Property Dealer Kaise Bane?प्रॉपर्टी ब्रोकर के काम से लाखों कैसे कमाए?
भारत में रियल एस्टेट कारोबार तेजी से बढ़ता हुआ व्यवसाय है। बीते कल की बात करें या वर्तमान समय की, प्रॉपर्टी का धंधा सदाबहार रहा है। रियल स्टेट में पूँजी लगाने वाले लंबा मुनाफा कमाते हैं, जो इन्वेस्टर कहलाते हैं। इन्वेस्टर के साथ साथ एन्ड यूजर को प्रॉपर्टी दिलाने का काम प्रॉपर्टी डीलर का होता है।
रियल एस्टेट कारोबार में इन्वेस्टर मोटी रकम लगाता है, फिर लम्बा इंतज़ार करता है तभी कमा पाता है, परंतु प्रॉपर्टी डीलर बिना कोई रकम लगाए कमाता है।
आइए जानते हैं प्रॉपर्टी डीलर में कौन-कौन से गुण होने चाहिए और उसके कार्य क्या है -
1. वाक् चातुर्य --
प्रॉपर्टी डीलर बायर और सेलर के बीच की कड़ी होता है इसलिए उसकी बातों में आकर्षण के साथ आत्मीयता झलकनी चाहिए तभी क्रेता और विक्रेता दोनों उस पर विश्वास कर सकेंगे। वह प्रॉपर्टी के तथ्य को सामने रखे और फेंकू होने से बचे यह भी जरूरी है।
प्रॉपर्टी डीलर को मोटिवेशन के गुण में माहिर होना चाहिए। वह बायर को यह कह कर प्रॉपर्टी खरीदने के लिए प्रेरित कर सकता है कि यह सौदा लेने पर उसे मोटा फायदा होगा।
दूसरी प्रॉपर्टी के रेट से comparision के माध्यम से बताना होगा कि यह सौदा सस्ते में मिल रहा है। सेलर को यह समझाना होगा कि उसे मौके को नहीं चूकना है और उसे प्रॉपर्टी की सही कीमत मिल रही है।
अगर सेलर, इन्वेस्टर है तो उसे बताएं कि इस प्रॉपर्टी को बेचने के बाद उसे सस्ती और इससे बड़ी प्रॉपर्टी वह दिलवा देगा। उसे दूसरी अच्छी प्रॉपर्टी के पेपर दिखायें और स्पॉट विजिट करवाएं।
2. नाप जोख की समझ --
प्रॉपर्टी डीलर या एजेंट को प्लाट या मकान की मेजरमेंट की अच्छी समझ होना चाहिए उसे स्क्वायर फुट, हेक्टेयर, एकड़, मीटर आदि के बारे में ठीक से पता होना चाहिए।मेज़रमेंट की जरूरत प्रॉपर्टी के काम मैं हमेशा पड़ती है और इस समय प्रॉपर्टी डीलर को वहां मौजूद रहना पड़ता है। प्रॉपर्टी के पेपर जैसे ऋणपुस्तिका के साथ जमीन के बी -1,पी -2 पेपर (खसरा) की समझ होना भी जरूरी है।
3.धैर्य का गुण --
प्रॉपर्टी डीलर में धैर्य का होना भी बहुत जरूरी है। ऐसा नहीं सोचना चाहिए जिस किसी को हमने मकान या जमीन दिखाई है, वह उसे ले ही लेगा। प्रॉपर्टी खरीदने वाला 10 जगह देखता है, तब कहीं कोई सौदा लेता है। अधिकतर ग्राहक निर्णय जल्दी नहीं ले पाते। ऐसे में धैर्य रखने की जरूरत होती है।4. ऑफिस और कार --
काम की शुरुआत बिना ऑफिस के भी कर सकते हैं। किसी अच्छे प्रॉपर्टी डीलर का सहयोगी बनकर ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। इस काम के लिए अनुभव का बड़ा महत्व है, बाद में अपना एक ऑफिस खोल सकते हैं।यदि टू व्हीलर के साथ फोर व्हीलर वाहन हो तो अच्छा रहेगा आपके ऑफिस में आई हुई किसी पार्टी को जमीन या मकान दिखाने के लिए फोर व्हीलर काम आएगा।
प्रॉपर्टी डीलर को नीचे लिखे काम करवाने पड़ते हैं -
सौदों का रिकॉर्ड --
प्रॉपर्टी डीलर के पास अपने क्षेत्र के बिक्री योग्य सौदों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। ये जानकारी उसे सीधे विक्रेता ,एजेंटों, न्यूज़ पेपर या इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है। आपने जिन लोगों को सेवा दी है उनसे सम्पर्क बनाये रखना जरूरी है।उनमें से कुछ लोग आगे भी कोई डील आपके द्वारा कर सकते हैं। अपने क्लाइंट की यदि कोई प्रॉपर्टी संबंधी परेशानी आती है तो उसकी पूरी मदद करें. ऐसा मत सोचे की हमें तो कमीशन मिल गया है, अब इनसे क्या मतलब है।
ग्राहक की जरूरत को समझना --
