Mahabaleshwar hill station. महाबलेश्वर हिल स्टेशन
महाबलेश्वर में प्रकृति के अनुपम सौंदर्य के साथ स्ट्रॉबेरी का मज़ा है यहां पुणे और मुंबई से सड़क मार्ग द्वारा बस या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है। पुणे से महाबलेश्वर की दूरी 120 km . है। महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख हिल्स स्टेशन में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला महाबलेश्वर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। सह्याद्रि पर्वतमाला की गोद में बसा यह रमणीक स्थल समुद्र तल से लगभग 1372 मीटर की ऊचांई पर स्थित है।
महाबलेश्वर की खोज सर जान मेल्कान ने की थी। महाबलेश्वर पहले प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ के दर्शनीय स्थल में यहाँ की खुबसूरत वादियां कलकल करते झरने व सुंदर झीले नदियां व खुबसूरत व्यू प्वाईंट आदि शामिल है जो पर्यटको को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते है। इसके अलावा स्ट्राबेरी के बागान यहां का यूनिक आकर्षण है। यहा घूमने के लिए अक्टूबर से जून तक का समय बेस्ट है।
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मैंने यहां घूमने का प्लान अपने एक मित्र के साथ बनाया। रायपुर से पहले हम पुणे पहुंचे। पुणे में हमें ओशो इंटरनेशनल मैडिटेशन रिसोर्ट में 3 दिन ध्यान प्रयोगो के लिए रुकना था। ओशो के द्वारा डेवलप ध्यान के प्रयोगों के साथ इंटरनेशनल ओशो फ्रेंड्स के साथ मिलने का यह एक अच्छा स्थान है। 32 एकर में फैले इस ध्यान केंद्र की सुंदरता और सफाई आकर्षित किये बिना नहीं रहती।
पुणे से बस द्वारा हम महाबलेश्वर पहुंचे। रास्ते में पश्चिमी घाट के मनोरम दृश्य दिखाई पड़े पर तीखे मोड़ों के चलते मोशन सिकनेस होने लगा. बस स्टैंड में पहुंचते ही टैक्सी वाले ने कई होटल्स के ब्रोशर दिखाए, हमें आराम करना था इसलिए जल्दी से एक होटल का चुनाव कर लिए। वहां हमने देखा की ज्यादातर होटल्स की बाहरी दीवारों को विशाल प्लास्टिक शीट से कवर करके रखा गया था। पूछने पर बताया की बारिश का मौसम होने के कारण ऐसा किया गया है। महाबलेश्वर में हस्त शिल्प के अलावा जैम जेली और मुरब्बा खरीदा जा सकता है।
जुलाई अगस्त में ऑफ सीजन होने से होटल कम रेट में मिल जाते हैं। बारिश में हल्की फुहारों के बीच पहाड़ों को निहारने का एक अलग ही आनंद है। बादलों की अठखेलियां और उनका छूकर गुजर जाना, एक अलग सा रोमांटिक अहसास इसी मौसम में मिलेगा। महाबलेश्वर के दर्शनीय स्थलों में वेन्ना लेक, लौडविक पॉइंट या एलीफैंट हेड, प्रतापगढ़ किला, कृष्ण मंदिर, स्ट्राबेरी फार्म शामिल हैं।
जुलाई अगस्त में ऑफ सीजन होने से होटल कम रेट में मिल जाते हैं। बारिश में हल्की फुहारों के बीच पहाड़ों को निहारने का एक अलग ही आनंद है। बादलों की अठखेलियां और उनका छूकर गुजर जाना, एक अलग सा रोमांटिक अहसास इसी मौसम में मिलेगा। महाबलेश्वर के दर्शनीय स्थलों में वेन्ना लेक, लौडविक पॉइंट या एलीफैंट हेड, प्रतापगढ़ किला, कृष्ण मंदिर, स्ट्राबेरी फार्म शामिल हैं।
महाबलेश्वर के दर्शनीय स्थल
वेन्ना लेक --
दर्शनीय स्थलों में वेन्ना लेक का महत्वपूर्ण स्थान है। यह झील महाबलेश्वर के बाजार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर पंचगनी के रास्ते पर स्थित है। चारो ओर से घने जंगलो से घिरी वेन्ना झील की सुंदरता व खुबसूरती देखते ही बनती है। शांत व स्थिर पानी पर तैरती बोट से आप यहां की प्राकृतिक सुंदरता को निहार सकते है।लौडविक प्वाइंट या ऐलिफेंट हेड -
