Film writer kaise bane?फिल्म राइटर कैसे बनें ?
फिल्मों में जाने का खयाल आते ही ज्यादातर युवा, हीरो हीरोइन बनने के बारे में सोचने लगते हैं। पर उनमें से कुछ ही होते हैं जो बॉलीवुड फिल्मों के हीरो के अनुरूप बने हुए सांचे में फिट बैठते हैं और अभिनय करने में सक्षम हैं । पर निराश होने की कोई जरूरत नहीं है।
बॉलीवुड में अभिनय के अलावा अन्य बहुत सारे क्षेत्र है जिनमें काम करके सफलता पाई जा सकती है। आप अपनी प्रतिभा, अनुभव और क्षमता और रूचि के अनुरूप साउंड रिकॉर्डिस्ट, मेकअप मैन, डिजाइनर, कोरियोग्राफर बन कर अपनी कला का प्रदर्शन कर सकते हैं। हम यहां "फिल्म राइटर कैसे बनें" इसकी चर्चा करेंगे।
फिल्म राइटर बनने के लिए क्या करें -
स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स करें -
यदि आपको लेखन में रुचि है, कविता कहानी,लेख लिखना पसंद है कुछ रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है,कुछ अप्रकाशित रखी हैं, कल्पना के घोड़े दौड़ाने और उसे कहानी के रूप में कागज में उतारने में सक्षम हैं तो आप फिल्मों के स्टोरी राइटर बन सकते हैं. फिल्म पटकथा लेखन की विधा को समझने के लिए किसी अच्छे संस्थान से स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स कर लें।
इसके लिए कुछ संस्थानों के नाम हैं -
फिल्म एंड टीवी इंस्टीटूट ऑफ़ इंडिया (पुणे), दिल्ली स्कूल ऑफ़ कम्युनिकेशन (दिल्ली), इंस्टिट्यूट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन (कोलकाता), गुलशन कुमार फिल्म एंड टीवी इंस्टिट्यूट, नोएडा आदि।
इन जगहों पर फीस अलग अलग होती है। न्यूनतम फीस 3 माह के कोर्स के लिए 25000/-रूपये हो सकती है। स्कूल ऑफ़ ब्राडकास्टिंग एंड कम्युनिकेशन- अँधेरी वेस्ट (मुंबई) में 3 माह का सर्टिफिकेट इन स्क्रिप्ट राइटिंग कोर्स 35000/- रूपये में किया जा सकता है।
स्वयं को बेहतर कैसे बनाये
एक लेखक का काम सिर्फ लिखना भर नहीं है उसे एक अच्छा पाठक भी होना चाहिए। पढ़ने से आपका ज्ञान बढ़ता है और आपका नजरिया विस्तृत होता है। इससे आप समझ सकते हैं की अपनी लिखी गयी रचना को कैसे और बेहतर किया जा सकता है। एक लेखक को जल्दबाजी से बचना चाहिए। अगर आप पूरी तरह अपनी रचना से संतुष्ट नहीं हैं तो उसमें आवश्यक सुधार और समीक्षा के बाद ही रचना को आगे किसी को सौंपे।
हर रोज लिखने की आदत डालिये, थोड़ा-थोड़ा अपने समय के अनुसार लिखिए, अगर लेखन आपका जूनून है तो इसके लिए समय निकालिये। ये जरूरी नहीं की आप एक ही दिन में सबसे बेहतर लिख डालेंगे, धीरे धीरे अभ्यास बढ़ने से आप लेखन कला में निपुण हो जायेंगे।
फ़िल्में देखना जारी रखें
बॉलीवुड फिल्मों के साथ देश की अन्य भाषाओं और विदेश की फिल्में भी मनोरंजन से अधिक प्रशिक्षण के लिए देखें। एक पर्सनल नोटबुक रखें, जिसमें फिल्म की बारीकियों को दर्ज करते रहें, इससे आपको स्टोरी आईडिया मिलेगा। जिसे आप अपनी कल्पना शक्ति के आधार पर नए ढंग से डेवलप कर सकते हैं।
बॉलीवुड की ज्यादातर फिल्मों का स्टोरी आईडिया बीते समय की किसी हिट फिल्म से प्रेरित होता है। पुरानी कहानी को नए परिवेश में ढाल कर दर्शकों के सामने पेश कर दिया जाता है। थोड़ा ध्यान से देखेंगे तो फिल्म "दीवार" में "गंगा जमना" और "शोले" में "मेरा गांव मेरा देश" की प्रेरणा दिखाई पड़ती है।