अपने ऑफिस में आए हुए कस्टमर की जरूरत को समझना पहला काम है कि उसे किस तरह की प्रॉपर्टी की जरूरत है? उसका बजट क्या है? यह भी समझना होगा उसके पास रकम रेडी है या कहीं से आने वाली है। कितनी रकम वो बैंक से लेगा और कितनी खुद लगाएगा यह भी जानना होगा।उसकी जरूरत समझने के बाद अपने पास उपलब्ध उस टाइप और बजट की प्रॉपर्टी के बारे में उसे बताएं। उस प्रॉपर्टी के अपने पास उपलब्ध पेपर और फोटो आदि भी दिखाए जा सकते हैं।
प्रॉपर्टी की विजिट --
जिस प्रॉपर्टी में वो ज्यादा रुचि ले उसे दिखाने की व्यवस्था करें अपने किसी सहायक या स्वयं उसके साथ जाकर वह प्रॉपर्टी दिखाएं, यदि मकान की चाबी आपके पास ना हो तो चाबी की व्यवस्था करें। यदि उस क्षेत्र में उसी तरह की कोई दूसरी प्रॉपर्टी हो तो उसे भी दिखाया जा सकता है।also read -
धैर्य रखना होगा --
प्रॉपर्टी दिखाने के बाद बायर को थोड़ा समय देवें क्योंकि प्रॉपर्टी खरीदने का निर्णय अकेले का नहीं होता परिवार दोस्त यारों से सलाह मशवरा करने के बाद ही व्यक्ति प्रॉपर्टी खरीदता है।प्रॉपर्टी दिखाने के कुछ समय बाद फोन से या व्यक्तिगत संपर्क किया जा सकता है। जाकर मिलने से उसकी सोच उस प्रॉपर्टी के बारे में क्या बनी है, या उसे क्या परेशानी है आपको समझ में आ जाएगी। फिर उसका समाधान निकालने की कोशिश करें।
मीटिंग फिक्स करें --
खरीददार का इंटरेस्ट समझ में आने पर प्रॉपर्टी के सेलर से उस की मीटिंग की व्यवस्था करें मीटिंग के समय विक्रेता को अपनी प्रॉपर्टी के ओरिजिनल पेपर दिखाने को कहें। पेपर से संतुष्ट होने पर खरीददार सौदेबाजी करना चाहेगा।सौदेबाजी के समय दोनों पार्टियां रेट में अड़ती दिखे तो बीच का रेट बोलकर सौदा फिक्स करवाने की कोशिश करें उसी समय विक्रेता को टोकन मनी दिलवा दें।
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एग्रीमेंट और रजिस्ट्री --
टोकन दिलवाने के बाद एग्रीमेंट करवाना होता है, जिसमें सौदे की कुल राशि का 10 से 25 परसेंट तक खरीददार के द्वारा विक्रेता को दिया जा सकता है।इसके पश्चात 1 से 3 माह का समय लेकर रजिस्ट्री करवाते हैं. रजिस्ट्री के लिए आवश्यक पेपर की व्यवस्था करने में विक्रेता का सहयोग करें।
रजिस्ट्री में उपस्थिति --
रजिस्ट्री के समय ब्रोकर की उपस्थिति अनिवार्य होती है. रजिस्ट्री पेपर में ब्रोकर को गवाह के रूप में साइन भी करने पड़ सकते हैं। रजिस्ट्री के बाद उसे अपना कमीशन प्राप्त होता है जो दोनों पार्टियों से मिलता है पर अगर कोई एक पार्टी किसी दूसरे ब्रोकर की हो तो कमीशन, बराबर बराबर बट जाता है।कभी कभी विक्रेता अपनी प्रॉपर्टी की एक निश्चित कीमत अपने डीलर के साथ फिक्स कर लेता है, ऐसी दशा में उस फिक्स रेट से ऊपर में बेंचने पर ऊपर की पूरी रकम प्रॉपर्टी डीलर को मिल जाती है। ऐसा होने पर अच्छा मुनाफा मिल जाता है।
कमीशन कितना मिलता है --
सामान्यता 10 से 20 लाख के सौदे में 2 परसेंट, और 20 लाख एक करोड़ तक एक परसेंट फिर एक करोड़ से अधिक के सौदे में आधा परसेंट कमीशन मिलता है। यह पूरी तरह से फिक्स नहीं होता।कमीशन के संबंध में आपकी उनसे क्या बात हुई है, यह उस पर डिपेंड करेगा। आजकल प्रॉपर्टी की कीमत लाखों- करोड़ों में होती है इसलिए कमीशन भी अच्छा खासा बनता है। महीने में एक बड़ा सौदा भी आपको पर्याप्त कमाई करवा सकता है।
आशा है ये जानकारी "Property Dealer Kaise Bane?" आपके लिए उपयोगी साबित होगी, अगले आर्टिकल में किसी और बिज़नेस की जानकारी जल्द ही प्रस्तुत करूंगा। इसके लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें।
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सर मैं आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूँ और मैं एक रियल एस्टेट बिजनेस एक्सपर्ट भी हूँ सर मैंने भी कुछ लिखा है जिसे यहाँ क्लिक कर पढ़ा जा सकता है --- कैसे रियल Estate के बिजनेस में जल्दी लाखों कमाए ?
ReplyDeleteNice post Bhai ji
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