How to select share for investment?शेयर मार्केट में निवेश के लिए शेयर कैसे चुने ?
यह सवाल उन सभी के मन में आता है जो पहले - पहल शेयर मार्केट में निवेश करने के बारे में सोचते हैं। अगर आपने शेयर मार्किट में उतरने का फैसला कर लिया है तो पहले इस मार्केट के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
यह जानकारी आपको इंटरनेट, समाचार पत्र और बिज़नेस न्यूज़ चैनल (ज़ी बिज़नेस और CNBC आवाज़) से मिल जाएगी।
अपने लैपटॉप या मोबाइल पर ट्रेड कैसे करना है ये आपका Demate एकाउंट खोलने वाला ब्रोकर बता देगा। लॉगिन पॉसवर्ड आने के बाद, चेक या नेट बैंकिंग के माध्यम से अपने Demate एकाउंट में पैसा डालना होता है। फिर उसी पैसे से शेयर खरीद कर रखें (होल्ड करें ) या ट्रेडिंग कर सकते हैं।
शेयर का चुनाव कैसे करें (How to select share for investment)
1. टिप्स से दूर रहें -
शेयर का चुनाव करने की टिप्स आपको चारो तरफ से मिलेगी, आपका ब्रोकर भी आपको बता देगा कि कौनसा शेयर खरीदें। कुछ टिप्स दोस्तों से भी मिल सकती है इसके अतिरिक्त बिज़नेस चैनल में सुबह से शाम तक शेयर खरीदने की टिप्स दी जाती है आपके पास रिसर्च कंपनियों के फ़ोन आना भी शुरू हो जाएंगे, जो मंथली फीस लेकर आपको कौनसा शेयर खरीदना है ये बताएंगी।दोस्तों जरा सोचिये अगर किसी को कन्फर्म पता हो कि कौन सा शेयर कितना बढ़ेगा तो क्या वो आपको बताने के लिए बैठा रहेगा? वो खुद इन्वेस्ट करके करोड़पति नहीं बन जायेगा। इसलिए ऐसे टिप्स प्रोवाइडर तथाकथित रिसर्च कंपनियों से दूर रहने की सलाह रहेगी।
2. चार्ट रीडिंग सीखें -
दोस्तों यदि आपकी दूसरों की सलाह पर चलने की आदत पड़ गई तो आप शेयर मार्केट में कुछ भी नहीं सीख पाएंगे इसलिए बेहतर ये होगा कि आप कंपनी की परफॉरमेंस को देखें और चार्ट रीडिंग को समझने की कोशिश करें।इसके लिए moneycontrol.com या investing.com जैसी वेबसाइट सहायक होगी। चार्ट रीडिंग से सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पता करके सपोर्ट के पास शेयर खरीदें और रेजिस्टेंस पास निकल जाएँ।
3. फाइनल डिसीजन स्वयं लें -
यदि दूसरों की सलाह जिनमें बिज़नेस चैनल भी शामिल हैं, पर लिए गए शेयर में आपका नुकसान होता है तो आपका ही कैपिटल टूटेगा, धन की हानि होगी और आगे काम करने का उत्साह ठंडा पड़ जायेगा।किसी दूसरे व्यक्ति की एनालिसिस और उसकी मंशा क्या है ये आपको पता नहीं होता। चैनल में आने वाले व्यक्ति सिर्फ टिप्स देने का काम करते हैं, इन्वेस्ट शायद ही कभी करते हैं। इसलिए बेहतर होगा शेयर का चुनाव स्वयं करने की आदत डालें।
4. अच्छे फंडामेंटल वाले शेयर चुनें -
शेयर का चुनाव निवेश के लिए करना अलग है और ट्रेडिंग लिए अलग. निवेश के लिए फंडामेंटल बहुत महत्वपूर्ण होता है पर ट्रेडिंग के लिए उसका उतना महत्व नहीं होता। निवेश के लिए शेयर खरीदते समय आपको कंपनी की मजबूत बैलेंस शीट, कंपनी का परफॉर्मेंस उसकी कैपिटल, प्रॉफिट आदि का ध्यान रखना होता है।
