जीवन में शांति के उपाय। शांति पाने का रहस्य क्या है ?
क्या आपको जीवन में शांति चाहिए ? आप कहेंगे शांति किसे नहीं चाहिए हम सब जीवन भर शांति और आनंद की खोज में लगे रहते हैं पर विषाद और अशांति के सिवा कुछ नहीं मिलता। इस अशांति के बीज हमारे जीवन के कर्म में ही कहीं छिपे हैं, कहीं हमसे कोई बड़ी भूल हो रही है।
हम कर क्या रहे है इसका विश्लेषण करने की जरूरत है। दरअसल हम चाहते तो शांति है पर सारे काम हमारे ऐसे हैं, जिससे अशांति पैदा होती है अशांति का मूल कारण है, हमारी अनियंत्रित कामना। जीवन में शान्ति कैसे मिल सकती है? आइये जानते हैं -शांति पाने का रहस्य क्या है ? जीवन में शांति कैसे मिले -
वास्तव में कामना और अशांति दो सगी बहने है। जहां कामना पैदा हुई वहां अशांति का आना स्वाभाविक है. कामना का क्या अर्थ है? कामना का अर्थ है मैं अपनी वर्तमान स्थिति से संतुष्ट नहीं हूं, मुझे कुछ और चाहिए तब संतुष्ट हो सकूंगा।
अब यह चाह आपको शांत रहने नहीं देगी। उस कामना को पूरा करने के लिए कुछ नया करना होगा क्योंकि अगर पहले की तरह चलते रहेंगे तो कामना पूरी नहीं हो सकती कुछ नया करना होगा यानी नई प्लानिंग, नई उधेड़बुन में पड़ना होगा, यानी फिर से एक नया जाल जिसमें आगे चलकर फंसना निश्चित है।
अब यह चाह आपको शांत रहने नहीं देगी। उस कामना को पूरा करने के लिए कुछ नया करना होगा क्योंकि अगर पहले की तरह चलते रहेंगे तो कामना पूरी नहीं हो सकती कुछ नया करना होगा यानी नई प्लानिंग, नई उधेड़बुन में पड़ना होगा, यानी फिर से एक नया जाल जिसमें आगे चलकर फंसना निश्चित है।
कामना अंतहीन होती है -
यह कोई नई बात नहीं है ऐसा तो आपने अनेकों बार किया है कई बार कामना की है, कभी वह कामना पूरी नहीं हुई तो तनाव पैदा हुआ और कई बार पूरी भी हुई, पर उसके पूरे होने के बाद आप शांत हुए हो, ऐसा नहीं हुआ।इच्छित वस्तु के मिलने के बाद थोड़ी सी प्रीतिकर उत्तेजना अवश्य प्राप्त हुई जो थोड़े ही समय बाद एक नई कामना और नए विषाद में परिवर्तित हो गई।
अगर हम साक्षी भाव से अपने मन की चाल को नहीं देखेंगे तो यह सिलसिला जीवन भर चलता रहेगा। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है जिसमें जीवन का अंत समय निकट होने पर भी कामना और तृष्णा का अंत नहीं हो पाया। वास्तव में खालीपन अंदर का है, जो बाहर की वस्तुओं से नहीं भरा जा सकता।
मन की चाल को समझे -
अपने पिछले जीवन को पलट कर देखिए जब आपके पास साइकिल थी तो आप स्कूटर या मोटरसाइकिल पाने की कल्पना करते थे, लगता था मोटरसाइकिल मिल जाए तो अच्छा रहेगा शांति हो जाएगी। फिर मोटरसाइकिल भी मिल गई पर कामना का खेल देखिए उसकी डिमांड कार की आ गई फिर आपने छोटी कार खरीदी पर तृष्णा की आग को तो कभी शांत होना नहीं है।अब एक नए मॉडल की बड़ी कार की कामना को पूरा करने में लगे हैं कि अब शायद इसके बाद शांत हो जाऊंगा फिर और नहीं चाहिए होगा। परंतु क्या आपने मन की अशांत करने वाली इस चाल को अभी तक नहीं समझा जो लगातार आपको विचलित रखता है और कभी शांत होने नहीं देता। इसी चाल को समझने की जरूरत है। इसका यह अर्थ नहीं है कि आप जीवन में कुछ पाने का प्रयास ना करें।
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तृष्णा से निराशा -
अपनी आवश्यकता और तृष्णा के अंतर को समझें। जीवन में रोटी कपड़ा और मकान की आवश्यकता को पूरा करने का प्रयास सर्वथा मान्य है और आवश्यक भी है। पर भौतिक वस्तुओं की अनंत वासना के चक्र में फंसेंगे तो अंत में निराशा ही हाथ लगेगी। अंत में पता लगेगा सोने की तैयारी में हम जीवन भर बिस्तर ही ठीक करते रहे पर सो नहीं पाए।- महात्मा गांधी ने कहा है --"यह पृथ्वी समस्त मानवों की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है, पर किसी एक आदमी के लालच को नहीं मिटा सकती।" इसलिए देखा देखी में अपनी आवश्यकता को छोड़कर व्यर्थ की चीज़ों को पाने के चक्र में ना पड़ें। खुद की तुलना दूसरों से कभी न करें, हर इंसान की विशेषता और कमजोरी अलग-अलग होती है।
- दूसरों से तुलना कर के आप बस खुद को परेशान ही करेंगे। किसी भी परिस्थिति में ये सोचें की आप इसमें सुधार कैसे ला सकते हैं, यदि परिस्थिति में बदलाव लाना संभव है तो उस दिशा में कार्य करें, अगर बदलाव संभव नहीं है तो फिर do ur best के बाद, परिस्थिति के अनुसार चलें और बाकि सब समय पर छोड़ दें।
ध्यान नियमित रूप से करें -
मन की चाल को समझकर कार्य करें। थोड़ा समय प्रतिदिन ध्यान के लिए निश्चित रखें।मैडिटेशन (ध्यान) लगाना मन की शांति के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। इससे आप जागरूक होते हैं और खुद को बेहतर समझ पाते हैं।जीवन में जो मिला है उसके प्रति अनुग्रह एवं धन्यवाद का भाव रखें। तब आप देखेंगे की जीवन में उल्लास और आनंद समाया हुआ है और जीवन शांति की धारा से सराबोर हो उठा है।
आशा है ये पोस्ट "Jeewan me Shanti ke upay. Shanti Paane ka Rahsya" आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी। ऐसी ही उपयोगी पोस्ट आगे भी पढ़ने के लिए वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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motfivation post hai.aisi post aage laate rhen
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