दवा के साइड इफेक्ट्स dawa ke side effects
आज शहरी हो या ग्रामीण हर कोई alopathy दवा का सेवन धड़ल्ले से कर रहा है। क्योंकि उन्हें लगता है की ये दवाएं हमारी हर स्वास्थ्य समस्या का निदान चुटकियों में कर देने वाली हैं. एलोपैथी से रोग के लक्षण दबा देने वाला लाभ तो जो है, प्रत्यक्ष है।
पर इस पद्धति में जो सबसे बड़ा दोष है, वह है दवाइयों का प्रतिकूल प्रभाव (साइड इफेक्ट)। एक तो दवाइयां रोग को दबा देती हैं, इससे रोग निर्मूल नहीं हो पाता, साथ ही वह किसी अन्य रोग को जन्म भी दे देती है। यह इस पैथी के मौलिक सिद्धांत की ही न्यूनता है।
दूसरी बात है कि अधिकतर रोग डॉक्टरों के अनुसार असाध्य ही हैं, जैसे हृदयरोग, कैंसर, एड्स, दमा, मधुमेह आदि। यहां तक कि साधारण से लगने वाले रोग जुकाम का भी एलोपैथी में कोई उपचार नहीं। पेट से संबंधित जितने भी रोग हैं, वे तो अधिक डॉक्टरों के समझ में कम ही आते हैं। उदर रोगों का परीक्षण भी कठिन होता है तथा उसके सकारात्मक परिणाम भी नहीं मिल पाते।
अधिकतर रोग पेट से प्रारंभ होते हैं अत: यदि उदर रोग होने कारणों जैसे खानपान की गलत आदतों,अधिक भोजन,बेमेल भोजन,पर अंकुश लगाया जा सके तो कई रोगों का निदान स्वत: हो सकता है। मनुष्य अधिकतर स्वस्थ और निरोग रह सकता है।
डॉक्टरों के पास एक ही अस्त्र है कि वे एंटीबायोटिक दवाई देते हैं, जो लाभ कम और हानि अधिक करती है। इन दवाइयों का पेट पर सीधा दुष्प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति की पाचन क्रिया उलट-पुलट हो जाती है। यदि वह उस दवाई को शीघ्र बंद न किया जाये तो दूसरी व्याधियां उग्र रूप ले लेती हैं।
डॉक्टरों के पास एक ही अस्त्र है कि वे एंटीबायोटिक दवाई देते हैं, जो लाभ कम और हानि अधिक करती है। इन दवाइयों का पेट पर सीधा दुष्प्रभाव पड़ता है और व्यक्ति की पाचन क्रिया उलट-पुलट हो जाती है। यदि वह उस दवाई को शीघ्र बंद न किया जाये तो दूसरी व्याधियां उग्र रूप ले लेती हैं।
इस चिकित्सा पद्धति में औषधि से अधिक शल्य चिकित्सा सफल हो पाई है। यहां तक कि जिन रोगों का आयुर्वेद अथवा यूनानी या होम्योपैथिक चिकित्सा में औषधियों से उपचार हो जाता है, वहां भी एलोपैथी, शल्य चिकित्सा का सहारा लेती है।
दूसरे शब्दों में यह पद्धति शल्य चिकित्सा पर अधिक आधारित होती जा रही है। इससे यह चिकित्सा अन्य चिकित्सा पद्धतियों से महंगी भी होती जा रही है इसके बावजूद साधारण व्यक्ति की सोच में अभी भी दवा के सेवन का आग्रह कम नहीं हुआ है साथ ही प्रथम विकल्प के रूप में दवा प्रयोग निरंतर बढ़ता जा रहा है।
क्या कहती है रिपोर्ट --
न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2008 के बाद से भारतीय अस्पतालों में मल्टीड्रग रेजिस्टेंट इंफेक्शन्स से ग्रस्त मरीजों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर बढ़ रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत में ऐसे जीवाणु बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जिन पर किसी भी ऐंटीबायॉटिक का कोई असर नहीं होता।
भारत में ऐंटीबायॉटिक के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता का इतना अभाव है कि लोग सर्दी और जुकाम जैसी स्थिति में भी ऐंटीबायॉटिक खा लेते हैं। ये लोग दवा के साइड इफ़ेक्ट की परवाह बिलकुल नहीं करते।