जबकि ट्रेडर को इन बातों से फर्क नहीं पड़ता, उसे सुबह खरीदकर मार्किट बंद होने तक उस शेयर को बेचकर अपना मुनाफा बुक करना लक्ष्य होता है। ट्रेडिंग के लिए शेयर खरीदने और बेचने की बात हम आने वाली पोस्ट में करेंगे।
जबकि ट्रेडर को इन बातों से फर्क नहीं पड़ता, उसे सुबह खरीदकर मार्किट बंद होने तक उस शेयर को बेचकर अपना मुनाफा बुक करना लक्ष्य होता है। ट्रेडिंग के लिए शेयर खरीदने और बेचने की बात हम आने वाली पोस्ट में करेंगे।
5. निफ़्टी 50 के शेयर चुनें --
शेयर लेने के लिये अपने कंप्यूटर या मोबाइल के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर निफ़्टी 50 ओपन करें वहां आपको भारत की टॉप कंपनियों के शेयर रेट की लिस्ट दिखेगी। इसी लिस्ट में से आपको चुनाव करना है इन 50 में से चार- पांच कंपनियों का चुनाव करें फिर उनकी थोड़ी जानकारी इंटरनेट से निकालें।6. शेयर का ट्रेंड देखें -
कुछ शेयर, सेंसेक्स या निफ़्टी के बुल रन (आगे जाने) के बाद भी नहीं बढ़ते, ऐसे शेयर्स से दूर रहें। जिन कंपनियों का शेयर खरीदना चाहते हैं, पिछले 6 से 12 महीने में उनके शेयर का ट्रेंड क्या रहा है- ऊपर की तरफ या नीचे की तरफ ये देखें। डाउन ट्रेंड वाले shares से बचें, हो सकता है वहाँ कोई बड़ी प्रॉब्लम कम्पनी में हो। कंपनी का चुनाव करते समय उसकी वर्तमान परफॉर्मेंस के साथ भविष्य में उस सेक्टर की क्या स्थिति होगी इसका भी विचार करें।
7. पेनी स्टॉक से बचें --
शेयर लेते समय आपके दिमाग में यह बात आएगी कि कम मूल्य के शेयर का चुनाव किया जाए। जब कोई शेयर 1 कप काफी के रेट से भी कम में मिल रहा है तो महंगे या ज्यादा मूल्य वाले शेयर का चुनाव क्यों किया जाए? पर आपको ऐसा नहीं करना है। जो शेयर आज 4 - 5 रूपये में मिल रहा है उसके पीछे जरूर कोई ठोस वजह होगी, तभी वो गिरकर इतने कम का हो गया है।भाव की जगह कंपनी के परफॉर्मेंस उसके प्रॉफिट, डिविडेंड आदि को देखना है। सुरक्षित निवेश के लिए किसी एक सेक्टर की बजाए अलग- अलग सेक्टर की कंपनी में निवेश किया जाए जिससे किसी एक सेक्टर में कमजोरी आने पर दूसरे सेक्टर से उसकी भरपाई की जा सके। ऐसा करने का कारण ये है कि शेयर बाजार में हर् सेक्टर हमेशा नहीं चलता। कुछ दिन तक एक चलता है, तो दूसरे में कमजोरी दिखाई पड़ती है।
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8. पूरी रकम एक साथ न लगाएं --
इन्वेस्टमेंट की शुरुआत में अपनी कुल पूंजी का एक तिहाई हिस्सा ही लगाएं क्योंकि यदि अगर आपने पूरा पैसा लगा दिया और उस शेयर में या मार्केट में तेज गिरावट आ गई तो आपको लंबा नुकसान हो सकता है इससे बचने के लिए थोड़ा थोड़ा पैसा 2 -3 बार में लगाएं।जब हम शेयर खरीदते हैं तो हमारी सोच होती है, अब ये शेयर ऊपर ही जाएगा परंतु वैसा होना जरूरी नहीं है। किसी एक शेयर में रकम लगाने से रिस्क बहुत बढ़ जाता है। परन्तु बहुत अधिक shares में इन्वेस्टमेंट करने से उन्हें वाच करना नए इन्वेस्टर के लिए मुश्किल होगा। इसलिए 4 या 5 कंपनियों का चयन कर सकते हैं।
9. थोड़ी गिरावट से परेशान न हों -
