Zindagi ki yahi reet hai, haar ke aage jeet hai
ज़िंदगी में आप कितनी बार हारे ये कोई मायने नहीं रखता क्योंकि आप जीतने के लिए पैदा हुए हैं. बिना हार का सामना किये जीत का स्वाद नहीं चखा जा सकता क्योंकि -' ज़िंदगी की यही रीत है, हार के आगे जीत है.' वास्तव में जीत की सीढ़ी में, हार के पत्थर ही काम आते हैं। अगर कोई सोचता है की बिना असफलता के सफलता पायी जा सकती है, तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल है।
1. प्रयास करना न छोड़ें -
जीवन में स्थायी सफलता अनेक बार के प्रयासों से ही मिलती है। मिटटी को भी अपने प्रियतम के मुख का प्याला बनने के लिए काटे जाने ,पैरों से रौन्दे जाने फिर आग में तपाये जाने की प्रक्रियाओं से गुजरना ही पड़ता है।
जैक मा ( jack ma ) का उदाहरण -
alibaba के founder jack ma का उदाहरण हमारे सामने है, जिन्हें अनेक बार हार का सामना अपने जीवन में करना पड़ा। कॉलेज के बाद नौकरी पाने के 30 प्रयासों में उन्हें असफलता हाथ लगी। बाद में यही शख्श एशिया का सबसे अमीर आदमी बना।
जब KFC ने उनके शहर में ब्रांच खोली तो उन्होंने भी अप्लाई किया जिसमें 24 में से 23 लोगों को जॉब मिली और वो अकेले शख्श थे जिनको रिजेक्ट किया गया।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया की एक बार वो और उनका कजिन , 4 स्टार होटल में वेटर की जॉब के लिए घंटों धूप में लाइन में लगे रहे और उसके बाद हमारी बारी आने पर मेरा स्कोर कजिन से ज्यादा था, पर नौकरी उसे मिली।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया की एक बार वो और उनका कजिन , 4 स्टार होटल में वेटर की जॉब के लिए घंटों धूप में लाइन में लगे रहे और उसके बाद हमारी बारी आने पर मेरा स्कोर कजिन से ज्यादा था, पर नौकरी उसे मिली।
2. no gain,without pain -
जीवन ‘संघर्ष’ का दूसरा नाम हैं। एक बात हमेशा याद रखिए, अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने के बाद पीछे ना देखे बल्कि पूरे जुनून और विश्वास के साथ बाकी की आधी दूरी तय करें।बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर भी आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करके आप लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं।
आगे बढ़ने पर अगर सफलता ना मिल पाई तो भी कोई बात नहीं, कम से कम अनुभव तो नया होगा। अनेक हार के बाद भी हिम्मत के साथ अपने टारगेट की तरफ कदम बढ़ाना ही संघर्ष है।
3. असफलता से सीखिए -
अपनी हर असफलता से कुछ सीखिए और निडरता के साथ संघर्ष का दामन थाम के मंजिल की ओर आगे बढ़िए। जब तक जीवन में संघर्ष नहीं होता तब तक जीवन जीने के अंदाज को, सच्ची खुशी को, आनंद को, सफलता को अनुभव भी नहीं कर सकते।जिस तरह बिना चोट के पत्थर भी भगवान नहीं होता। ठीक उसी तरह मनुष्य का जीवन भी संघर्ष की तपिश के बिना ना तो निखर सकता है, ना शिखर तक पहुँच सकता है और ना ही मनोवांछित सफलता पा सकता है।
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4. अपना सर्वोत्तम दें ( do your best) -
कोई मूर्ति अगर मूर्तिकार की 100 चोट से पूरी बनती है तो इसका मतलब ये नहीं की पहले की 99 चोट बेकार थी. पहले की हर एक चोट का महत्व उतना ही होता है, जितना अंतिम चोट का।यह बात अलग है की लोगों को मूर्ति अंतिम चोट के बाद दिखाई पड़ती है। मूर्तिकार तो पत्थर में ही मूर्ति के दर्शन कर लेता है। उसका काम केवल पत्थर के अनावश्यक भाग को हटाना होता है, वो हटते ही मूर्ति साकार हो उठती है।
5. खुद को मोटिवेट करें -
आप सोच रहे होंगे यह सब पढ़ना या लिखना बहुत आसान है, लेकिन करना बहुत ही मुश्किल! दोस्तों, जीवन कभी भी आसान नहीं होता। सरलता व सहजता से कभी किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ।