संघर्ष के लिए तैयार रहें -
हर लेखक के संघर्ष की कहानी अलग अलग होती है। मुंबई जाने के बाद फिल्मी दुनिया के संबंधित लोगों से आपका मेल जोल होना जरूरी है इसके लिए फिल्म प्रोडक्शन हाउस में सम्पर्क के अलावा किसी लेखक से जान पहचान बढ़ाना जरूरी है ।बहुत से लेखक अपने सहायक रखते हैं. ये सहायक, लेखक के बताए अनुसार कहानी, पटकथा तैयार कर उन्हें देते हैं फिर लेखक इस कहानी या पटकथा में आवश्यक परिवर्तन कर के निर्माता निर्देशक को देता है। ऐसे किसी फिल्म या टीवी सीरियल राइटर के पास काम मिल सकता है।
कुछ गीतकार भी सहायक रचनाकार रखते हैं।अगर गीत लिखने में रूचि हो तो गीतकार से सम्पर्क करें, उन्हें अपनी रचनाएँ दिखाए। उन्हें अनुकूल लगने पर वो रचना किसी फिल्म में उपयोग की जा सकती है । अगर आपने कोई पटकथा लिख रखी है तो पहले उसे रजिस्टर्ड करवा लें, जिससे उसके चोरी होने का भय नहीं रहेगा।
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सम्पर्क बढ़ाएं -
जितना अधिक आप फ़िल्मी दुनिया के लोगों से सम्पर्क बढ़ाएंगे,आपको काम मिलने के अवसर बढ़ते जायेंगे। टीवी और फिल्म प्रोडक्शन हाउस में जाकर लोगों से मिलें। उन्हें अपनी रचनाओं के बारे में बताएं। निश्चित तौर पर जान ले कि शुरुआती दिनों में आपका शोषण चाहे पैसे के रूप में या क्रेडिट गायब होने के रूप में हो सकता है।पर निराश होने की जरूरत नहीं है।
यदि आप सक्रिय रहेंगे तो लोगों से आपका मिलना जुलना होता रहेगा फिल्म इंडस्ट्री में आपकी जान पहचान का दायरा बढ़ेगा और आखिर में आपके काम की चर्चा होने लगेगी। इस तरह प्रारंभिक परेशानियों से गुजरने के बाद आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा साथ ही बॉलीवुड के तौर-तरीकों को जानने समझने लग जाएंगे।
यदि आप सक्रिय रहेंगे तो लोगों से आपका मिलना जुलना होता रहेगा फिल्म इंडस्ट्री में आपकी जान पहचान का दायरा बढ़ेगा और आखिर में आपके काम की चर्चा होने लगेगी। इस तरह प्रारंभिक परेशानियों से गुजरने के बाद आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा साथ ही बॉलीवुड के तौर-तरीकों को जानने समझने लग जाएंगे।
टीवी में काम ढूंढें -
सबसे जरूरी बात यह है कि शुरुआती दिनों में आपका मुंबई जैसे महंगे शहर में सरवाइव कर पाना। इसके लिए टेलीविजन धारावाहिक या फिर एडवरटाइजिंग एजेंसी का रुख भी किया जा सकता है. विज्ञापन फिल्म का लेखन अलग तरह का होता है क्योकि उसमे 2 मिनट में बात कहनी होती है।संक्षिप्त और प्रभावी होना विज्ञापन का उद्देश्य होता है। इसके लिए अपने क्रिएटिव डायरेक्टर और विज्ञापन दाता की जरूरत को ध्यान में रखते हुए विज्ञापन फिल्म का लेखन करना होता है। अपने विषय और यूनिक आईडिया के चलते कुछ विज्ञापन लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं और उस विज्ञापन के निर्माण से जुड़े लोगों की पकड़ एडवरटाइजिंग फील्ड में मजबूत हो जाती है।
फिल्म स्टूडियो में जैसे फिल्म सिटी में जहां हमेशा ही बहुत से सीरियल की शूटिंग जारी रहती है, जाने पर भी काम के अवसर प्राप्त हो सकते हैं।टीवी सीरियल की कहानी धीरे से एपिसोड दर एपिसोड आगे बढ़ती है।