शेयर मार्केट कभी भी लगातार एक दिशा में नहीं जाता, उसमे गिरावट भी आती है। थोड़ी गिरावट से परेशान ना हों। अपने मुनाफे के साथ अपना स्टॉप लॉस सोच कर रखें। शेयर का रेट आप की सोची हुयी हानि या लाभ के स्तर पर आये तो सौदा काट दे, विशेषकर हानि होने की दशा में यह सोच कर ना रूके कि आगे चलकर रेट बढ़ेगा।
सभी शेयर, बाजार की दिशा के अनुसार नहीं बढ़ते। इसलिए आपके सभी शेयर अच्छा परफॉर्म करेंगे ऐसा न सोचें। शेयर के गिरने की कारणों पर विचार करें तो कई कारण हो सकते हैं इसलिए stop-loss के करीब शेयर का रेट आने पर उससे निकल जाएँ।
सभी शेयर, बाजार की दिशा के अनुसार नहीं बढ़ते। इसलिए आपके सभी शेयर अच्छा परफॉर्म करेंगे ऐसा न सोचें। शेयर के गिरने की कारणों पर विचार करें तो कई कारण हो सकते हैं इसलिए stop-loss के करीब शेयर का रेट आने पर उससे निकल जाएँ।
10. वोलैटिलिटी के लिए तैयार रहें -
शेयर बाजार एक ऐसा स्थान है जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए अपने आप को मानसिक रूप से तैयार रखें बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर भी कुछ दिनों या 1 दिन में 30 से 40 परसेंट तक गिर जाते हैं या बढ़ जाते हैं। पर ऐसा हमेशा नहीं होता।
सरकार के द्वारा की गई किसी घोषणा, कंपनी में कोई बड़ा घोटाला, किसी बड़े पदाधिकारी का इस्तीफा आदि के कारण ऐसा हो सकता है।
शेयर मार्केट पर GOD फैक्टर भी अपना प्रभाव डालता है. GOD के G यानि गोल्ड की कीमत, O यानी ऑयल प्राइस में होने वाला उतार-चढ़ाव और D का मतलब डॉलर इंडेक्स में होने वाला उतार-चढ़ाव।इन तीनों फैक्टर का प्रभाव शेयर मार्केट पर दिखाई पड़ता है।
शेयर मार्केट पर GOD फैक्टर भी अपना प्रभाव डालता है. GOD के G यानि गोल्ड की कीमत, O यानी ऑयल प्राइस में होने वाला उतार-चढ़ाव और D का मतलब डॉलर इंडेक्स में होने वाला उतार-चढ़ाव।इन तीनों फैक्टर का प्रभाव शेयर मार्केट पर दिखाई पड़ता है।
11. अलर्ट रहें -
अगर आप निवेशक हैं तो प्रतिदिन होने वाले थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है, इससे आपका ब्लड प्रेशर बढ़ेगा एवं शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। निवेशक को थोड़े लंबे समय कम से कम 1 साल से 5 साल तक निवेशित रहने का लक्ष्य बनाकर रखना चाहिए तभी उनकी पूँजी बढ़ने की सम्भावना बनेगी।परन्तु शेयर खरीद कर सो नहीं जाना है, थोड़े दिनों में समीक्षा करना जरूरी है. अगर लगे की किसी शेयर का चयन गलत हो गया है तो उसको सेल करने में ही भलाई रहेगी, वरना घाटा और बढ़ सकता है। मार्केट बेयर फेस (मंदी चक्र) से निकलकर बुल फेस (तेजी) की तरफ आने के समय किया गया निवेश सबसे अधिक फायदा देता है।
आशा है ये जानकारी "How to select share for investment" आपके लिए उपयोगी साबित होगी। शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेडिंग से सम्बंधित पोस्ट आगे भी लाता रहूँगा, इसके लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें। अपने सुझाव और सवाल के लिए कमेंट करें ।
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