भारत में ऐंटीबायॉटिक के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता का इतना अभाव है कि लोग सर्दी और जुकाम जैसी स्थिति में भी ऐंटीबायॉटिक खा लेते हैं। ये लोग दवा के साइड इफ़ेक्ट की परवाह बिलकुल नहीं करते।
दवा के साइड इफेक्ट
किसी को भी दवा से साइड इफेक्ट हो सकते हैं, हो सकता है इसका बुरा प्रभाव तुरंत पता ना लगे पर दीर्घकाल में यह अपना असर दिखाता है। यह दुष्प्रभाव, ली जाने वाली दवा की खुराक, उम्र, लिंग, वजन पर निर्भर करता है।
बुजुर्गों और बच्चों में युवा लोगों की तुलना में साइड इफेक्ट अधिक होने की संभावना होती है। दवाओं के साइड इफ़ेक्ट में उलटी होना, डायरिया, कब्ज़, सुस्ती, उनींदापन शामिल है। मामूली साइड इफेक्ट होने पर आप यहां दिये उपायों को अपना सकते हैं -
बुजुर्गों और बच्चों में युवा लोगों की तुलना में साइड इफेक्ट अधिक होने की संभावना होती है। दवाओं के साइड इफ़ेक्ट में उलटी होना, डायरिया, कब्ज़, सुस्ती, उनींदापन शामिल है। मामूली साइड इफेक्ट होने पर आप यहां दिये उपायों को अपना सकते हैं -
1. डायरिया --
अधिकतर दवाएं पाचन तंत्र पर बुरा असर दिखाती हैं कुछ लोगों को तुरंत उल्टी जैसी समस्या होती है जो बाद में डायरिया में बदल जाती है. वास्तव में एलोपैथिक दवाएं शरीर के लिए बाहरी तत्व होते हैं, जिन्हें शरीर आसानी से स्वीकार नहीं करता ऐसे में उस दवा विशेष का सेवन बंद कर दें। निम्बू पानी और शहद के सेवन के सेवन से पेट को तत्काल आराम दें।2 कब्ज --
कई दवा से कब्ज की समस्या हो सकती है। नियमित रूप से पेनकिलर दवाओं को लेने पर होने वाला यह सबसे आम दुष्प्रभावों में से एक है। हालांकि, आप ब्रान और होल वीट ग्रेन और हाई फाइबर सब्जियां और फल जैसे बींस, सेब और ब्रोकली के सेवन से इसका इलाज कर सकते हैं। इसके साथ ही तरल पदार्थों को खूब सेवन करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।3. दिन के समय उनींदापन -
कुछ दवाओं के कारण दिन में उनींदापन की समस्या भी हो सकती है, लेकिन शरीर द्वारा दवा के आदी होने पर समस्या आमतौर पर अपने आप ही दूर हो जाती है।अगर समस्या काफी दिनों तक ऐसी ही बनी रहती है तो डॉक्टर से पूछ कर दवा रात के समय लें। साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि उनींदापन महसूस होने पर भारी उपकरण न उठाये और ड्राइविंग करने से भी बचें।
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ध्यान रखने योग्य --
एलोपैथिक दवा के साइड इफ़ेक्ट को कम तो किया जा सकता है, पर उनसे बचा नहीं जा सकता। अतः ''दवा से परहेज भला'' नीति पर चलते हुए अपने रहन सहन और खान पान को प्राकृतिक नियमों के अनुसार रखें। जरूरत पड़ने पर उपवास, जल, वायु, मिटटी के उचित प्रयोग वाली प्राकृतिक चिकित्सा (naturopathy ) का सहारा ले सकते हैं।अपने पर एक प्रयोग करें -
कभी जुकाम होने पर बिना दवा लिए कुछ दिन उपवास या फलाहार करें इस दौरान निम्बू पानी के साथ शहद का प्रयोग करते रहें। अब अपने ठीक होने के समय की तुलना दवा लेने के समय से करके देखें। रिजल्ट क्या आता है?आशा है ये पोस्ट "दवा के साइड इफेक्ट्स. dawa ke side effects" आपको पसंद आई होगी। इसे अपने मित्रों तक शेयर कर सकते हैं।अपनी रॉय कमेंट्स के द्वारा देते रहें। स्वास्थ्य संबंधी और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर विजिट करते रहें।
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