टीवी सीरियल का लेखन मुख्य पात्रों के गढ़े गए चरित्र पर आधारित होता है और कहानी उन्हीं के चरित्र चित्रण के आधार पर आगे बढ़ती है।
टीवी सीरियल का लेखन मुख्य पात्रों के गढ़े गए चरित्र पर आधारित होता है और कहानी उन्हीं के चरित्र चित्रण के आधार पर आगे बढ़ती है।
यदि मुंबई जाने के बाद वहाँ रहकर संघर्ष करने का मन आपने बना लिया है तो पहले फिल्म राइटर एसोसिएशन की सदस्यता लेना ठीक होगा । यदि "स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन" (SWA) की सदस्यता के लिए सम्पर्क करना हो तो उनका पता और नंबर नीचे दिया गया है -
- 201 - 204, Richa Building, Plot No. B - 29,
Off New Link Road, Opposite Citi Mall,
Andheri (West) Mumbai,
Maharashtra - 400 053,
India +91 22 2673 3027 / +91 22 2673 3108 . contact@swaindia.org - Office Time*: Monday - Saturday | 11.00 am - 7.00 pm
- Membership (New/Renewal): Monday - Saturday | 11.30 am - 6.00 pm
Script Registration Day: Monday - Friday | 2.00 pm - 5.30 pm - *Closed on Sunday and Bank Holidays.
सदस्यता कार्ड के आधार पर स्टूडियो में प्रवेश आसान हो जाएगा। स्टूडियो में जाकर अपना विजिटिंग कार्ड या मोबाइल नंबर देना ना भूलें। वहां कभी किसी सीन या संवादों में सुधार का काम तुरंत भी मिल सकता है
यदि आपमें अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद की अच्छी क्षमता है तो इसका लाभ बॉलीवुड में मिलेगा। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े बहुत से लोगों की हिंदी अच्छी ना होने से उन्हें अच्छी हिंदी जानने वालों की जरूरत हमेशा पड़ती है।
यदि आपमें अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद की अच्छी क्षमता है तो इसका लाभ बॉलीवुड में मिलेगा। बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े बहुत से लोगों की हिंदी अच्छी ना होने से उन्हें अच्छी हिंदी जानने वालों की जरूरत हमेशा पड़ती है।
सफलता मिलती ही है -
बॉलीवुड टैलेंट की कद्र करता है, संघर्ष कितना लंबा चलेगा यह कोई नहीं कह सकता पर अंततः सफलता जरूर मिलेगी। फिल्में देखते रहे उनकी बारीकियों को समझते रहे. कहानी कहने के फिल्म के माध्यम को समझना जरूरी है।लेखक किसी विचार या घटना को पटकथा के रूप में इस प्रकार बदलता है कि उससे 2 घंटे की एक फिल्म बन सके. यहां लेखक की कल्पनाशीलता अपना काम करती है।
फिल्म राइटर को कथा के अनुरूप मुख्य पात्रों का चरित्र गढ़ना होता है फिर सहायक पात्रों का गठन करना होता है। स्टोरी टेलिंग का अंदाज़ इंटरेस्टिंग होना चाहिए, उसमें मनोरंजन हो, कथा बोझिल ना बने इसका ध्यान रखना आवश्यक है। इन्हीं सब बातों का ध्यान रखेंगे तो आप फिल्म राइटर बन सकते हैं।मैं लेखक के रूप में आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।
आशा है ये पोस्ट "Film writer kaise bane" आपको पसंद आई होगी। बॉलीवुड की किन विषयों की जानकारी आप चाहते हैं, कृपया कमेंट द्वारा बताएं। ऐसी और भी उपयोगी जानकारी के लिए इस वेबसाइट में विजिट करते रहें।
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nice
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