इतिहास गवाह है इस बात का कि हर सफलता या अविष्कार के पीछे अनेक बार प्रयास, अपमान, दर्द की कहानी छिपी है। आज भी लोग महान और सफल लोगों को उनके संघर्ष से उन्हें याद करते है।
6. कम्पलीट प्लान फॉलो करें -
संघर्ष से डर के जीवन में अपने कदमों को पीछे मत कीजिए। आज का संघर्ष आपके कल को सुरक्षित करता है। आप जिस तरह का संघर्ष करते है भाग्य भी उसी के अनुरूप फल देता है।
काम स्टार्ट करने के पहले उसकी पूरी योजना आपने बनाई है तो उसके हर एक कदम को पूरी तरह फॉलो करना होगा। इस बीच असफलता का डर आपको रोकने का प्रयास करेगा, हार भी दिखाई देने लग सकती है। पर याद रखें -' ज़िंदगी की यही रीत है, हार के आगे जीत है। '
यह सत्य है जीवन में कई बार बुनियादी रूप में सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक समस्याएँ आ जाती है तब लक्ष्य के प्रति संघर्ष की इच्छाशक्ति को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में जीवन का संघर्ष कई गुणा बढ़ जाता है।
लेकिन ऐसी स्थिति में भी सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी आंतरिक इच्छाशक्ति की ताकत और शारीरिक व मानसिक क्षमता के बल पर किसी भी संघर्ष से जूझ सकता है, बस उसमें अपने लक्ष्य के प्रति ललक होनी चाहिए। क्योंकि "जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।"
लेकिन ऐसी स्थिति में भी सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी आंतरिक इच्छाशक्ति की ताकत और शारीरिक व मानसिक क्षमता के बल पर किसी भी संघर्ष से जूझ सकता है, बस उसमें अपने लक्ष्य के प्रति ललक होनी चाहिए। क्योंकि "जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।"
7. सफल लोगों की बायोग्राफी पढ़ें -
क्या आप सोच सकते है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास रहने के लिए कमरा नहीं था, इसलिए वो दोस्तों के घर पर फर्श पर सोता था, जो अपना पेट भरने के लिए मंदिर में भोजन करता था, वो व्यक्ति दुनिया की सबसे सफल मोबाइल और कम्प्यूटर कंपनी का संस्थापक बन सकता है?स्टीव जॉब्स का उदाहरण -
यही कहानी है Apple कम्पनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स की। एक समय उनके पास रहने के लिए घर और खाने के लिए पैसे नहीं थे। एक समय तो ऐसा भी आया उन्हें अपनी खुद की कंपनी से ही निकाल दिया गया लेकिन अपने निरंतर प्रयासों द्वारा उन्होंने अपने सपने को साकार किया।
भारतीय कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने सही मायने में शून्य से शुरुआत की थी। इन्फोसिस की शुरुआत के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से 250 डॉलर उधार मांगे थे। शुरूआती दिनों में इस आईटी कंपनी में फोन जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं थी।
एक समय ऐसा भी आया जब यह कंपनी बंद होने की कगार पर थी। लेकिन मूर्ति ने आशा नहीं छोड़ी और इनफ़ोसिस के द्वारा भारत की पूरी आईटी इंडस्ट्री को ही बदल के रख दिया।
8. कदम रुकने न पाएं -
अधिकतर लोग ठीक उसी समय हार मान लेते है, जब सफलता उन्हें मिलने वाली होती है। विजय रेखा बस एक कदम दूर होती है, तभी वे कोशिश करना बंद कर देते है। वे खेल के मैदान से अंतिम मिनट में हट जाते है, जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फासले पर होता है।
याद रखिये - "लहरों से डर के नौका पार नहीं होती, और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।"
आशा है ये प्रेरणा दायक पोस्ट ' ज़िंदगी की यही रीत है, हार के आगे जीत है.' आपको पसंद आयी होगी, ऐसी ही उपयोगी पोस्ट के लिए वेबसाइट पर विजिट करते रहें। अपने suggestion के लिए कमेंट करें।
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