लौडविक प्वाइंट की समुन्द्र तल से ऊचाई लगभग 4067 फुट है। यहाँ एक पहाड़ी है जो प्राकृतिक रूप से हाथी के सिर की तरह दिखाई देती है। जिस के कारण इसे ऐलिफेंट हेड के नाम से भी जाना जाता है। यहां से सामने स्थित दूर तक फैली कोयना घाटी के सुंदर दृश्य दिखाई देते है। जो पर्यटको को अपना दिवाना बना देते है।
प्रतापगढ़ किला -
यह भव्य किला महाबलेश्वर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह आलिशान किला लगभग 1000 फुट की ऊचांई पर बना है। यह किला महाराज छत्रपति शिवाजी के तीन प्रमुख किलो में से एक है। यह किला छत्रपति शिवाजी की अफजल खां से ऐतिहासिक मुलाकात का भी गवाह है। यह किला ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योकि इसी स्थान पर शिवाजी ने अफजल खां को मौत के घाट उतारा था। इस स्थान पर अफजल खां की एक कब्र भी है।
कृष्ण मंदिर -
कृष्ण मंदिर पुराने महाबलेश्वर में स्थित है। इस मंदिर को पंचगना के नाम से भी जाना जाता है। क्यों कि यहां पांच नदिया कृष्ण कोयना वेन्ना गायत्री तथा सावित्री बहती है। यह मंदिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसके अलावा यहां के स्ट्रॉबेरी फार्म अपनी टेस्टी आइसक्रीम और शेक के लिए प्रसिद्द है , जिनका आनंद उठाये बिना महाबलेश्वर की यात्रा अधूरी है। यहाँ से हमने पंचगनी प्रस्थान किया।
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पंचगनी -
पंचगनी सह्याद्री पर्वत माला की पांच पहाडियो से घिरा हुआ खुबसूरत हिल्स स्टेशन है। पंचगनी चारो ओर से पांच गावों से घिरा हुआ है – डांडेघर, खिंगार, गोडवाली, अमराल और ताईघाट। यहाँ से कृष्णा नदी बहती है और धोमधाम झील बनाती है।
पुणे से महाबलेश्वर जाने पर पंचगनी, महाबलेश्वर से 24 किमी पहले आता है। यहां सुंदर बंगलो के अतिरिक्त घने पेड़ो से घिरे घुमावदार रास्ते आकर्षक लगते हैं। यहां कुछ बॉलीवुड कलाकारों के फार्म हाउस भी हैं।
पुणे से महाबलेश्वर जाने पर पंचगनी, महाबलेश्वर से 24 किमी पहले आता है। यहां सुंदर बंगलो के अतिरिक्त घने पेड़ो से घिरे घुमावदार रास्ते आकर्षक लगते हैं। यहां कुछ बॉलीवुड कलाकारों के फार्म हाउस भी हैं।
पंचगनी में क्या देखें -
यात्रियों को आकर्षित करने के लिए यहाँ सिडनी प्वाइंट है। जहा से धोमधाम झील का चमकता हुआ पानी देखा जा सकता है। इसके अलावा यहा एशिया का सबसे बडा पठार (टेबल पठार) है जहा से डेविल्स किचन नाम की गुफाओ का नजारा कर सकते है। पंचगनी का म्युनिसिपल गार्डन, चील्ड्रेन पार्क, फूलो का बागीचा, पारसी प्वाइंट और डेविल्स किचन की गुफाएँ घूमने के लिए अच्छी जगह है। महाबलेश्वर की यात्रा में प्राकृतिक सौंदर्य दर्शन के साथ स्ट्राबेरी आइसक्रीम का मज़ा दिल खुश करने वाला है।इस तरह आप भी इस खूबसूरत पर्यटन स्थल "Mahabaleshwar hill station" में घूमने का प्लान बनाकर आनंद उठाएं। ऐसे ही किसी अन्य खूबसूरत स्थान के बारे में जानने के लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें।
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1. advantage of ginger
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