हो जाती है क्योंकि जुकाम के समय मुँह में स्वाद एवं नाक में गंध का पता नहीं लगता।
परंतु ऐसे समय हमसे मिलने वाले मित्र या रिश्तेदार सब के द्वारा यही कहा जाता है कि यदि भोजन नहीं लोगे तो ताकत कैसे आएगी। बहुत कमजोर लग रहे हो, खाओगे नहीं तो और कमजोर हो जाओगे। इस तरह व्यक्ति जुकाम की दशा में शरीर के द्वारा इनकार की स्थिति होने पर भी भोजन और एलोपैथिक दवा लेता रहता है और उसकी जुकाम की स्थिति और बिगड़ती चली जाती है।
जुकाम क्या है?
मौसम में होने वाले बदलाव के समय सर्दी- खांसी और जुकाम की समस्या अधिक दिखाई पड़ती है। सर्दी-जुकाम में सबसे पहले गले में खराश के साथ जलन की समस्या होती है और फिर नाक भी बहने लगती है। जुकाम के कारण शरीर में हल्का बुखार भी बना रहता है।जुकाम से पीड़ित तकरीबन 40 फीसदी लोगों को गले में खराश की शिकायत होती है, जबकि 50 प्रतिशत लोगों को खांसी और कफ रहता है। इस कफ़ का निकलना जरूरी होता है, अन्यथा इसे रोकने का प्रयास किसी बड़ी गंभीर बीमारी के रूप में सामने आता है।
जुकाम होता क्यूँ है ?
शरीर का स्वयं को विजातीय तत्वों से मुक्त करना, जुकाम के रूप में दिखाई पड़ता है। इन विजातीय तत्वों के इकट्ठा होने के कारण हैं - प्रदूषित वातावरण में साँस लेना, गरिष्ट भोजन, व्यायाम का अभाव।इन कारणों से शरीर में धीरे धीरे विष इकट्ठा होता चला जाता है जो कुछ समय बाद जुकाम के रूप में सामने आता है। आइये जुकाम के समय दवा सेवन और भोजन लेने के दुष्प्रभाव को जानते हैं।
जुकाम होने पर क्या करें -
1. दवा का प्रयोग बंद करें -
अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं है जो प्रमाणित तौर पर सामान्य ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकती हो। डॉक्टर के द्वारा इसके उपचार में लक्षणों से मुक्ति की दवाएं दी जाती हैं । हालांकि इलाज से होने वाले अधिकांश लाभ प्लासेबो प्रभाव (जिसमें रोगी सोचता है कि दवा के कारण वह ठीक हुआ भले ही उसे दवा की जगह पानी दिया गया था) के कारण ही माने जा सकते हैं।
लक्षणों को घटाने में जो इलाज सहायता करते हैं, वे हैं साधारण दर्द निवारक (एनेल्जेसिक्स) और बुखार कम करने वाली (एंटीपाइरेटिक्स) दवायें जैसे, आईब्रूफेन और एसिटामिनोफेन/पैरासेटामॉल। जोखिम तथा अप्रमाणिक लाभों के कारण 2009 में, कनाडा ने 6 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिये बिकने वाली खांसी की दवाओं तथा ज़ुकाम की दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया।
डेक्सट्रोमेथॉर्थफन (खांसी की दवा) के दुरुपयोग के चलते कई देशों में इस पर प्रतिबंध लग गया है। हमारे देश में भी बहुत से कफ़ सिरप प्रतिबंधित किये चुके हैं, पर इनमें उपस्थित नशीले तत्वों के चलते चोरी छिपे इनका प्रयोग और बिक्री अभी भी जारी है। छापे के दौरान पुलिस द्वारा ऐसे नशीले और प्रतिबंधित कफ़ सिरप का जखीरा जब्त किये जाने की खबरें आती रहती हैं।
डेक्सट्रोमेथॉर्थफन (खांसी की दवा) के दुरुपयोग के चलते कई देशों में इस पर प्रतिबंध लग गया है। हमारे देश में भी बहुत से कफ़ सिरप प्रतिबंधित किये चुके हैं, पर इनमें उपस्थित नशीले तत्वों के चलते चोरी छिपे इनका प्रयोग और बिक्री अभी भी जारी है। छापे के दौरान पुलिस द्वारा ऐसे नशीले और प्रतिबंधित कफ़ सिरप का जखीरा जब्त किये जाने की खबरें आती रहती हैं।
2. भोजन का प्रयोग बंद करें -
मानव की तीन चौथाई बीमारियां केवल ठूस कर खाने की आदत के कारण होती है । जिस तरह भूख उत्तम स्वास्थ्य की निशानी है, उसी प्रकार जब रोगी के शरीर में रुकावटें पड़ी होती है जिससे वह खाद्य पदार्थों को उपयोग में नहीं ला सकता, तब भूख बंद हो जाती है और तभी प्रकृति का संकेत होता है कि रोगी को यदि खाने की इच्छा नहीं है तो उसे खाना नहीं चाहिए और उसकी जगह उपवास करके जीवन शक्ति को मौका देना चाहिए।जब तक स्वाभाविक भूख अपने आप ना लगने लगे तब तक खाने से दूर रहना चाहिए। जिससे जीवनी शक्ति बलवती हो सके। हानिकारक द्रव्यों को जलाकर शरीर से बाहर निकालने का प्रयास जीवन शक्ति करती है। उस समय शरीर को भोजन की आवश्यकता नहीं होती इसलिए हमें चाहिए कि ऐसी दशा में अपने शरीर को अबाध गति से उसका काम करने की छूट दें।
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3. यह प्रयोग करें -
1 लीटर पानी में एक छोटा टुकड़ा अदरक के साथ पालक, गाजर, धनिया पत्ती, टमाटर सभी एक -एक पाव की मात्रा में लेकर छोटे टुकड़ों में काटकर अच्छे से उबालें। फिर ठंडा होने पर इसे छान लें। इसमें निम्बू का रस, कालीमिर्च, नमक मिलाकर दिन में 2 या 3 बार सेवन कर सकते हैं।यह प्रयोग शरीर को विजातीय पदार्थो से मुक्त करने में सहायक होगा। यह प्रयोग आरोग्य मंदिर, गोरखपुर के संस्थापक श्री विट्ठल दास मोदी द्वारा बताया एवं जुकाम पीड़ितों पर आजमाया हुआ है। जुकाम ठीक होने तक यह प्रयोग जारी रखें।
आप अपने शरीर को विषमुक्त करने में जितनी जल्दी सफल हो सकेंगे , इसके बाद सच्ची भूख अपने आप लग जाएगी जो स्वाभाविक अथवा प्राकृतिक भूख होगी।
जुकाम का असर सामान्य रूप से सात दिनों तक रह सकता है। इस अवधि में दवा के सेवन से बचते हुए ऊपर बताया गया प्रयोग करते रहें और स्वच्छ वायु में भ्रमण जारी रखें। इससे जुकाम के कष्टों में कमी आएगी।
आशा है ये लेख "जुकाम का इलाज - भोजन और दवा बंद कर दें" आपके लिए उपयोगी साबित होगा। इसे अपने मित्रों तक शेयर करें। हेल्थ और नेचुरोपैथी की उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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